| शब्द का अर्थ | 
					
				| कच्छप					 : | पुं० [सं० कच्छ√पा (पीना)+क] १. कछुवा। २. विष्णु के २४ अवतारों में से एक जो कछुए के रूप में हुआ था। ३. कुबेर की नौ निधियों में से एक। ४. मद्य बनाने का एक प्रकार का भबका। ५. एक रोग जिसमें तालु में एक प्रकार की गाँठ निकल आती है। ६. दोहे का एक प्रकार या भेद जिसमें ८ गुरु और ३२ लघु होते हैं। | 
			
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				| कच्छपिका					 : | स्त्री० [सं० कच्छप+कन्-टाप्, इत्व] १. पित्त बिगड़ने में होनेवाला एक प्रकार का रोग जिसमें शरीर के किसी अंग में छोटे-छोटे चकते निकल आते हैं। इसमें बहुत जलन होती है। २. प्रमेह के कारण होनेवाली एक प्रकार की फुड़ियाँ। | 
			
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				| कच्छपी					 : | स्त्री० [सं० कच्चप+ङीष्] १. कच्छप जाति के जंतु की मादा। २. सरस्वती की वीणा का नाम। | 
			
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