| शब्द का अर्थ | 
					
				| उपलक्ष					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष् (देखना)+घञ्] =उपलक्ष्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्षक					 : | वि० [सं० उप√लक्ष्+ण्वुल्-अक] १. निरीक्षण करनेवाला। २. अनुमान करनेवाला। पुं० साहित्य में किसी वाक्य के अंतर्गत वह शब्द जो उपादान लक्षणा से अपने वाक्य के सिवा अपने वर्ग की अन्य बातों या वस्तुओं का भी उपलक्ष्य या बोध कराता हो। जैसे—देखो बिल्ली दूध न पी जाए। में बिल्ली शब्द से कुत्ते, नेवले आदि की ओर भी संकेत होता है, अतः ‘बिल्ली’ यहाँ उपलक्षक है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्षण					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष्+ल्युट-अन] १. ध्यान से देखना। २. किसी लक्षण के प्रकार या वर्ग का कोई गौण या छोटा लक्षण। ३. कोई ऐसी गौण बात जो किसी ऐसे तत्त्व की सूचक हो जिसका स्पष्ट उल्लेख या निर्देश हो चुका हो। ४. दे०‘उपलक्षक’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्षित					 : | भू० कृ० [सं० उप√लक्ष्+क्त] १. अच्छी तरह देखा-भाला हुआ। २. उपलक्ष्य के रूप में या संकेत से बतलाया हुआ। ३. अनुमान किया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्ष्य					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष्+ण्यत्] १. वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए। पद-उपलक्ष्य मेंकोई काम या बड़ी बात होने पर उसका ध्यान रखते हुए। किसी बात के उद्धेश्य से और उसके संबंध में। जैसे—विवाह के उपलक्ष्य में होनेवाला प्रीति-भोज। २. किसी बात का चिन्ह, लक्षण या संकेत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्ष					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष् (देखना)+घञ्] =उपलक्ष्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपलक्षक					 : | वि० [सं० उप√लक्ष्+ण्वुल्-अक] १. निरीक्षण करनेवाला। २. अनुमान करनेवाला। पुं० साहित्य में किसी वाक्य के अंतर्गत वह शब्द जो उपादान लक्षणा से अपने वाक्य के सिवा अपने वर्ग की अन्य बातों या वस्तुओं का भी उपलक्ष्य या बोध कराता हो। जैसे—देखो बिल्ली दूध न पी जाए। में बिल्ली शब्द से कुत्ते, नेवले आदि की ओर भी संकेत होता है, अतः ‘बिल्ली’ यहाँ उपलक्षक है। | 
			
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				| उपलक्षण					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष्+ल्युट-अन] १. ध्यान से देखना। २. किसी लक्षण के प्रकार या वर्ग का कोई गौण या छोटा लक्षण। ३. कोई ऐसी गौण बात जो किसी ऐसे तत्त्व की सूचक हो जिसका स्पष्ट उल्लेख या निर्देश हो चुका हो। ४. दे०‘उपलक्षक’। | 
			
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				| उपलक्षित					 : | भू० कृ० [सं० उप√लक्ष्+क्त] १. अच्छी तरह देखा-भाला हुआ। २. उपलक्ष्य के रूप में या संकेत से बतलाया हुआ। ३. अनुमान किया हुआ। | 
			
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				| उपलक्ष्य					 : | पुं० [सं० उप√लक्ष्+ण्यत्] १. वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए। पद-उपलक्ष्य मेंकोई काम या बड़ी बात होने पर उसका ध्यान रखते हुए। किसी बात के उद्धेश्य से और उसके संबंध में। जैसे—विवाह के उपलक्ष्य में होनेवाला प्रीति-भोज। २. किसी बात का चिन्ह, लक्षण या संकेत। | 
			
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