शब्द का अर्थ
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कौं :
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अव्य० [स० कः] के लिए। वास्ते। उदाहरण—हरि सौं ठाकुर और न जन कौं।—सूर। विभ-को। (ब्रज)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौंक :
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पुं० [सं]=कोंकण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौंकण :
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पुं० =कोंकण। |
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समानार्थी शब्द-
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कौंकिर :
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स्त्री० [सं० कर्कर, हिं० कंकर] काँच-हीरे आदि का नुकीला छोटा टुकड़ा। कनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कौंकुम :
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[सं० कुकुम+अण्] लाल रंग के और तीन पूँछ या चोटी वाले पुच्छल तारे जो मंगल के पुत्र माने जाते हैं। |
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कौंच :
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स्त्री० [सं० कच्छु]=कौंछ। पुं० =कोच। |
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कौंचा :
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पुं० [१] गन्ने का ऊपरी भाग जिसमें गाँठें अधिक होती है और जो स्वाद में अपेक्षया फीका होता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौंची :
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स्त्री०=कमची।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौंछ :
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स्त्री० [सं० कच्छु] सेम की जाति की एक लता जिसकी फलियों के बीज जहरीले और शरीर से छू जाने पर जलन पैदा करने वाले होते हैं। केवाँच। कौंच। |
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कौंजड़ा (रा) :
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पुं० [स्त्री० कौंजड़ी (री)] दे० ‘कुंजड़ा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौंठ्य :
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पुं० [सं० कुंठ+ष्यञ्] १. कुंठ या कुंठित होने की अवस्था या भाव। २. शास्त्रों आदि का भोथरापन। |
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कौंडल :
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वि० [सं० कुंडल+अण्] कुंडल-संबंधी। |
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कौंडलिक :
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वि० [सं० कुंडल+ठक्-इक] कुंडलधारी। |
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कौंडिन्य :
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पुं० [सं० कुंडिन+ष्यञ्] [स्त्री० कौंडिनी] कुंडिन मुनि का वंशज या उनके गोत्र का व्यक्ति। |
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कौंतल :
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वि० [सं० कुंतल+अण्] कुंतल देश संबंधी। कुंतल देश का। |
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कौंतिक :
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पुं० [सं० कुंत+ठक्-इक] कंत अर्थात् बरछा या भाला चलानेवाला। |
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कौंती :
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स्त्री० [सं० कुंति+अण्-ङीष्] रेणुका नामक गंधद्रव्य। |
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कौंतेय :
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पुं० [सं० कुंती+ढक्-एय] १. कुंती के पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन आदि। २. अर्जुन वृक्ष। |
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कौंध :
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स्त्री० [हिं० कौंधना] १. कौंधने की क्रिया या भाव। २. बहुत ही थोड़े समय तक रहने वाली ऐसी चमक, जिससे आँखे चौंधियां जाएँ। जैसे—बिजली की कौंध। ३. बिजली। |
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कौंधना :
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अ० [सं० कनन=चमकना+अंध या सं० कबंध] कुछ क्षणों के लिए (बिजली का) चमकना। |
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कौंधनी :
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स्त्री०=करधनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौंधा :
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स्त्री० [हिं० कौंधना]=कौंध। |
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कौप :
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स्त्री०=कोंपल। |
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कौंभ :
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वि० [सं० कुंभ+अण्] कुंभ-संबंधी। कुंभ का। |
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कौंभ-सर्पि (स्) :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वैद्यक में, सौ वर्षों का पुराना घी जो बहुत गुणकारी माना गया है। |
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कौंर :
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पुं० [देश] बनखौर नामक वृक्ष। |
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कौंरा :
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वि० पुं० =काँवरा। |
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कौंरी :
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स्त्री०=कँवरी। |
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कौंल :
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पुं० =कमल। |
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कौंला :
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पुं० [पं० कौल-कटोरी] कटोरा। उदाहरण—कबि विआस रस कौला पूरी। दूरिहि निअर भा दूरी।—जायसी। वि० [स्त्री० कौंली] १. कोमल। २. कुरकुरा। जैसे—कौंली हड्डी। पुं० =कमला (नीबू)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कौंवरा :
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वि०=कोमल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौंसल :
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स्त्री०=कौंसिल। |
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कौंसिल :
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स्त्री० [अं० काउन्सिल] १. कुछ विशिष्ट लोगों का वह समूह जो किसी विषय पर आधिकारिक रूप से विचार करता हो। २. परामर्श देनेवाली सभा या समिति। |
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कौंहर :
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पुं० [देश] इंद्रायन की जाति का एक प्रकार का फल। |
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कौंहरी :
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स्त्री०=कौंहर। |
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कौ :
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अव्य०=कब। (ब्रज) जैसे—कौलों —कब तक। विभ०=को।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौआ :
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पुं० [सं० काक, प्रा० काअ] १. काले रंग का एक प्रसिद्ध पक्षी जो काँ काँ करता है। पद—कौआ गुहार या कौआ रोर=(क) व्यर्थ की बकबक। (ख) बहुत सोर। मुहावरा—कौआ उड़ाना=कही बैठे हुए कौए को उड़ाकर किसी प्रिय के आने या न आने का शकुन देखना। कौए उड़ाना=व्यर्थ के या अनावश्यक कार्य करना। २. बहुत चालाक तथा धूर्त व्यक्ति। चालबाज। ३. छाजन की वह लकड़ी, जो बँडेरी के सहारे के लिए लगाई जाती है। ४. गले के अन्दर का लटकता हुआ मास का छोटा टुकड़ा। घंटी। ललरी। अलिजिह्वा। मुहावरा—कौआ उठाना=बढ़ी या अधिक बढ़ी या लटकी हुई घंटी को दबाकर ऊपर चढ़ाना। ५. कनकुटकी नामक पेड़, जिसकी राल दवा और रँगाई के काम आती है। ६. सरकंडे का बना हुआ एक प्रकार का खिलौना। ७. एक प्रकार की मछली। ८. रहस्य संप्रदाय में मन। |
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कौआ-ठोंठी :
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स्त्री० [हिं० कौआ+ठोंठ=चोच] एक लता, जिसका फल कौए की चोंच के आकार का होता है। |
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कौआना :
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अ० [हिं० कौआ] १. कौओं की तरह काँव-काँव करना। व्यर्थ शोर या हल्ला करना। २. सोते समय नींद में बड़बड़ाना। ३. चकित या भौंचक्का होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौआ-परी :
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स्त्री० [हिं०] कुरूप या काली स्त्री। |
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कौआर :
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पुं० [हिं० कौआ+सं० रव-शब्द] १. कौओं का काँव-काँव शब्द। २. शोर-गुल। |
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कौआल :
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पुं० [अ० कव्वाल] कौवाली गानेवाला व्यक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौआली :
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पुं०=कौवाली (गीत)। |
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समानार्थी शब्द-
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कौकुच्यातिचार :
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पुं० [सं० काकूक्त्यतिचार] वह वाक्य जिसके कहने, पढ़ने या बोलने से अपने तथा औरों के मन में काम, क्रोध आदि भाव उत्पन्न होते हों। (जैन)। |
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समानार्थी शब्द-
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कौकुत :
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पुं० =कौतुक। (क्व) उदाहरण—देखि एक कौकुत हौ रहा।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौकृत्य :
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पुं० [सं० कुकृत्य+अण्] कुकर्म। बुरा कर्म।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौक्कुटिक :
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पुं० [सं० कुक्कुट+ठक्-इक] १. मुरगे पालनेवाला व्यक्ति। २. ढोंगी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौक्षेयक :
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पुं० [सं० कुक्षि+ढकञ्+एय] तलवार। |
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कौंच :
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स्त्री० [अं०] एक प्रकार की बड़ी कुरसी जिस पर तीन आदमियों के लिए बैठने का स्थान होता है। पुं० =कवच। उदाहरण—हाकौ सुणता हूलसै मरणौ कौच न माय।—कविराजा सूर्यमल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौचुमार :
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स्त्री० [सं० कुचुमार+अण्] कुरूप को सुन्दर बनाने की कला या विद्या। |
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कौटकिक :
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पुं० [सं० कूट+कन्+ठञ्-इक] १. बहेलिया। २. मांस बेचनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटभी :
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स्त्री-[सं० कैटभी] दुर्गा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटल्य :
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पुं० [सं० कुट√ला (लेना)+क, कुटल+यञ्] कौटिल्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटवी :
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स्त्री० [सं० कोट्टवी] नंगी स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटिक :
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पुं० [सं० कूट+ठक्-इक]=कौटकिक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटिलिक :
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पुं० [सं० कुटिलिका+अण्] १. बहेलिया। २. लुहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटिलीय :
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वि० [सं० कौटिल्य+छ-ईय] १. कौटिल्य कृत। २. कौटिल्य-संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटिल्य :
