| शब्द का अर्थ | 
					
				| उपज्ञात					 : | पुं० [सं० उप√ज्ञा+क्त] प्राचीन भारत में किसी विशिष्ट आचार्य की उपज्ञा से आविर्भूत होनेवाला कोई नया ग्रंथ, विषय या साहित्य। भू० कृ० जिसका आविर्भाव उपज्ञा के द्वारा हुआ हो। (इन्वेंटिड) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपज्ञाता (तृ)					 : | पुं० [सं० उप√ज्ञा (जानना)+तृच्] वह जिसने उपज्ञा के द्वारा कोई नई बात या चीज ढूँढ़ निकाली हो। (इन्वेंटर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपज्ञात					 : | पुं० [सं० उप√ज्ञा+क्त] प्राचीन भारत में किसी विशिष्ट आचार्य की उपज्ञा से आविर्भूत होनेवाला कोई नया ग्रंथ, विषय या साहित्य। भू० कृ० जिसका आविर्भाव उपज्ञा के द्वारा हुआ हो। (इन्वेंटिड) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपज्ञाता (तृ)					 : | पुं० [सं० उप√ज्ञा (जानना)+तृच्] वह जिसने उपज्ञा के द्वारा कोई नई बात या चीज ढूँढ़ निकाली हो। (इन्वेंटर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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