| शब्द का अर्थ | 
					
				| कर्त्तृ					 : | पुं० =कर्ता। | 
			
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				| कर्त्तृ-प्रधान-वाक्य					 : | पुं० [कर्तृ-प्रधान, ब० स०, कर्तृ-प्रधान-वाक्य कर्म० सं०] व्याकरण में, वह वाक्य जिसमें कर्त्ता का स्थान प्रधान हो। जैसे—रामलाल पानी पीता है। | 
			
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				| कर्त्तृ-वाचक					 : | वि० [ष० त० ] व्याकरण में कर्त्ता का बोध करानेवाला (पद या शब्द)। | 
			
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				| कर्त्तृवाची (चिन्)					 : | वि० [सं० कर्तृ√वच् (बोलना)+णिनि] (पद या शब्द) जिससे कर्ता का बोध हो। (व्या०) | 
			
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				| कर्त्तृवाच्य					 : | पुं० [ब० स०] व्याकरण में क्रिया के विचार से वाच्य के तीन रुपों में से एक जो इस बात का सूचक होता है कि दो कुछ कहा गया हैं, वह कर्ता की प्रधानता के विचार से है। (ऐक्टिव वॉयस) जैसे—राम ने पुस्तक पढ़ी। | 
			
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