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पुं० [सं० कुटिल+ष्यञ्] १. कुटिलता। २. टेढ़ापन। वक्रता। ३. कपट। छल। ४. बेईमानी। ५. गुप्तकाल के एक प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्र के रचयिता आचार्य चाणक्य का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटीर :
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वि० [सं० कुटीर+अण्] कुटीर संबंधी। कुटीर का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटीर्या :
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स्त्री० [सं० कुटीर+ष्यञ्(स्वार्थ में)+टाप्] दुर्गा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटुंब :
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वि० [सं० कुटुब+अण्] १. कुटुंब संबंधी। कुटुंब का। २. कुटुंब के भरण-पोषण के लिए आवश्यक। पुं० =कुटुंब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौटुंबिक :
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वि० [सं० कुटुंब+ठक्-इक] १. कुटुंब संबंधी। पारिवारिक। २. जिसका कुटुंब या परिवार हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौंड़ा :
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पुं० [सं० कपर्दक, प्रा० कवड्डअ] बड़ी कौड़ी। मुहावरा—कौंड़े करना=कोई चीज बेचकर नगद दाम वसूल करना। पुं० [सं० कंड] वह गड्ढा, जिसमें तापने के लिए आग जलाते हैं। अलाव। पुं० [सं० कंदल] एक प्रकार का जंगली प्याज। कोंचिंडा। पुं० [देश] बूई नामक पौधा, जिसे जलाकर सज्जीखार निकालते हैं। वि०=कडुआ (पश्चिम)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़िया :
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पुं० [हिं० कौडिल्ल] कौडिल्ला पक्षी। उदाहरण—नैन कौड़िया हिम समुद्र, गुरू सो तेहि महँ जोति।—जायसी। वि० [हिं० कौंड़ो] १. कौड़ी की तरह या रंग का। २. कीड़ा-संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ियाला :
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वि० [हिं० कौड़ी] कौंड़ी के रंग का। २. गुलाबीपन लिये हुए हलका नीला। पुं० उक्त प्रकार का रंग। पुं० १. एक प्रकार का जहरीला साँप, जिसके शरीर पर कौड़ी के आकार की चित्तियाँ या दाग होते हैं। २. ऐसा धनवान्, जो बहुत बड़ा कंजूस हो। (परिहास और व्यंग्य) ३. ऊसर में होनेवाला एक प्रकार का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ियाली :
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वि०, स्त्री०=कौड़ियाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ियाहा :
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वि० [हिं० कौड़ा] [स्त्री० कौड़ियाही] १. केवल कौड़ियों के लोभ से कुछ करनेवाला। २. परम तुच्छ और नीच। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ियाही :
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स्त्री० [हिं० कौड़ी] ईट, मिट्टी आदि ढोनेवाले मजदूरों की मजदूरी चुकाने का वह प्रकार जिसमें उन्हें प्रति खेप कुछ कौड़ियाँ मजदूरी के रूप में दी जाती थीं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़िल्ला :
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पुं० [हिं० कौड़ी] १. किलकिला नामक पक्षी जो मछलियाँ पकड़कर खाता है। २. कसी या गवेधुक नाम का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़िहाई :
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स्त्री०=कौड़ियाही। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ी :
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स्त्री० [सं० कपर्दिका, प्रा० कवड्डिआ] १. घोंघें की तरह का एक समुद्री कीड़ा जो अस्थिकोश में रहता है। २. उक्त कीड़े का अस्थिकोश जो सबसे कम मूल्य के सिक्के के रूप में चलता था। मुहावरा—कौड़ी का हो जाना=(क) मान-मर्यादा जाते रहना। (ख) परम निर्धन या हीन हो जाना। कौड़ी के तीन होना=बहुत ही तुच्छ या हीन होना। कौड़ी के मोल बिकना=बहुत सस्ता बिकना। कौड़ी को न पूछना=फालतू या बेकार समझकर मुफ्त में भी न लेना। कौड़ी-कौड़ी अदा करना, चुकाना या भरना=लिया हुआ ऋण पूरा-पूरा वापस लौटाना। एक कौड़ी भी बाकी न रखना। कौड़ी-कौड़ी जोड़ना=बहुत ही कष्ट और परिश्रम से धन इकट्ठा करना। कौड़ी फेरा करना या लगाना=जल्दी-जल्दी और बार-बार आते जाते रहना। पद—कौड़ी का=जिसका कुछ भी मूल्य न हो। परम तुच्छ। जैसे—यह कपड़ा कौड़ी काम का नहीं है। कौड़ी-कौड़ी को मुहताज-परम दरिद्र या निर्धन। ३. द्रव्य, धन रुपया पैसा। ४. कर, जो प्राचीन काल में कौड़ियों के रूप में लिया जाता था। ५. काँख, जंघा आदि में उभरने वाली गिल्टी। ६. आँख का डेला। ७. छाती के नीचे बीचोबीच की वह हड्डी जिस पर सबसे नीचे की दोनों पसलियाँ मिलती है। मुहावरा—कौड़ी जलना=भूख या क्रोध से शरीर जलना। ८. कटार की नोक। ९. जहाज का मस्तूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ी गुड़गुड़ :
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पुं० [हिं० कौड़ी+गुड़० गुड़] लड़कों का एक प्रकार का खेल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ी जगनमगन :
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पुं० =कौड़ी गुड़गुड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ी जूड़ा :
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पुं० [हिं० कौड़ी+जूड़ा] सिर पर पहनने का एक आभूषण। (स्त्रियाँ)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौड़ेना :
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पुं० [देश] [अल्प० कौड़ेनी] बरतनों पर नकाशी करने के लिए लोहे का एक औजार। पुं० =कौड़ियाला (वनस्पति) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौणप :
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पुं० [सं० कुणप+अण्] [स्त्री० कौणपी] १. मृत शरीर खानेवाला राक्षस। २. वासुकी के वंश का एक सर्प। वि० बहुत बड़ा अधर्मी या पापी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौणप-दंड :
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पुं० [ब० स०] भीष्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतिक :
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पुं० =कौतुक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतिग :
