शब्द का अर्थ
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कौम :
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स्त्री० [अ] १. जाति। २. नसल। वंश। ३. समाज। राष्ट्र। |
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कौमकुम :
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पुं० [सं० ] १. पुराणानुसार एक केतु तारा जो मंगल ग्रह का साठवाँ पुत्र कहा गया है। २. रक्त। लहू। खून। |
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कौम-परस्त :
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वि० [अ०] १. कौम या जति का सेवक। २. राष्ट्रवादी। |
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कौमार :
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पुं० [सं० कुमार+अञ्] [सं० कौमारी] १. जन्म से पाँच वर्ष तक की अवस्था। कुमार। बालक। २. एक प्रकार की सृष्टि जो सनत्कुमार की रची हुई कही गई है। |
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कौमारक :
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वि० पुं० =कौमारिक। |
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कौमार-बंधकी :
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स्त्री० [ष० त०] वेश्या। |
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कौमार-भृत्य :
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पुं० [ष० त०] बालकों के पालन-पोषण और चिकित्सा संबंधी आयु्र्वेद-शास्त्र। |
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कौमार-व्रत :
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पुं० [ष० त०] सदा कुमार रहने अर्थात् विवाह न करने का व्रत या प्रतिज्ञा। |
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कौमारिक :
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पुं० [सं० कुमार+ठक्-इक] संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। वि० कुमार संबंधी। कुमार का। |
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कौमारिकेय :
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पुं० [सं० कुमारिका+ढक्-एय] किसी कुमारी (अर्थात् अविवाहित) स्त्री के गर्भ से उत्पन्न व्यक्ति या संतान। कानीन। |
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कौमारी :
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स्त्री० [सं० कौमार+ङीष्] १. पहली विवाहित स्त्री,०जिससे कुमार-अवस्था में विवाह हुआ हो। २. पार्वती। ३. कार्तिकेय की सात मातृकाओं में एक । ४. वाराही कंद। गेंठी। |
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कौमियत :
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स्त्री० [अ०] जातीयता। |
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कौमी :
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वि० [अ०] १. किसी कौम या जाति संबंधी। जातीय। २. राष्ट्र संबंधी। राष्ट्रीय। पद—कौमी नारा=राष्ट्रीय जय-घोष। |
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कौमुद :
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पुं० [सं० कौ√मुद् (प्रसन्न होना)+क, अलुक्० स०] कार्तिक मास। कातिक। |
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कौमुदिक :
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वि० [सं० कुमुद+ठक्-इक] कुमुद-संबंधी। |
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कौमुदिका :
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स्त्री० [सं० कौमुदी+कन्-टाप्, ह्रस्व]=कौमुदी। |
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कौमुदी :
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स्त्री० [सं० कुमुद+अण्-ङीष्] १. चंद्रमा की चाँदनी। ज्योत्सना। २. कार्तिक मास की पूर्णिमा। ३. आजकल की दीवाली। दीपावली। ४. कुमुदिनी। कोई। ५. दक्षिण भारत की एक नदी। ६. किसी ग्रन्थ के गूढ़ तत्त्वों या विचारों पर प्रकाश डालनेवाली उसकी टीका या व्याख्या। ७. दे० ‘कौमुदी-महोत्सव’। |
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कौमुदी-चार :
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पुं० [ब० स०] कार्तिक पूर्णिमा। शरद पूर्णिमा। |
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कौमुदी-पति :
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पुं० [ष० त०] चंद्रमा। |
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कौमुदी-महोत्सव :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन भारत में कौमुदी (अर्थात् कार्तिक मास की पूर्णिमा) के दिन होनेवाला एक त्योहार या महोत्सव। |
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कौमोकदी :
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स्त्री० [सं० कु-मोदक, ष० त० कुमोदक+अण्,-ङीष्] विष्णु की गदा का नाम। |
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कौमोदी :
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स्त्री० [सं० कु√मुद् (हर्ष)+णिच्+अच्, कुमोद+अण्, ङीष्]=कौमोदकी। |
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