शब्द का अर्थ
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					ओखा					 :
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					वि० [हिं० चोखा का अनु] १. जो चोखा या तेज न हो। साधारण या हलका। जैसे—ओखा वार। २. जिसकी धार तेज न हो। जैसे—ओखा चाकू। ३. रूखा-सूखा। ४. कठिन। विकट। ५. जो खरा या शुद्ध न हो। मिलावटवाला। ६. (वस्त्र) जिसकी बुनावट ठस न हो। झीना। ७. जो आस-पास या सटा न हो। विरल। पुं० [सं० ओख=वारण ?] बहाना। मिस।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओखाण (न)					 :
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					पुं०=उपाख्यान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओखापन					 :
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					पुं० [हिं० ओखा] ओखे होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओखा					 :
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					वि० [हिं० चोखा का अनु] १. जो चोखा या तेज न हो। साधारण या हलका। जैसे—ओखा वार। २. जिसकी धार तेज न हो। जैसे—ओखा चाकू। ३. रूखा-सूखा। ४. कठिन। विकट। ५. जो खरा या शुद्ध न हो। मिलावटवाला। ६. (वस्त्र) जिसकी बुनावट ठस न हो। झीना। ७. जो आस-पास या सटा न हो। विरल। पुं० [सं० ओख=वारण ?] बहाना। मिस।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओखाण (न)					 :
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					पुं०=उपाख्यान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					ओखापन					 :
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					पुं० [हिं० ओखा] ओखे होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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