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पुं० =कौतुक। उदाहरण—घर का गुसाई चाहै काहे न बँधौ जौरा।—गोरखनाथ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतुक :
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पुं० [सं० कुतुक+अण्] [वि० कौतुकी] १. ऐसी अद्भुत या विलक्षण बात, जिसे देखकर आर्श्चय भी हो और जिसे जानने के लिए उत्सुकता भी हो। २. अचंभा। आश्चर्य। ३. मन-बहलाव दिल्लगी। विनोद। ४. उक्त से प्राप्त होनेवाला आन्नद या प्रसन्नता। ५. खेल-तमाशा और उससे मिलनेवाला मजा। ६. विवाह से पहले हाथ में पहना जानेवाला मांगलिक सूत्र। कंगन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतुकित :
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भू० कृ० [सं० कौतुक+इतच्] जिसे कौतुक हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतुकिया :
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पुं० [हिं० कौतुक+इया (प्रत्य०)] १. अनेक प्रकार के कौतुक, खेल-तमाशे या हँसी-मजाक करने वाला। २. वह जिसका काम विवाह-संबंध स्थिर करना हो। जैसे—नाई, ब्राह्मण आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतुकी (किन्) :
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वि० [सं० कौतुक+इनि] १. कौतुक करनेवाला। विनोदशील। २. खेल-तमाशे दिखानेवाला। ३. विवाह संबध स्थिर करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतूह :
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पुं० =कुतूहल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौतूहल :
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पुं० [सं० कुतूहल+अण्]=कुतुहल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौत्स :
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पुं० [सं० कुत्स+अण्] १. कुत्स ऋषि के पुत्र, जो जैमिनि के आचार्य थे। २. कुत्स ऋषि द्वारा रचित सामगान। वि० कुत्स संबंधी। कुत्स का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौथ :
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स्त्री० [हिं० कौन+सं० तिथि] १. कौन सी तिथि ? कौन तारीख ? (प्रश्नवाचक) जैसे—आज कौथ है ? २. क्या संबंध ? क्या वास्ता ?(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौथा :
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वि० [हिं० कौन+सं० स्था (स्थान)] १. गणना में किस स्थान पर पड़नेवाला। (प्रश्नवाचक) जैसे—परीक्षा मे तुम्हारा कौथा स्थान आया ? २. कौन सा ?(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौथि :
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स्त्री०=कौथ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौथुम :
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पुं० [सं० कुथुम+अण्] सामवेद की कौथुमी शाखा का अध्येता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौथुमी :
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स्त्री० [सं० कौथुम+ङीष्] सामवेद की एक शाखा जो कुथुम ऋषि के नाम पर है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौदालीक :
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पुं० [सं० कुदार+ईकन्, र=ल] १. एक वर्णसंकर जाति, जिसकी उत्पत्ति धीवर पिता और धोविन माता से कही गई है। २. उक्त जाति का व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौद्रविक :
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पुं० [सं० कोद्रव+ठञ्-इक] काला नमक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौधनी :
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स्त्री०=करधनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौन :
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सर्व० [सं० कः, पुनः प्रा० कवण, गु० कोण] १. एक प्रश्नवाचक सर्वनाम जो किसी वस्तु व्यक्ति आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयुक्त होता है जैसे—(क) अभी यहाँ कौन आया था (ख) आज कौन पुस्तक लाऊँ। २. कोई व्यक्ति। जैसे—पता नहीं कौन इधर आया था। वि० किस तरह या प्रकार का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौनप :
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पुं० =कौणप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौनि :
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सर्व०, हि० कौन का स्त्री रूप। उदाहरण—तुलसिदास मोंकों बड़ों सोचु है तू जनम कौनि विधि भरि है।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौनै :
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सर्व० १. =किसने। २. =कौन। ३. =किम। ४. =किसने।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौनौ :
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सर्व०=कोई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौप :
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वि० [सं० कूप+अण्] कूप संबंधी। कूएँ का। पुं० कुएँ का पानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौपीन :
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पुं० [सं० कूप+खञ्-ईन] १. लँगोटी जिसे ब्रह्मचारी और सन्यासी पहनते हैं। २. शरीर के वे भाग जो ऐसी लँगोटी से ढके जाते हैं। ३. पाप। ४. अनुचित या निन्दनीय कार्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौपोदकी :
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स्त्री०=कौमोदकी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौप्य :
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वि० [सं० कूप+य़ञ्] कूप संबंधी। कुएँ का। पुं० कूएं का पानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौबेर :
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वि० [सं० कुबेर+अण्] कुवेर-संबंधी। कुबेर का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौबेरी :
|
स्त्री० [सं० कौबेर+ङीष्] १. कुबेर की शक्ति। २. उत्तर दिशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौब्ज्य :
|
पुं० [सं० कुब्ज+ष्यञ्] कुब्ज या कुबड़ होने की अवस्था या भाव। कुबड़ापन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौम :
|
स्त्री० [अ] १. जाति। २. नसल। वंश। ३. समाज। राष्ट्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौमकुम :
|
पुं० [सं० ] १. पुराणानुसार एक केतु तारा जो मंगल ग्रह का साठवाँ पुत्र कहा गया है। २. रक्त। लहू। खून। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौम-परस्त :
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वि० [अ०] १. कौम या जति का सेवक। २. राष्ट्रवादी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौमार :
|
पुं० [सं० कुमार+अञ्] [सं० कौमारी] १. जन्म से पाँच वर्ष तक की अवस्था। कुमार। बालक। २. एक प्रकार की सृष्टि जो सनत्कुमार की रची हुई कही गई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौमारक :
|
वि० पुं० =कौमारिक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौमार-बंधकी :
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स्त्री० [ष० त०] वेश्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौमार-भृत्य :
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पुं० [ष० त०] बालकों के पालन-पोषण और चिकित्सा संबंधी आयु्र्वेद-शास्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
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कौमार-व्रत :
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पुं० [ष० त०] सदा कुमार रहने अर्थात् विवाह न करने का व्रत या प्रतिज्ञा। |
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कौमारिक :
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पुं० [सं० कुमार+ठक्-इक] संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। वि० कुमार संबंधी। कुमार का। |
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कौमारिकेय :
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पुं० [सं० कुमारिका+ढक्-एय] किसी कुमारी (अर्थात् अविवाहित) स्त्री के गर्भ से उत्पन्न व्यक्ति या संतान। कानीन। |
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कौमारी :
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स्त्री० [सं० कौमार+ङीष्] १. पहली विवाहित स्त्री,०जिससे कुमार-अवस्था में विवाह हुआ हो। २. पार्वती। ३. कार्तिकेय की सात मातृकाओं में एक । ४. वाराही कंद। गेंठी। |
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कौमियत :
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स्त्री० [अ०] जातीयता। |
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कौमी :
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वि० [अ०] १. किसी कौम या जाति संबंधी। जातीय। २. राष्ट्र संबंधी। राष्ट्रीय। पद—कौमी नारा=राष्ट्रीय जय-घोष। |
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कौमुद :
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पुं० [सं० कौ√मुद् (प्रसन्न होना)+क, अलुक्० स०] कार्तिक मास। कातिक। |
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कौमुदिक :
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वि० [सं० कुमुद+ठक्-इक] कुमुद-संबंधी। |
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कौमुदिका :
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स्त्री० [सं० कौमुदी+कन्-टाप्, ह्रस्व]=कौमुदी। |
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कौमुदी :
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स्त्री० [सं० कुमुद+अण्-ङीष्] १. चंद्रमा की चाँदनी। ज्योत्सना। २. कार्तिक मास की पूर्णिमा। ३. आजकल की दीवाली। दीपावली। ४. कुमुदिनी। कोई। ५. दक्षिण भारत की एक नदी। ६. किसी ग्रन्थ के गूढ़ तत्त्वों या विचारों पर प्रकाश डालनेवाली उसकी टीका या व्याख्या। ७. दे० ‘कौमुदी-महोत्सव’। |
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कौमुदी-चार :
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पुं० [ब० स०] कार्तिक पूर्णिमा। शरद पूर्णिमा। |
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कौमुदी-पति :
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पुं० [ष० त०] चंद्रमा। |
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कौमुदी-महोत्सव :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन भारत में कौमुदी (अर्थात् कार्तिक मास की पूर्णिमा) के दिन होनेवाला एक त्योहार या महोत्सव। |
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कौमोकदी :
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स्त्री० [सं० कु-मोदक, ष० त० कुमोदक+अण्,-ङीष्] विष्णु की गदा का नाम। |
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कौमोदी :
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स्त्री० [सं० कु√मुद् (हर्ष)+णिच्+अच्, कुमोद+अण्, ङीष्]=कौमोदकी। |
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कौर :
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पुं० [सं० कवल] १. हाथ की उँगलियों में लिया हुआ उतना भोजन जितना एक बार में मुँह में डाला जाय। ग्रास। निवाला। मुहावरा—(किसी के) मुँह का कौर छीनना=ऐसा हिस्सा छीनना जो अभी उसे मिल रहा हो। २. उतना अन्न जितना एक बार में चक्की में पीसने के लिए डाला जाता है। पुं० [?] एक प्रकार का पहाड़ी झाड़ या पौधा। स्त्री० [सं० कुमारी] कुमारी का वाचक और अपभ्रशं शब्द जो पंजाब, राजस्थान आदि में स्त्रियों के नाम में लगता है। जैसे—अमृतकौर, वेदकौर। |
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कौरना :
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सं० [हिं० कौड़ा] थोड़ा गरम करना या भुनना। सेंकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौरव :
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वि० [सं० कु+अञ्] [स्त्री०कौरवी] कुरु संबंधी। पुं० राजा कुरु के वंशज या सन्तान। |
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कौरव-पति :
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पुं० [ष० त०] दुर्योधन। |
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कौरवेय :
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पुं० [सं० कुरु+ठक्-एय] कुरु का वंशज। |
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कौरव्य :
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पुं० [सं० कुरु+ण्य] १. प्राचीन भारत का एक नगर। २. राजा कुरु के वंशज। कौरव। |
