| शब्द का अर्थ | 
					
				| उपशाय					 : | पुं० [सं० उप√शी (सोना)+घञ्] एक के बाद एक या बारी-बारी (पहरे आदि के विचार से चौकीदारों का) से सोना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपशायक					 : | वि० [सं० उप√शी+ण्वुल्-अक] =चौकीदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपशायी (यिन्)					 : | वि० [सं० उप√शी+णिनि] =उपशायक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपशाय					 : | पुं० [सं० उप√शी (सोना)+घञ्] एक के बाद एक या बारी-बारी (पहरे आदि के विचार से चौकीदारों का) से सोना। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| उपशायक					 : | वि० [सं० उप√शी+ण्वुल्-अक] =चौकीदार। | 
			
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				| उपशायी (यिन्)					 : | वि० [सं० उप√शी+णिनि] =उपशायक। | 
			
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