शब्द का अर्थ
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					ओड़					 :
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					पुं० [सं० ओड्र] वह जो गधों, बैलों आदि पर बोझ लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का काम करता हो। पुं०=ओट (आड़)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़क					 :
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					पुं० [सं० ओड+कन्]=ओडव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़चा					 :
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					पुं०=ओलचा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़न					 :
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					पुं० [हं० ओड़नामाल ढोना] १. गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम या व्यवसाय। २. इस प्रकार ढोकर पहुँचाया जानेवाला माल या सामान। उदाहरण—ओड़न मेरा राम नाम, मैं रामहिं का बनिजारा हो।—कबीर। पुं० [हिं० ओड़ना=रोकना या सहना] १. ओड़ने की क्रिया या भाव। २. आघात या वार ओड़ने या रोकनेवाली चीज। जैसे—ढाल, फरी आदि।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़ना					 :
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					स० [हिं० ओट] १. आघात या प्रहार रोकने या सहने के लिए बीच में कोई आड़ या ओट खड़ी करना या कोई चीज आगे बढ़ाना। उदाहरण—(क) एक कुसल अति ओड़न खाँड़े।—तुलसी। (ख) ओड़ि अहिं हाथ असिनहु के घाए।—तुलसी। २. कुछ माँगने या लेने के लिए झोली, कपड़े का पल्ला या हाथ बढ़ाना या फैलाना। उदाहरण—तजि रघुनाथ हाथ और काहि ओड़िए।—तुलसी। ३. दे० ‘ओढ़ना’। स० [हिं० ओड़] गधे, बैल आदि पर माल लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़व					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसमें केवल पाँच स्वर लगते हों, कोई दो स्वर न लगते हों। (संगीत)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़व-संपूर्ण					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसके आरोह में पाँच और अवरोह में सातों स्वर लगते हों। (संगीत)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़व-षाड़व					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसके आरोह में पाँच और अवरोह में छः स्वर लगते हैं। (संगीत)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़ा					 :
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					पुं० [?] १. गड्ढा। २. सेंध। ३. बड़ा टोकरा० खाँचा। पुं० [हिं० ओत] कमी। न्यूनता। मुहावरा—(किसी चीज का) ओड़ा पढ़ना=दुर्लभ या दुष्प्राप्य होना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़्र					 :
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					पुं० [सं०√आउन्द(भिगोना)+रक्, दड] १. उड़ीसा प्रदेश का प्राचीन नाम। २. उक्त प्रदेश का निवासी। ३. आडहुल का पेड़ और उसका फूल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़					 :
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					पुं० [सं० ओड्र] वह जो गधों, बैलों आदि पर बोझ लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का काम करता हो। पुं०=ओट (आड़)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ओड़क					 :
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					पुं० [सं० ओड+कन्]=ओडव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ओड़चा					 :
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					पुं०=ओलचा।				 | 
			
			
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					ओड़न					 :
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					पुं० [हं० ओड़नामाल ढोना] १. गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम या व्यवसाय। २. इस प्रकार ढोकर पहुँचाया जानेवाला माल या सामान। उदाहरण—ओड़न मेरा राम नाम, मैं रामहिं का बनिजारा हो।—कबीर। पुं० [हिं० ओड़ना=रोकना या सहना] १. ओड़ने की क्रिया या भाव। २. आघात या वार ओड़ने या रोकनेवाली चीज। जैसे—ढाल, फरी आदि।				 | 
			
			
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					ओड़ना					 :
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					स० [हिं० ओट] १. आघात या प्रहार रोकने या सहने के लिए बीच में कोई आड़ या ओट खड़ी करना या कोई चीज आगे बढ़ाना। उदाहरण—(क) एक कुसल अति ओड़न खाँड़े।—तुलसी। (ख) ओड़ि अहिं हाथ असिनहु के घाए।—तुलसी। २. कुछ माँगने या लेने के लिए झोली, कपड़े का पल्ला या हाथ बढ़ाना या फैलाना। उदाहरण—तजि रघुनाथ हाथ और काहि ओड़िए।—तुलसी। ३. दे० ‘ओढ़ना’। स० [हिं० ओड़] गधे, बैल आदि पर माल लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना।				 | 
			
			
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					ओड़व					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसमें केवल पाँच स्वर लगते हों, कोई दो स्वर न लगते हों। (संगीत)।				 | 
			
			
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				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़व-संपूर्ण					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसके आरोह में पाँच और अवरोह में सातों स्वर लगते हों। (संगीत)।				 | 
			
			
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				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़व-षाड़व					 :
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					पुं० [सं० ] ऐसा राग जिसके आरोह में पाँच और अवरोह में छः स्वर लगते हैं। (संगीत)।				 | 
			
			
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					ओड़ा					 :
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					पुं० [?] १. गड्ढा। २. सेंध। ३. बड़ा टोकरा० खाँचा। पुं० [हिं० ओत] कमी। न्यूनता। मुहावरा—(किसी चीज का) ओड़ा पढ़ना=दुर्लभ या दुष्प्राप्य होना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ओड़्र					 :
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					पुं० [सं०√आउन्द(भिगोना)+रक्, दड] १. उड़ीसा प्रदेश का प्राचीन नाम। २. उक्त प्रदेश का निवासी। ३. आडहुल का पेड़ और उसका फूल।				 | 
			
			
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