| शब्द का अर्थ | 
					
				| उपनागरिका					 : | स्त्री० [सं० अत्या० स०] साहित्य में, गद्य या पद्य लिखने की एक शैली जिसमें ट ठ ड ढ वर्णों को छोड़कर केवल मधुर वर्ण आते हैं। इसमें छोटे-छोटे और बहुत थोड़े समास होते हैं। काव्य में यह वृत्यनुप्रास का एक भेद माना गया है। यथा-रघुनंद आनँद कंद कौशलचन्द्र दशरथ नन्दनम्।—तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपनागरिका					 : | स्त्री० [सं० अत्या० स०] साहित्य में, गद्य या पद्य लिखने की एक शैली जिसमें ट ठ ड ढ वर्णों को छोड़कर केवल मधुर वर्ण आते हैं। इसमें छोटे-छोटे और बहुत थोड़े समास होते हैं। काव्य में यह वृत्यनुप्रास का एक भेद माना गया है। यथा-रघुनंद आनँद कंद कौशलचन्द्र दशरथ नन्दनम्।—तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |