शब्द का अर्थ
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कृष्ण :
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वि० [सं०√कृष् (खींचना)+नक्] [स्त्री० कृष्णा] १. काले या साँवले रंग का। काला। (ब्लैक) २. नीला। ३. बुरा तथा निदनीय। पु० १. यदुवंशी वासुदेव और भोजवंशी देवकी के पुत्र जो भगवान के आठवें अवतार माने गये हैं। श्रीकृष्ण। २. परब्रह्म। ३. वेदव्यास। ४. अर्जुन। ५. ऋग्वेद के द्रष्टा एक ऋषि। ६. महीने का अँधेरा पक्ष। ७. काला मृग। ८. कोकिल। ९. कौआ। १॰. कलियुग। ११. काला या नीला रंग। १२. काला अगरू। १३. पाप या अशुभ कर्म। १४. जूए में मिला हुआ धन। १५. एक असुर जो इंद्र के हाथों मारा गया था। १६. शाल्मलि द्वीप में रहनेवाले शूद्र। १७. काले नौ वसुदेवों में से एक। (जैन शास्त्र) १८. लोहा। १९. सुरमा। २॰. पीपल। २१. कालीमिर्च। २२. करौंदा। २३. कदम्ब। २४. एक तगण और एक लघु चार अक्षरों का एक वर्णवृत्त। २५. छप्पय का एक भेद। २६. चंद्रमा का कलंक दाग या धब्बा। |
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कृष्णक :
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पुं० [सं० कृष्ण+कन्] १. काले हिरन की खाल। काला मृगचर्म। २. काले रंग की सरसों। |
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कृष्ण-कर्म (न्) :
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पुं० [कर्म० स०] १. बुरा तथा निंदनीय कर्म। काली करतूत। २. ऐसे दुष्कर्म जो शास्त्रों में वर्जित हैं। ३. बिना किसी प्रकार की कामना के किया जानेवाला कर्म। |
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कृष्ण-केलि :
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स्त्री० [उपमि० स०] गुल अब्बास का पेड़ और उसका फूल। |
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कृष्णकोहल :
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पुं० [सं० कृष्णकोह√ला (आदान)+क] जुआरी। |
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कृष्ण-गंगा :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] दक्षिण भारत की कृष्णा नदी। |
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कृष्णगंधा :
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स्त्री० [ब० स०] सहिजन। |
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कृष्ण-गति :
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पुं० [ब० स०] अग्नि। |
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कृष्णगर्भ :
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पुं० [ब० स०] कायफल नामक पौधा। |
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कृष्ण-गिरि :
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पुं० [कर्म० स०] दक्षिण का नीलगिरी नामक पर्वत। |
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कृष्ण-गोधा :
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स्त्री० [सं० कर्म०स०] एक प्रकार का जहरीला तथा घातक कीड़ा। |
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कृष्ण-चंद्र :
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पुं० [उपमि० स०] भगवान् कृष्ण (दे० कृष्ण ? ) |
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कृष्णचूड़ा :
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स्त्री० [ब० स०] १. एक प्रकार का कंटीला वृक्ष जिसमें लालरंग के फूल लगते हैं। २. गुंजा। घुंघची। |
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कृष्णचूड़िका :
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स्त्री० [सं० ब० स०+कप्, टाप्, इत्व]=कृष्णचूड़ा। |
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कृष्ण-चूर्ण :
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पुं० [कर्म० स०] लोहे में लगनेवाला जंग। मोरचा। |
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कृष्ण-चैतन्य :
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पुं० [कर्म० स०]=चैतन्य (महाप्रभु)। |
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कृष्ण-च्छवि :
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स्त्री० [ब० स०] काले हिरन की खाल। पुं० काले रंग का बादल। |
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कृष्ण-जटा :
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स्त्री० [ब० स०] जटामासी (ओषधि)। |
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कृष्ण-जीरक :
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पुं० [कर्म० स०] काला जीरा। |
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कृष्णताम्र :
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पुं० [कर्म० स०] चंदन की एक जाति या प्रकार। |
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कृष्णतार :
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पुं० [सं० कृष्णता√ऋ (गति)+अण्० उप० स०] एक प्रकार का हिरन। |
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कृष्ण-देह :
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वि० [ब० स०] जिसकी देह काले रंग की हो। पुं० भ्रमर। भौंरा। |
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कृष्ण-द्वैपायन :
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पुं० [कर्म० स०] महर्षि पराशर के पुत्र वेदव्यास जिन्होने महाभारत और पुराणों की रचना की थी। |
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कृष्ण-धन :
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पुं० [कर्म० स०] १. अनुचित या बुरे ढंग से प्राप्त किया हुआ धन। २. ऐसा धन जो किसी को फले नहीं। |
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कृष्ण-पक्ष :
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पुं० [कर्म० स०] १. पूर्णिमा और अमावस के बीच के १५ दिन। महीने का अँधेरा पाख। २. अर्जुन। |
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कृष्णपदी :
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पुं० [ब० स० ङीष्] काले पैरोंवाली चिड़िया। |
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कृष्ण-पर्णी :
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स्त्री० [ब० स०ङीष्] कालें पत्तोंवाली तुलसी। |
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कृष्ण-पाक :
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पुं० [ब० स०] करौंदा। |
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कृष्ण-पिंगला :
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स्त्री० [कर्म० स०] दुर्गा। वि० गहरे भूरे रंग का। |
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कृष्ण-पुच्छ :
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पुं० [ब० स०] रोहू मछली। |
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कृष्ण-पुष्प :
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[ब० स०] काला धतूरा। |
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कृष्ण-फल :
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पुं० [ब० स०] करौंदा। वि० जिसमें काले रंग के फल लगते हों। |
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कृष्ण-फला :
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स्त्री० [सं० कृष्णफल+टाप्] १. मिर्च की लता। २. जामुन का पेड़। |
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कृष्ण-बीज :
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पुं० [ब० स०] तरबूज। वि० जिसके बीज काले रंग के हों। |
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कृष्ण-भक्त :