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कौरा :
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पुं० [सं० कोल, क्रोड़] [स्त्री० कौरी] दरवाजे के इधर-उधर के वे भाग जिनसे खुले हुए किवाड़ों का पिछला भाग सटा रहता है। मुहावरा—कौरे लगना=(क) कोई बात चुपचाप सुनने या किसी की आहट के लिए द्वार के कोने में छिप कर खड़ा होना। (ख) किसी की घात में छिप कर रहना। (ग) रूठकर या मुँह फुलाकर दूर या अलग होना। पुं० [हिं० कौर=ग्रास] कुत्तों, अंत्यजों आदि को दिया जानेवाला भोजन का अंश। पुं० =कौड़ा। |
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कौरी :
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स्त्री० [सं० क्रोड़] १. अँकवार। गोद। मुहावरा—कौरी भरना या भरकर मिलना=आलिंगन करना। गले लगाना। २. अनाज की बालों आदि का वह पूला जो मजदूरों आदि को दिया जाता है। ३. एक प्रकार की मिठाई। उदाहरण—पेठा, पाक, जलेबी कौरी।—सूर। स्त्री०=कौड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौर्म :
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वि० [सं० कूर्म+अण्] १. कूर्म-संबंधी। २. विष्णु के कूर्मावतार संबंधी। पुं० पुराणानुसार एक कल्प। |
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कौलंज :
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पुं० [यू० कूलंज] पसलियों के नीचे होनेवाला दर्द। वायुशूल। |
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कौल :
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वि० [सं० कुल+अण्] १. कुल संबंधी। २. अच्छे या उत्तम कुल या वंश का। उदाहरण—कौल काम बस कृपिन विमूढ़ा।—तुलसी। ३. वाममार्ग से संबंध रखनेवाला। पुं० १. कुलीन व्यक्ति। २. वाममार्गी। पुं० [सं० कमल] १. कमल। उदाहरण—कामकलित हिय कौल है, लाज ललित दृग कौल।—मतिराम। २. कटोरा। बड़ी कटोरी। (पश्चिम) पुं० कौर (ग्रास) पुं० [अ०] १. उक्ति। कथन। २. किसी बात के लिए दिया जानेवाला वचन। मुहावरा—कौल तोड़ना=दिये हुए वचन से पीछे हटना। कौल लेना=प्रतिज्ञा कराना वचन लेना। ३. सूफियों के एक प्रकार के गीत। पुं० [तु० करावल] सैनिक छावनी का मध्य भाग। |
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कौलई :
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वि० [हिं० कौला=संतरा] कौले अर्थात् संतरे के रंग का। नारंगी। पुं० उक्त प्रकार का रंग। |
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कौलटिनेय :
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पुं० [सं० कुलटा+ढक्-एय, इनङ, आदेश]=कौलटेय। |
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कौलटेय :
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पुं० [सं० कुलटा+ढक्-एय] १. भिखारिणी स्त्री की संतान। २. कुलटा स्त्री की संतान। |
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कौलटेर :
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पुं० [सं० कुलटा+ढक्-एय]=कौलटेय। |
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कौलदुमा :
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वि० [हिं० कौल=कमल+दुमा=दुमदार] एक प्रकार का कबूतर। |
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कौलव :
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पुं० [सं०] ज्योतिष के ग्यारह कारणों में से तीसरा, जिसमें जन्म लेनेवाला गुणी और विद्वान परन्तु कृतघ्न होता है। |
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कौलाँ :
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पुं० =कौल (कटोरा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौला :
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पुं० [सं० कमला] १. कमला नीबू। २. एक प्रकार का संतरा। पुं० [सं० कोल-क्रोड़, गोद] दीवार की चौड़ाई का वह भाग जिसके साथ खुले हुए दरवाजे के पल्ले का पिछला भाग सटा रहता है। कौरा। पाखा। मुहावरा—कौले सींचना=मंगल कामना के लिए पूजा, यात्रा आदि के शुभ अवसरों पर दरवाजे के सामने और इधर-उधर पानी छिड़कना। विशेष—इस शब्द के अन्यान्य अर्थों के लिए दे० ‘कौरा’ और उसके मुहा०। |
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कौलाचार :
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पुं० [सं० कौल-आचार, कर्म० स०] वाममार्ग। |
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कौलाल :
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पुं० [सं० कुलाल+अण्] कुम्हार। |
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कौलालक :
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वि० [सं० कुलाल+वुञ्-अक] कुम्हार-संबंधी। |
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कौलिक :
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वि० [सं० कुल+ठक्-इक] कुल-संबंधी। |
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कौलिया :
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पुं० [देश] एक प्रकार का छोटा बबूल। |
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कौलीन :
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वि० [सं० कुल+खञ्-ईन]=कुलीन। पुं० १. कुलीनता। २. कलंक। बदनामी। ३. मनोविनोद के लिए कराई जानेवाली पशु-पक्षियों की लड़ाई। ४. जननेंद्रिय। ५. वाममार्गी। |
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कौलीन्य :
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पुं० [सं० कुलीन+ष्यञ्]=कुलीनता। |
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कौलीय :
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पुं० [सं० ] क्षत्रियों की एक प्राचीन जाति। कोली। (बौद्धग्रन्थ)। |
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कौलीरा :
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स्त्री० [सं० कुलीर+अण्-टाप्] काकड़ासिंगी। (पौधा)। |
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कौलेयक :
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वि० [सं० कुल+ढकञ्-एय] कुल-संबंधी। पुं० कुत्ता। |
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समानार्थी शब्द-
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कौलौ :
