| शब्द का अर्थ | 
					
				| कल्ह					 : | पुं०=कल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| कल्हक					 : | स्त्री० [देश०] कबूतर के आकार की लाल रंग की एक प्रकार की चिड़िया। | 
			
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				| कल्हण					 : | पुं० [अपभ्रंश] संस्कृत के एक प्रसिद्ध कश्मीरी कवि और पंडित जो राजतरंगिणी नामक ग्रंथ के रचयिता थे। | 
			
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				| कल्हर					 : | पुं०=कल्लर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| कल्हरना					 : | अ० [हिं० कल्हारना का अ० रूप] कड़ाही में कल्हारा जाना। कड़ाही में या तवे पर तला जाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| कल्हार					 : | स्त्री० [हिं० कल्हाराना] कल्हारने की क्रिया, ढंग या भाव। पुं० [सं० कह्लार] १. एक प्रकार का पौधा और उसके फूल। २. कमल। | 
			
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				| कल्हारना					 : | स० [हिं०] कड़ाही में डालकर या तवे पर रखकर कोई चीज तलना, छानना या भूनना। अ०=कराहना। अ० [सं० कल्ल=शोर] चिल्लाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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