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वि० [ष० त०] भगवान कृष्ण की भक्ति करनेवाला। भगवान् कृष्ण का उपासक। |
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कृष्ण-भुजंग :
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पुं० [कर्म० स०] करैत साँप, जो बहुत जहरीला होता है। |
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कृष्ण-भू :
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स्त्री० [ब० स०] १. वह स्थान, जहाँ की मिट्टी काली हो। २. वृदांवन की धरती। |
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कृष्ण-भेदा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] कुटकी। |
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कृष्ण-भोग :
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पुं० [ष० त०] १. एक प्रकार का बढ़िया चावल। २. एक प्रकार का बढ़िया आम। |
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कृष्ण-मंडल :
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पुं० [कर्म० स०] आँख में का काला भाग अर्थात् पुतली। |
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कृष्ण-मणि :
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पुं० [कर्म० स०] नीलम। |
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कृष्ण-मल्लिका :
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स्त्री० [कर्म० स०] काले पत्तोंवाली तुलसी। कृष्णपर्णी। |
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कृष्ण-मुख :
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पुं० [ब० स०] लंगूर। वि० जिसका मुँह काला हो। |
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कृष्ण-मृग :
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पुं० [कर्म० स०] काले धब्बोंवाला हिरन। |
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कृष्ण-यजुष :
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पुं० [सं० कर्म० स०] यजुर्वेद के दो भागों में से दूसरा। |
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कृष्ण-याम :
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पुं० [ब० स०] अग्नि। |
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कृष्ण-रक्त :
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पुं० [कर्म० स०] गहरा लाल रंग। वि० गहरे लाल। रंगवाला। |
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कृष्णराज :
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पुं० [ब० स०] भुजंगा। पक्षी। |
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कृष्ण-रुहा :
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स्त्री० [सं० कृष्ण√रुह (उत्पन्न होना)+क, टाप्] जंतुका लता। |
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कृष्ण-लवण :
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पुं० [कर्म० स०] काला नमक। |
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कृष्णला :
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स्त्री० [सं० कृष्ण√ला (लेना)+क, टाप्०] १. घुँघची। २. शीशम का वृक्ष। ३. रत्ती (परिमाण या तौल)। |
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कृष्ण-लौह :
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पुं० [कर्म० स०] १. चुंबक। २. लोहा। |
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कृष्ण-वल्लिका :
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स्त्री० [कर्म० स०] जतुका लता। |
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कृष्ण-वेणी :
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स्त्री० [कर्म० स०] कृष्णा नदी। |
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कृष्ण-सख (ा) :
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पुं० [ब० स०] अर्जुन। |
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कृष्ण-सखी :
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स्त्री० [ष० त०] १. द्रौपदी। २. काला जीरा। |
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कृष्ण-सार :
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पुं० [कर्म० स०] १. काले रंग का हिरन। २. शीशम का पेड़। ३. खैर का पेड़। ४. सेहुड़। |
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कृष्ण-सारथि :
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पुं० [ब० स०] अर्जुन। |
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कृष्ण-सूची :
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स्त्री० [कर्म० स०]=काली-सूची। |
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कृष्ण-स्कंध :
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पुं० [ब० स०] एक प्रकार का सदाबहार वृक्ष जिसे तमाल भी कहते हैं। |
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कृष्णा :
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स्त्री० [सं० कृष्ण+टाप्] १. द्रौपदी का एक नाम। २. काली (देवी)। ३. दक्षिण भारत की एक नदी। ४. काली दाख। ५. काले पत्तों वाली तुलसी। ६. काला जीरा। ७. पपरी नामक गंधद्रव्य। ८. कुटकी। ९. राई। १॰. एक प्रकार की जहरीली जोंक। ११. अग्नि की सात जिह्वाओं में एक। १२. एक योगिनी। १३. आँख की पुतली। |
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कृष्णाचल :
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पुं० [सं० कृष्ण-अचल, कर्म० स०] १. द्वारका के पास का रैंवतक पर्वत। २. दक्षिण भारत का नीलगिरी पर्वत। |
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कृष्णाजिन :
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पुं० [सं० कृष्ण-अजिन, ष० त०] १. काले हिरन की खाल। २. एक ऋषि का नाम। |
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कृष्णाभिसारिका :
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स्त्री० [कृष्ण-अभिसारिका, मध्य० स०] साहित्य में, वह अभिसारिका नायिका जो अँधेरी रात में प्रेमी से संकेत स्थान पर मिलने जा रही हो। |
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कृष्णायस :
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पुं० [कृष्ण-आयस, कर्म० स०] लोहा। |
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कृष्णावास :
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पुं० [सं० कृष्ण-आवास, ष० त०] पीपल का पेड़। |
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कृष्णाष्टमी :
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स्त्री० [सं० कृष्ण-अष्टमी, ष० त०] भादौं के अँधियारे पक्ष की अष्टमी, जो भगवान कृष्ण का जन्म दिन है। |
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कृष्णिका :
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स्त्री० [सं० कृष्ण+ठन्-इक, टाप्] १. राई। २. श्यामा पक्षी। |
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कृष्णिमा (मन्) :
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स्त्री० [सं० कृष्ण+इमानिच्, टाप्] कालिमा। |
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कृष्णी :
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स्त्री० [सं० कृष्ण+ङीष्] अँधेरी रात। |
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कृष्णोदर :
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पुं० [सं० कृष्ण-उदर, ब० स०] काले पेटवाला एक प्रकार का साँप। |
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