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पुं० =कौलब।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपलब्ध नहीं |
कौल्य :
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वि० [सं० कुल+ष्यञ्] १. कुलीन २. शाक्त मत का अनुयायी। |
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कौवल :
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पुं० [सं० कुवल+अण्] बेर। |
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कौवा :
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पुं० =कौआ। |
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कौवाठोंणी :
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स्त्री०=कौआठोंठी। |
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कौवापरी :
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स्त्री०=कौआपरी। |
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कौवारी :
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स्त्री० [देश] १. एक प्रकार की चिड़िया। २. कचूर की जाति का एक वृक्ष जिसमें गुच्छों में लाल फल लगते हैं। स्त्री०=कौवाली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कौवाल :
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पुं० [अ,कवाल=एक प्रकार की बाँसुरी] वह जो कौवाली गाने में प्रवीण हो अथवा कौवाली गाने का पेशा करता हो। |
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कौवाली :
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स्त्री० [अ० कवाल=एक प्रकार की बाँसुरी] १. मुसलमानों में एक प्रकार के धार्मिक गीत जो प्रायः कई आदमी मिलकर गाते हैं। २. उक्त गीत की कुछ विशिष्ट धुनें। ३. इन धुनों में गाये जानेवाले गीत। ४. उक्त प्रकार के गीत गाने का पेशा। |
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कौविंद :
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पुं० [सं० कुविंद+अण्] [स्त्री० कौविदी] जुलाहा। बुनकर। |
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कौश :
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पुं० [सं० कुश+अण्] [वि० कौशेय। स्त्री कौशी] १. कुशद्वीप। २. एक गोत्र। ३. [कोश+अण्] ४. रेशमी वस्त्र। |
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कौशल :
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पुं० [सं० कुशल+अण्] १. कुशल होने की अवस्था या भाव। २. ठीक तरह के काम करने की योग्यता या समर्थता। ३. युक्तिपूर्वक अपना काम निकालने का ढंग। छल-बल से काम साधने का गुण। ४. कोशल प्रदेश का निवासी। वि० कोशल देश का। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशल-बाध :
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पुं० [सं० ष० त०] कार्यालयों की या राजकीय सेवा में उन्नति के मार्ग में वह बंधन जो अपना काम कुशलतापूर्वक करके पार करना पड़ता है। (एफिशिएन्शी बार)। |
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कौशलिक :
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पुं० [सं० कुशल+ठक्-इक] घूस। रिश्वत। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशलिका :
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स्त्री० [सं० कौशलिक+टाप्]=कौशली। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशली :
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स्त्री० [सं० कौशल+ङीष्] १. मित्रों से किया जानेवाला कुशल प्रश्न। २. उपहार। भेंट। वि० [सं०] अनेक प्रकार के कौशल जानने और करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशलेय :
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पुं० [सं० कौशल्या+ढक्-एय] कौशल्या के पुत्र, रामचंद्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशल्य :
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पुं० [सं० कुशल+ष्यञ्]=कौशल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशल्या :
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स्त्री० [सं० कौशल+ष्यञ्-टाप्] १. कौशल के महाराज दशरथ की पत्नी तथा भगवान राम की माता। २. पुरुराज की स्त्री तथा जनमेजय की माता। ३. धृतराष्ट् की माता। ४. पंचमुखी आरती। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशल्यायनि :
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पुं० [सं० कौशल्या+फिञ्-आयन] कौशल्या के पुत्र, रामचंद्र। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशांबी :
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स्त्री० [सं० कुशांब+अण्-ङीष्] कुश के पुत्र कौशांब की बसाई हुई नगरी जो वत्सदेश की राजधानी थी। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशिक :
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वि० [सं० कुशिक+अण्] १. कुशिक वंश का। २. उल्लू से संबंधित। ३. (अस्त्र) जो क्रोध या म्यान में रखा हो। पुं० १. इन्द्र। २. राजा कुशिक के पुत्र गाधि जिनका जन्म इंद्र के अंश से हुआ था। ३. विश्वामित्र। ४. अथर्वेद का एक सूक्त। ५. मगध नरेश जरासंध का एक सेनापति। ६. कोशकार। ७. उल्लू ८. नेवला। ९. अश्वकर्ण नामक शालवृक्ष। १॰. रेशमी वस्त्र। ११. एक उपपुराण का नाम। १२. छः रागों में से एक राग। १३. श्रृंगार रस। १४. मज्जा। १५. गुग्गुल। १६. साँप पकड़नेवाला। मदारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिक-प्रिय :
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पुं० [ष० त०] भगवान् राम का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिक-फल :
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पुं० [मध्य० स०] नारियल का पेड़ और फल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिका :
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स्त्री० [सं० कोश+कन्+अण्-टाप्, इत्व] १. जल पीने का पात्र। जैसे—कटोरा।, गिलास आदि। २. गुग्गुल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिकायुध :
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पुं० [सं० कौशिक-आयुध, ष० त०] १. इंद्र का वज्र। २. इंद्र धनुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिकाराति :
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पुं० [सं० कौशिक-अराति, ष० त०] कौआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिकी :
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स्त्री० [सं० कुशिक+अण्-ङीष्] १. चंडिका देवी। २. राजा कुशिक की पोती और ऋचीक मुनि की स्त्री,जो अपने पति के साथ संदेह स्वर्ग गई थी। ३. संगीत में एक प्रकार की रागिनी। ४. कोसा नदी। ५. साहित्य में एक वृत्ति,जिसमे नृत्य गीत तथा भोगविलास आदि के वर्णन होते हैं। यह क ण, हास्य श्रृंगार आदि रसों के लिए उपयुक्त कही गई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिकी-कान्हड़ा :
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पुं० [हिं० कौशिकी+कान्हड़ा] कौशिकी और कान्हड़ा के योग से बना हुआ एक संकर राग। |
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समानार्थी शब्द-
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कौशिल्य :
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पुं० [सं० ] एक गोत्र-प्रवर्तक ऋषि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशिल्या :
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स्त्री०=कौशल्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशीधान्य :
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पुं० [सं० व्यस्त पद] पौधे मे फूल के बाद लगनेवाले कोश से पैदा होनेवाले अन्न। जैसे—तिल, अलसी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशी-भैरव :
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पुं० [सं० व्यस्त पद] एक प्रकार का संकर राग जो दिन के पहले पहर में गाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशीलव :
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पुं० [सं० कुशीलव+अण् नट का कार्य अथवा पद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौशेय :
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वि० [सं० कोश+ढक्-एय] १. कोश-संबंधी। २. रेशमी। पुं० १. रेशम। २. रेशमी कपड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौश्मांडी :
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स्त्री० [सं० कूश्मांड+अण्-ङीष्] एक विशिष्ट वैदिक ऋचा जो पवित्र करनेवाली कही गई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषारव :
|
पुं० [सं० कुषारु+अण्] कुषारु मुनि के पुत्र, मैत्रेय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषिक :
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पुं० [सं० कौशिक, पृषो० सिद्धि]=कौशिक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषिकी :
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स्त्री० [सं० कौशिकी, पृषो० सिद्धि] १. एक देवी जिनकी उत्पत्ति काली के शरीर से हुई थी। २. =कौशिकी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषीतक :
|
पुं० [सं० कुषीतक+अण्] १. ऋग्वेद की एक शाखा के प्रवर्तक ऋषि। २. ऋग्वेद के अंतर्गत एक ब्राह्मण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषीतकी :
|
स्त्री० [सं० कौषीतक+ङीष्] १. अगस्तय मुनि की स्त्री का नाम। २. ऋग्वेद की एक शाखा। ३. ऋग्वेद के अंतर्गत एक उपनिषद्। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौषेय :
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वि० [सं० कौशेय, पृषो० सिद्धि] १. रेशम से संबंध रखनेवाला। २. रेशम का बना हुआ। रेशमी। पुं० रेशम से बुना हुआ वस्त्र। रेशमी कपड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौष्ठेयक :
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पुं० [सं० कोष्ठ+ढकञ्-एय] कोष्ठ (अर्थात् कोश और भंडार) की वृद्धि के लिए समय-समय पर लिया जानेवाला कर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसल्या :
|
स्त्री०=कौशल्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसिया :
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पुं० [सं० कौशिक] सगीत में एक प्रकार का राग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसिला :
|
स्त्री०=कौशल्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसीद :
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वि० [सं० कुसीद+अण्] कुसीद संबंधी। पुं० वह जो सूद-ब्याज की आय से अपना निर्वाह करता हो। सूदखोर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसीस :
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पुं० [सं० कपिशीर्षक] कँगूरा। उदाहरण—कंचन कोट जरे कौसीसा।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसुंभ :
|
पुं० [सं० कुसुंभ+अण्] १. एक प्रकार का जंगली फूल। २. एक प्रकार का साग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसुम :
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वि० [सं० कुसुम+अण्] १. कुसुम संबंधी। २. जिसमें कुसुम या फूल लगे हुए हों। ३. फूलों का बना हुआ अथवा फूलों से बननेवाला। पुं० १. कुसुमांजन। २. पराग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसुरुविंद :
|
पुं० [सं० ] दस रात्रियों में पूर्ण होनेवाला एक यज्ञ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौसेय :
|
पुं० =कौशेय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौस्तुभ :
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पुं० [सं० कु√स्तुभ (व्यक्ति)+अप्, कुस्तुभ,+अण्] १. एक प्रसिद्ध मणि जो समुद्र-मंथन के समय उसमें से निकली थी। २. एक प्रकार की तांत्रिक मुद्रा। ३. वैद्यक में एक प्रकार का तेल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौस्तुभ-लक्षण :
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पुं० [ब० स०] विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौस्तुभ-वक्षाः (क्षस्) :
|
पुं० [ब० स०] विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौह :
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पुं० [सं० ककुभ] अर्जुन वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौहर :
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पुं० [देश] इंद्रायन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कौहा :
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पुं० [?] छाजन में बँहेड़ी के सहारे के लिए लगाई जानेवाली लकड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |