| शब्द का अर्थ | 
					
				| ख					 : | देवनागरी लिपि में क वर्ग का दूसरा अक्षर जो अघोष, स्पृष्ट तथा महाप्राण है और कंठ से उच्चरित होता है। | 
			
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				| ख					 : | पुं० [सं० √खन् (खोदना)+ड] १. गड्ढा। २. शून्य स्थान। ३. आकाश। ४. निकलने का मार्ग। निकास। ५. छेद। सूराख। ६. बिल। विवर। ७. ज्ञानेन्द्रिय। ८. कूँआ। ९. तीर से लगा हुआ घाव। १. नगर। शहर। ११. सुख। १२. गले की वह नाली जिससे प्राणवायु आती जाती है। श्वासनलिक। १३. गाड़ी के पहिये की नाभि का छेद जिसमें धुरा रहता है। आंखा। १४. जन्म-कुंडली में लग्न से दसवाँ स्थान। १५. बिंदु। सिफर। १६. सूर्य। १७. शब्द। १८. क्षेत्र। १९. कर्म। काम। २. अभ्रक। | 
			
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				| खंक					 : | वि० [(सं० कंकाल] दुर्बल। बलहीन। वि० दे. ‘खुक्ख’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंकर					 : | पुं० [सं०√खन् (खोदना) + क्विप्√कृ (बिखेरना)+अप्, खन्-कर कर्म.स.] बालों की लट। अलक। | 
			
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				| खंख					 : | वि० [सं० कंक] १. छूछा। खाली। रिक्त। २. उजाड़। ३. सुनसान। ४. दरिद्र। निर्धन। | 
			
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				| खंखणा					 : | स्त्री० [सं० ] घंटी, घुंघरू आदि के बोलने का शब्द। | 
			
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				| खंखर					 : | पुं०=खंकर। वि०= खंख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँखरा					 : | पुं० [देश.] १. ताँबे का बड़ा देग। २. बाँस का बड़ा टोकरा। वि०=खाँखर (खोखला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँखार					 : | पुं०=खखार। | 
			
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				| खँखारना					 : | अ०= खखारना। | 
			
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				| खंग					 : | पुं० [सं० खग्ङ] १. तलवार। २. गैंडा। | 
			
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				| खंगड़ा					 : | वि० [?] १. उजड्ड। २. उद्दंड। पुं० दे.‘अंगड़-खंगड़’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँगना					 : | अ० [सं० क्षय] कम होना। घटना। छीजना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंगर					 : | पुं० [देश.] १. एक साथ चिपकी और पकी हुई कई ईंटें या उनके टुकड़े। वि० १. सूखा। शुष्क। २. दुबला-पतला। क्षीण। मुहावरा–खंगर लगना= सूखा नामक रोग होना, जिससे शरीर दिन पर दिन दुबला होता जाता है। | 
			
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				| खँगवा					 : | पुं० [देश.] पशुओं के खुर पकने का एक रोग। | 
			
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				| खँगहा					 : | वि० [हिं० खाँग+हा (प्रत्य)] (पशु) जिसे खाँग हो या निकला हो। पुं० १. गैंडा। २. सूअर। ३. मुर्गा। | 
			
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				| खँगारना					 : | स.= खँगालना। | 
			
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				| खँगालना					 : | स० [सं० क्षालन; गु.खंखाडवूँ; मरा.खंगड़णें] १. किसी पात्र के अंदर पानी डालकर उसे हिला-डुला कर थोड़ा धोना। २. पानी से भरे हुए बरतन में कोई चीज डुबाकर उसे हलका या थोड़ा धोना। ३. ऐसा काम करना कि किसी के घर की चीजें निकलकर इधर-उधर हो जाएँ। चालाकी से सब कुछ ले लेना या नष्ट कर देना। ४. अंदर की चीज हिला-डुलाकर बाहर निकालना। | 
			
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				| खँगी					 : | स्त्री० [हिं० खँगना] खँगने अर्थात् कम होने या छीजने की अवस्था, क्रिया या भाव। कमी। छीज। | 
			
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				| खँगैल					 : | वि० [हिं० खाँग] १. (पशु) जो खाँग या लंबे दाँतों से युक्त हो। जैसे–गैंडा हाथी आदि। २. (पशु) जो खँगवा रोग से पीड़ित हो। | 
			
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				| खँगौरिया					 : | स्त्री०=हँसली। (गहना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँघारना					 : | स=खँगालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँचना					 : | अ० [हिं० खाँचना] १. खाँचा जाना। २. अंकित या चिह्नित होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ० [हिं० खाँची] पूरी तरह से भरा हुआ होना। अ०=खिंचना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँचाना					 : | स.[हिं० खाँचना] १. किसी से खाँचने (अंकित करने) का काम कराना। मुहावरा–अपनी खाँचाना=अपने मतलब या स्वार्थ की बातें कहते चलना; दूसरे की न सुनना। २. दे० ‘खाँचना’। | 
			
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				| खँचिया					 : | स्त्री०=खाँची (टोकरी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँचुला					 : | पुं०=खाँचा (बड़ा टोकरा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँचैया					 : | वि० [हिं० खाँचना] खाँचनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंज					 : | पुं० [सं०√खञ्ज् (लँगड़ाना)+अच्] पैर और जाँघ की नसों को जकड़ लेने वाला एक वात-रोग, जिसमें रोगी उठने-बैठने या चलने में असमर्थ हो जाता है। वि० १. जिसे उक्त रोग हुआ हो। २. पंगु। लँगड़ा। पुं०=खंजन (पक्षी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंजक					 : | वि० [सं० खञ्ज+कन्] १. जो खंज रोग से पीड़ित हो। जिसे खंज रोग हुआ हो। २. पंगु। लँगड़ा। पुं० [?] एक प्रकार का वृक्ष जिसमें से रूमीमस्तगी की तरह का गोंद निकलता है। | 
			
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				| खंजकारि					 : | पुं० [खंजक-आरि ष० त.] खेसारी। | 
			
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				| खंजखेट					 : | पुं० [सं० खंज√खिट् (गति)+अच्]=खंजन (पक्षी)। | 
			
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				| खँजड़ी					 : | स्त्री०=खंजरी। | 
			
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				| खंजन					 : | पुं० [सं०√खञ्ज्+ल्यु-अन] १. काले या मटमैले रंग की और लंबी पूँछवाली एक प्रसिद्ध चिड़िया जो बहुत ही चंचल होती और बराबर उधर-उधर बैठती उठती रहती है। विशेष-इसी चंचलता के कारण कविगण उसकी उपमा चंचल नेत्रों से देते हैं। २. उक्त पक्षी के रंग का घोड़ा। ३. गंगोदक नामक वर्णवृत्त का दूसरा नाम। | 
			
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				| खंजनक					 : | वि० [सं० खंजन+कन्] १. जिसे खंज रोग हुआ हो। २. लँगड़ा। | 
			
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				| खंजन-रति					 : | पुं० [उपमित स.](खंजन पक्षी की तरह का) ऐसा गुप्त संभोग जिसका जल्दी से किसी को पता न चले। | 
			
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				| खंजना					 : | स्त्री० [सं० खंजन+क्यच्+क्विप्-टाप्]=खंजनिका। | 
			
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				| खंजनासन					 : | पुं० [सं० खंजन-आसन, उपमित स.] उपासना के लिए एक प्रकार का आसन। (तंत्र) | 
			
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				| खंजनिका					 : | स्त्री० [सं० खंजन+ठन्-इक, टाप्] दलदल में रहनेवाली खंजन की जाति का एक चिड़िया। सर्षपी। | 
			
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				| खंजर					 : | पुं० [फा०] [स्त्री० अल्पा.खंजरी] एक प्रकार की छोटी तलवार। कटार। | 
			
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				| खँजरी					 : | स्त्री० [सं० खंजरीट-एक ताल] एक प्रकार की छोटी डफली। | 
			
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				| खंजरी					 : | स्त्री० [फा.खंजर] १. एक प्रकार का छोटा खंजर। कटार। २. एक प्रकार का कपड़ा जिस पर उक्त के आकार की धारियाँ होती है। | 
			
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				| खंजरीट					 : | पुं० [सं० खञ्ज्√ऋ (गति)+कीटन्] १. खंजन या खँडरिच नामक पक्षी। २. संगीत में एक प्रकार का ताल। | 
			
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				| खंजा					 : | स्त्री० [सं०√खञ्ज्+अच्-टाप्] एक अर्द्धसम वर्णिक छंद जिसके विषम चरणों में 30 लघु और एक गुरू तथा सम चरणों में २8 लघु और एक गुरु होता है। | 
			
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				| खंड					 : | पुं० [सं०√खंड्(टुकड़ा करना)+घञ्] १. किसी की टूटी या फूटी हुई वस्तु को कोई अंश। टुकड़ा। २. किसी सम्पूर्ण वस्तु का कोई विशिष्ट भाग या विभाग। जैसे–रामायण का तृतीय खंड। ३. किसी इमारत या भवन का कोई तल्ला या मंजिल। (स्टोरी) ४. किसी धारा या उपधारा का कोई स्वतंत्र अंश। ५. कुछ विशेष कार्यों के लिए व्यवस्थित रूप से किया हुआ विभाग। ६. पुराणों के अनुसार पृथ्वी के नौ मुख्य विभाग जो इस प्रकार हैः–भरत, इलावृत, किंपुरुष, भद्र, केतुमाल, हरि, हिरण्य, रमा और कुश। ७. उक्त के आधार पर नौ की संख्या का सूचक शब्द। ८. किसी राज्य का कोई प्रदेश या प्रांत। ९. कच्ची चीनी। खाँड। पुं० [सं० खड्ग] खाँड़ा नाम का शस्त्र। उदाहरण–किक्क सरण रह पाइ किक्क खल खंडणि खंडै।–चंदवरदाई। वि० [खंड+अच्] १. खंडित। अपूर्ण। विकलांग। विभक्त। २. लघु या छोटा। | 
			
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				| खंड-कंद					 : | पुं० [कर्म.स.] शकरकंद। | 
			
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				| खंडक					 : | वि० [सं०√खंड+ण्युल्-अक] १. खंड या विभाग करनेवाला। २. खंडन करनेवाला। पुं० [खंड+क] १. खाँड या मिसरी। २. नाखूनों वाला प्राणी। | 
			
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				| खंड-कथा					 : | स्त्री० [कर्म.स.] १. कोई अधूरी या छोटी कहानी। कथा या कहानी का टुकड़ा या भाग। २. प्राचीन भारतीय साहित्य में, करुण रस-प्रधान एक प्रकार की कथा या कहानी जिसमें ब्राह्मण या मंत्री नायक होता था और जिसमें प्रायः विरह का वर्णन होता था। ३.परवर्ती काल में और आज-कल भी उपन्यास का वह प्रकार या भेद जिसके प्रत्येक खंड या भाग में अलग-अलग छोटी कहानियाँ होती है। | 
			
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				| खंड-काव्य					 : | पुं० [कर्म.स.] ऐसी पद्यबद्ध रचना जिसमें किसी महापुरुष या विशिष्ट व्यक्ति के जीवन की किसी एक या कुछ महान् घटनाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन होता है। जैसे–मेद्यदूत। सिद्धराज। | 
			
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				| खंड-ग्रहण					 : | पुं० [कर्म.स.] वह ग्रहण जिसमें सूर्य या चंद्रमा के सारे बिंब पर छाया न पड़े, कुछ ही अंश पर छाया पड़े। ‘खग्रास’ का विरूद्धार्थक। (पार्शल इक्लिप्स) | 
			
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				| खँडचिला					 : | पुं० [देश.] धान की एक जाति। उदाहरण–औ संसार तिलक खँडचिला।–जायसी। | 
			
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				| खंडज					 : | पुं० [सं० खंड√जन् (उत्पन्न होना)+ड] एक प्रकार की शक्कर या गुड़। | 
			
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				| खंडत					 : | वि० खंडित।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंड-ताल					 : | पुं० [कर्म.स.] संगीत में, एक प्रकार का ताल। | 
			
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				| खंड-धारा					 : | स्त्री० [ब.स.] कैंची। कतरनी। | 
			
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				| खंडन					 : | पुं० [सं०√खंड्+ल्युट्-अन] १. खंड-खंड या टुकड़े-टुकड़े करने की क्रिया या भाव। २. विभक्त या विभाजित करना। हिस्सों में बाँटना। ३. कही हुई कोई बात अथवा प्रतिपादित किये हुए सिद्धांत के दोष दिखलाकर उसे अमान्य या गलत ठहराना। (कन्ट्राडिक्शन) ४. अपने संबंध में किसी के द्वारा लगाये गये आरोप या अभियोग का निराकरण करते हुए उसे झूठा सिद्ध करना। (रेफ्यूटेशन) ५. नृत्य में, मुँह या होंठ इस प्रकार चलाना जिससे खाने, पढ़ने, बड़बड़ाने आदि का भाव प्रकट होता हो। ६. कार्य की सिद्धि में होनेवाली बाधा अथवा इससे उत्पन्न निराशा। ७. विद्रोह या विरोध। वि०खंड या टुकड़े करनेवाला। | 
			
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				| खंडनक					 : | वि० [सं० खंडक] १. खंड या टुकड़े करनेवाला। २. खंडित करनेवाला। ३.जिससे कोई तर्क या बात खंडित होती है। ४. कोई ऐसी परस्पर विरोधी बात जिससे अपने ही पक्ष का खंडन होता हो। (कनट्रैडिक्टरी) | 
			
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				| खंडन-मंडन					 : | पुं० [द्व.स.] किसी बात या सिद्धांत के पक्ष तथा विपक्ष अथवा उसकी अच्छाई तथा बुराई दोनों के संबंध में दोनों पक्षों का कुछ कहना। | 
			
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				| खंडना					 : | स.[सं० खंडन] १. खंड या टुकड़े करना। तोड़ना। २. हिस्से लगाना। ३. मत, सिद्धांत आदि का खंडन करना और उसे अयुक्त सिद्ध करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंडनी					 : | स्त्री० [सं० खंड] १. मध्ययुग में, वह कर जो राज्य बड़े ज़मीदारों और राजाओं से लेता था। २. किस्त। ३. खंडी। | 
			
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				| खंडनीय					 : | वि० [सं०√खंड्+अनीयर्] १. जो तोड़े-फोड़े जाने के योग्य हो। २. (मत या सिद्धांत) जिसका खंडन आवश्यक और उपयुक्त हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंड-पति					 : | पुं० [ष० त.] राजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-परशु					 : | पुं० [ब.स.] १. महादेव। शिव। २. विष्णु। ३. परशुराम। ४. राहु। ५. टूटे हुए दाँतों वाला हाथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडपाल					 : | पुं० [सं० खंड√पाल् (बचाना)+णिच्+अण्] हलवाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडपूरी					 : | स्त्री० [हिं.खाँड+पूरी] एक प्रकार की मीठी पूरी जिसमें मेवें आदि भरे रहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-प्रलय					 : | पुं० [ष.त.] वह प्रलय जिसमें पृथ्वी को छोड़कर सृष्टि का और कोई पदार्थ बाकी नहीं रह जाता और जो एक चतुर्युगी अथवा ब्रह्मा का एक दिन बीत जाने पर होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-प्रस्तार					 : | पुं० [ब स.] संगीत में एक प्रकार का ताल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-फण					 : | पुं० [ब.स.] साँप की एक जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडबरा					 : | पुं० [हिं० खाँड+बरा] १. एक प्रकार का पकवान। मीठा। बड़ा। २. मिसरी का लड्डू। खँडौरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-मेरु					 : | पुं० [ब. स.] छंद शास्त्र में प्रस्तार के अन्तर्गत मेरु नामक प्रक्रिया या रीति का एक अंग या विभाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-मोदक					 : | पुं० [मध्य.स.] गुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडर					 : | पुं०=खँडहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडरना*					 : | स.[सं० खंडन] १. खंड-खंड या टुकड़े-टुकड़े करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) उदाहरण–ताहि सियपुत्र तिल-तूल सम खंडरै।–केशव। २. =खंडना (खंडन करना)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडरा					 : | पुं० [सं० खंड+हिं० बरा] १. एक प्रकार का मीठा बड़ा। २. बेसन का बना हुआ हुआ बड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडरिच					 : | पुं०=खंजन (पक्षी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडल					 : | पुं० [स. खंड√ला (लेना)+क] खंड धारण करनेवाला। पुं० =खंड। (डिं.)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडल छोर					 : | पुं० [हिं० खाँड+छोरना=खोलना] बुंदेलखंड में होली के दिनों में होनेवाली एक प्रकार की प्रतियोगिता जिसमें बाँस के ऊपरी सिरे पर बँधा हुआ गुड़ और रूपया खोल लाने का प्रयत्न किया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-लवण					 : | पुं० [कर्म० स०] काला नमक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडला					 : | पुं० [सं० खंड] छोटा खंड या टुकड़ा। कतला। पुं० =खँडरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडवारा					 : | पुं०=खँडरा (बड़ा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-वर्षा					 : | स्त्री० [कर्म० स०] ऐसी वर्षा जो रह-रह अथवा रुक-रुककर हो अथवा नगर के किसी एक भाग में तो हो और दूसरे भाग में न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडवानी					 : | स्त्री० [हिं० खाँड+पानी] १. पानी में खाँड आदि घोलकर बनाया हुआ शर्बत। २. बरातियों के पास भेजा जानेवाला जलपान और शर्बत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-विकार					 : | पुं० [ष० त०] खाँड से बनी हुई चीनी या सफेद शक्कर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-विला					 : | पुं० [?] एक प्रकार का धान और उसका चावल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-वृष्टि					 : | स्त्री०=खंड वर्षा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-व्यायाम					 : | पुं० [ब० स०] ऐसा नृत्य जिसमें केवल कमर और पैरों को गति देते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडशः (स्)					 : | अ० य.[सं० खंड+शस्] खंडों के रूप में। खड-खंड करके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-शर्करा					 : | स्त्री० [उपमित.स.] १.खंडसारी। चीनी। २. मिसरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंड-शीला					 : | स्त्री० [ब० स०, टाप्] १. वह युवती जिसका कौमार्य खंडित हो चुका हो। २. दुश्चरित्रा स्त्री। ३. वेश्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडसर					 : | पुं० [सं० खंड+सृ (गति)+अच्] चीनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँड़सार					 : | स्त्री० [सं० खंड+शाला] वह कारखाना जहाँ पुराने देशी ढंग से चीनी बनती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडसारी					 : | स्त्री० [देश०] खँड़सार में बनी हुई अर्थात् देशी चीनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँड़साल					 : | पुं०=खँडसार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खँडहर					 : | पुं० [सं० खंड+हिं० घर] १. वह स्थान जिस पर बनी हुई इमारत या भवन खंड-खंड होकर गिर पड़ा हो। गिरे या टूटे हुए मकान का बचा हुआ अंश। २. चित्रकला में, किसी चित्र में का वह स्थान जो भूल से खाली छूट गया हो और जिसमें सौन्दर्य के विचार से कुछ अंकित होना आवश्यक तथा उचित हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खंडा					 : | पुं० [स० खंड] चावल का छोटा टुकड़ा। किनकी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=खाँडा (शस्त्र)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंडाभ्र					 : | पुं० [सं० खंड-अभ्र कर्म.स.] १. दाँतों का एक रोग। २. बिखरे हुए बादल। | 
			
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				| खंडाली					 : | स्त्री० [सं० खंड-आ√ला (लेना)+क-ङीष्] १. तेल नापने का एक परिमाण। २. वह स्त्री जिसका पति धर्मद्रोही हो। ३. छोटा तालाब। ताल। | 
			
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				| खंडिक					 : | पुं० [सं० खंड+ठन्–इक] १. वह विद्यार्थी जो किसी ग्रंथ के विभिन्न विभागों का अलग-अलग अध्ययन करता हो। २. एक प्राचीन ऋषि। ३. काँख। | 
			
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				| खंडिका					 : | स्त्री० [सं० खंडिक+टाप्] १. दे.‘खंडिक’। २. किसी देय राशि का वह अंश जो किसी एक निश्चित समय प दिया जाए अथवा दिया जाने को हो। किस्त। (इन्स्टालमेन्ट) | 
			
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				| खंडित					 : | वि० [सं०√खंड्+क्त] १. (वस्तु) जिसका कोई अंश या भाग उससे कट या टूटकर अलग हो गया हो। जैसे–खंडित भारत, खंडित मूर्ति। २. (कुमारी) जिसका कौमार्य नष्ट हो चुका हो। ३. जो पूरा न हो। अपूर्ण। ४. (विचार या सिद्धांत) जिसकी त्रुटियाँ या दोष दिखलाकर खंडन किया गया हो और उसे गलत ठहराया गया हो। | 
			
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				| खंडित-विग्रह					 : | वि० [ब० स०] विकलांग। | 
			
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				| खंडित-व्यक्तित्व					 : | पुं० [सं० ब० स०] मनोविज्ञान में, प्रबल मानसिक संघर्ष के कारण उत्पन्न होनेवाली ऐसी मानसिक स्थिति जिसमें मनुष्य का अपनी चेतना-शक्ति पर पूरा-पूरा अधिकार नहीं रह जाता। (स्प्लिट पर्सनैलिटी) | 
			
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				| खंडिता					 : | स्त्री० [सं० खंडित+टाप्] साहित्य में वह नायिका जो रात भर अन्यत्र पर-स्त्री गमन करनेवाले अपने प्रिय को प्रातः पर-स्त्री-संसर्ग के चिन्ह्नों से युक्त देखकर दुःखी होती हो। इसके कई भेद हैं–मुग्धा खंडिता, मध्या खंडिता, प्रौढ़ा खंडिता आदि आदि। | 
			
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				| खंडिनी					 : | स्त्री० [सं० खंड+इनि–ङीप्] पृथिवी। | 
			
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				| खँडिया					 : | पुं० [सं० खंड+हिं० इया(प्रत्य.)] वह जो कोल्हू में पेरने के लिए गन्नों के खंड-खंड करता या गँड़ेरियाँ बनाता हो। पुं०=खंड (टुकड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंडी					 : | स्त्री० [सं० खंड] १. गाँव के आस-पास वृक्षों का समूह। २. राज-कर। ३.चौथ नामक कर जो मराठे वसूल करते थे। ४. लगान या किराये की खंडिका। किस्त। मुहावरा–खंडी करना=किस्त बाँधना। | 
			
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				| खँडुआ					 : | पुं० [हिं० खंड] १. कुआँ जिसकी बँधाई पत्थर के ढोकों से हुई हो। २. दे.‘कंदुआ’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंडेश्वर					 : | पुं० [सं० खंड-ईश्वर, ष.त.] एक खंड (देश) का स्वामी। राजा। | 
			
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				| खँडौरा					 : | पुं० [हिं० खाड़+औरा (प्रत्य.)] १. मिसरी का लड्डू। २. ओला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँडौरी					 : | स्त्री० [सं० खंड] कूटे हुए चावल के टूटे हुए कण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंतरा					 : | पुं० [सं० अन्तर] १. दरार। खोडरा। २. अंतराल। कोना। | 
			
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				| खंता					 : | पुं० [सं० खनित्र] [स्त्री० अल्पा.खंती] १. जमीन खोदने का उपकरण। जैसे–कुदाल, फावड़ा आदि। २. वह गड्ढा जिसमें से कुम्हार बर्तन बनाने के लिए मिट्टी निकालते हैं। ३.गड्ढा। गर्त्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंति					 : | स्त्री० [डिं.] १. इच्छा। उदाहरण–जब दैहों तब पूजिहैं, जो मन मझझह खंति।–चन्द्रबरदाई। २. चतुरता। ३. चसका। उदाहरण–खंति लागौ त्रिभुवनपति खेड़ै।–प्रिथीराज। स्त्री० [हिं० खंता] एक जाति जो जमीन खोदने का कार्य करती है। | 
			
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				| खंदक					 : | पुं० [ अ०] १. किसी गढ़, भवन या महल के चारों ओर रक्षा के लिए बनाई हुई चौड़ी तथा गहरी नाली। खाईं। २. बहुत बड़ा तथा गहरा गढ्डा। ३. दो बातों या मतों के बीच का बहुत बड़ा अन्तर। | 
			
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				| खंदना					 : | स=खोदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंदा					 : | स=खंता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खँदाना					 : | स=खुदवाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंदोली					 : | स्त्री० [हिं० खटोली] बच्चे का बिछौना। | 
			
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				| खँधवाना					 : | स० [हिं० खाली]=खंदाना (खुदवाना)। स.[?] खाली कराना। | 
			
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				| खंधा					 : | पुं० [सं० स्कंधक] आर्यागीति नामक छंद। पुं० १. =खंडिका। २. =कंधा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंधार					 : | पुं० [सं० खंडाधीश] १. राजा। २. मालिक। स्वामी। उदाहरण–षंड षंड का सील्या खंधार।–नरपति नाल्ह। ३. छावनी। शिविर। २. =स्कंधावार (छावनी)। उदाहरण–उहाँ त लूसौं कटक खँधारू।–जायसी। पुं० १. =गांधार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंधारी					 : | वि०=कंधारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंधासाहिनी					 : | वि०=खंधा (छंद)। | 
			
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				| खँधियाना					 : | स [?] (पदार्थ को पात्र में से) बाहर गिराना या निकालना। खाली करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खंबायची, खंबायती					 : | स्त्री०=खम्माच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंभ					 : | पुं० [सं० स्कंध, प्रा.खंभ] १. स्तंभ। खंभा। २. किसी चीज को पकड़े या रोके रहने वाला सहारा। | 
			
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				| खंभा					 : | पुं० [सं० स्कंभ] १. ईट, पत्थर, लकड़ी, लोहे आदि की बनी हुई गोल या चौकोर रचना जिस पर छत आदि टिकी रहती है। २. ऐसा आधार जो अपने ऊपर कोई बड़ी या भारी चीज लिये या सँभाले हुए हों। | 
			
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				| खंभात					 : | पुं० [सं० स्कंभावती] गुजरात का वह पश्चिमी प्रान्त या भाग जो इसी नाम की खाड़ी के किनारे है। | 
			
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				| खंभायची कान्हड़ा					 : | पुं०=खम्भाच कान्हड़ा। | 
			
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				| खँभारा					 : | पुं० [सं० क्षोभ, प्रा० खोभ] १. क्षोभ। २. घबराहठ। बेचैनी। ३.भय या उसके कारण होने वाली चिन्ता। आशंका। ४. खेद रंज या शोक। पुं० =गंभारी (वृक्ष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंभारी					 : | स्त्री० [सं० काश्मरी, प्रा. कम्हरी]=गंभारी। | 
			
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				| खंभावती					 : | स्त्री० [सं० स्कंभावती] ओड़व संपूर्ण जाति की एक रागिनी। जो रात के दूसरे पहर में गाई जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खँभिया					 : | स्त्री० [हिं० खंभा] १. खंभा या अल्पार्थक रूप। छोटा या पतला खंभा। २. खूँटा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खंभेली					 : | स्त्री० =खँभिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खँवँ					 : | स्त्री० [सं० खं ] जमीन में खोदा हुआ वह गड्ढ़ा जिसमें अनाज भरकर रखा जाता है। खत्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खँवँड़ा					 : | पुं० [हिं० खँवँ] बहुत बड़ा खत्ता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खँसना					 : | अ०=खिसकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खई					 : | स्त्री० [सं० क्षयी] १. क्षयकारिणी क्रिया। २. युद्ध। ३. लड़ाई-झगड़ा। उदाहरण-खई मिटि जायगी। अरुसे ही के रस मैं।–सेनापति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-कक्षा					 : | स्त्री० [ष० त०] आकाश की परिधि। (ज्योतिष)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-कुंतल					 : | पुं० [ब० स०] शिव। | 
			
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				| खक्खट					 : | वि० [सं०√खक्ख् (हँसना)+अटन्] १. कर्कश। २. कठिन। ३.कठोर। पुं० =खड़िया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खक्खर					 : | पुं० [सं०√खक्ख्+अरन्] भिखारी की छड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खक्खा					 : | पुं० [ अ० क़हक़हा] जोर की हँसी। अट्टाहास। कहकहा। पुं० [हिं० ख (वर्ण)] १. खत्री०। २. पंजाबी। सिपाही। ३. अनुभवी और चतुर पुरुष। ४. बड़ा हाथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखड़ा					 : | वि०=खोखला। (पूरब)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखरा					 : | वि०=खँखरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखरिया					 : | स्त्री० [देश.] एक प्रकार की पतली अलोनी खस्ता पूरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखसा					 : | पुं०=खेखसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखार					 : | पुं० [अनु.] खखारने पर मुँह के रास्ते निकलने वाली बलगम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखारना					 : | अ० [सं० क्षरण] १. पेट की वायु को इस प्रकार मुँह के रास्ते निकालना कि वह गले में से निकलते समय शब्द करे तथा अपने साथ कफ या बलगम भी लेती आवे। २. उक्त प्रक्रिया से मुँह में आई हुई बलगम को थूकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खखेटना					 : | स.[हिं० खदेड़ना] १. भगाना। २. पीछा करना। ३. दबाना। ४. घायल करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खखेटा					 : | पुं० [हिं० खखेटना] १. भगदड़। २. दाब। ३.चोट। ४. शंका। ५. छेद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खखेरा					 : | पुं० [हिं० खखारना] कलंक। उदाहरण–मनहु विद्यापति सुनवर यौवति कहइते होये खखेरा।–विद्यापति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खखोडर					 : | पुं० [सं० ख और कोटर] पेड़ के कोटर में बना हुआ किसी पक्षी का घोंसला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खखोरना					 : | स.[देश.] १. किसी वस्तु को खोजना। २. चारों तरफ खोजतें फिरना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-गंगा					 : | स्त्री० [ष० त०] आकाश गंगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खग					 : | पुं० [सं० ख√गम् (गति)+ड] १. वह जो आकाश या हवा में उड़ता हो। जैसे–ग्रह, नक्षत्र, किन्नर, गंधर्व, देवता, मेघ आदि। २. हवा में पंखों के सहारे उड़नेवाले जीव। पक्षी। ३. वायुयान। ४. तीर। बाण। ५. वायु। हवा। पुं० =खड्ग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खग-केतु					 : | पुं० [ष० त०] गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खगना					 : | अ० [हिं० खाँग=काँटा] १. गड़ना। २. चित्त में जमना या बैठना। ३. लीन होना। ४. अंकित या चिह्नित होना। ५. खड़ा होना। उदाहरण–सखि सूधे सभाय लख्यो भज जात सो टेढ़ो ह्वै मारग बीच खग्यौ।–घनानन्द। ६. अड़ना। ७. उलझना। फँसना। उदाहरण–न्हात रहीं जल मैं सब तरुनी, तब तुव नैना कहाँ खगे।–सूर। ८. कसा जाना। स.१. कसना। २. बाँधना। ३. लीन करना। अ० [सं० क्षीण] १. क्षीण होना। कम होना। घटना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खग-नाथ					 : | पुं० [ष० त०] १. गरुड़। २. सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगवार					 : | पुं० [सं० खड्गवान् ?] गले का हँसुली नामक आभूषण। उदाहरण–पन्ना सौं जटित मानौं हेम खगवारो है।–सेनापति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगहा					 : | वि० दे० ‘खँगहा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगांतक					 : | पुं० [खग-अंतक, ष० त०] बाज पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खगासन					 : | पुं० [खग-आसन, ब.स.] १. विष्णु। २. उदयगिरि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगि					 : | स्त्री० =खड्ग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-गुण					 : | वि० [ब० स०] (राशि) जिसका गुणक शून्य हो। (गणित) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खगेंद्र					 : | पुं० [खग-इंद्र, ष० त.] गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगेश					 : | पुं० [खग-ईश, ष० त०] पक्षियों के राजा गरुड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-गोल					 : | पुं० [ष० त०] १. आकाश-मंडल। २. ग्रह। ३. दे. ‘खगोल विद्या’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगोलक					 : | पुं० [सं० खगोल+कन्]=खगोल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खगोल मिति					 : | स्त्री० [ष० त०] गणित ज्योतिष का वह अंग या शाखा जिसमें तारों, नक्षत्रों आदि की नाप-जोख, दृश्य स्थितियों, गतियों आदि का विचार होता है। (एस्ट्रोमेट्री) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खगोल-विद्या					 : | स्त्री० [ष० त०] आकाश के ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति विधि का विवेचन करनेवाली विद्या। ज्योतिष। (एस्ट्रानोमी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खग्ग					 : | स्त्री०=खड्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-ग्रास					 : | पुं० [ब० स०] वह ग्रहण जिसमें चंद्र या सूर्य का पूरा बिंब ढक जाए। (टोटल इक्लिप्स) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचन					 : | पुं० [सं०√खच् (बाँधना, जड़ना)+ल्युट्-अन] १. कोई चीज जड़ने या बाँधने की क्रिया या भाव। २. अंकित करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचना					 : | अ० [सं० खचन] १. जड़ा जाना। २. अंकित होना। ३. अच्छी तरह से भरा जाना। ४. अटकना। फँसना। स० १. जड़ना। २. अंकित करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचमस					 : | पुं० [सं० ख√चम् (खाना)+असच्] चंद्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचर					 : | पुं० [सं० ख√चर् (गति)+ट] १. आकाश में चलनेवाले पदार्थ, प्राणी आदि। जैसे–ग्रह, नक्षत्र, देवता, मेघ, वायु, आदि। २. पक्षी। चिड़िया। ३. तीर। वाण। ४. राक्षस। ५. संगीत में रूपक ताल का एक नाम। ६. कसीस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचरा					 : | वि० [हिं० खच्चर] १. दोगला या वर्ण-संकर। २. दुष्ट। पाजी। ३. जो कोई बात जानते हुए भी बतलाता न हो। मचला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खचाखच					 : | वि० [अनु०] (स्थान) जिसमें आवश्यकता से अधिक व्यक्ति सट-सट कर भरें हों अथवा जिसमें बहुत अधिक समान रखा गया हो। जैसे–गाड़ी का डिब्बा यात्रियों से या आलमारी पुस्तकों से खचाखच भरी थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचाना					 : | अ० [हिं० खचाखच] खचाखच भरा जाना या भरा होना। स० दे. ‘खँचाना’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचारी (रिन्)					 : | वि०, पुं०[सं०ख√चर्+णिनि] खचर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचावट					 : | स्त्री० [हिं० खाँचाना] खचने या खचाने की क्रिया या भाव। खचन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचित					 : | वि० [सं०√खच्+क्त] १. जड़ा हुआ। जड़ित। जैसे–मणि खचित। २. अंकित या चित्रित किया हुआ। उदाहरण–कुसुम खचित, मारुत सुरभित खग कुल कूजित०.।–पंत। ३. युक्त। ४. अच्छी तरह से भरा हुआ। खचाखच। पुं० ऐसा दुशाला जिसमें बहुत से बेल-बूटे हों। (कौटिल्य) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-चित्र					 : | पुं० [स० त०] १. वैसी ही अनहोनी, असंभव या बे-सिर पैर की बात जैसी आकाश पर चित्र अंकित करना है। २. ऐसी वस्तु जो अस्तित्व में न हो। | 
			
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				| खचिया					 : | स्त्री० दे० ‘खाँची’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खचीना					 : | पुं० [हिं० खँचाना] १. रेखा। लकीर। २. चिह्न। निशान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खचेरना					 : | स० [हिं० खदेरना] दबाकर वश में करना। उदाहरण–कैसे, कहौं, सुनौं जस तेरे औरै आनि खचेरे।–सूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खच्चर					 : | पुं० [देश०] १. एक प्रसिद्ध पशु जो गधे और घोड़ी या घोड़े और गधी के संयोग से उत्पन्न होता है। अश्वतर। २. दोगला अथवा वर्णसंकर व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खज					 : | वि० [सं० प्रा.खज्जखाद्य] (वह) जो खाया जाने को हो अथवा खाने जोने के योग्य हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजक					 : | पुं० [सं०√खज् (मथना)+अच्+कन्] मथानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खजप					 : | पुं० [सं० खज्+कपन्] घी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खजमज					 : | वि० [अनु.] साधारण से गिरा हुआ। कुछ खराब। जैसे–आज तबीयत कुछ खजमज है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खजमजाना					 : | अ० [अनु.] (तबीयत) कुछ भारी लगना। अस्वस्थता सी जान पड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-जल					 : | पुं० [मध्य.स०] ओस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजला					 : | पुं०=खाजा। (मिठाई)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजलिया					 : | पुं० [देश.] अंगूर का एक रोग जिसमें उसके पत्ते सड़ने लगते हैं। | 
			
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				| खजहजा					 : | पुं० [सं० खाद्याद्य<प्रा. खज्जज्ज< खजहज्ज, खजहजा] १. खाने योग्य उत्तम फल या मेवा। खाजा। उदाहरण-और खजहजा आव न नाऊँ।–जायसी। २. खाजा नामक पकवान। | 
			
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				| खजा					 : | स्त्री० [सं०√खज्+अप्+टाप्] १. मथानी। २. प्रतियोगिता। ३.युद्ध। | 
			
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				| ख़ज़ानची					 : | पुं० [फा०] १. वह व्यक्ति जो किसी व्यक्ति, सभा, समिति आदि के कोष या खजाने का प्रधान अधिकारी हो। कोषाध्यक्ष। (ट्रेजरर) २. वह व्यक्ति जिसके पास रोकड़ या आय-व्यय का हिसाब रहता हो। रोकड़िया। (कैशियर) | 
			
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				| खजाना					 : | पुं० [ अ० ख़जानः] १. किसी व्यक्ति, संस्था आदि की संचित धनराशि। (ट्रेजर) २. वह स्थान जहाँ पर संचित की गई धनराशि रखी जाती है। (ट्रेजरी) ३. वह भवन या स्थान जहाँ किसी राज्य या संस्था की आय का धन रहता है और जहाँ से व्यय के लिए धन निकलता है। (ट्रेजरी) ४ कर या राजस्व जो खजाने में जमा करना पड़ता है। ५. वह स्थान जहाँ पर कोई चीज बहुत अधिकता में पाई जाती अथवा होती है। भांडार। मुहावरा–खुले खजाने=सबके सामने या देखते हुए। खुलेआम। खुलकर। ६. किसी उपकरण या उपयोग में आने वाली वस्तु का वह विशिष्ट अंश या विभाग जिसमें उसकी आवश्यक सामग्री भरकर रखी जाती है। जैसे–(क) बन्दूक का खजाना अर्थात वह जगह जिसमें बारूद भरी जाती है। (ख) लालटेन का खजाना, जिसमें तेल भरा जाता है। | 
			
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				| खजित्					 : | पुं० [सं० ख√जि (जीतना)+क्विप्] एक प्रकार के शून्यवादी बौद्ध। | 
			
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				| खजिल					 : | वि० [फ़ा] लज्जित। शर्मिंदा। | 
			
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				| खज़ीना					 : | पुं०=खजाना। भांडारा। उदाहरण–पीया को प्रभु परचो दीन्हो दियारे खजीना पूर।–मीराँ। | 
			
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				| खजुआ					 : | पुं० १. =खाजा। (पकवान) २. दे. ‘भरवाँस’ (अन्न)। | 
			
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				| खजुरहट					 : | स्त्री० [हिं० खजूर] नैपाल की तराई में होने वाला एक प्रकार का छोटा खजूर जिसकी पत्तियाँ चटाई बनाने के काम आती हैं, पर फल किसी काम का नहीं होता। स्त्री०=खुजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजुरा					 : | पुं०=खजूरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजुराही					 : | स्त्री० [हिं० खजूर] वह प्रदेश या स्थान जहाँ खजूरों के बहुत से पेड़ हों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजुरिया					 : | स्त्री० [सं० खर्जूरिका] १. छोटे फलों वाली खजूर। २. खजूर नाम की मिठाई। ३. एक प्रकार की ईख।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० खजूर संबंधी। खजूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजुलाना					 : | सं०=खुजलाना। | 
			
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				| खजुली					 : | स्त्री० १. =खुजली। २. =खजूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजुवा					 : | पुं० =खाजा (पकवान)। | 
			
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				| खजूर					 : | स्त्री० [सं० खर्जूर, प्रा. खज्जूर, पा. खज्जूरी, ब०खाजूर, उ. खजुरी, सि० खजूरी] १. ताड़ की तरह का एक पेड़ जो प्रायः रेगिस्तान में होता है और जिसमें बेर के आकार के लंबोतरे मीठे फल लगते हैं। २. उक्त पेड़ का मीठा फल जो खाया जाता है। ३. आटे, घी, शक्कर आदि के संयोग से एक बनने वाली एक प्रकार की मिठाई। | 
			
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				| खजूर छड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खजूर+छड़ी] एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जिसपर खजूर की पत्तियों की तरह की तरह धारी या बेल बनी होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजूरा					 : | पुं० [हिं० खजूर] १. फूस से छाई हुई छत की बँड़ेर जो प्रायः खजूर की होती है। मँगरा। २. कई लड़ो का बँटा हुआ वह डोरा जिसमें स्त्रियाँ चोटी गूँथती हैं। चोटी। ३. दे. ‘कन-खजूरा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खजूरी					 : | वि० [हिं० खजूर] १. खजूर संबंधी। खजूर का। २. आकार-प्रकार के विचार से खजूर की तरह का। ३. तीन लड़ों में गूँथा हुआ। जैसे–खजूरी चोटी। (स्त्रियों की)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजेहजा					 : | पुं०=खजहजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खजोहरा					 : | पुं० [सं० खर्जु, हिं० खाज] एक तरह का रोएँदार छोटा कीड़ा जिसके स्पर्श से खुजली होने लगती है। | 
			
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				| ख-ज्योति (तिस्)					 : | पुं० [ब० स०] खद्योत। जूगनूँ। | 
			
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				| खटंगा					 : | पुं० [खट्वांग] जबलपुर के पास का प्रदेश। कटंग। | 
			
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				| खट					 : | पुं० [अनु०] दो वस्तुओं के टकराने अथवा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से मारने पर होने वाला शब्द। पद-खटसे–(क) खट शब्द करते हुए। (ख) तत्काल। तुरंत। पुं० [सं० खट् (चाहना)+अच्] १. कफ। बलगम। २. वह पुराना और टूटा-फूटा कूँआ। जिसमें जल न रह गया हो। अंधा कुँआ। ३.घूँसा। मुक्का। ४. एक प्रकार की घास जो छप्पर या छाजन बनाने के काम आती है। ५. कुल्हाड़ी। ६. हल। पुं० [सं० षट्] सबेरे के समय गाया जाने वाला एक प्रकार का षाड़व राग। | 
			
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				| खटक					 : | स्त्री० [हिं०] १. खटकने की क्रिया या भाव। २. खटकने वाला तत्त्व या बात। ३. आशंका। खटका। पुं० [सं० √खट्+वुन्-अक] १. घटक। २. आधी खुली मुट्ठी। ३.मुष्टिका। मुट्ठी। | 
			
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				| खटकना					 : | अ० [अनु.] १. दो वस्तुओं के परस्पर टकराने से शब्द उत्पन्न होना। २. (कोई बात मन में) प्रशस्त या भली न जान पड़ने के कारण कुछ कष्टदायक जान पड़ना। खलना। ३.अनिष्ट की आशंका होना। ४. रह-रहकर हलकी पीड़ा होना। ५. आपस में अनबन होना। ६. उचटना। | 
			
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				| खटकरम					 : | पुं० [सं० षट्कर्म्म] तरह-तरह के व्यर्थ के और झंझटो से भरे हुए काम। खटराग। | 
			
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				| खटकरमी					 : | वि० [हिं० खटकरम] इधर-उधर के और व्यर्थ के काम करनेवाला। | 
			
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				| खटका					 : | पुं० [हिं० खट] १. खट से होने वाला शब्द। २. इस प्रकार का कोई शब्द या संकेत होने पर अथवा कोई अनिष्टकारक घटना होने पर मन में होने वाली आशंका और दुश्चिंता। ३. चिंता। फिक्र। ४. वह कमानी, पेंच अथवा ऐसा ही कोई टुकड़ा जिसके घुमाने, दबाने आदि से ‘खट’ शब्द करते हुए कोई काम होता है। (स्विच) जैसे–बन्दूक का खटका, बिजली की बत्ती का खटका। ५. किवाड़े की सिटकनी। ६. पेड़ में बँधा हुआ वह बाँस जिसे खड़खड़ाकर चिड़ियाँ उड़ते हैं। ७. संगीत में, किसी स्वर के उच्चारण के बाद उससे कुछ ही नीचे के स्वर पर होते हुए फिर ऊँचे स्वर की ओर का बढ़ाव जो बहुत कला पूर्ण और सुन्दर होता है। | 
			
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				| खटकाना					 : | स० [हिं० खटकना] १. एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर इस प्रकार आघात करना कि वह खटखट शब्द करने लगे। खटखट शब्द उत्पन्न करना। जैसे–दरवाजा खटकाना। २. किसी के मन में खटका उत्पन्न करना। ३. परस्पर अनबन कराना। | 
			
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				| खटकामुख					 : | पुं० [सं० खटक-आमुख, ष० त०] १. नृत्य में हाथों की एक विशिष्ट मुद्रा। २. बैठकर तीर चलाने का एक प्रकार का आसन या मुद्रा। | 
			
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				| खटकीड़ा (कीरा)					 : | पुं० [हिं० खाट+कीड़ा] खटमल। | 
			
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				| खटखट					 : | स्त्री० [अनु०] १. दो वस्तुओं के बराबर टकराते रहने से होनेवाला शब्द जो प्रायः कर्णकटु हो। २. झंझट। झमेला। ३. आपस में होने वाली कहा-सुनी और लड़ाई-झगड़ा। | 
			
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				| खटखटा					 : | पुं० [अनु.] खेतों में बाँधा हुआ वह बाँस जो पक्षियों को उड़ाने के लिए दूसरे छोटे बाँस से खटखटाया जाता है। खटका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटखटाना					 : | स० [अनु.] किसी प्रकार का आघात करके खटखट शब्द उत्पन्न करना। | 
			
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				| खटखटिया					 : | स्त्री० [खट खट से अनु.] वह खड़ाऊँ, जिसमें खूँटी के स्थान पर रस्सी या फीता आदि लगा रहता है और जिसे पहनकर चलने में खटखट शब्द होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट-खादक					 : | पुं० [ष० त०] १. कौआ। २. गीदड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटना					 : | स० [?] धन उपार्जन करना या कमाना। (पश्चिम)। अ० [?] अधिक तथा कठोर परिश्रम करना। (पूरब)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटपट					 : | स्त्री० [अनु.] १. दो कड़ी वस्तुओं के आपस में टकराने का शब्द। २. दो पक्षों में होने वाली सामान्य अनबन या वैर-विरोध। ३. आपस में होने वाली फूट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटपटिया					 : | वि० [हिं० खटपट] १. लोगों से खटपट करने या लड़ने-झगड़नेवाला। जिसकी दूसरों से न बनती हो। २. दो पक्षों में फूट डालने वाला। पुं० काठ की चट्टी। खटखटिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटपद					 : | पुं०=षट्पद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटपदी					 : | स्त्री०=षट्पदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटपाटी					 : | स्त्री० [हिं० खाट+पाटी] खाट या पलंग की पाटी। मुहावरा–खटपाटी लेना या लगना=रूठकर काम-धन्धा छोड़ देना और चुपचाप कहीं बैठ या लेट जाना। उदाहरण–मैं तोहिं लागि लेब खटपाटी।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटपापड़ी					 : | स्त्री० [देश०] अमली या करमई का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटपूरा					 : | पुं० [हिं० खड्डु+पूरा] खेत की मिट्टी समतल करने की मुँगरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटबारी					 : | स्त्री०=खटपाटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटबुना					 : | पुं० [हिं० खाट+बुनना] वह जो खाट बुनने का काम करता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटभिलावाँ					 : | पुं० [देश०] चिरौंजी का पेड़। पयाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटभेभल					 : | पुं० [देश०] छोटे कद तथा छोटी-छोटी पत्तियोंवाला एक पेड़ जिसमें पीले फूल तथा दानेदार छोटी फलियाँ लगती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटमल					 : | पुं० [हिं० खाट+मल या मल्ल] खाट, चौकी आदि में रहनेवाला मटमैले उन्नाबी रंग का एक प्रसिद्ध कीड़ा जो मनुष्य के शरीर का रक्त अपने डंक द्वारा चूसता है। उड़ुस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटमली					 : | वि० [हिं० खटमल] खटमल के रंग का। गहरे या मटमैले उन्नाबी रंग का। पुं० उक्त आकार का रंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट-मिट्ठा					 : | वि०=खट-मीठा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट-मीठा					 : | वि० [हिं० खट्टा+मीठा] जो खाने में कुछ खट्टा, पर साथ ही मीठा लगता हो। जैसे–खटमीठा फालसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटमुख					 : | पुं०=षट्मुख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटमुत्ता					 : | वि० [हिं० खाट+मूत(=मूत्र)] (बच्चा) जिसे खाट पर ही मूतने की आदत पड़ गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटरस					 : | वि० पुं०=षटरस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटराग					 : | पुं० [सं० षट्राग] १. लड़ाई-झगड़ा। २. झंझट। बखेड़ा। ३.कूड़ा-करकट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटरिया					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का कीड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटलर					 : | पुं० [देश०] सान धरनेवालों का लकड़ी का एक उपकरण या औजार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटला					 : | पुं० [देश०] कान के निचले भाग में किया जाने वाला एक छेद जिसमें आभूषण आदि पहने जाते हैं। पुं० [सं० कलत्र] स्त्री और बाल-बच्चे। परिवार। (महाराष्ट्र) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटवाटी					 : | स्त्री०=खटपाटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाई					 : | स्त्री० [हिं० खट्टा] १. खट्टे होने की अवस्था, गुण या भाव। २. कोई खट्टी वस्तु। जैसे– कच्चा आम, इमली, किसी तरह का आचार आदि। मुहावरा–खटाई में डालना=ऐसी युक्ति या बहाना करना जिससे किसी काम का कुछ दिनों तक बिना पूरा हुए यों ही पड़ा रह जाय। काम लटकाये रखना, उसे ख़तम न करना। विशेष-सुनार लोग गहना बना लेने पर उसे साफ करने के लिए कुछ समय तक खटाई में छोड़ देते है जिससे उनकी मैल कट जाय। और इसी बहाने वे ग्राहक को प्रायः दौड़ाया या लौटाया करते हैं। इसीसे यह मुहावरा बना है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाक					 : | पुं० [अनु.] किसी ऊँचे स्थान पर से काँच, मिट्टी आदि के चीज़ों के जमीन पर गिरकर टूटने का शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाखट					 : | पुं० [अनु.] ‘खटखट’ का शब्द। अव्य. १. खट-खट शब्द के साथ। २. निरंतर या लगातार शब्द करते हुए। ३. चटपट। तुरंत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाना					 : | अ० [हिं० खट्टा] किसी वस्तु में खट्टापन आना। खट्टा होना। अ० [हिं० खट्टा=परिश्रम करना] १. किसी स्थान पर गुजारा या निर्वाह होना। निभना। २. परीक्षा आदि में ठीक या पूरा उतरना। स० किसी को खटने अर्थात् विशेष परिश्रम करने में प्रवृत्त करना। खूब मेहनत कराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटापट					 : | स्त्री०=खटपट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटापटी					 : | स्त्री०=खटपट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाल					 : | पुं० [बँ० कटाल] पूर्णिमा के दिन उठने वाली समुद्र की ऊँची लहर। ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटाव					 : | पुं० [हिं० खटाना] १. खटने या खटाने की क्रिया या भाव। २. गुजर, निर्वाह, निबाह। ३. नाव बाँधने का खूँटा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटास					 : | पुं० [सं० खट्टाश] मुश्क बिलाव। गंध बिलाव। स्त्री० [हिं० खट्टा] १. वह तत्त्व जिसके कारण कोई चीज खट्टी होती है। २. खट्टे होने का गुण या भाव। खट्टापन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटिक					 : | पुं० [सं० खटिक] [स्त्री० खटकिन] एक प्रसिद्ध जाति जो तरकारियाँ फल आदि बेचने का व्यवसाय करती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटिका					 : | स्त्री० [सं० खट+कन्–टाप्, इत्व] १. खड़िया मिट्टी। २. कान का छेद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटिनी					 : | स्त्री० [सं० खट+इनि-डीष्] खड़िया मिट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटिया					 : | स्त्री० [सं० खट्वा] छोटी खाट। चारपाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटी					 : | स्त्री० [सं०√खट्+अच-डीष्]=खटिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटीक					 : | पुं०=खटिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटुली					 : | स्त्री०=खटोली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटेटी					 : | स्त्री० [हिं० खाट+पीठ ?] ऐसी खाली खाट जिसपर बिस्तर न बिछा हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोल					 : | पुं० [देश०]=खटोला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोलना					 : | पुं०=खटोला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोला					 : | पुं० [हिं० खाट+ओला(प्रत्य.)] [स्त्री० अल्पा.खटोली] छोटी खाट या चारपाई। पुं० [?] बुंदेलखंड के उस भाग का नाम जिसमें आजकल दमोह, सागर आदि जिले हैं और जहाँ किसी समय भीलों की बस्ती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्ट					 : | वि० [सं०√खट्ट (छिपाना)+अच्] खट्टा। पुं० [?] एक प्रकार का पीला संगमरमर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टा					 : | वि० [सं० खट्ट, प्रा. खट्ट, बँ. खाटा, उ. खटा, सिं. खटो, गु. खाटू] आम, इमली आदि के से स्वाद वाला। मुहावरा–(जी या मन) खट्टा होना=अप्रसन्न या उदासीन होना। नाराज होना। (किसी से) खट्टा खाना=अप्रसन्न रहना। मुँह फुलाना। खट्टी छाछ से भी जाना=थोड़े लाभ से भी वंचित होना। पुं० एक प्रकार का बड़ा नीबू। पुं० =खाट (चारपाई)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टा-मीठा					 : | वि०=खट-मीठा। पुं० संसार का ऊँच-नीच या दुःख-सुख। जैसे–आप तो सब खट्टा-मीठा चख या देख के बैठे हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टाश (स)					 : | पुं० [सं० खट्ट√अश् (व्याप्ति)+अच्] [स्त्री० खट्टाशी (सी)] बिल्ली की तरह का एक प्रकार का जंगली जंतु जिसका मुँह चूहे की तरह निकला हुआ होता है। (सिवेट-कैट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्टि					 : | स्त्री० [सं०√खट्ट+इन्] अरथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्टिक					 : | वि० [सं० खट्ट+ठन्-इक] वध या हिंसा करनेवाला। पुं० १. बहेलिया। २. कसाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टिका					 : | स्त्री० [सं० खट्ट+कन्+टाप्, इत्व] १. छोटी खाट। २. अरथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टी					 : | स्त्री० [सं० ?] १. खट्टी नारंगी या नीबू। २. गलगल। स्त्री० [हिं० खटना] आय। कमाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टी-मीठी					 : | स्त्री० [हिं० खट्टी+मिठी] एक प्रकार की लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्टू					 : | पुं० [पं. खटना=रुपया पैदा करना] कमानेवाला। कमाऊ। (विपर्याय-निखट्टू)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्वांग					 : | पुं० [सं० खट्वा-अंग, ष० त०] १. चारपाई के अंग; जैसे–पाटी, पावा आदि। २. शिव का एक अस्त्र। ३. प्रायश्चित्त के दिनों में भिक्षा माँगने का एक प्रकार का पात्र। ४. तन्त्र के अनुसार एक प्रकार की मुद्रा जिससे देवता बहुत प्रसन्न होते हैं। ५. साधुओं की वह लकड़ी जिसपर हाथ रखकर वे बैठते हैं। अधारी। टेकनी। ६. राजा दिलीप का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्वांग-धर					 : | पुं० [ष० त०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्वांगी (गिन्)					 : | पुं० [खट्वांग इनि] शिव। | 
			
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				| खट्वा					 : | स्त्री० [सं०√खट्(चाहना)+क्वन्, टाप्] खाट जिसपर सोते हैं। चारपाई। | 
			
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				| खट्वाका					 : | स्त्री० [सं० खट्वा+कन्+टाप्] छोटी खाट। खटिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खट्विका					 : | स्त्री० [सं० खटवा+कन्-टाप्,इत्व] छोटी खाट। खटिया। | 
			
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				| खडंजा					 : | पुं० [हिं.खड़ा+अंग] १. ऊँचाई के बल में बैठाई हुई ईंट। २. उक्त रूप में ईटों की होने वाली जुड़ाई या उससे बनने वाला फर्श। पुं० दे. ‘झाँवाँ’। (क्व)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड					 : | पुं० [सं० खड् (काटना)+अप्] १. धान की पेड़ी। पयाल। २. धान। ३.श्योनाक। सोनापाढ़ा। ४. चाँदी सोने का वह चूर्ण जिससे चीजों पर गिलट चढ़ाते हैं। पुं० खर (घास)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़क					 : | स्त्री०=खटक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़कना					 : | अ० [अनु.] [भाव. खड़खड़ाहट] ‘खड़खड़’ शब्द होना। खटकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़का					 : | पुं० १. =खटका। २. =खरका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़काना					 : | -स०=खटकाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़क्की					 : | स्त्री० [सं० खड़क्√कृ (करना)+ड-ङीप्] खिड़की। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़खड़ा					 : | पुं० [अनु.] १. =खटखटा। २. =खड़खड़िया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़खड़ाना					 : | अ० [हिं० खड़खड़] खड़खड़ शब्द होना। स० खड़खड़ (खटखट) शब्द करना। | 
			
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				| खड़खड़ाहट					 : | स्त्री० [हिं० खड़खड़ान] खड़खड़ शब्द होने की क्रिया, भाव या शब्द। | 
			
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				| खड़खड़िया					 : | स्त्री० [हिं० खड़खड़ाना] १. पालकी जिसे चार कहार उठाते हैं। पीनस। २. काठ का वह ढाँचा जिसमें जोतकर गाड़ी खींचने के लिय घोड़े सुधारे जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ग					 : | पुं० =खड्ग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़गी					 : | वि० [सं० खड्गिन्] जो खड्ग लिये हो। खड्गधारी। पुं० गैंडा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़जी					 : | पुं० =खड़गी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़बड़					 : | स्त्री० [अनु.] १. वस्तुओं को उलटने पलटने के होने वाला शब्द। २. परस्पर होने वाली अनबन या झगड़ा। खटपट। ३. अव्यवस्थित करने वाला बड़ा परिवर्तन। उलट-फेर। ४. हलचल। | 
			
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				| खड़बड़ाना					 : | अ० [अनु.] १. खड़बड़ शब्द होना। २. खड़बड़ या घबराहट में पड़ना। ३. व्यक्ति या व्यक्तियों की ऐसी स्थिति में होना कि वे दृढ़, शान्त या स्थिर न रह सकें। विचलित होना। ४. पदार्थों का क्रम-रहित या तितर-बितर होना। स० १. खड़बड़ शब्द उत्पन्न करना। २. व्यक्ति या व्यक्तियों को ऐसी स्थिति में करना कि वे दृढ़, शान्त या स्थिर न रह सकें। विचलित करना। ३. चीजें अस्त-व्यस्त या तितर-बितर करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़बड़ाहट					 : | स्त्री० [हिं० खड़बड़ाना] खड़बड़ होने या करने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़बड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खड़बड़ाना] १. खड़बड़ करने या होने की अवस्था या भाव। खड़बड़ाहट। २. अस्त-व्यस्तता। व्यतिक्रम। ३. दे.‘खलबली’। | 
			
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				| खड़बिड़ा					 : | वि०=खड़बीहड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़बीहड़					 : | वि० [हिं० खड्ड+बीहड़] १. (प्रदेश या प्रान्त) जो समतल न हो। ऊँचा-नीचा। ऊबड़-खाबड़। २. बेढ़ंगा। ३.विकट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़मंडल					 : | वि० [सं० खंड-मंडल] १. अव्यवस्थितरूप से उलटा-पलटा हुआ। अस्त-व्यस्त। तितर-बितर। २. (वर्ग या समाज) जो क्रमबद्ध या व्यवस्थित न रह गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़सान					 : | पुं०=खरसान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ा					 : | वि० [स० स्थात्, व्रज. ठाढ़ा] [स्त्री० खड़ी] १. जो धरातल से सीधा ऊपर की ओर उठा हो। ऊँचाई के बल में ऊपर की ओर गया हुआ। जैसे–खड़ी फसल। खड़ा मकान। २. (जीव या पशु-पक्षी) जो अपने पैरों के सहारे सीधा करके ऊपर उठा हो। जो झुका, बैठा या लेटा न हो। जैसे– नौकर सामने खड़ा था। पद–खड़े-खड़े=इतनी जल्दी की बैठने तक का अवकाश न हो। जैसे–वे आये और खड़े-खड़े अपना काम निकालकर चल दिये। खड़ी सवारी=किसी के आने-जाने के संबंध में, आदर या व्यंग्य के लिए, चटपट, तुरन्त। जैसे– खड़ी सवारी आई और चली गई। ३. कोई काम करने के लिए उद्यत, तत्पर या कटिबद्ध। जैसे–आप खड़े हो जाएँ तो विवाह के सब काम सहज में निपट जाएँगे। ४. निर्वाचन में चुने जाने के लिए उम्मेदवार के रूप में प्रस्तुत होनेवाला। जैसे–इस क्षेत्र से दस उम्मीदवार खड़े हैं। ५. जो चलते-चलते कहीं पहुँचकर ठहर या रुक गया हो। जैसे–मोटर या गाड़ी खड़ी कर दो। ६. एक स्थान पर जमा या रुका रहनेवाल। जैसे–खड़ा पानी। ७. (अन्न या दाना) जो गला, टूटा या पिसा न हो। पूरा समूचा। जैसे–खड़े चावल। ८. ठीक, पूरा या भरपूर। जैसे–खड़ा जवाब। (देखें)। ९. जो नये रूप में बनकर या यों ही घटनाक्रम अथवा संयोग से उपस्थित या प्राप्त हुआ हो। जैसे–(क) झगड़ा या प्रश्न खड़ा करना। (ख) कोई चीज बेचकर रुपए खड़े करना। १॰. जो किसी प्रकार तैयार करके काम में आने के योग्य बनाया गया हो। जैसे–खेमा खड़ा करना। ११. (ढाँचा) प्रस्तुत करना। बनाना। जैसे–चित्र खड़ा करना, योजना खड़ी करना। १२. बिना बीच में विश्राम किये तत्काल या तुरन्त पूरा किया जानेवाला। जैसे–खड़ा हुकुम। पद-खड़े घाट=(कपड़ों की धुलाई के संबंध में) धोबी से कराई जानेवाली ऐसी धुलाई जो तुरन्त या एकाध दिन के अन्दर ही करा ली जाए। खड़े पाँव=बिना बीच में रुके या बैठे। जैसे–(क) विदेश से आकर खड़े पाँव स्थानीय देवता से दर्शन करने जाना। (ख) कहीं जाना और खड़े पाँव लौट आना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ाऊँ					 : | स्त्री० [सं० काष्ठापादुका, पा.कट्ठापादुका, प्रा.खड़ामुआ, खड़ाउआ, उ.खराउ, बं.खरम, का. खराव, कन्न.कड़ाव, मरा.खड़ावा] काठ की बनी हुई एक प्रकार की प्रसिद्ध पांदुका जिसमें आगे की ओर पैर का अंगूठा और उँगली फँसाने के लिए खूंटी लगी रहती है। | 
			
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				| खड़ाका					 : | पुं० [अनु.] खड़खड़ शब्द। खटका। क्रि.वि० चटपट। तुरन्त। | 
			
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				| खड़ा जवाब					 : | पुं० [हिं० खड़ा+जवाब] कोई ऐसी बात जिसमें स्पष्ट शब्दों में (क) किसी को करारा उत्तर दिया गया हो। अथवा (ख) उसके अनुरोध की रक्षा न कर सकने की अपनी असमर्थता बतलाई गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ा दसरंग					 : | पुं० [देश.] कुश्ती का एक पेंच जिसे हनुमंत बंध भी कहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ानन					 : | पुं०=षडानन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ा पठान					 : | पुं० [देश.] जहाज के पिछले भाग का मस्तूल। (लश.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़िका					 : | स्त्री० [सं० खड+ङीष्+कन्–टाप्, इत्व] खड़िया मिट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़िया					 : | स्त्री० [सं० खटिका] १. एक प्रकार की चिकनी, मुलायम और सफेद मिट्टी। २. उक्त मिट्टी की बनाई हुई डली या बत्तीं जिससे तख्ती आदि पर लिखा जाता है। पद–खड़िया में कोयला=अच्छे से साथ बुरे की मिलावट। स्त्री० [सं० कांड या हिं० खड़ा] अरहर के पेड़ से फलियाँ और पत्तियाँ पीटकर झाड़ लेने के बाद बचा हुआ डंठल। रहठा। खाड़ी। | 
			
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				| खड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खड़िया] खड़िया (मिट्टी)। स्त्री० [हिं० खड़ा] छोटा पहाड़। पहाड़ी। स्त्री० =बारह-खड़ी। वि० [हिं.खड़ा का स्त्रीलिंग रूप] दे ‘खड़ा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी चढ़ाई					 : | स्त्री० [हिं० खड़ी+चढ़ाई] वह भूमि जो थोड़ी ढालुआ होने पर भी बहुत-कुछ सीधी ऊपर की ओर गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी डंकी					 : | स्त्री० [देश.] मालखंभ की एक कसरत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खड़ी तैराकी					 : | स्त्री० [हिं० खड़ी तैराकी] जल में सीधे खड़े होकर पैरों के द्वारा तैरने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी पाई					 : | स्त्री० [हिं०] १. खड़े-बल में सीधी छोटी रेखा। २. इस प्रकार (।) खींची जानेवाली वह रेखा जो लिकते समय किसी वाक्य के समाप्त होने पर लगाई जाती है। पूर्ण विराम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी फसल					 : | स्त्री० [हिं०] खेत की वह उपज या पैदावार जो तैयार हो गई हो परन्तु अभी काटी न गई हो। (स्टैडिंग क्राप) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी बोली					 : | स्त्री० [हिं० खड़ी+बोली] १. मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फर नगर, सहारनपुर, अम्बाला, पटियाला के पूर्वी भागों तथा रामपुर, मुरादाबाद आदि प्रदेशों के आसपास की बोली। २. उक्त बोली का परिष्कृत, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक रूप जिसे आजकल हिन्दी कहा जाता है। ३.नागरी अक्षरों में लिखी हुई उक्त भाषा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी मसकली					 : | स्त्री० [हिं० खड़ा+ अ० मसकला=रेती] सिकली करनेवालों का एक प्रकार का एक औंजार जिससे बरतनों आदि को खुरचकर जिला करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी सवारी					 : | पद दे.खड़ा के अन्तर्गत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ी हुंड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खड़ी+हुंड़ी] ऐसी हुंड़ी जिसके रुपयों का अभी तक भुगतान न हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ुआ					 : | पुं० [हिं० कड़ा] एक प्रकार का कड़ा (आभूषण)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ेघाट					 : | पद दे.खड़ा के अन्तर्गत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़ेपाँव					 : | पद दे.खड़ा के अन्तर्गत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड़्ग					 : | पुं० [सं०√खड्+गन्] १. एक प्रकार की चौड़ी, छोटी तलवार। खाँडा। २. गैंडा नामक जंतु। ३.एक बुद्ध का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ग-कोश					 : | पुं० [ष० त०] म्यान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गधर					 : | पुं [ष० त०]=अड्गधारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गधार					 : | पुं० [सं० खग्ङ्√धृ (धारण)+अण्] बद्रिकाश्रम के पास का एक पर्वत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गधारा					 : | स्त्री० [ष० त०] १. तलवार की धार या फल। २. ऐसा विकट काम जो खड्ग या तलवार पर चलने के समान हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गधारी (रिन्)					 : | पुं० [सं० खड्ग√धृ+णिनि.] वह जो हाथ में खड्ग या तलवार लिये हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ग-पुत्र					 : | पुं० [ष० त०] [स्त्री० अल्पा. खड्गपुत्रिका] एक प्रकार की कटार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ग-बंध					 : | पुं० [ब० स०] चित्र काव्य का एक भेद जिसमें किसी पद्य के शब्द इस ढंग से रखे जाते हैं कि वे खड्ग के चित्र में ठीक से बैठ सकें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ग-लेखा					 : | स्त्री० [ष० त०] तलवारों की पंक्ति या रेखा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ग-हस्त					 : | वि० [ब० स०] १. जो हाथ में खड्ग लेकर लड़ने को तैयार हो। २. हरदम विकट रूप में लड़ने को उद्यत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गाधार					 : | पुं० [खग्ङ्-आधार, ष० त०] खड्गकोश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गारीट					 : | पुं० [सं० खड्ग-अरि, ष० त० खड्गारि√इट् (जाना)+क] १. चमड़े की ढाल। २. तलवार की धार। ३.वह जिसने असिधारा का व्रत लिया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गिक					 : | पुं० [सं० खड्ग+ठन्-इक] १. खड्गधारी। २. शिकारी। ३. कसाई। ४. भैंस का दूध का फेन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्गी (डिगन्)					 : | पुं० [सं० खड्ग+इनि] १. खड्गधारी। २. गैंडा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ड					 : | पुं० [सं० खात, प्रा.खड्डो, सिं. खडा, गु.खाड, पं. खड्ड, म. खड्डा] १. प्राकृतिक रूप से बना हुआ बहुत गहरा गड्डा। जैसे–पहाड़ या मैदान का खड्ड। खोदा हुआ बड़ा गड्ढा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खड्ढा					 : | पुं० १. =खड्ड। २. =गड्ढा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खणक					 : | वि० [सं० खनक] खोदनेवाला। पुं० चूहा। (डिं.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खणनाड़िका					 : | स्त्री० [सं० क्षण-नाडिका] धर्मघड़ी। (डिं.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतंग					 : | पुं० [फा.खडंग] १. एक विशिष्ट प्रकार का तीर। २. तरकश। तूणीर। उदाहरण–तरकस पंच किरयं, तीर प्रति खतंग तीन सय।–चन्द्रबरदाई। ३. दे. ‘खदंग’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] एक प्रकार का कबूतर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खत					 : | पुं० [अ० खत०] १. रेखा। सकीर। २. अक्षर लिखने का ढंग। लिखावट। ३. वह जो कुछ लिखा जाए। लेख। ४. चिट्ठी। पत्र। ५. वह पत्र जिस पर कुछ हिसाब-किताब, लेन-देन आदि लिखा हो। उदाहरण–जनम-जनम के खत जु पुराने, नामहिं लेत फटै रे।–मीराँ। ६. कनपटी और दाढ़ी पर के बाल मुहावरा–खत आना या निकलना | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खत-कश					 : | पुं० [सं० खत+फा. कश] बढ़इयों का लकड़ी पर रेखा खींचने का एक उपकरण या औजार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतकशी					 : | स्त्री० [अ०+फा.] १. चित्रकला में चित्र बनाने के लिए रेखाएँ खींचना। २. खूब बना-बनाकर लिखने का काम या ढंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खत-किताबत					 : | स्त्री० [अ०] १. चिट्ठी-पत्री। पत्र-व्यवहार। पत्रालाप। २. लिखा-पढ़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतखोट					 : | स्त्री० [सं० क्षत+हिं० खुड्ड] क्षत या घाव सूखने पर जमने वाली झिल्ली। खुरंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतना					 : | पुं० [अ० खतना] मुसलमानों की एक रस्म, जिसमें बच्चों के लिंग के अगले भाग का ऊपरी चमड़ा काट दिया जाता है। सुन्नत। मुसलमानी। स० काटना। काटकर अलग करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ० [हिं० खाता] खाते में चढ़ाया जाना या लिखा जाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतम					 : | वि० [अ० खत्म] १. (काम या बात) जो पूरा या पूर्ण हो चुकी हो। जिसमें और कुछ करने को बाकी न रह गया हो। २. जिसका अंत हो चुका हो। जो अस्तित्व में न रह गया हो। मुहावरा–(किसी को) खतम करना–मार डालना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतमा					 : | पुं० [अ० खुतबः] १. प्रशंसा। तारीफ। २. दे. ‘खुतबा’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतमी					 : | स्त्री० [अ०] गुलखैरू की जाति का एक पौधा, जिसकी पत्तियों और फूलों का उपयोग, हकीमी दवाओं में होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतर					 : | पुं०=खतरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतरनाक					 : | वि० [अ०] १. (काम) जो खतरे से भरा हो। जोखिम का। २. जो किसी प्रकार खतरे का कारण बन सकता हो। जैसे–खतरनाक आदमी, खतरनाक बीमारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतरम्मा					 : | पुं० [हिं० खत्री] १. खत्रियों का समाज। २. वह मुहल्ला जिसमें खत्री लोग रहते हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतरा					 : | पुं० [अ० खतरः] १. अनिष्ट, संकट आदि की आशंका या संभावना से युक्ति स्थिति। २. डर। भय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतरेटा					 : | पुं० [हिं० खत्री+एंटा (प्रत्य.)] खत्री। (उपेक्षासूचक शब्द)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खता					 : | पुं० [ अ०] [ वि० खतावार] १. अपराध। कसूर। २. चूक। भूल। ३.धोखा। मुहावरा–खता खाना=धोखे में पड़कर हानि उठाना। खता खिलाना=धोखा देकर किसी की हानि करना। उदाहरण–तीनि बार रुँधे एक दिन में, कबहुँक खता खवाई।–कबीर। पुं० [सं० क्षत] घाव। जखम। स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी। (डिं.)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खताई					 : | पुं० [ अ०] उत्तरी चीन के खता नामक स्थान का बना हुआ कागज जिस पर मध्ययुग में चित्र अंकित होते थे। स्त्री० दे. ‘नान खताई’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खताकार					 : | पुं०=खतावार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतावार					 : | वि० [अ० खता+फा.वार] जिसने कोई भूल, दोष या अपराध किया हो। अपराधी। दोषी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतिया					 : | स्त्री०=खाती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतियाना					 : | स० [हिं.खाता] १. खाते में लिखना या चढ़ाना। २. विभिन्न मदों को विभिन्न खातों में चढ़ाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खतियौनी					 : | स्त्री० [हि. खतियाना] १. वह बही जिसमें विभिन्न मदों के अलग-अलग खाते हों। २. इन अलग-अलग खातों में विभिन्न मदों के विवरण भरने का काम। ३.पटवारी की वह पंजी, जिसमें यह लिखा जाता है कि कौन सा खेत किसकी जोत में है। उस पर कितना लगान है और कितनी वसूली हुयी है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-तिलक					 : | पुं० [ष० त०] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खतीब					 : | पुं० [ अ०] १. किसी बादशाह के सिंहासन पर बैठने के समय खुतबा पढ़नेवाला व्यक्ति। २. इस्लाम अर्थात् मुसलमानी धर्म का उपदेशक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खतौनी					 : | स्त्री० दे. ‘खतियौनी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्ता					 : | पुं० [सं० खात] [स्त्री० खत्री] १. जमीन में किसी कार्य के लिए खोदा हुआ गड्ढा। जैसे–नील या शोरा बनाने का खत्ता। २. गड्ढा। ३.कोठा या बड़ा पात्र जिसमें अन्न या गल्ला रखा जाता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्म					 : | वि०=खतम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्त्र					 : | पुं०=क्षत्रिय। (डिं)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्रवट					 : | स्त्री० [हिं० खत्री+वट (प्रत्यय)] १.खत्री (क्षत्री) होने का भाव। उदाहरण–खत्र बेचिया अनेक खत्रियाँ, खत्रवट थिर राखी खुम्माण।–पृथ्वीराज। २. क्षत्रियधर्म। बहादुरी। वीरता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्रवाट					 : | स्त्री०=खत्रवट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्रिय					 : | पुं०=क्षत्रिय। (डिं.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खत्री					 : | पुं० [सं० क्षत्रिय, प्रा खत्तिय] [स्त्री० खतरानी, भाव.खत्रीपन] १. पंजाब में रहने वाले क्षत्रियों की संज्ञा। ये लोग प्रायः व्यापार करते हैं। २. क्षत्री | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खत्रीवाट					 : | स्त्री०=खत्रवट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदंग					 : | पुं० [फा०] १. एक प्रकार का पेड़ जिसकी लकड़ी के तीर बनाये जाते थे। २. तीर। बाण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदंगी					 : | स्त्री० [फा. खदंग] एक प्रकार का छोटा तीर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद*					 : | पुं० [सं० क्षत=कटा हुआ] मुसलमान (डिं.)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि= खाद्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदखदाना					 : | अ०=खदबदाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदबदाना					 : | अ० [अनु] किसी तर पदार्थ का उबलते समय खद-खद शब्द करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदरा					 : | वि० [सं० क्षुद्र] तुच्छ। निकम्मा। पुं० जोतने आदि के लिए निकाला जानेवाला बछड़ा। पुं० दे.‘खत्ता’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदशा					 : | पुं० [अ० खदशः] १. आशंका। भय। २. शक। संदेह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदान					 : | स्त्री० [हिं खोदना या खान] १. जमीन या पहाड़ खोदने पर बनने वाला गड्ढा। २. दे. ‘खान’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदिका					 : | स्त्री० [सं० ख√दा (देना)+क–टाप्+कन्, इत्व] लावा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदिर					 : | पुं० [सं०√खद् (स्थिर रहना)+किरच्] १. खैर का पेड़। २. कत्था। खैर। ३. इन्द्र। ४. चन्द्रमा। ५. एक प्राचीन ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदिरपत्री					 : | स्त्री० [ब० स० डीष्] लाजवंती या लजाधुर नाम की लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदिर-सार					 : | पुं० [ष० त०] कत्था। खैर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदिरी					 : | स्त्री० [सं० खदिर्+डीष्] १. वराहक्रांता। २. लज्जावंती। नामक लता। छुई-मुई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदी					 : | स्त्री० [देश.] तालों आदि में होनेवाली एक प्रकार की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदीजा					 : | स्त्री० [अ० खदीजः] मुहम्मद साहब की पहली पत्नी, जिसने स्त्रियों में सबसे पहले इस्लाम धर्म ग्रहण किया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदीव					 : | पुं० [फा०] मिस्र के पुराने बादशाहों की उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदुका					 : | पुं० [सं० खादक=अधमर्ण] १. किसी से कर्ज लेकर व्यवसाय करने वाला व्यवसायी। २. ऋणी। कर्जदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदुहा					 : | पुं०=खदुका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदूरवासिनी					 : | स्त्री० [सं० ख-दूर√वस् (बसना)+णिनि–ङीप्] बौद्धों की एक देवी या शक्ति का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खदेड़ना					 : | स० [हिं० खनना] बलपूर्वक अथवा डरा-धमका कर कहीं से भगाना या हटाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खदेरना					 : | स०=खदेड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद्दड़ (र)					 : | पुं० [हिं० खड्डी=करघा] १. आज-कल सीमित अर्थ में, हाथ से काते हुए सूत का हाथ ही से बुना हुआ कपड़ा। २. व्यापक अर्थ में किसी चीज (जैसे–ऊन, रेशम आदि) का हाथ से काते हुए सूत का हाथ से बुना हुआ कपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद्धा					 : | पुं०=गड्ढा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद्योत					 : | पुं० [सं० ख√द्युत् (चमकना)+अच्] १. जुगनूँ। २. सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद्योतक					 : | पुं० [सं० खद्योत√कै (चमकना)+क] १. सूर्य्य। २. जुगनूँ। ३.एक प्रकार का वृक्ष, जिसके फल बहुत जहरीले होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खद्योतन					 : | पुं० [सं० ख√द्युत+णिच्+ल्यु–अन] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खन					 : | पुं० [सं० क्षण] १. समय का बहुत छोटा भाग। क्षण। २. वक्त। समय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) य. क्षण भर में। उसी समय। तत्काल। तुरन्त। उदाहरण–चेरी धाय सुनत खन धाईं।–जायसी। पुं० [?] एक प्रकार का वृक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० दे. ‘खंड’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनक					 : | वि० [सं० खन् (खोदना)+वुन्–अक] कोई चीज विशेषतः जमीन खोदनेवाला। पुं० १. चूहा। २. वह व्यक्ति जो जमीन खोदने का काम करता हो। ३.खान खोदनेवाला मजदूर। ४. सेंध लगाकर चोरी करनेवाला चोर। स्त्री० [अनु.] धातु-खंडों के आपस में टकराने से होनेवाला शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनकना					 : | अ० [हिं० खनक] धातु-खण्डों का आपस में टकराकर खन-खन शब्द करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनकाना					 : | स० [अनु.] धातु-खंडों को इस प्रकार टकराना या हिलाना कि वे खन-कन शब्द करने लगें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनकार					 : | स्त्री० [अनु.] खन-खन शब्द करने या होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनखजूरा					 : | पुं०=कनखजूरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनखना					 : | वि० [अनु.] जिससे ‘खन-खन’ सब्द उत्पन्न हो। पुं० एक प्रकार का झुनझुना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनखनाना					 : | अ० खन-खन शब्द होना। जैसे–हथियारों का खनखनाना। स० खन-खन शब्द उत्पन्न करना। जैसे–हथियार खनखनाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनखाव					 : | पुं० [?] घोड़ों का एक प्रकार का ऐब या दोष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनन					 : | पुं० [सं० खन्√+ल्युट्-अन] जमीन आदि खोदने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनना					 : | स० [सं० खनन] गड्ढा करने के लिए जमीन खोदकर उसमें से मिट्टी निकालना। खोदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनयित्री					 : | स्त्री० [सं०√खन्+णिच्+तृच्+ङीप्] जमीन खोदने का एक उपकरण। खंती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनवाना					 : | स० [हिं० खनना] खनने या खोदने का काम किसी से कराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनहन					 : | वि० [सं० क्षीण और हीन] १. दुबला-पतला। कमजोर। २. कोमल, सुन्दर और सुडौल। ३. अच्छा और ठीक तरह से काम देनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खना					 : | प्रत्य. [हिं० खाना का संक्षिप्त] एक प्रत्यय जो कुछ शब्दों के अंत में लगकर ‘आघात करनेवाला’ का अर्थ देता है। जैसे–कटखना, मर–खना आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनाई					 : | स्त्री० [हिं० खनना] खनने का काम, भाव या मजदूरी। खोदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनिक					 : | पुं० [सं०√खन्+इ+कन्] १. जमीन में सुरंग बनाकर छत्ता लगानेवाली मधुमक्खियों की एक जाति। २. गड्ढा खोदनेवाला व्यक्ति। ३. खान (खदान) का मालिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनिज					 : | वि० [सं० खनि√जन् (उत्पन्न होना)+ड] खान से खोदकर निकाला हुआ। (मिनरल) पुं०=खनिज-पदार्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनिज-पदार्थ					 : | पुं० [कर्म स०] १. वे वस्तुएँ जो खान में से खोदकर निकाली जाती हों। २. धातुओं का वह मूल रूप जिसमें वह खान से निकलती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनिज-विज्ञान					 : | पुं० [कर्म.स०] वह विज्ञान जिसमें खानों का पता लगाने, उनमें से खनिज-पदार्थ निकालने तथा उन पदार्थों के स्वरूप आदि का विवेचन होता है। (मिनरॉलॉजी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनित्र					 : | पुं० [सं०√खन्+इत्र] जमीन खोदने का एक उपकरण। खंता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनियाना					 : | स० [हिं० खान] १. कान खोदना। २. खाली करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनि-वसति					 : | स्त्री० [मध्य. स०] खान में काम करने वाले मजदूरों की बस्ती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनी					 : | वि० [सं० खनिक] १. खोदनेवाला। २. खान में काम करनेवाला। ३. खान में से निकलने वाला। खनिज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खनोना					 : | स० [हिं० खनना] खनना। खोदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खन्ना					 : | पुं० [सं० खनन=काटना से] वह स्थान जहाँ बैठकर पशुओं के लिए चारा काटा जाता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपची					 : | स्त्री० [तु. कमची] १. बाँस की पतली तीली जो प्रायः चटाइयाँ, टोकरियाँ आदि बनाने के काम आती है। २. बाँस की पतली परन्तु अधिक चौड़ी पट्टी जिसे प्रायः डाक्टर लोग किसी टूटी हुई हड्डी को सीधी जोड़ने के लिए किसी अंग में बाँधते हैं। (स्प्लिन्ट) ३. कबाब भूनने की लोहे की सींक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपटा					 : | पुं० [स्त्री अल्पा. खपटी] =खपड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपड़झार					 : | पुं० [हिं० खपड़ा+झारना] किसी ऋतु में पहली बार ऊख पेरने के समय की एक रसम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपड़ा					 : | पुं० [सं० खर्पट प्रा.खप्पट] [स्त्री० खपड़ी] १. कुछ विशिष्ट आकार के पकाये हुए मिट्टी के वे खंड जो प्रायः छप्पर पर इस दृष्टि से बिछाये जाते हैं कि वर्षा का पानी छप्पर में से नीचे न चूए। विशेष–ये दो प्रकार के होते हैं– (क) खपुआ और (ख) नरिया। (देखें) २. मिट्टी के घड़े का निचला भाग, गोल आधा भाग। ३. ठीकरा ४. खप्पर। ५. कछुए की पीठ पर कड़ा आवरण। पुं० [देश०] गेहूँ में लगने वाला एक प्रकार का कीड़ा। पुं० [सं० क्षुरपत्र] चौड़े फल वाला तीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपड़ी					 : | स्त्री० [सं० खर्पर] १. छोटी नाद के आकार का भड़भूँजे का दाना भूँजने का अर्द्ध गोलाकार पात्र। २. उक्त आकार का एक छोटा मिट्टी का बर्तन। स्त्री० =खोपड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपड़ैल					 : | स्त्री० [हिं० खपड़ा] वह छाजन जिस पर खपड़ा बिछा हो। खपड़े से छाई हुई छाजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपत					 : | स्त्री० [हिं० खपना] १. खपने या खपाने की क्रिया या भाव। २. माल की वह बिक्री जो उसे कहीं खपाने के लिए होती है। बिककर माल समाप्त होना। ३. अन्त, नाश या समाप्ति। उदाहरण–रख्खै जु साँइ मिट्टै कवन, निमरव माँहि उतपति खपति।–चन्द्रबरदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपती					 : | स्त्री० [हिं० खपना] =खपत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपना					 : | अ० [सं० क्षय, प्रा० खय] [संज्ञा खपत] १. (अनावश्यक, खराब अथवा फालतू वस्तुओं का) उपयोग या व्यवहार में आना या काम में आना। जैसे–(क) ईटों के टुकड़े भी दीवार में खप गयें।(ख) इन रुपयों में एक खोटा रुपया भी खप जाएगा। २. चीजों का बिककर समाप्त होना। जैसे–दिसावर में माल खपना। ३.गुजर होना। निभना। ४. नष्ट होना। उदाहरण–उपजै, खपै, जोनि फिर आवे।–कबीर। ५. अस्त्र-शस्त्र आदि से काटा या मारा जाना। हत होना। जैसे–लड़ाई में सिपाहियों का खपना। ६. कोई काम करने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करते हुए तंग या परेशान होना। जैसे–दिन भर खपने पर अब यह काम पूरा हुआ है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपरट					 : | पुं० [हिं० खपड़ा] खपड़े का टूटा हुआ हुआ अंश या टुकड़ा। ठीकरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपरा					 : | पुं०=खपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-पराग					 : | पुं० [ष० त०] अंधकार। अँधेरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपरिया					 : | स्त्री० [सं० खर्परी] १. भूरे रंग का एक खनिज पदार्थ या उपधातु जिसे वैद्यक में क्षय, ज्वर, विष कुष्ठ आदि का नाशक माना गया है। २. चने की फसल में लगने वाला एक प्रकार का कीड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपरैल					 : | स्त्री० [हिं० खपड़ा+ऐल (प्रत्य.)] खपड़े से छाई हुई छाजन। खपड़ैल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपली					 : | पुं० [हिं० खपड़ा] पश्चिमी और दक्षिणी भारत में होनेवाला एक प्रकार का गेहूँ, जिसे गोधी या कपली भी कहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपवा					 : | स्त्री० [हिं० खपाना?] पुरानी चाल की एक प्रकार की कटार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपाच					 : | स्त्री० [हिं० खपची] १. रेशम फेरनेवालों का एक औजार जो बाँस की दो खपचियों को बाँधकर बनाया जाता है। २. दे. ‘खपची’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपाची					 : | स्त्री०=खपची।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपाट					 : | पुं० [हिं० खपची] भाथी के मुँह पर लगी हुई वे खपचियाँ जिन्हें खोलने और बंद करने पर चूल्हे या भट्ठी में हवा जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपाना					 : | स० [हिं० खपना का. स०] १. (कोई वस्तु) इस प्रकार उपयोग या व्यवहार में लाना कि वह समाप्त हो जाय। जैसे–इमारत के काम में लकड़ी खपाना। २. माल आदि बेच डालना। ३. अवकाश या गुंजाइश निकालना। जैसे–इस विभाग में दो-तीन आदमी खपाये जा सकते हैं। ४. तंग या परेशान करना। किसी काम या बात के लिए व्यर्थ दिक करना। ५. किसी काम में बहुत अधिक परिश्रम करके अपनी शक्ति या व्यय या ह्वास करना। जैसे–किसी काम में सिर खपाना। ६. नष्ट करना। ७. मार डालना। जैसे–डाकुओं ने यात्रियों को जंगल में ही कहीं खपा दिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपुआ					 : | वि० [हिं० खपना=नष्ट होना] कायर। डरपोक। भगोड़ा। पुं० चूल या छेद में कोई चीज कसकर बैठाने के लिए उसके इधर-उधर ठोंका जानेवाला लकड़ी का टुकड़ा या पच्चड़। पुं० [हिं० खपड़ा] छप्पर छाने का वह खपड़ा जो चिपटा और चौकोर होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खपुर					 : | पुं० [सं० मध्य. स०] १. कभी-कभी आकाश में भ्रमवश दिखाई देने वाला एक गन्धर्व-मंडल, जो कई प्रकार के शुभ और अशुभ फलों का सूचक माना जाता है। २. पुराणानुसार एक आकाशस्थ नगर जो पुलोमा और कालका नाम की दैत्य-कन्याओं के प्रार्थना करने पर ब्रह्मा ने बनाया था। गन्धर्वनगर। ३. राजा हरिशचन्द्र की पुरी जो आकाश में स्थित मानी जाती है। ४. [ख√पृ(पूर्ण करना)+क] सुपारी का पेड़। ५. भद्र-मुस्तक। ६. बघनखा नामक वनस्पति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-पुष्प					 : | पुं० [ष० त०] १. आकाश-कुसुम। २. उक्त की तरह की अनहोनी या असंभव बात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खप्पड़					 : | पुं० १. =खप्पर। २. =खपड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खप्पर					 : | पुं० [सं० खर्पर, प्रा. पं. खप्पर, गु. खापरी, मरा, खापर, उ. खपरा, बँ. खाबरा] १. वह पात्र जो काली की मूर्ति के हाथ में रहता है और जिसके सम्बन्ध में यह कल्पना है कि वह इसी में भरकर शत्रुओं का रक्त पीती थीं। २. दरियाई नारियल का वह आधा भाग या उसके आकार का कोई पात्र जिसमें कुछ विशिष्ट प्रकार के साधु भिक्षा लेते हैं। ३. खोपड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खफकान					 : | पुं० [ अ०] हृदय की धड़कन का रोग। २. पागलपन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खफकानी					 : | वि० [अ०] १. खफकान रोग से पीड़ित। २. पागल। ३. सब्ती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खफगी					 : | स्त्री० [फा०] खफा होने की अवस्था या भाव। अप्रसन्नता। नाराजगी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खफा					 : | वि० [ अ०] १. किसी से अप्रसन्न या संतुष्ट। नाराज। २. जिसे गुस्सा चढ़ा हो। कुद्ध। | 
			
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				| खफीफ					 : | वि० [ अ०] १. मात्रा, मान आदि के विचार से अल्प, थोड़ा या हल्का। जैसे–खफीफ चोट आना। २. बहुत ही साधारण या तुच्छ और फलतः लज्जित। (व्यक्ति के संबंध में, किसी विशिष्ट प्रसंग में) जैसे–किसी को चार आदमियों के सामने खफीफ करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खफीफा					 : | पुं० [अ० खफीफः] वह दीवानी अदालत जिसमें लेन-देन के छोटे-छोटे मुकदमों पर विचार होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खफ्फा					 : | पुं० [देश०] कुश्ती का एक पेंच। | 
			
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				| खबर					 : | स्त्री० [अ०] १. वृत्तान्त। हाल। जैसे–वहाँ पहुँचते ही वहाँ की खबर देना। २. इस प्रकार कहीं भेजा जानेवाला हाल। पैगाम। संदेश। ३. किसी नई घटना या बात की मिलनेवाली सूचना। मुहावरा–खबर उड़ाना=किसी अनोखी या नई बात की जगह-जगह चर्चा होना। ४. नई घटनाएँ या ताजी बातें जो समाचार-पत्रों में छपती हैं। अथवा रेडियो द्वारा प्रसारित की जाती हैं। ५. जानकारी। ज्ञान। जैसे–हमें भी इस बात की खबर है। ६. सुध। होश। जैसे–उसे किसी बात की खबर नहीं रहती। ७. किसी की दशा की ओर जानेवाला ध्यान। मुहावरा–(किसी की) खबर लेना–(क) असहाय, दीन या दुःखी व्यक्ति की ओर (उसका कष्ट दूर करने के लिए) ध्यान देना। (ख) अच्छी तरह दंड देना। (परिहास और व्यंग्य) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरगीर					 : | वि० [अ०+फा०] १. खबर भेजनेवाला। २. देख-रेख करनेवाला। पुं० १. गुप्तचर। जासूस। २. चौकीदार। पहरेदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरगीरी					 : | स्त्री० [फा०] १. किसी की खबर लेते रहने अर्थात् उसकी देख-रेख करते रहने का काम या भाव। २. खबरगीर का काम या पद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खबरदार					 : | वि० [फा०] [भाव० खबरदारी] १. जाननेवाला। परिचित। २. चौकन्ना और सजग। सावधान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरदारी					 : | स्त्री० [फा०] खबरदार अर्थात् चौकन्ने या सजग रहने की अवस्था या भाव। सावधानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरि					 : | स्त्री०=खबर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरिय					 : | स्त्री०=खबर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबरी					 : | पुं० [फा०] खबर या संदेश भेजने या लानेवाला। दूत। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-बाष्प					 : | पुं० [ष० त०] ओस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबीस					 : | पुं० [अ०] [भाव० खबासत, खबीसी] १. दुष्ट, निकृष्ट या बुरे कर्म करनेवाला व्यक्ति। २. कंजस। कृपण। पुं० [सं० कपिश] रंगीन मिट्टी। (बुदेल०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खबीसी					 : | स्त्री० [अ०] खबीस होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खब्त					 : | पुं० [अ०] [वि०खब्ती] १. किसी बात की झक या सनक। जैसे–आज तुम पर यह नया खब्त चढ़ा (या सवार हुआ) है। २. पागलपन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खब्ती					 : | वि० [अ०] १. जिसे किसी बात का खब्त या झक हो। झक्की। सनकी। २. पागल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खब्बर					 : | पुं० [देश०] दूब नाम की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खब्बा					 : | वि० [पं०] १. बायाँ। दाहिने का उल्टा। २. (व्यक्ति) जो बाएँ हाथ से काम-काज करता हो। ३. उलटे रास्ते पर चलनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खब्भड़ा					 : | वि० [हिं० खाभड़] १. बुड्ढा और दुर्बल। २. दुबला-पतला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खभड़ना					 : | स०=खभरना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खभरना					 : | स० [हिं० भरना] १. मिलाना। मिश्रित करना। २. उथल पुथल करना या मचाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खभरुआ					 : | पुं० [हिं० खभरना=मिलना] कुलटा या पुंश्चली स्त्री का पुत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खभार					 : | पुं०=खँभार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खम					 : | पुं० [अ०] १. टेढ़ापन। वक्रता। २. घुमाव या झुकाव। मुहावरा–खम खाना=(क) झुक या दबकर टेढ़ा, होना, दबना या मुड़ना। (ख) किसी के सामने झुकना या दबना। हारना। खम ठोकंना=लड़ने के लिए ताल ठोंकना। पद–खम ठोंककर=(क) लड़ने या सामने करने के लिए ताल ठोंककर। (ख) दृढ़ता या निश्चयपूर्वक। ३. गाने के समय लय में लोच या सौन्दर्य लाने के लिए उसके मोड़ पर क्षण भर के लिए रुकना। वि० झुका हुआ या टेढ़ा। | 
			
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				| खमकना					 : | अ० [अनु०] खम खम शब्द होना। | 
			
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				| खमकाना					 : | स० [अनु०] खम खम शब्द उत्पन्न करना। | 
			
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				| ख-मणि					 : | पुं० [स० त०] सूर्य। | 
			
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				| खमणी					 : | वि०=क्षम (समर्थ)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमदम					 : | पुं० [अ० खम+दम] शक्ति और साहस का सूचक पुरुषार्थ या क्षमता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमदार					 : | वि० [फा०] १. झुका हुआ। टेढ़ा। २. घुँघराला (बाल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-मध्य					 : | पुं० [ष० त०] १. आकाश का ठीक मध्य भाग या बिन्दु। २. सिर के ऊपर का बिन्दु। | 
			
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				| खमसना					 : | अ० [?] किसी में मिल जाना। मिश्रित होना। स० मिश्रित करना। मिलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खमसा					 : | पुं० [अ० खमसः= पाँच संबंधी] १. एक प्रकार की गजल, जिसके प्रत्येक पद्यांश या बंद में पाँच-पाँच चरण होते हैं। २. संगीत में एक प्रकार का ताल जिसमें पाँच आघांत और तीन खाली होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमा					 : | स्त्री०=क्षमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमाल					 : | पुं० [देश०] जंगली खजूर के हरे फल, जो चौपायों को खिलाये जाते हैं। पुं० (अ० हम्माल) जहाज पर माल लादने का काम। लड़ाई। | 
			
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				| खमियाजा					 : | पुं० [फा० खमयाज] १. अँगड़ाई। २. प्राचीन काल का वह दंड जो अपराधी को सिकंजे में कसकर दिया जाता था। ३. दंड के रूप में होने वाला हुरे कामों अथवा भूल-चूक का फलभोग। मुहावरा–खमियाजा उठाना=भूल-चूक का दंड या फल पाना। | 
			
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				| खमीदा					 : | वि० [फा० खमीद्रः] खम खाया हुआ। झुका हुआ। टेढ़ा। | 
			
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				| खमीर					 : | पुं० [अ०] १. गूँधकर कुछ समय तक रखे हुए (गेहूँ, चावल, दाल आदि) आटे की वह स्थिति जब उससे सड़न के कारण कुछ खट्टापन आना आरंभ होता है। (ऐसे आटे की रोटी में एक विशिष्ट प्रकार का स्वाद आ जाता है।) मुहावरा–खमीर बिगड़ना=गूँधे हुए आटे का अधिक सड़ने के कारण बहुत खट्टा हो जाना। २. उक्त प्रकार से थोड़ा सड़ाकर तैयार किया हुआ आटा। ३.कटहल अनन्नास आदि को सड़ाकर तैयार किया हुआ वह पाँस जो पीने का तम्बाकू बनाते समय सुगंधि के लिए उसमें मिलाया जाता है। ४. किसी पदार्थ या व्यक्ति की मूल प्रवृति। जैसे–पाजीपन तो आपके खमीर में ही है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खमीरा					 : | वि० [अ० खमीर] [स्त्री० खमीरी] १. (वस्तु) जिसका या जिसमें खमीर उठाया गया हो। जैसे–खमीरा आटा। २. इस प्रकार उठाये हुए खमीर से बनने वाला (पदार्थ)। जैसे– खमीरी रोटी। ३. जिसमें किसी प्रकार का खमीर मिलाया गया हो। जैसा–खमीरा तमाकू। पुं० चीनी या शीरे में पकाकर बनाया हुआ ओषधियों का अवलेह। जैसे–बनफशे का खमीरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खमीरी					 : | वि० दे० ‘खमीरा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-मीलन					 : | पुं० [सं० ष० त०] तंद्रा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-मूर्ति					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमो					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा सदाबहार पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खमोश					 : | वि० [भाव० खमोशी]=खामोश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खम्माच					 : | स्त्री० [हिं० खंबावती] मालकोस राग की एक रागिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खम्माच कान्हड़ा					 : | पुं० [हिं० खम्माच+कान्हड़ा] संपूर्ण जाति का एक संकर राग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खम्माच टोरी					 : | स्त्री० [हिं० खंभावती+टोरी] संपूर्ण जाति का एक रागिनी जो खंभावती और टोरी के मेल से बनती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खम्माची					 : | स्त्री०=खम्माच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खयंग					 : | पुं०=खंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खया					 : | पुं०=क्षय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खयना					 : | अ० [सं० क्षय] १. क्षीण होना। २. खिसक कर नीचे आना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदाहरण–कच समेटिकर भूज उलटि, खये सीस पट डारि।–बिहारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खया					 : | पुं०=खवा (भुज-मूल)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खयानत					 : | स्त्री० [अ०] १. अमानत या धरोहर को अनधिकारपूर्वक या अनुचित रूप से अपने काम में लाना। २. अमानत या धरोहर में से कुछ अंश निकाल या बदल देना। ३. बेईमानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खयाल					 : | पुं० [ अ०] १. किसी पुरानी अथवा भूली हुई बात की स्मृति। याद। जैसे– न जाने क्यों मुझे आज कई वर्षों बाद अपने मित्र का खयाल आया है। २. मन में उपजने अथवा होनेवाली कोई नई बात। विचार। जैसे– नया खयाल। ३. आदरपूर्ण ध्यान। जैसे– वे उनका बहुत खयाल रखते हैं। ४. मन में होने वाली किसी प्रकार की धारणा या विचार। जैसे– इस बारे में आपका क्या खयाल है। मुहावरा–(किसी को) खयाल में लाना=महत्वपूर्ण समझना। जैसे– आप तो किसी को खयाल में ही नहीं लाते। ५. उदारता या कृपा की दृष्टि। जैसे– इस अनाथ बालक का भी खयाल रखिएगा। ६. किसी राग या रागिनी का वह रूप जो एक विशिष्ट प्राचीन थैली में गाया जाता है। जैसे– केदारे या देश का खयाल। विशेष–(क) यह गायन की गति के विचार से प्रायः दो प्रकार (विलंबित और द्रुत) का होता है। (ख) इस रूप या शैली का प्रचलन ई० १५ वीं शताब्दी के अंत में जौनपुर के सुल्तान हुसैन शर्की ने ध्रुपद के अनुकरण पर और उसके विकसित रूप में किया था। (ग) उसका मुख्य विषय ईश्वर या राग रागिनी के स्वरूप का चिंतन या ध्यान होता है, और इसी लिए इसका नाम ‘खयाल’ पड़ा है। ७. लावनी गाने का एक ढंग या प्रकार। ८. एक प्रकार का लोक नाट्य जो नौटंकी से बहुत कुछ मिलता जुलता होता है। इसमें पात्र प्रायः पद्यबद्ध रचनाओं को गाते हुए वार्तालाप करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खयाली					 : | वि० [फा०] १. खयाल संबंधी। २. केवल खयाल या विचार में रहने या होनेवाला। ३.कल्पित। मुहावरा– खयाली पुलाव पकाना=केवल कल्पना के आधार पर या निराधार मनसूबे बाँधना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरंजा					 : | पुं०=खड़जा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर					 : | पुं० [सं० ख+र] १. गधा। २. खच्चर। ३. कौआ। ४. बगला। नामक जलपक्षी। ५. तृण। ६. यज्ञपात्र रखने की वेदी। ७. सफेद चील। कंक। ८. कुरर पक्षी। ९. सूर्य का एक पार्श्वचर। १०. साठ संवत्सरों में से पचीसवाँ संवत्सर। ११. छप्पय छंद का एक भेद। १२. रावण का एक भाई राक्षस जो पंचवटी में रामचंद्र के हाथों मारा गया था। वि० १. कठोर। कड़ा। सख्त। २. तीक्ष्ण। तेज। ३. घन और स्थूल। भारी और मोटा। ४. अमांगलिक। अशुभ। जैसे– खरमास। ५. तेज धारवाला। ६. तिरछा। ७. कठोर ह्रदय। निष्ठुर। ८. करारा। कुरकुरा। मुहावरा– (घी) खर करना=गरम करके इस प्रकार तपाना कि उसमें का मठा जल जाए। पुं० = खराई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० = खड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [ अ०] गधा। जैसे– खर दिमाग=गधे का सा मस्तिष्क रखनेवाला अर्थात् कूढ़ या मूढ़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरक					 : | पुं० [सं० खड़क=स्थाणु] १. चौपायों आदि को बंद करके रखने का घेरा। बाड़ा। २. पशुओं के चरने का स्थान। चारागाह। स्त्री० १. =खटक। २. =खड़क।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकत्ता					 : | पुं० [देश०] लटोरे की तरह का एक पंक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकना					 : | अ० १. =खटकना। २. =खड़खड़ाना। ३. =खड़कना। (चुपचाप खिसक जाना)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकर					 : | पुं० [ब० स०] सूर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकवट					 : | स्त्री० [देश०] वह पटरी जो करघे में दो खूँटियों पर आड़ी रखी जाती है और जिस पर ताना फैलाकर बुनाई होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरका					 : | पुं० [हिं० खर=तिनका] बाँस आदि के टुकड़े काट और छीलकर बनाया हुआ कड़ा पतला तिनका जो पान आदि में खोसने के काम आता हैं। मुहावरा– खरका करना–भोजन के उपरान्त दाँतों में फँसे हुए अन्न आदि के कण तिनके से खोदकर बाहर निकालना। पुं० =खरक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर-कुटी					 : | स्त्री० [कर्म० स०] नाई की दुकान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरकोण					 : | पुं० [सं० खर√कुण् (शब्द)+अण्] तीतर नामक पक्षी। (डि०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर-कोमल					 : | पुं० [च० त०] जेठ का महीना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरखरा					 : | वि०=खुरखुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरख़शा					 : | पुं० [फा० खर्खशः] १. व्यर्थ अथवा बिना मौके का झगड़ा या बखेड़ा। २. किसी काम या बात के बीच में पड़ने वाली बाधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरखौकी					 : | स्त्री० [हिं० खर+खौकी=खानेवाली] आग जो खर, तृण् आदि खा जाती अर्थात् नष्ट कर डालती है।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरग					 : | पुं०=खड्ग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरगोश					 : | पुं० [फा०] चूहे की तरह का पर उससे बड़ा एक प्रसिद्ध जंतु, जिसके कान लंबे, मुहँ गोल तथा त्वचा नरम और रोएँदार होती है। खरहा। चौगड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरच					 : | पुं० [अ० खर्च] १. धन, वस्तु, शक्ति आदि का होनेवाला उपभोग। जैसे–(क) शहर में रोज हजार मन नमक का खरच है। (ख) इस, काम में दो घंटे खरच हुए। २. धन की वह राशि, जो किसी वस्तु (या वस्तुओं) को क्रय करने में अथवा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय की जाती है। व्यय। जैसे– (क) उनका महीने का खरच ५०० रु. है। (ख) इस पुस्तक पर १० रु. खरच पड़ा है। मुहावरा–खरच उठाना= विवश होकर व्यय का भार सहना। जैसे– उसका सारा खर्च हमें उठाना पड़ता है। खरच चलाना=आवश्यक व्यय के लिए धन देते रहना। जैसे– घर का सारा खरच वहीं चलाते हैं। (किसी को) खरच में डालना=किसी को ऐसी स्थिति में लाना कि उसे विवश होकर खरच करना पड़े। जैसे– तुमने हमें व्यर्थ के खरच में डाल दिया। (रकम का) खरच में पड़ना=व्यय की मदद में लिखा जाना। ३. किसी वस्तु को निर्मित अथवा प्रस्तुत करने में होनेवाला व्यय। लागत। जैसे– इस पुस्तक को प्रकाशित करने में १००० रु. खरच बैठेगा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरचना					 : | स० [फा० खर्च] १. धन का खरच या व्यय करना। २. किसी वस्तु को उपयोग या काम में लाना। बरतना। (क्व.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरचा					 : | पुं० [फा० खर्च] १. खाने, पहनने, खरचने आदि के लिए मिलने वाला धन या वृत्ति। २. दे० ‘खरच’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरची					 : | स्त्री० [हिं० खरच] १. खरच या व्यय में लगनेवाला धन। २. वह धन जो दुश्चरित्रा स्त्रियों को कुकर्म कराने के बदले में (अपना खरच चलाने के लिए) मिलता है। मुहावरा– खरची कमाना=अपने निर्वाह या धनोपार्जन के लिए (स्त्रियों का) कुकर्म कराते फिरना। खरची पर चलना या फिरना=धन कमाने के लिए (स्त्रियों का) प्रसंग या संभोग करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरचीला					 : | वि० [हिं० खरच+ऊला (प्रत्य०)] जो आवश्यक से अधिक अथवा व्यर्थ के कामों में बहुत सा रूपया खरच करता हो। जी खोलकर या बहुत खरच करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरज					 : | पुं० दे० ‘षड़ज’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरजूर					 : | पुं०=खजूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरत (द) नी					 : | स्त्री० [हिं० खराद] खरादने का औजार या उपकरण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरतर					 : | वि० [सं० खर+तरप्] अपेक्षया अधिक उग्र, कठोर या तेज। उदाहरण–असि की धारा से खरतर है ओजो का वह जो अभिमान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरतरगच्छ					 : | पुं० [सं० खरतर√गम् (जाना)+श] जैनियों की एक शाखा या संप्रदाय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरतल					 : | वि० [हिं० खर-तल] १. जो कोई बात साफ और स्पष्ट शब्दों में दूसरे से कह दे। २. उग्र। तीव्र। प्रचंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरतुआ					 : | पुं० [हिं० खर+बत्थुआ] बथुए की एक जाति की एक घास जो आप से आप खेतों में उग आती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर-दंड					 : | पुं० [ब० स०] कमल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरदनी					 : | स्त्री० =खराद। | 
			
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				| खरदा					 : | पुं० [देश०] अंगूर के पौधों में होनेवाला एक रोग। | 
			
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				| खर-दिमाग					 : | वि० [फा०] [भाव० खरदिमागी] गधों की तरह का दिमाग रखनेवाला। बहुत बड़ा मूर्ख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरदुक					 : | पुं० [?] एक प्रकार का पुराना पहनावा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खर-दूषण					 : | पुं० [द्व० स०] १. खर और दूषण नामक राक्षस जो रावण के भाई थे। २. [ब० स०] धतूरा। वि० जिसमें बहुत अधिक दोष और बुराइयाँ हों। | 
			
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				| खरधार					 : | वि० [ब० स०] (अस्त्र) जिसकी धार बहुत तेज हो। | 
			
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				| खरध्वंसी (सिन्)					 : | पुं० [सं० खर√ध्वंस् (नष्ट करना)+णिच्+णिनि] १. खर राक्षस का नाश करनेवाले श्रीरामचन्द्र। २. श्रीकृष्ण। | 
			
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				| खरना					 : | स० [हिं० खरा] १. साफ या स्वच्छ करना। २. ऊन को पानी में उबालकर साफ करना। | 
			
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				| खर-नाद					 : | पुं० [ष० त०] गधे के रोकने का शब्द। | 
			
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				| खरनादिनी					 : | स्त्री० [सं० खर√नद्(शब्द)+णिनि-ङीप्] रेणुका नाम का गंध द्रव्य। | 
			
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				| खरनादी (दिन्)					 : | वि० [सं० खर√नद्+णिनि] जिसकी आवाज या स्वर गधे की तरह का हो। | 
			
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				| खर-नाल					 : | पुं० [ब० स०] कमल। | 
			
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				| खरपत					 : | पुं० [देश०] धोगर नामक वृक्ष। | 
			
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				| खरपा					 : | पुं० [सं० खर्व] चौबगला। | 
			
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				| खरब					 : | पुं० [सं० खर्व] १. संख्या का बारहवाँ स्थान। सौ अरब। २. उक्त स्थान पर पड़नेवाली संख्या। उदाहरण–अरब खरब लौं दरब है, उदय अस्त लौं राज।–तुलसी। | 
			
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				| खरबानक					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का पक्षी। उदाहरण–कै खरबान कसै पिय लागा। जौं घर आवै अबहूँ कागा।–जायसी। | 
			
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				| खरबूजा					 : | पुं० [फा० खर्पज] १. ककड़ी की जाति की एक बेल। २. इस बेल के जो फल गोल, बड़े मीठे और सुगंधित होते हैं। कहा–खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है=एक की देखा-देखी दूसरा भी वैसा ही हो जाता है। | 
			
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				| खरबूजी					 : | वि० [हिं० खरबूजा] खरबूजे के रंग का। पुं० उक्त प्रकार का रंग। | 
			
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				| खरबोजना					 : | पुं० [हिं० खार+बोझना] रंगरेजों का वह घड़ा जिस पर रंग का माट रखकर रंग टपकाते हैं। | 
			
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				| खरब्बा					 : | वि० [हिं० खराब] या बुरे चलनेवाला। बदचलन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरभर					 : | पुं० [अनु०] १. वस्तुओं के हिलने डुलने अथवा आपस में टकराने से होनेवाला शब्द। खड़बड़। २. शोर। रौला। ३.खलबली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खरभरना					 : | अ० [हिं० खरभर] १. क्षुब्ध होना। २. घबराना। स० १. क्षुब्ध करना। २. घबराहट में डालना। | 
			
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				| खरभराना					 : | स० [हिं० खरभर] १. खरभर शब्द करना। २. व्यर्थ शोर या हल्ला करना। अ० स०=खड़बड़ाना। | 
			
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				| खरभरी					 : | स्त्री०=खलबली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खर-मस्त					 : | वि० [फा०] १. गधों की तरह सदा मस्त तथा प्रसन्न रहनेवाला। २. गधों की तरह बिना समझे-बुझे दुष्टता या पाजीपन करनेवाला। | 
			
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				| खर-मस्ती					 : | स्त्री० [फा०] १. खरमस्त होने की अवस्था या भाव। २. हँसी में किया जानेवाला पाजीपन। | 
			
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				| खर-मास					 : | पुं० [कर्म० स०] पूस और चैत के महीने, जिनमें हिंदू कोई शुभ काम नहीं करते हैं। | 
			
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				| खरमिटाव					 : | पुं० [हिं० खराई+मिटाना] जलपान। कलेवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खर-मुख					 : | पुं० [ब० स०] एक राक्षस जिसे केकय देश में भरत जी ने मारा था। वि० १. गधे के से मुखवाला। २. कुरूप। बदसूरत। | 
			
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				| खरल					 : | पुं० [सं० खल] पत्थर, लोहे आदि का वह पात्र जिसमें कोई वस्तु रखकर पत्थर, लकड़ी या लोहे के डन्डे से कूटी या महीन की जाती है। मुहावरा– खरल करना= ओषधि आदि को खरल में डालकर महीन चूर्ण के रूप में लाना। | 
			
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				| खरली					 : | स्त्री० दे० ‘खली’। | 
			
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				| खरवट					 : | स्त्री० [देश०] काठ के दो टुकड़ों का बना हुआ एक तिकोना उपकरण जिसमें कोई वस्तु रखकर रेती जाती हैं। | 
			
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				| खर-वल्ली					 : | स्त्री० [कर्म० स०] आकाश बेल। | 
			
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				| खरवाँस					 : | पुं० =खर-मास। | 
			
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				| खर-वार					 : | पुं० [कर्म० स०] अशुभ या बुरा दिन अथवा वार। | 
			
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				| खर-वारि					 : | पुं० [कर्म० स०] १. वर्षा का जल। २. ओस। ३. कोहरा। | 
			
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				| खर-विद्या					 : | स्त्री० [कर्म० स०] ज्योतिष-विद्या। | 
			
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				| खरशिला					 : | पुं० [कर्म० स०] मंदिर आदि की कुरसी का वह ऊपरी भाग जिसपर सारी इमारत खड़ी रहती है। | 
			
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				| खर-श्वास					 : | पुं० [कर्म० स०] वायु। | 
			
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				| खरस					 : | पुं० [फा० खिर्स] भालू। रीछ। (कलंदरों की बोली) | 
			
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				| खरसा					 : | पुं० [सं० षड्स] एक प्रकार का पकवान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [देश०] १. गरमी के दिन। गीष्म ऋतु। २. अकाल। स्त्री० [देश] एक प्रकार की मछली। पुं० [फा० खारिश] खुजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खरसान					 : | स्त्री० [हिं० खर+सान] एक प्रकार की बढ़िया सान जिस पर हथियार रगड़ने से बहुत अधिक तेज और चमकीले हो जाते हैं। | 
			
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				| खर-सिंधु					 : | पुं० [ब० स०] चंद्रमा। | 
			
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				| खरसुमा					 : | वि० [फा० खर+सुम] (घोड़ा) जिसके सुम अर्थात् खुर गधे के खुरों जैसे बिलकुल खड़े हों। | 
			
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				| खरसैला					 : | वि० [फा० खारिश, हिं० खरसा=खाज] जो खुजली रोग से पीड़ित हो। | 
			
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				| खर-स्तनी					 : | स्त्री० [ब० स० डीष्] पृथिवी। | 
			
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				| खरस्वर					 : | वि० [ब० स०] [स्त्री० खरस्वरी] कठोर या कर्कश स्वरवाला। | 
			
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				| खर-स्वस्तिक					 : | पुं० [कर्म० स०] शीर्ष बिंदु। | 
			
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				| खर-हर					 : | वि० [ब० स०] (राशि) जिसका हर शून्य हो। (गणित) पुं० [देश०] बलूत की जाति का एक पेड़। | 
			
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				| खरहरना					 : | अ० [हिं० खर (तिनका)+हरना] झाड़ देना। झाड़ना। स० [हिं० खरहरा] घोड़े के शरीर पर खरहरा करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरहरा					 : | पुं० [हिं० खरहरना] [स्त्री० अल्पा० खरहरी] १. अरहर, रहठे आदि की डंठलों का बना हुआ झाड़ू। झंखरा। २. एक प्रकार का ब्रुश जिसके दाँते प्रायः धातु के होते हैं, तथा जिससे रगड़कर घोड़े के बदन पर की धूल निकाली जाती है। | 
			
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				| खरहरी					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार का मेवा। (कदाचित् खजूर)। | 
			
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				| खरहा					 : | पुं० [हिं० खर=घास+हा (प्रत्यय)] [स्त्री० खरही] खरगोश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरही					 : | स्त्री० [हिं० खर] (घास या अन्न आदि का) ढेर। राशि। | 
			
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				| खरांडक					 : | पुं० [सं० खर-अंड, ब० स० कप्] शिव के एक अनुचर का नाम। | 
			
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				| खरांशु					 : | पुं० [सं० खर-अंशु, ब० स०] सूर्य। | 
			
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				| खरा					 : | वि० [सं० खर=तीक्ष्ण] [स्त्री० खरी] १. जिसमें किसी प्रकार का खोट या मेल न हो। विशुद्ध। ‘खोटा’ का विपर्याय। जैसे– खरा दूध खरा सोना। २. लेन-देन व्यवहार में ईमानदार, सच्चा और शुद्ध हृदयवाला। जैसे–खरा आसामी। ३. सदा सब बातें सच और साफ कहनेवाला। जैसे–खरा आदमी। मुहावरा–(किसी को) खरी खरी सुनाना=सच्ची और साफ बात दृढ़तापूर्वक कहना। (किसी को) खरी खोटी सुनाना=ठीक या सच्ची बात बतलाते हुए किसी अनुचित आचरण या व्यवहार के लिए फटकारना। ४. जिसमें किसी प्रकार का छल-कपट न हो। जैसे– खरी बात, खरा व्यवहार। ५. बिलकुल ठीक और पूरा। उचित तथा उपयुक्त। जैसे–खरा काम, खरी मजदूरी। ६. (प्राप्य धन) जो मिल गया हो या जिसके मिलने में कोई संदेह न रह गया हो। मुहावरा–रुपये खरे होना=प्राप्य धन मिल जाना या उसके मिलने का निश्चय होना। जैसे– अब हमारे रुपये खरे हो गये। ७. (पदार्थ) जो झुकाने या मोड़ने से टूट जाए। ८. (पकवान) जो तलकर अच्छी तरह सेंक लिया गया हो। करारा। जैसे– खरी पूरी। खरा समोसा। अव्य० १. वस्तुतः। सचमुच। उदाहरण-ऊधौ खरिए जरी हरि के सूलन की। सूर। २. निश्चित रूप से। ठीक या पूरी तरह से। पुं० [सं० खर] तृण ।तिनका। (क्व)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) मुहावरा–खरा सा= तिनका भर। बहुत थोड़ा या जरा सा। उदाहरण-चले मुदित मन डरु खरोसो।–तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खराई					 : | स्त्री० [देश०] सबेरे अधिक देर तक जलपान या भोजन न मिलने के कारण होनेवाले साधारण शारीरिक विकार। जैसे– जुकाम होना, गला बैठना आदि। मुहावरा– खराई मारना=इस उद्देश्य से जलपान करना कि उक्त प्रकार के शारीरिक विकार न होने पावें। स्त्री०=खरापन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खराऊँ					 : | स्त्री०=खड़ाऊँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खराज					 : | पुं०=ख़िराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खराद					 : | पुं० [अ० खर्रात से फा० खर्राद] एक प्रकार का यंत्र जो लकड़ी अथवाधातु की बनी हुई वस्तुओं के बेडौल अंग छीलकर उन्हें सुडौल तथा चिकना बनाता है। मुहावरा– खराद पर उतारना=कोई चीज उक्त यंत्र पर रखकर सुडौल तथा सुन्दर बनाना। खराद पर चढ़ाना=(क) किसी पदार्थ का हर तरह से ठीक, सुन्दर और सुडौल होना। (ख) संसार के ऊँच-नीच देखकर अनुभवी और व्यवहार-कुशल होना। स्त्री० १. खरादने की क्रिया या भाव। २. वह रूप जो किसी चीज को खरादने पर बनता है। ३. बनावट का ढंग। गढ़न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरादना					 : | स० [हिं० खराद] १. कोई चीज खराद पर चढ़ाकर उसे सुन्दर और सुडौल बनाना। २. काट-छाँटकर ठीक और दुरस्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरादी					 : | पुं० [हिं० खराद] वह व्यक्ति जो खरादने का काम करता हो। खरादनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरापन					 : | पुं० [हिं० खरा+पन] १. खरे, अर्थात निर्मल, शुद्ध अथवा निश्छल या स्पष्टवादी होने की अवस्था, गुण या भाव। २. सत्यता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खराब					 : | वि० [ अ०] [भाव० खराबी] १. (वस्तु) किसी प्रकार का विकार होने के कारण जिसका कुछ अंश गल या सड़ गया हो। जैसे–ये फल खराब हो गये हैं। २. (बात या व्यवहार) जो अनुचित अथवा अशिष्ट हो। ३. (व्यक्ति) जिसका चाल-चलन अच्छा न हो। पतित। मर्यादाभ्रष्ट। मुहावरा–(किसी को) खराब करना=किसी का कौमार्य खंडित करना। ४. दुर्दशा-ग्रस्त। जैसे– मुकदमा लड़कर वे खराब हो गये। ५. जो मांगलिक अथवा शुभ न हो। बुरा। जैसे– खराब दिन। | 
			
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				| खराबी					 : | स्त्री० [फा०] १. खराब होने की अवस्था या भाव। २. दोष। ३. दुरवस्था। दुर्दशा। जैसे– तुम्हारा साथ देने के कारण हमें भी खराबी में पड़ना पड़ा। | 
			
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				| खरारि					 : | वि० [सं० खर-अरि, ष० त०] खरों अर्थात् राक्षसों आदि को नष्ट करनेवाला। पुं० १. विष्णु। २. रामचन्द्र। ३. श्रीकृष्ण। ४. बलराम (धेनुष नामक असुर को मारने के कारण) ५. एक प्रकार का छंद जिसमें प्रत्येक चरण में ३२ मात्राएँ होती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरारी					 : | पुं० दे० ‘खरारि’। | 
			
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				| खरालिक					 : | पुं० [सं० खर-आ√ला (लेना)+णिनि+कन्] १. नाई। २. तकिया। ३. लोहे का तीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खराश					 : | स्त्री० [फा०] कोई अंग छिलने अथवा छीले जाने पर अथवा रगड़ खोने पर होनेवाला छोटा या हलका घाव। खरोंच। छिलन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरिक					 : | पुं० [देश०] वह ऊख जो खरीफ की फसल के बाद बोया जाए। पुं०=खरक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरिच					 : | पुं०=खरच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरिया					 : | स्त्री० [हिं० खर+इया (प्रत्य०)] १. रस्सी आदि की बनी हुई जाली जिसमें घास भूसा आदि बाँधा जाता है। २. झोली। स्त्री० [देश०] १. वह लकड़ी जिसकी सहायता से नाँद में नील कसकर भरते या दबाते हैं। २. मानभूम, राँची आदि में रहने वाली जंगली जाति। स्त्री० [हिं० खार=राख] कंड़े की राख। स्त्री० दे० ‘खड़िया’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरियान					 : | पुं०=खलियान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरियाना					 : | स० [हिं० खरिया] झोली में भरना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स०=खलियाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरिहट					 : | स्त्री० [हिं० खर] लकड़ी का वह टुकड़ा जिसमें वह डोरा बँधा रहता है जिससे कुम्हार लोग चाक पर से तैयार की हुई चीज काटकर अलग करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरिहान					 : | पुं०=खलियान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरी					 : | स्त्री० [सं० खर+ङीष्] गधी। स्त्री० [देश०] एक प्रकार का ऊख। स्त्री० =खली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरीक					 : | पुं० [सं, खर] तिनका।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरी जंघ					 : | पुं० [ब० स०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरीता					 : | पुं० [अ० खरीतः] [स्त्री० अल्पा० खरीती] १. थैली। २. जेब। खीसा। ३. बड़ा लिफाफा, विशेषतः वह लिफाफा जिसमें राजाओं के आदेश पत्र आदि भरकर भेजे जाते थे। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीतिया					 : | पुं० [अ० खरीता] मुसलमानी शासन काल का एक प्रकार का कर जो अकबर ने उठा दिया था।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीद					 : | स्त्री० [फा०] १. खरीदने की क्रिया या भाव। क्रय। २. वह जो कुछ खरीदा जाए। जैसे– यह सौ रुपये की खरीद है। ३. वह मूल्य जिसपर कोई वस्तु खरीदी जाए। जैसे– दस रुपये तो इसकी खरीद है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीददार					 : | पुं० [फा०] १. जो कोई वस्तु खरीदता हो। ग्राहक। २. गुणग्राहक। चाहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीदना					 : | स० [फा० खरीदन] मोल लेना। क्रय करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीदार					 : | पुं०=खरीददार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीदारी					 : | स्त्री० [फा०] कोई वस्तु खरीदने की क्रिया या भाव। खरीदने का काम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीफ					 : | स्त्री० [ अ० खरीफ] १. वह फसल जो आषाढ़ से आधे अगहन के बीच में तैयार होती है। जैसे– धान, मकाई, बाजरा, उर्द, मोठ, मूँग आदि। २. आषाढ़ से आधे अगहन तक की अवधि या भोगकाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरीम					 : | स्त्री० [देश] मुरगे की तरह की एक चिड़िया जो प्रायः पानी के किनारे रहती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरील					 : | पुं० [देश०] सिर पर पहनने की एक प्रकार की बेंदी। (गहना)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरी-विषाण					 : | पुं० [सं० ष० त०] ऐसी वस्तु जिसका उसी प्रकार अस्तित्व न हो जिस प्रकार गधी या गधे के सिर पर सींग नहीं होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरु					 : | वि० [सं०√खन् (खोदना)+कु, न्=र्] १. सफेद। २. मूर्ख। ३.निष्ठुर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरे					 : | अव्य.[हिं० खरा] अच्छी तरह। उदाहरण–केहिनर केहि सर राखियो, खरे बढ़े पर पार।–बिहारी। पुं० [हिं० खरा] एक आने प्रति रूपये की दलाली जो साधारणतः उचित और चलित मानी जाती है। (दलाल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरेई					 : | अव्य० [हिं० खरा+ई=ही] १. वस्तुतः। सचमुच। उदाहरण-सूरदास अब धाम देहरी चढ़ न सकत खरेई अमान।–सूर। २. बहुत अधिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरेठ					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का अगहनी धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरेडुआ					 : | पुं० =खरोरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरेरा					 : | पुं० =खरहरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोंच					 : | स्त्री० [सं० क्षरण] १. नख अथवा अन्य किसी नुकीली वस्तु से छिलने से पड़ा हुआ दाग या चिन्ह्र। खराश। २. कुछ विशिष्ट पत्तों को बेसन में लपेटकर तैयार किया हुआ पकौड़ा। पतौड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोंचना					 : | स० [सं० क्षुरण] किसी नुकीली वस्तु से किसी वस्तु को खुरचना या छीलना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोंट					 : | स्त्री०=खरोंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोई					 : | अव्य दे० ‘खरेई’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोच					 : | स्त्री०=खरोंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोचना					 : | स०=खरोंचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरोट					 : | स्त्री०=खरोंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोटना					 : | स०=खरोंचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोरा					 : | पुं०=खँडौरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोरी					 : | स्त्री० [हिं० खड़ा] छकड़े, बैलगाड़ी आदि में दोनों ओर के वे दो-दो खूँटे जिन पर रोक के लिए बाँस बँधे रहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरोश					 : | पुं० [फा०] १. जोर की आवाज। २. कोलाहल। शोर। ३. आवेग या आवेश। जैसे– जोश-खरोश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खरोष्ट्री-खरोष्ठी					 : | स्त्री० [सं० खर-उष्ट्र, मयू० स०, खरोष्ट्र+डीष्] [खर-ओष्ठ, मयू० स० खरोष्ठ+डीष्] भारत की पश्चिमोत्तर सीमा की अशोक कालीन की एक लिपि जो दाहिनें ओर से बाई ओर लिखी जाती थी। गांधार लिपि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरौंट					 : | स्त्री०=खरोंच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरौंटना					 : | स०=खरोंचना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खरौहाँ					 : | वि० [हिं० खारा+औहाँ] जो स्वाद में कुछ-कुछ खारा हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्खोद					 : | पुं० [सं०] एक प्रकार का इंद्रजाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्ग					 : | पुं०=खग्ङ्।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्च					 : | पुं० दे० ‘खरच’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्चना					 : | स०=खरचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्चा					 : | पुं०=खरचा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्ची					 : | स्त्री०=खरची। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्चीला					 : | वि०=खरचीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जन					 : | पुं० [सं०√खर्ज् (खुजलाना)+ल्युट्-अन] १. खुजलाना। २. खुजली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जरा					 : | स्त्री० [सं०√खर्ज्+घञ्, खर्ज√रा (देना)+क-टाप्] सज्जी मिट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जिका					 : | स्त्री० [सं०√खर्ज+ण्युल्-अक, टाप्, इत्व] उपदंश या गरमी नाम का रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जु					 : | स्त्री० [सं०√खर्ज्+उन्] १. खुजली। २. जंगली खजूर। ३.एक प्रकार का कीड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जुघ्न					 : | पुं० [सं० खर्ज्√हन् (नष्ट करना)+ठक्] १. धतूरा। २. आक। ३. चक्रमर्द। चकवँड। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जुर					 : | पुं० [सं०√खर्ज्+उरच्] १. एक प्रकार की खजूर। २. चाँदी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जू					 : | स्त्री० [सं०√खर्ज्+ऊ] १. खुजली। २. एक प्रकार का कीड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जूर					 : | पुं० [सं०√खर्ज्+ऊरच्] १. खजूर नामक वृक्ष। २. इस वृक्ष का फल। ३. चाँदी। ४. हरताल। ५. बिच्छू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जूरक					 : | पुं० [सं० खर्जूर+कन्] बिच्छू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जूर-वेध					 : | पुं० [ष० त०] ज्योतिष में एकार्गल नामक योग जिसमें विवाह कर्म वर्जित है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्जूरी					 : | स्त्री० [सं० खर्जूर+डीष्] खजूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्पर					 : | पुं० [सं०=कर्पर, पृषो. खत्व] १. खप्पर नामक पात्र। २. काली देवी का रुधिर पीने का पात्र। ३. हड्डियों की राख से बनने वाली वह छिद्रिल घरिया जिसमें चाँदी-सोना गलाने पर उसमें मिला हुआ खोट रसकर बाहर निकल जाता है। (क्यूपेल) ४. खोपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्परी					 : | स्त्री० [सं० खर्पर+डीष्] खपरिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्ब					 : | वि० [सं०√खर्ब् (गति)+अच्] १. जिसका कोई अंग कटा या टूटा हो। विकलांग। २. छोटा। लघु। ३. बौना। पुं० [सं०] १. संख्या का बारहवाँ स्थान। सौ अरब। खरब। २. बारहवें स्थान पर पड़नेवाली संख्या।वि० पुं० = खर्व। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खर्बट					 : | पुं० [सं०√खर्ब्+अटन्] पहाड़ पर बसा हुआ गाँव। पहाड़ी बस्ती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्रांट					 : | वि०=खुर्राट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्रा					 : | पुं० [खर खर से अनु०] १. वह बहुत लम्बा पर बहुत कम चौड़ा कागज जिसमें कोई बड़ा हिसाब या विवरण लिखा हो और जो प्रायः मुट्ठे की तरह लपेटकर रखा जाता है। (रोल) २. एक प्रकार का रोग जिसमें पीठ पर फुँसियाँ होती हैं और चमड़ा कड़ा पड़ जाता है। | 
			
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				| खर्राच					 : | वि० [अ०] बहुत खरच करनेवाला। खरचीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्राटा					 : | पुं० [अनु खर खर] सोते समय मुँह के रास्ते से साँस लेने पर होनेवाला खर खर शब्द। विशेष–प्रायः गले या नाक में भरी हुई बलगम से हवा टकराने पर ऐसा शब्द होता है। मुहावरा– खर्राटा भरना, मारना या लेना=पूरी नींद में और बेसुध होकर सोना। | 
			
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				| खर्व					 : | वि० [सं०√खर्व्+अच्] १. खंडित या भग्न अंग वाला। विकलांग। २. छोटा। लघु। ३. नाटा। बौना। ४. तुच्छ। नगण्य। ५. नीच। पुं० १. सौ अरब की अर्थात् बारहवें स्थान की संख्या। २. कुबेर की एक निधि। ३. कूजा नामक वृक्ष। ४. ठिगने कद का व्यक्ति। बौना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खर्विता					 : | स्त्री० [सं०√खर्व्+क्त+टाप्] १. चतुर्दशी से युक्त अमावस्या जो बहुत कम होती है। २. ऐसी तिथि जिसका काल-मान बीती हुई तिथि के काल-मान से कुछ कम हो। | 
			
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				| खर्वीकरण					 : | पुं० [सं० खर्व+च्वि√कृ (करना)+ल्युट्-अन] कम या छोटा करने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| खल					 : | वि० [सं०√खल् (चलना, गिरना)+अच्] [भाव० खलता] १. क्रूर और दुष्टस्वभाव वाला। दुर्जन। पाजी। लुच्चा। २. अधम। नीच। ३. निर्लज्ज। ४. धोखेबाज। ५. चुगुलखोर। पिशुन। पुं० [सं०] १. सूर्य। २. पृथ्वी। ३. जगह। स्थान। ४. खलिहान। ५. तलछट। ६. धतूरा। ७. तमाल वृक्ष। ८. खरल। ९. पत्थर का टुकड़ा या ढ़ोंका। १॰. सुनारों का किटकिना नाम का ठप्पा। पुं० =खरल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलई					 : | स्त्री० =खलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलक					 : | पुं० [सं० ख√ला (लेना)+क+कन्] घड़ा। पुं० [अ० खल्क] १. जगत् या सृष्टि के प्राणी। २. जगत्। संसार। सृष्टि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलकत					 : | स्त्री० [अ०] १. जगत् या संसार के सब लोग। २. जनसमूह। भीड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलखल					 : | स्त्री० [अनु०] १. तरल पदार्थ उँड़ेलने अथवा उबालने पर होने वाला शब्द। २. हँसने आदि में होनेवाला उक्त प्रकार का शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलखलाना					 : | अ० [अनु०] १. खल खल शब्द होना। २. खौलना। स० १. खल खल शब्द उत्पन्न करना। २. उबालना। खौलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खाल+डी (प्रत्य०)] खाल। त्वचा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलता					 : | स्त्री० [सं० खल+तल्-टाप्] खल होने की अवस्था या भाव। दुष्टता। पुं० [हिं० खरीता] एक प्रकार का बड़ा थैला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलत्व					 : | पुं० [सं० खल+त्व] खलता (दे०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलधान					 : | पुं० [सं०√धा (धारण करना)+ल्युट्-अन, खल-धान, ष० त०] खलियान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलना					 : | अ० [सं० खर=तीक्ष्ण] १. अनुचित, अप्रिय या कष्टदायक प्रतीत होना। दूषित या बुरा जान पड़ना। अखरना। २. नेत्रों को भला प्रतीत न होना। ठीक प्रकार से न जँचना या न फबना। खटकना। स० किसी धातु को इस प्रकार खाली अर्थात् पोला करना कि वह झुक या मुड़ न सके। (सोनार) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलनी					 : | स्त्री० [फा० खाली] सोनारों का एक औजार जिस पर रखकर घुंडी आदि बनाई जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलबल					 : | स्त्री० [अनु०] १. शोर। हल्ला। २. कुलबुलाहट। ३. दे० ‘खलबली’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलबलाना					 : | अ० [हिं० खलबल] १. खलबल शब्द करना। २. उबलना। खौलना। ३. कीड़े मकोड़ों का हिलना डोलना। कुलबुलाना। ४. दे० ‘खड़बड़ाना’ । स० १. खलबल शब्द करना। २. खलबली या हलचल उत्पन्न करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलबली					 : | स्त्री० [हिं० खलबल] १. खलबल करने या होने की अवस्था या भाव। जैसे– पेट में खलबली होना। २. घबराहट, भय आदि के कारण भीड़ या जन समूह में मचनेवाली हलचल। ३. क्षोभ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलभलाना					 : | अ० स० =खलबलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खल-मूर्ति					 : | पुं० [ब० स०] पारा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खल-यज्ञ					 : | पुं० [मध्य० स०] प्राचीन काल में खलियान में होनेवाला एक प्रकार का यज्ञ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलल					 : | पुं० [अ०] १. किसी चलते हुए काम में पड़नेवाली बाधा या विघ्न। अड़चन। पद-खलल-दिमाग–मस्तिष्क में होनेवाली विकृति। पागलपन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलसा					 : | स्त्री० [सं० खालिश] एक प्रकार की बड़ी मछली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलहल					 : | पुं०=खलल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=खलबल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलाइत					 : | स्त्री० [हिं० खाल+इत (प्रत्यय)] धौंकनी। भाथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलाई					 : | स्त्री० =खलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलाना					 : | स० [हिं० खाली] १. पात्र आदि में भरी हुई चीज बाहर निकालना। खाली करना। २. किसी को कहीं से बाहर निकालना। ३.घुंडी बनाने के लिए पत्तर की कटोरी इस प्रकार बनाना कि उसका भीतरी भाग खाली रहें। (सुनार) स० [हिं० खाल=गड्ढा] १. जमीन खोदकर गड्ढा बनाना। २. भरी हुई जमीन खोदकर खाली करना। जैसे– कूआँ खलाना। ३. नीचे की ओर इस प्रकार दबाना कि वह खाली जान पड़े। मुहावरा– पेट खलाना= पेट पचकाकर यह सूचित करना कि हम बहुत भूखे हैं, हमें कुछ मिलना चाहिए। स० [हिं० खाल] मरे या मारे हुए पशु की खाल उतारना। जैसे– बकरी या शेर खलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलार					 : | वि० [हिं० खाली] नीचा गहरा। जैसे–खलार भूमि। पुं० आस-पास के तल से नीचा स्थान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलाल					 : | पुं० [अ०] धातु का वह लंम्बा, नुकीला छोटा टुकड़ा जिससे दाँतों में फँसा हुआ अन्न खोदकर निकालते है। वि० [हि० खलास] (ताश के खेल मे) जो पूरी बाजी हार चुका हो। पुं० उक्त प्रकार की हार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलास					 : | वि० [ अ०] १. किसी प्रकार के बंधन से छूटा हुआ। मुक्त। २. जिसके पास या साथ कुछ रह न गया हो। गरीब। दरिद्र। ३. खतम। समाप्त। ४. संभोग से समय जिसका वीर्य-पात हो चुका हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलासी					 : | स्त्री० [हिं० खलास] छुटकारा। मुक्ति। पुं० जहाज पर या रेलों में छोटे-मोटे काम करने वाले मजदूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलि					 : | स्त्री० [सं०√खल् (गति)+इन्] खली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलित					 : | वि० [सं० स्खलित] १. चलायमान। चंचल। डिगा हुआ। २. अपने स्थान से गिरा हुआ या हटा हुआ। ३.जिसका वीर्यपात हो चुका हो। ४. अस्पष्ट या अर्थरहित। (बात)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं०√खल्+क्त] अधम। नीच। पतित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलिन					 : | पुं० [स-लीन, स० त०, पृषो० ह्वस्व] १. घोड़े की लगाम। २. लोहे का वह उपकरण जिसके दोनों ओर लगाम बँधी रहती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलियान					 : | पुं० [सं० खल और स्थान] १. वह समतल भूमि या मैदान जहाँ फसल काटकर रखी, माँडी तथा बरसाई जाती है। २. अव्यवस्थित रूप से लगाया हुआ ढेर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलियाना					 : | स=खलाना (सब अर्थों में)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलिवर्द्धन					 : | पुं० [ष० त०] मसूड़ों का एक रोग जिसमें उनकी जड़ का माँस बढ़ जाता है और पीड़ा होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलिश					 : | पुं० [सं० ख√लिशु (गति या मिलना)+क] खलसा नाम की मछली। स्त्री० [फा०] १. कोई खटकने, गड़ने या चुभनेवाली चीज। काँटा। २. उक्त प्रकार की चीज गड़ने या चुभने से होनेवाली कसक, टीस या पीड़ा। खटक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलिहान					 : | पुं०=खलियान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खली (लिन्)					 : | वि० [सं० खल+इनि] जिसमें तलछट हो। पुं० १. शिव। २. एक प्रकार के दानव जिन्हें वशिष्ट देव ने मारा था। स्त्री० तेलहन का वह अंश जो उसे पीसकर तेल निकालने पर बच रहता और गौओं-भैसों आदि को भूसे में मिलाकर खिलाया जाता हैं। वि० [हिं० खलना] खलने या खटकनेवाला। अनुचित और अप्रिय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलीज					 : | स्त्री० [ अ०] खाड़ी। (भूगोल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलीता					 : | पुं०=खरीता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खलीफा					 : | पुं० [ अ०] १. उत्तरादिकारी। २. मुसलिम राष्ट्र में एक सर्वोच्च पद जिस पर मोहम्मद साहब का उत्तरादिकारी नियुक्त होता था और संसार भर के मुसलमानों का नेता माना जाता था। (कैलिफ) ३. प्रधान अधिकारी। ४. बड़ा, बुड्ढा और मान्य व्यक्ति। ५. मुसलमान, नाइयों, दरजियों आदि का उपनाम। ६. बहुत बड़ा चालाक या धूर्त। खुर्राट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलील					 : | पुं० [अ०] सच्चा दोस्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलु					 : | क्रि० वि० [सं०√खल्+उन्] निश्चयवाचक शब्द। निश्चित रूप से। अवश्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलूरिका					 : | स्त्री० [सं० अव्युत्पन्न] १. वह मैदान जहाँ सैनिक शिक्षा दी जाती हो अथवा जहाँ सैनिक व्यायाम करते हों। २. चाँदमारी का स्थान। | 
			
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				| खलेरा					 : | वि० [अ० खालः=मौसी] जो खाला (मौसी) के संबंध से कुछ लगता हो। मौसेरा। जैसे–खलेरा भाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खलेल					 : | पुं० [हिं० खली+तेल] खली आदि का वह अंश जो फुलेल में रह जाता है और निथारने या छानने पर निकलता है। वि० पु०=खलाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्क					 : | स्त्री० दे० ‘खलक’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खल्कत					 : | स्त्री० =खलकत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खल्ल					 : | पुं० [सं०√खल्+क्विप्,खल्√ला (लेना)+क] १. प्राचीन काल का एक प्रकार का कपड़ा। २. चमड़ा। ३. चमड़े की बनी हुई मशक। ४. चातक पक्षी। ५. औषध को खरल में डालकर घोंटने या पीसने की क्रिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्लड़					 : | पु० [सं० खल्ल, हिं खाल] १. मृत पशु की उतारी हुई खाल। २. चमड़े की मशक या थैला। ३. औषध, मसाले आदि कूटने का खरल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्ला					 : | पुं० [हिं० खाली] १. नृत्य में यह दिखलाने की क्रिया कि हमारा पेट खाली है। २. बिना साफ की हुई खाल से बनाया हुआ जूता। पुं०=खलियान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्लासर					 : | पु० [सं० ?] ज्योतिष में एक प्रकार का योग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्लिका					 : | स्त्री० [सं० खल्ल+कन्-टाप्,इत्व] कड़ाही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्ली					 : | पुं० [सं० खल्ल+ङीष्] एक प्रकार का बात रोग जिसमें हाथ पाँव मुड़ जाते हैं। स्त्री०=खली (तेलहन की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्लीट					 : | पुं० वि०=खल्वाट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्व					 : | पुं० [सं०√खल्+क्विप्,खल्√वा+क] १. सिर के बाल झड़ जाने का एक रोग। गंज। २. एक प्रकार का धान। ३. चना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खल्वाट					 : | पुं० [सं० खल्√वट् (लपेटना)+अण्] वह रोग जिसमें सिर के बाल झड़ जाते हैं। गंज नामक रोग। वि० जिसके सिर के बाल झड़ गये हों। गंजा। | 
			
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				| ख-वल्ली					 : | स्त्री० [सं० त०] आकाशवल्ली (बौंर)। | 
			
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				| खवा					 : | पुं० [सं० स्कन्ध] कंधा। भुजमूल। मुहावरा– खवे से खवा छिलना=इतनी भीड़ होना कि सबको धक्के लगते हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खवाई					 : | स्त्री० [हिं० खाना] १. खाने या खिलाने की क्रिया, भाव या पारितोषिक। स्त्री० [?] नाव में का वह गड्ढा जिसमें मस्तूल खड़ा किया जाता है। | 
			
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				| खवाना					 : | स०=खिलाना (भोजन कराना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खवार					 : | वि०=ख्वार। | 
			
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				| खवास					 : | पुं० [अ०] १. वह खास नौकर जो अंग-रक्षक का काम भी करता हो। २. राजपूताने में, राजाओं की विशिष्ट प्रकार की निजी सेवाएँ करनेवाले सेवकों की जाति या वर्ग। ३. उक्त जाति का वर्ग का कोई व्यक्ति। | 
			
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				| खवासी					 : | स्त्री० [हिं० खवास+ई(प्रत्य०)] १. खवास का काम पद या भाव। २. चाकरी। नौकरी। ३. हाथी के हौदे, गाड़ी आदि में पीछे की ओर का वह स्थान जहाँ खवास बैठता है। ४. अँगिया में बगल की तरफ लगनेवाला जोड़। | 
			
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				| ख-विद्या					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] ज्योतिष विद्या। | 
			
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				| खवी					 : | स्त्री० [फा० खवीद=हरी घास या फसल] एक प्रकार की घास। | 
			
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				| खवैया					 : | पुं० [हिं० खाना+ऐया(प्रत्य०)] बहुत खानेवाला। वि० [हिं० खवाना=खिलाना+ ऐया (प्रत्य०)] खिलाने या भोजन करानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खश					 : | पुं०=खस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खशखाश					 : | पुं० [फा०] पोस्ते का पौधा और उसका बीज। खस-खस। | 
			
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				| खशी (शिन्)					 : | वि० [सं० खश+इनि] पोस्ते के फूल के रंग का। हलका आसमानी। पुं० हलका आसमानी रंग। | 
			
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				| खश्म					 : | पुं० [अ० मि० सं० खष्प] कोप। क्रोध। रोष। | 
			
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				| ख-श्वास					 : | पुं० [ष० त०] वायु। | 
			
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				| खष्प					 : | पुं० [सं०√खन् (खोदना)+प, न=ष] १. हिंसा। २. क्रोध। | 
			
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				| खस					 : | पुं० [सं० ख√सो (नष्ट करना)+क] १. वर्त्तमान गढ़वाल और उसके उत्तरी प्रदेश का पुराना नाम। २. इस प्रदेश में रहनेवाली एक प्राचीन जाति। स्त्री० [फा०] गाँडर नामक घास की जड़े जो सुगंधित हों। और जिसकी टट्टियाँ बनाई जाती है। पद-खस की टट्टी=खस नामक घास की जड़ों की बनाई जानेवाली एक प्रकार की टट्टी या परदा जिसे गरमी के दिनों में दरवाजों पर कमरें ठंडे रखने के लिए लगाते हैं। | 
			
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				| खसकंता					 : | स्त्री० [हिं ० खसकना+अंत (प्रत्य०)] चुपके से खिसक या भाग जाने अथवा कहीं से उठकर चल देने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसकना					 : | अ० [अनु०] १. पाँव तथा चूतड़ के बल बैठे-बैठे धीरे-धीरे किसी की ओर बढ़ना या हटना। २. चुपचाप कहीं से चले जाना या हट जाना। ३. किसी वस्तु का अपने स्थान से कुछ हट जाना। जैसे– खंभा या दीवार खसकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसकवाना					 : | स० [खसकना का प्रे०] १. खसकाने का काम कराना। २. किसी को कोई चीज धीरे से उठा लाने में प्रवृत्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसकाना					 : | स० [हिं० खसकना] १. किसी वस्तु को धीरे-धीरे हटाते हुए उसके स्थान से इधर-उधर करना। २. धीरे से किसी की कोई वस्तु उड़ाकर चलते बनना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसखस					 : | स्त्री० [सं० खसखस ?] पोस्ते का दाना या बीज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसखसा					 : | वि० [हिं० खसखस] खसखस के दानों की तरह का, अर्थात् बहुत छोटा। जैसे– खसखसी दाढ़ी। वि० [अनु०] भुरभुरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसखसी					 : | वि० [हिं० खसखस] खसखस या पोस्ते के दानों के रंग का। कुछ मटमैला सफेद। मोतिया। पुं० उक्त प्रकार का रंग। (पर्ल) | 
			
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				| खस-खाना					 : | पुं० [फा०] खस की टट्टियों से घिरा हुआ कमरा या घर जिसमें बड़े आदमी गरमियों के दिनों में दोपहर के समय रहते हैं। खस-खास | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसतिल					 : | पुं० [सं० खस्√तिल्(चिकना होना)+क] पोस्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसना					 : | अ० [प्रा० कसई=गिरना] १. अपनी जगह से धीरे-धीरे हटना। खिसकना। २. नीचे की ओर आना। गिरना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स० [ अ० खसी=बकरी का बच्चा] १. काट या तोड़कर अलग करना। २. नष्ट करना। उदाहरण–इह तउ बसतु गुपाल की जब भावै लेइ खसि।–कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसनीब					 : | पुं० [?] एक प्रकार का गंधा बिरोजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसबो					 : | स्त्री०=खूशबू।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसम					 : | पुं० [अ०] १. स्त्री का पति। खाविंद। मुहावरा–खसम करना=किसी पर पुरूष से संबंध स्थापित करना। २. मालिक। स्वामी। ३. रहस्य संप्रदाय में, (क) जीव या जीवात्मा। (ख) परमात्मा। वि० [सं० ख=आकाश+सम=समान] आकाश या शून्य के समान सब प्रकार के भावों या विचारों से रहित। (रहस्य संप्रदाय) जैसे– खसम स्वभाव। | 
			
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				| खसरा					 : | पुं० [अ० खसरः] १. पटवारी या लेखपाल का वह कागज जिसमें प्रत्येक खेत का क्षेत्रफल या नाप-जोख आदि लिखी रहती है। २. हिसाब का कच्चा चिट्ठा। पुं० [फा० ख़ारिश] एक प्रकार का संक्रामक रोग जिसमें शरीर पर बहुत छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं और बहुत कष्ट होता है। मसूरिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-सर्प					 : | पुं० [सं० ब० स०] गौतम बुद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसलत					 : | स्त्री० [अ०] आदत। स्वभाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसाना					 : | स० [हिं० खसना] नीचे की ओर ढकेलना या फेंकना। नीचे गिराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसारा					 : | पुं० [अ० खसारः] १. नुकसान। हानि। २. घाटा। टोटा। | 
			
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				| ख़सासत					 : | स्त्री० [अ०] १. खसीस होने की अवस्था या भाव। कंजूसी। २. क्षुद्रता। नीचता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-सिंधु					 : | पुं० [सं० ष० त०] चंद्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसिया					 : | वि० [अ० खस्सी] १. (पशु) जिसके अंडकोश निकाल लिये गये हों। बधिया। २. नपुंसक। पुं०=खस्सी (बकरा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खसियाना					 : | स० [हिं० खसिया] नर पशुओं के अंडकोश निकाल या कूटकर पुंसत्व हीन करना। खसी या बधिया करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खसी					 : | पुं०=खस्सी। वि०=खसिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसीस					 : | वि० [अ०] कंजूस। सूम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खसोट					 : | स्त्री० [हिं० खसोटना] खसोटने की क्रिया या भाव। वि० खसोटनेवाला। (यौ० के अंत में) जैसे– कफन खसोटना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसोटना					 : | स० [सं० कृष्ट] १. झटके से अथवा बलपूर्वक उखाड़ना। नोचना। जैसे– (क) बाल खसोटना। (ख) पत्ते खसोटना। २. बलपूर्वक किसी की चीज छीनना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खसोटा					 : | पुं० [हिं० खसोटना] [स्त्री० खसोटी] १. नोच-खसोट करनेवाला व्यक्ति। २. लुटेरा। ३. कुश्ती का एक पेंच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खसोटी					 : | स्त्री० [हिं० खसोटना] खसोटने की क्रिया या भाव। खसोट। उदाहरण–कफन-खसोटी को करम सबही एक समान।–भारतेन्दु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-स्तनी					 : | स्त्री० [सं० ब० स० ङीष्] पृथिवी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खस्ता					 : | वि० [फा०खस्तः] १. बहुत थोड़ी दाब में टूट जानेवाला। भुरभुरा। २. जो कान में मुलायम तथा कुरकुरा हो। जैसे– खस्ता कचौड़ी, खस्ता पापड़। ३. टूटा-फूटा। भग्न। ४. दुर्दशा-ग्रस्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख-स्वस्तिक					 : | पुं० [उपमि० स०] वह कल्पित बिंदु जो सिर के ठीक ऊपर आकाश में माना जाता है। शीर्षबिंन्दु। पाद-बिंदु, का विपर्याय। (जेनिथ) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खस्सी					 : | पुं० [ अ०] १. बकरा। २. बधिया किया हुआ पशु। ३. नपुंसक। हिजड़ा। वि० बधिया किया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खह					 : | पुं० [सं० खं] आकाश। स्त्री० =खेह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ख-हर					 : | पुं० [ब० स०] गणित में वह राशि जिसका हर शून्य हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खाँ					 : | वि० [फा० ख्वाँ] उच्चारण करने, पढ़ने या बोलनेवाला। पुं० दे० ‘खान’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँई					 : | स्त्री० =खाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खांख					 : | स्त्री० [सं० खं] छेद। सूराख।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँखर					 : | वि० दे० ‘खँखरा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँग					 : | पुं० [सं० खंग्ङ, प्रा० खग्ग] १. काँटा। कंटक। २. कुठ पक्षियों के पैरों में निकलने वाला काँटा। जैसे– तीतर या मुर्गे का काँटा। ३.कुछ विशिष्ट पशुओं के मस्तक पर आगे की ओर सींग की तरह का निकला हुआ अंग। जैसे– गैंडे या जंगली सुअर का खाँग। ४. खुरवाले पशुओं का एक रोग जिसमें उनके खुरो में घाव हो जाता है। खुरपका। स्त्री० [हिं० खाँचना] १. घिसने, छीजने आदि के कारण होनेवाली कमी। छीजन। २. कसर। त्रुटि। उदाहरण-राखौं देह नाथ केहि खाँगौ।–तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँगड़, खाँगड़ा					 : | वि० [हिं० खाँग+ड़(प्रत्य०)] १. जिसके पैर में खाँग रोग हो। २. जिसके मस्तक या मुँह पर खाँग रोग हो। ३.जिसके पास अस्त्र-शस्त्र हों। हथियारबंद। ४. बलिष्ठ या हष्ट-पुष्ट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँगना					 : | अ० [हिं० खाँग] पैर में खाँग (देखें) निकलने के कारण ठीक तरह से चलने में असमर्थ होना। उदाहरण–कहहु सो पीर काह बिनु खाँगा।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँगी					 : | स्त्री० [हिं० खँगना] १. कमी। त्रुटि। २. घाटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँघी					 : | स्त्री० = खाँगी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँच					 : | -स्त्री० [हिं० खाँचना] १. खाँचने की क्रिया या भाव। २. खाँचने के कारण बननेवाला चिन्ह्र या निशान। ३. दो वस्तुओं के बीच का जोड़। संधि। ४. दे० ‘खचन’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =खाँचा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँचना					 : | स० [सं० खचन] [ वि० खँचैया] १. अंकित करना। चिन्ह्र बनाना। खींचना। २. जल्दी-जल्दी घसीटकर और भद्दी तरह से लिखना। ३. चिन्ह्र या निशान लगाना। ४. खचित या अच्छी तरह से युक्त करना। उदाहरण–सूरदास राधिका सयानी रूप रासि रस खाँची।–सूर। ५. दृढ़तापूर्वक कोई प्रतिज्ञा करना या बात कहना। उदाहरण–जानहुँ नहिं कि पैज पिय खाँचो।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँचा					 : | पुं० [हिं० खाँचना] [स्त्री० अल्पा० खँचिया, खाँची] १. किसी चीज में खोदकर बनाया हुआ कुछ गहरा और लंबा निशान। २. पतली टहनी आदि का बना हुआ बड़ा टोकरा। झावा। ३.बड़ा पिंजरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँची					 : | स्त्री० [हिं० खाँचा] छोटा खाँचा। खँचिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँड					 : | स्त्री० [सं० खंड] ऐसी चीनी जो कम साफ होने के कारण बहुत सफेद न हो, बल्कि कुछ लाल रंग की हो। कच्ची चीनी या शक्कर। पुं० =खाँडा। उदाहरण–जाति सूर और खाँडइ सूरा।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँडना					 : | स० [सं० खंड] १. खंड खंड करना। २. खंड-खंड करके अथवा कुचल-कुचलकर खाना। चबाना। ३. दाँतों से काटना। उदाहरण–मेरे इनके बीच परै जनि अधर दसन खाँड़ौगी।–सूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँडर					 : | पुं० [सं० खंड] छोटा टुकड़ा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खांडव					 : | पुं० [सं० खंड+अण्,खांड√वा(गति)+क] १. दिल्ली के आसपास का एक पुराना वन जिसे अर्जुन ने जलाकर मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था। २. खाँड की बनी हुई खाने की चीज। मिठाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खांडव-प्रस्थ					 : | पुं० [ष० त० ] एक गाँव जो पांडवों को धृतराष्ट्र की ओर से मिला था। यहीं पर पांडवों ने इन्द्रप्रस्थ बसाया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खांडविक					 : | पुं० [सं० खांडव+ठञ्-इक] मिठाई बनानेवाला। हलवाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँडा					 : | पुं० [सं० खड्ग, खण्डक, प्रा० खण्डइ, बँ० खाँरा, खांड, मरा० खांडा; पं० खण्डा; गु० खांडु] चौड़े और तिरछे फलवाली एक प्रकार की छोटी तलवार। खड्ग। पुं० [सं० खंड] टुकड़ा। भाग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खांडिक					 : | पुं०=खांडविक (हलवाई)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँडो					 : | पुं० दे० ‘षाड़व’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँदना					 : | स० [सं० स्कंदन] १. दबाना। २. खोदना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँधना					 : | स० [सं० खादन] १. खाना। उदाहरण-नैन नासिका मुश नहीं चोरि दधि कौने खाँधौ।–सूर। २. दे० ‘खाँदना’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँधा					 : | वि० [?] टेढ़ा। तिरछा। (राज०) उदाहरण-खाँधी बाँधे पाघड़ी मधरी चाले चाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँप					 : | स्त्री० १. =फाँक। २. =टुकड़ा। स्त्री० [हिं० खाँपना] खाँपने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँपना					 : | स० [सं० क्षेपन, प्रा० खेपन] १. खोंसना। २. अच्छी तरह बैठाकर लगाना। जड़ना। ३. चारपाई बुनने के समय किसी चीज से ठोककर उसकी बुनावट कसना और घनी करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँभ					 : | पुं०=खंभा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =खाम (लिफाफा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँभना					 : | स० [हिं० खाम] लिफाफे में बंद करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँवाँ					 : | पुं० [सं० स्कंधक] १. गहरी और चौड़ी खाई। २. मिट्टी की चाहरदीवारी। पुं० [?] सफेद फूलोंवाला एक प्रकार का पौधा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँसना					 : | अ० [सं० कासन, प्रा०खाँसन] गले में रुका कफ या और कोई अटकी हुई चीज निकालने या केवल शब्द करने के लिए झटके से वायु कंठ से बाहर निकालना। खाँसी आने या होने का सा शब्द करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाँसी					 : | स्त्री० [सं० कास] १. एक शारीरिक व्यापार जिसमें फेफड़ो से निकलने वाली हवा श्वास नली में रुकने पर सहसा वेगपूर्वक मुँह के रास्ते बाहर निकलने का प्रयत्न करती है। २. इस प्रकार खाँसने से होनेवाला शब्द। ३. एक रोग जिसमें मनुष्य या पशु बराबर खाँसता रहता है। (कफ, उक्त सभी अर्थों में) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाई					 : | स्त्री० [सं० खात, पा० खातो; देप्रा० खाइ आ, पा० खाअ खाइआ, ब० उ० खाइ; सिं० खाही; गु० मरा० खाई] १. वह छोटी नहर जो किले आदि के चारों ओर रक्षा के लिए खोदी जाती थी। २. युद्ध क्षेत्र में खोदे जानेवाले वे लंबे गड्ढे जिनमें छिपकर सैनिक शत्रुओं पर गोली गोलियाँ चलाते हैं। (ट्रेच) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाऊ					 : | वि० [हिं० खा+ऊ (प्रत्यय)] १. बहुत खानेवाला। पेटू। २. अनुचित रूप से दूसरों का धन लेनेवाला। पद-खाऊ बीर=दूसरों का माल हड़प जानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाक					 : | स्त्री० [फा०] १. धूल। मिट्टी। पद-खाक का पुतला=मिट्टी से बना हुआ प्राणी अर्थात् मनुष्य। खाक पत्थर=नगण्य अथवा व्यर्थ का सामान। मुहावरा– (किसी की) खाक उड़ना=कुख्याति या बदनामी होना। (कहीं पर) खाक उड़ना=पूर्ण विनाश हो जाने पर उसके चिन्ह्र दिखाई देना। खाक उड़ाना=(क) व्यर्थ का काम या परिश्रम करना। (ख) व्यर्थ इधर-उधर मारे मारे फिरना। खाक छानना=कुछ ढूँढ़ने के लिए व्यर्थ दूर-दूर के चक्कर लगाना। जैसे– नौकरी के लिए उसने सारे शहर की खाक छान डाली है। (किसी चीज पर) खाक डालना=सदा के लिए वस्तु को उपेक्ष्य या तुच्छ समझकर छोड़ देना अथवा बात को भूला देना। खाक में मिलना= (क) नष्ट या बरबाद करना। (ख) ढह जाना। खाक हो जाना= मिट्टी में मिलकर मिट्टी का रूप धारण कर लेना। २. भस्म। राख। मुहावरा– खाक करना=(क) बिलकुल जला डालना। (ख) नष्ट करना। ३. परम तुच्छ या हीन वस्तु। वि० बहुत ही तुच्छ या हेय। अव्य. कुछ भी नहीं। नाम को भी नहीं। जैसे– पढ़ना-लिखना तो तुम खाक जानते हो। | 
			
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				| खाकरोब					 : | पुं० [फा०] झाड़ू देनेवाला। चमार या मेहतर। | 
			
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				| खाकसार					 : | वि० [फा०] १. खाक, धूल या मिट्टी में मिला हुआ। २. अपने सम्बन्ध में दीनता या नम्रता दिखाते हुए, यह सेवक। अकिंचन। जैसे– खाकसार हाजिर है। पुं० १. मुसलमानों का एक आधुनिक संघठन जो लोक सेवा के लिए बना था। २. उक्त संघठन का सदस्य। | 
			
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				| खाकसारी					 : | स्त्री० [फा०] खाकसार होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| खाकसीर					 : | स्त्री० [फा० खाकशीर] खूबकलाँ नामक औषधि (एक प्रकार का घास का बीज)। | 
			
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				| खाका					 : | पुं० [फा० खाकः] १. रेखाओं आदि द्वारा बनाया हुआ किसी आकृति या चित्र का आरंभिक रूप जिसमें रंग आदि भरे जाने को हो। ढ़ाँचा। २. वह कागज जिसपर उक्त प्रकार का रेखाओं का ढाँचा बना हो। नक्शा। मानचित्र। जैसे– एशिया या हिन्दुस्तान का खाका। मुहावरा–(किसी बात या व्यक्ति का) खाका उड़ाना=उपहास करना। दिल्लगी उडाना। (किसी चीज का) खाका उतारना=किसी चीज की सूरत का नक्शा कागज पर खीचंना। कच्चा नक्शा बनाना। खाका झाड़ना=चित्रकला में एक विशेष प्रक्रिया से किसी चित्र की मुख्य रूप रेखाएँ किसी दूसरे कागज पर ले आना। ३. रेखाओं का ऐसा अंकन जो समय-समय पर होनेवाले उतार-चढ़ावों, परिवर्तनों आदि का सूचक होता है। (ग्राफ) जैसे– बुखार का खाका। ४. किसी पत्र, लेख, विधान आदि का वह आरंभिक रूप जिसमें अभी कई बातें घटाने-बढ़ाने को होती हैं। मसौदा। (ड्राफ्ट) ५.वह कागज जिसमें किसी काम के खर्च का अनुमान से ब्योरा लिखा हो। चिट्ठा। तखमीना। | 
			
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				| खाकान					 : | पुं० [तु०] १. सम्राट। २. चीन के पुराने सम्राटों की उपाधि। | 
			
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				| खाकी					 : | वि० [फा०] १. मिट्टी से संबंध रखनेवाला। मिट्टी का। २. खाक अर्थात् मिट्टी के रंग का। जैसे– खाकी कपड़ा। पद-खाकी अंडा=(क) ऐसा अंड़ा जो अंदर से सड़ गया हो और जिसमें से बच्चा न निकले। गंदा अंड़ा। बयंड़ा। (ख) वर्ण-संकर। दोगला। ३. (भूमि) जिसमें सिंचाई न हुई हो या न होती हो। पुं० १. एक प्रकार के साधु, सारे शरीर में राख लगाये है। २. मुसलमान फकीरों का एक संप्रदाय जो खाकी शाह नामक पीर ने चलाया था। ३. खाकी या भूरे रंग के कपड़ों की वर्दी जैसी पुलिस और सेना के सिपाही पहनते हैं। | 
			
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				| खाख					 : | स्त्री०=खाक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाखरा					 : | पुं० [?] एक तरह का पुराना बाजा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाखस					 : | पुं०=खसखस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाग					 : | पुं० [सं० खड्ग] तलवार। उदाहरण–बैरी बाड़े बासड़ौ सदा खणंकै खाग।–कविराजा सूर्यमल। पुं० दे० ‘खाँग’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खागना					 : | अ० [हिं० खाँग=काँटा] १. चुभना। गड़ना। २. दे०खाँगना। अ० [?] साथ लगना। सटना। स० [?] साथ लगाना। सटाना। | 
			
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				| खागीना					 : | पुं० [फा० खाग] १. अंड़ो की बनी हुई तरकारी या सालन। २. अंड़ा। | 
			
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				| खाज					 : | स्त्री० [सं० खर्जु] १. मनुष्यों को होनेवाला खुजली नामक रोग। २. पशुओं विशेषतः कुत्तों को होनेवाला एक संक्रामक रोग जिसमें उनका सारा शरीर खुजलाते-खुजलाते सड़ जाता है और बाल झड़ जाते हैं। पद-कोढ़ की खाज=हले के कष्ट में आकर मिलने वाला दूसरा बड़ा कष्ट। | 
			
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				| खाजा					 : | पुं० [सं० खाद्य, प्रा० खज्ज] १. पक्षियों आदि का खाद्य पदार्थ। जैसे–बुलबुल का खाजा। २. मनुष्यों का उत्तम खाद्य पदार्थ। ३. एक प्रकार की मिठाई। ४. एक प्रकार का वृक्ष, जिसके फलों की गिनती सूखे मेवों में होती है। ५. उक्त वृक्ष का फल। | 
			
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				| खाजी					 : | स्त्री० दे० ‘खाजा’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाट					 : | स्त्री० [सं० खट्वा, प्रा० खट्टा; सि० खटोलो, खत; पं० खट्ट,बँ० खाटूली; गु० मरा० खाट, खाटला] [स्त्री० अल्पा० खटिया,खटोला] पावों पाटियों आदि का बना हुआ तथा रस्सियों आदि से बुना हुआ एक प्रसिद्ध चौकोर उपकरण जिस पर लोग बिछौना बिछाकर सोते हैं। चारपाई। मुहावरा– (किसी की) खाट कटना=इतना बीमार पड़ना कि उसके मल-मूत्र त्याग के लिए चारपाई की बुनावट काटनी पड़े। खाट पर पड़ना या खाट पर लगना=इस प्रकार बीमार पड़ना कि खाट से उठने योग्य न रह जाए। खाट से उतारना=मरणासन्न व्यक्ति को भूमि पर लेटाना। | 
			
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				| खाटा					 : | वि०=खट्टा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाटिका					 : | स्त्री० [सं०√खट् (चाहना)+इञ्,खाटि+कन्-टाप्] अरथी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाटिन					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का धान जो अगहन में तैयार होता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाटी					 : | स्त्री०=खाटिका। | 
			
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				| खाटो					 : | वि०=खट्टा। | 
			
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				| खाड़					 : | पुं० [सं० खात] गड्ढा। गर्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाड़व					 : | वि० पुं०=षाड़व। | 
			
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				| खाडी					 : | स्त्री० [सं० खात् या हिं० खाड़] १. खड्ड। गड्ढा। गर्त। २. समुद्र का वह अंश या भाग जो तीन ओर स्थल से घिरा हो। उपसागर। (बे) स्त्री० [हिं० खोंह] अरहर का सूखा और बिना फल पत्ते का पेड़। स्त्री० [हि० काढ़ना] किसी चीज में से आखिरी बार निकाला हुआ रंग।(रंगसाज) | 
			
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				| खाडू					 : | पुं० [हिं० खंड या खड़ा] वे लंबी लकड़ियां जो दो दीवारों आदि के ऊपर रखी जाती हैं और जिनके ऊपर खपड़े छाये जाते हैं। | 
			
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				| खाढर					 : | पुं०=खादर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खात					 : | पुं० [सं०√खन् (खोदना)+क्त] १. खोदने का काम। खोदाई। २. खोदी हुई जमीन। गड्ढा.३. वह गड्ढा जिसमें भरकर खाद तैयार की जाती है। ४. तालाब। ५. कुआँ। स्त्री० [?] १. मद्य बनाने के लिए रखा हुआ महुए का ढेर। २. वह स्थान जहाँ मद्य बनाने के लिए उक्त प्रकार से महुआ रखकर सड़ाते हैं। वि० गंदा या मैला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=खाद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खातक					 : | वि० [सं०√खन्+ण्वुल्-अक] खोदनेवाला। पुं० १. छोटा तालाब। २. खाई। ३. अधमर्ण। ऋणी। कर्जदार। | 
			
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				| खातमा					 : | पुं० [फा० खात्मः] १. ‘खत्म’ होने की अवस्था या भाव। अंत। समाप्ति। २. मृत्यु। | 
			
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				| खात-व्यवहार					 : | पुं० [ष० त०] गणित का वह विभाग जिसमें गड्ढे तालाब आदि के क्षेत्रफल निकालने की क्रियाएँ होती हैं। | 
			
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				| खाता					 : | पुं० [हिं० खत या सं० क्षत्र=शासन] १. किसी कार्य विभाग व्यक्ति आदि के आय-व्यय या लेन-देन का लेखा। २. वह बही जिसमें विभिन्न व्यक्तियों आदि से होनेवाले लेन-देन का ब्यौरेवार हिसाब लिखा जाता हैं। मुहावरा– खाता खोलना=बही में किसी का नाम चढ़ावाकर उसके साथ होनेवाले लेन-देन का हिसाब शुरू करना। पद-खाते बाकी=वह रकम जो खाते में किसी के नाम बाकी निकलती हो। ३. मद। विभाग। जैसे–खर्च खाता, धर्म-खाता, माल खाता। पुं० [सं० खात] अन्न रखने का गड्ढा। बखार। | 
			
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				| खात					 : | स्त्री० [सं०√खन्+क्तिन्] खोदाई। | 
			
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				| खातिब					 : | स्त्री० [हिं० खाना, फा० रातिब का अनु०] उतना भोजन जितना कोई एक बार में खाता हो। | 
			
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				| खातिर					 : | स्त्री० [अ०] १. आव-भगत। सत्कार। २. आदर। सम्मान। अव्य० वास्ते। लिए। | 
			
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				| खातिरखाह					 : | वि० [फा० ] जितना या जैसा चाहिए, उतना या वैसा। यथेष्ट। क्रि० वि० मनोनुकूल। संतोषजनक रूप में। | 
			
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				| खातिरजमा					 : | स्त्री० [अ०] तसल्ली। संतोष। क्रि० प्र०-रखना। | 
			
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				| खातिरदारी					 : | स्त्री० [फा०] खातिर अर्थात् आदर-सम्मान करने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| खातिरी					 : | स्त्री० [फा० खातिर] १. खातिरदारी। आव-भगत। २. इतमीनान। तसल्ली। स्त्री० [हिं० खाद] हाथ से सींचकर और खाद की सहायता से उपजाई जाने वाली फसल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाती					 : | स्त्री० [सं० खात] १. खोदी हुई भूमि। गड्ढा। २. छोटा तालाब। पुं० १. जमीन खोदने का काम करने वाला मजदूर। २. बढ़ई। स्त्री० [सं० घात] वैर। शत्रुता। उदाहरण-कान्ह कै बल मो सों करी खाती।–नन्ददास। | 
			
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				| खातून					 : | स्त्री० [तु०] तुर्की भाषा में भले घर की स्त्रियों का संबोधन। बीबी। श्रीमती। | 
			
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				| खातेदार					 : | पुं० [हिं० खाता+फा० दार] वह खेतिहर जिसके नाम पटवारी के खाते में कोई जमीन जोतने बोने के लिए चढ़ी हो। (टेन्योर होल्डर) | 
			
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				| खात्मा					 : | पुं०=खातमा। | 
			
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				| खाद					 : | पुं० [सं०√खाद (खाना)+घञ्] खाना। भक्षण। स्त्री० [सं० खात, खात्र या खाद्य] १. सड़ाया हुआ गोबर, पत्ते आदि जो खेत को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें डाले जाते हैं। २. रासायनिक प्रक्रिया से तैयार की हई और खेतों में छोड़ी जानेवाली कोई ऐसी चीज जो उसकी उपज बढ़ायें। (मैन्योर) क्रि० प्र०-डालना। देना। वि० [सं० खाद्य] (पदार्थ) जो खाने के योग्य हो। | 
			
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				| खादक					 : | वि० [सं०√खाद्+ण्वुल्-अक] १ खानेवाला। भक्षण। २. ऋणी। पुं० किसी धातु का वह भस्म जो खाया जाता हो। (वैद्यक) | 
			
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				| खादन					 : | पुं० [सं०√खाद्+ल्युट्-अन] [ वि०खादित, खाद्य] १. खाने की क्रिया या भाव। भक्षण। २. दाँत। | 
			
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				| खादनीय					 : | वि० [सं०√खाद्+अनीयर] जो खाया जाने को हो अथवा खाने के योग्य हो। खाद्य। | 
			
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				| खादर					 : | पुं० [हिं० खाड़] १. नदी के पास की वह नीची भूमि जो बाढ़ आने पर डूब जाती है। कछार। तराई। २. गढ़ा। ३. चरागाह। मुहावरा–खादर लगना=पशुओं के चरने के लिए खेत में घास उगना। | 
			
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				| खादि					 : | पुं० [सं०√खाद्+इन्] १. भक्ष्य। खाद्य। २. कवच। ३. दस्ताना। स्त्री० १. उँगलियों में पहने जाने वाली अँगूठी। २. हाथों में पहना जाने वाला कड़ा। कंगन। स्त्री० [सं० छिद्र] दोष। ऐब। | 
			
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				| खादित					 : | भू० कृ० [सं०√खाद्+क्त] खाया हुआ। भक्षित। | 
			
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				| खादिम					 : | पुं० [अ०] १. वह जो खिदमत या सेवा करता हो। सेवक। २. मुसलमानों में दरगाह का अधिकारी और रक्षक। | 
			
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				| खादिर					 : | पुं० [सं० खादिर+अण्] कत्था। खैर। | 
			
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				| खादिरसाह					 : | पुं०=खादिर। | 
			
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				| खादी (दिन्)					 : | वि० [सं०√खाद्+णिनि] १. खानेवाला। भक्षक। २. रक्षक। ३. कँटीला। वि० [हिं० खादि=दोष] १. दोष निकालने वाला। छिद्रान्वेषी। २. दोषों से भरा हुआ। स्त्री० दे० ‘खद्दड़’। | 
			
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				| खादुक					 : | वि० [सं०√खाद्+उकञ्] किसी को कष्ट देने अथवा हानि पहुँचानेवाला। हिंसक। | 
			
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				| खाद्य					 : | वि० [सं०√खाद्+ण्यत्] जो खाया जाने को हो या खाये जाने के योग्य हो। भक्ष्य। भोज्य। (एडिबुल) पुं० १. खाये जाने वाले पदार्थ। जैसे–अन्न, फल आदि। २. भोजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खाद्य-अनुभाजन					 : | पुं० [ष० त०] खाने की चीजों विशेषतः अनाज आदि से संबंध रखनेवाला अनुभाजन। (फूड रैशनिंग) | 
			
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				| खाद्यान्न					 : | पुं० [सं० खाद्य-अन्न, कर्म० स०] वे अन्न जो खाने के काम आते हों। जैसे– गेहूँ, चना, जौ, मटर आदि। (फूडग्रेन्स) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाद्र					 : | पुं० [सं० खात] गड्ढा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाव					 : | वि०=खाद्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० =खाद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाधु*					 : | पुं० [सं० खाद्य] १. खाद्य पदार्थ। २. खाद्यान्न।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाधुक					 : | वि० [सं० खादुक<खाधुक] खानेवाला। उदाहरण-कहेसि पंखि खाधुक मानवा।–जायसी। पुं०=खाधु (खाद्यान्न)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाधू					 : | वि० पुं०=खाधुक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खान					 : | स्त्री० [सं० खानिः, प्रा० खाणी; बं० खानी; सिं० खाणी; का० खाण; गु० मरा० खाण] १. जमीन के अंदर खोदा हुआ वह बहुत बड़ा तथा गहरा गड्ढा, जिसमें से कोयला, चाँदी,ताँबा सोना आदि खनिज पदार्थ आदि निकाले जाते हैं। आकर। खदान। (माइन) २. वह स्थान, जहाँ कोई वस्तु अधिकता से होती है। किसी चीज या बात का बहुत बड़ा आगार। जैसे– यह पुस्तक अनेक ज्ञातव्य विषयों की खान है। ३.खजाना। भंडार। पुं० [हिं० खाना] १. खाने की क्रिया या भाव। जैसे– खान-पान। २. खाद्य-सामग्री। भोजन। पुं० [तु० खान] [स्त्री० खानम] १. तुर्की के पुराने राजाओं या सरदारों की उपाधि। स्वामी। २. सरदार। ३.मालिक। स्त्री० [फा० खाना] कोल्हू का वह छेद जिसमें ऊख की गँडेरियाँ या तेलहन भरकर पेरते हैं। खौं। घर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानक					 : | पुं० [सं० खन् (खोदना)+ण्युल्-अक] १. खान, जमीन या मिट्टी खोदनेवाला मजदूर। २. मकान बनानेवाला कारीगर या मिस्त्री। राज। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानकाह					 : | स्त्री० [ अ०] मुसलमान, फकीरों, साधुओं अथवा धर्म-प्रचारकों के ठहरने या रहने का स्थान। दरगाह। मठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानखानाँ					 : | पुं० [फा० खानेखानान] सरदारों का सरदार। बहुत बड़ा सरदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानखाह					 : | क्रि० वि० दे० ‘खाहमखाह’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानगाह					 : | स्त्री०=खानकाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानगी					 : | वि० [फा०] १. अपने घर या गृहस्थी से संबंध रखनेवाला। घरू। घरेलू। २. आपस का। निजी। स्त्री० केवल व्यभिचार के द्वारा धन कमानेवाली वेश्या। कसबी। | 
			
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				| खानजादा					 : | पुं० [फा०] [स्त्री० खानजादी] बहुत बड़े खान या सरदार का लड़का। २. एक प्रकार के क्षत्रिय, जिनके पूर्वज मुसलमान हो गये थे। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानदान					 : | पुं० [फा०] [वि० खानदानी] कुल। घराना। वंश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानदानी					 : | १. अच्छे और ऊँचे खानदान अर्थात् कुल या वश का (व्यक्ति)। २. (काम या पेशा) जो किसी खानदान या कुल में बहुत दिनों से होता आया हो। पुश्तैनी। पैतृक। ३.(धन-सम्पत्ति) जो पूर्वजों के समय से अधिकार में हो। जैसे–खानदानी मकान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानदेश					 : | पुं० [खाँद=जंगली जाति+देश] बंबई राज्य का एक प्रदेश, जो सतपुड़ा की पर्वतमाला के दक्षिण में पड़ता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खान-पान					 : | पुं० [हिं० खाना+पीना] १. खाने या पीने की क्रिया भाव या प्रकार। २. खाने-पीने का ढंग या रीति रिवाज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानम					 : | स्त्री० [तु० खान का स्त्री] १. खान या सरदार की पत्नी। २. ऊँचे कुल की महिला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानसामा					 : | पुं० [फा०] वह नौकर जो खाने की सामग्री का प्रबंध करता हो। खाना बनाने वाला, रसोइया (मुसल०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाना					 : | स० [सं० खादन, प्रा० खाअन, खान] [प्रे० खिलाना] १. पेट भरने के लिए मुँह में कोई खाद्यवस्तु रखकर उसे चबाना और निगल जाना। भोजन करना। जैसे– रोटी खाना। पद-खाना-कमाना=काम-धंधा करके जीवनयापन या निर्वाह करना। मुहावरा– खा-पका जाना या खा डालना=धन या पूँजी खर्च कर डालना। (किसी को) खाना न पचना-आराम या चैन न पड़ना। जैसे–बिना मन की बात कहें इस लड़के का खाना नहीं पचता। २. हिंसक जन्तुओं का शिकार पकड़ना और भक्षण करना। जैसे– उस बकरी को शेर खा गया। मुहावरा–खा जाना या कच्चा खा जाना=मार डालना। प्राण ले लेना। जैसे– जी चाहता है कि इसे कच्चा खा जाऊँ। खाने दौड़ना-बहुत अधिक कुद्र होकर ऐसी मुद्रा बनाना कि मानो खा जाने को तैयार हो। ३. विषैले कीड़ों का काटना। डसना। ४. लाक्षणिक अर्थ में (क) किसी से रिश्वत लेना। जैसे–आजकल दफ्तरों में बाबू लोग खूब खाते हैं। (ख) किसी का धन या पूँजी हड़प जाना। जैसे–यारों ने बुढिया को खा डाला है। ५. न रहने देना। कष्ट या बरबाद करना। ६. तंग या परेशान करना। जैसे– कान, दिमाग या सिर खाना। ७. अपने आप में अन्तर्भुक्त करना। जैसे– लोटा पाँच सेर घी खा गया। ८. आघात, प्रहार, वेग आदि सहन करना। जैसे– गम, गाली, धक्का या मार खाना। मुहावरा– मुँह की खाना=ऐसा आघात सहना कि मुँह सामने करने के योग्य न रह जाए। पुं० १. वह जो कुछ खाया जाए। खाद्य पदार्थ। २. भोजन। पुं० [फा० खान] १. घर। मकान। जैसे– गरीबखाना, यतीमखाना। २. दीवार, अलमारी, मेज आदि में बना हुआ वह अंश या विभाग जिसमें वस्तुएँ आदि रखी जाती हैं। ३.छोटा बक्स या डिब्बा। जैसे– घड़ी या चश्मे का खाना। ४. रेलगाड़ी का डिब्बा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाना खराब					 : | वि० [फा०] [संज्ञा खानाखराबी] १. जिसका घर-बार सब कुछ नष्ट हो चुका हो। जिसके रहने आदि का ठिकाने रह न गया हो। २. जो दूसरों का घर नष्ट करने या बिगाड़नेवाला हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानाजंगी					 : | स्त्री० [फा०] १. आपस अर्थात् घर के लोगों की लड़ाई। २. किसी देश में होनेवाला आन्तरिक विग्रह। | 
			
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				| खानाजाद					 : | वि० [फा०] १. (दास) जो घर में रखी हुई दासी के गर्भ से उत्पन्न हुआ हो। २. जो बाल्यावस्था सेही घर में रखकर पाला-पोसा गया हो। पुं० १. गुलाम। दास। २. तुच्छ। सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानातलाशी					 : | -स्त्री० [फा०] चुरा छिपाकर रखी हुई चीज के लिए किसी घर की होनेवाली तलाशी। घर की तलाशी। | 
			
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				| खाना-दाना					 : | पुं० [हिं०] भोजन की सामग्री। | 
			
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				| खानादारी					 : | स्त्री० [फा०] घर-गृहस्थी के सब काम करने या सँभालने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| खाना-पीना					 : | पुं० [हिं० खाना+पीना] १. खाने-पीने का व्यवहार या संबंध। खान-पान। २. बहुत से लोगों के साथ बैठकर खाने पीने की क्रिया या भाव। ३. खाने-पीने के लिए तैयार की हुई चीजें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानापुरी					 : | स्त्री० [हिं० खाना+पूरना] चक्र, सारणी आदि के कोठों में यथा स्थान अभिप्रेत या उद्दिष्ट शब्द संख्याएँ आदि भरना या लिखना। | 
			
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				| खानाबदोश					 : | वि० [फा०] जिसके रहने का कोई स्थान न हो और इसी लिए जो अपनी गृहस्थी की सब चीजें अपने कन्धे पर लादकर जगह-जगह घूमता फिरे। यायावर। (नोनेड) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानाशुमारी					 : | स्त्री० [फा०] किसी गाँव, नगर, बस्ती आदि में बने और बसे हुए घरों या मकानों की गिनती करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानि					 : | स्त्री० [सं० खनि] १. खान जिसमें से धातुएँ आदि खोदकर निकाली जाती हैं। २. ऐसा स्थान जहाँ कोई चीज बहुत अधिकता से उत्पन्न होती अथवा पाई जाती हो। ३. बहुत सी चीजों या बातों के इकट्ठे रहने या होने का स्थान। ४. ओर। तरफ। दिशा। ५. ढंग। तरह। प्रकार। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खानिका					 : | स्त्री०=खान या खानि। वि० [हिं० खान] खान से निकलने वाला। खनिज। | 
			
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				| खानिल					 : | पुं० [सं√खन्+घञ् खान+इलच्] सेंध लगाकर चोरी करने वाला चोर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खानोदक					 : | पुं० [सं० खान-उदक, ब० स०] नारियल का पेड़। | 
			
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				| खाप					 : | स्त्री० [?] आघात। वार। उदाहरण–हलकी सी खाप कर गया।–वंदावनलाल वर्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खापगा					 : | स्त्री० [सं० ख-आपगा, ष० त०] आकाश गंगा। | 
			
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				| खापट					 : | स्त्री० [?] वह भूमि जिसमें लोहे का अंश अधिक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खापड़					 : | =खप्पर। | 
			
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				| खापर					 : | पुं० १. =खपड़ा। २. =खापट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाब					 : | पुं० [फा० ख्वाब] स्वप्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खाबड़-खूबड़					 : | वि०=ऊबड़-खाबड़। | 
			
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				| खाभा					 : | पुं० [?] कोल्हू के नीचे के बरतन में से तेल निकालने का मिट्टी का छोटा पात्र। | 
			
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				| खाम					 : | पुं० [सं० स्कम्भ, पा० प्रा० खंभ, बँ० खाँबा, उ० गु० मरा० खाँब] १. खंभा। स्तम्भ। २. जहाज या नाव का मस्तूल। पुं० [हिं० खामना] १. चिट्ठी रखने का लिफाफा। २. संधि। जोड़। ३.जोड़ या संधि पर लगाया जाने वाला टाँका। वि० [सं० क्षाम](यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १. कटा-फटा या टूटा-फूटा हुआ। २. क्षीण। वि० [फा०] १. कच्चा। २. जो दृढ़ या पुष्ट न हो। ३.जिसे अनुभव न हो। ४. अनुचित और निराधार। जैसे– खाम, खयाली। | 
			
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				| खामखयाली					 : | स्त्री० [फा०] ऐसी अनुचित धारणा या विचार, जिसका कोई पुष्ट आधार न हो। अकारण या व्यर्थ की धारणा। | 
			
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				| खामखाह, खामखाही					 : | क्रि० वि०=खाहमखाह। | 
			
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				| खामना					 : | स० [सं० स्कंभन=मूँदना, रोकना, प्रा०खंभन] १. गीली मिट्टी आदि से किसी पात्र का मुँह बंद करना। २. गोंद लगाकर लिफाफें का मुँह बन्द करना। | 
			
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				| खामी					 : | स्त्री० [फा०] १. खाम या कच्चे होने का अवस्था या भाव। कच्चापन। २. अच्छी तरह पक्व या पुष्ट न होने की अवस्था या भाव। ३. अनुभव. ज्ञान आदि की अपूर्णता। नादानी। ४. कमी। त्रुटि। | 
			
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				| खामुशी					 : | स्त्री०=खामोशी। | 
			
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				| खामोश					 : | वि० [फा०] १. जो कुछ बोल न रह गया हो। चुप। मौन। २. शांत। | 
			
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				| खामोशी					 : | स्त्री० [फा०] खामोश होने की अवस्था या भाव। मौन। चुप्पी। | 
			
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				| खाया					 : | पुं० [फा० खायः] १. अंडकोष। २. पक्षियों आदि का अंडा। | 
			
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				| खाया-बरदार					 : | पुं० [अ०+फा०] [भाव० खायाबरदारी] अनावश्यक रूप में और हर समय खुशामद या चापलूसी तथा छोटी-मोटी सेवाएँ करता रहने वाला व्यक्ति। | 
			
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				| खार					 : | पुं० [सं० क्षार, प्रा० खार] १. कुछ विशिष्ट वनस्पतियों आदि को जलाकर अथवा रासायनिक प्रकिया से निकाला जाने वाला खारा पदार्थ जो औषधियों तथा औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त होता है। क्षार। २. सज्जी। ३. नोनी मिट्टी। कल्लर। रेह। ४. धूल। मिट्टी। ५. भस्म। राख। ६. एक प्रकार की झाड़ी जिसके अंगों को जलाने से खार नामक पदार्थ निकलता है। पुं० [फा० खार] १. काँटा। कंटक। २. कुछ पक्षियों के पैरों में निकलनेवाला काँटा। खाँग। ३. दूसरों की अभिवृद्धि, उन्नति, ऐश्वर्य आदि देखकर मन में होनेवाला दुःख। ४. मन में दबा रहनेवाला और काँटे की तरह चुभनेवाला गहरा द्वेष। मुहावरा–(किसी से) खार खाना=किसी के प्रति मन में दुर्भाव या द्वेष रखना और फलतः उसे हानि पहुँचाने की ताक में रहना। खार गुजरना-मन में बुरा लगना। खटकना। खार निकालना=मन में छिपे हुए द्वेष के कारण किसी को कष्ट पहुँचाकर अथवा उसकी हानि करके सन्तुष्ट या सुखी होना। पुं० [हिं० खाल=नीचा स्थान] १. बरसाती नाला। खाल। उदाहरण-दई न जात खार उतराई चाहत चढ़न जहाजा।–सूर। २. पानी का छोटा गड्ढा। डाबर। वि० [सं० क्षर] १. खरा। २. वास्तविक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं० खर] खराब। बुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारक					 : | पुं० [सं० क्षारक, पा० खारक] छुहारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारदार					 : | वि० [फा०] काँटो से युक्त। कँटीला। पुं० एक प्रकार का सलमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खखारवा					 : | पुं० [देश] जहाज पर काम करनेवाला मजदूर। खलासी। पुं०=खाका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारा					 : | वि० [सं० क्षार] [स्त्री० खारी] १. (पदार्थ) जिसमें क्षार या अंश का गुण हो। २. (जल) जिसमें क्षार मिला या घुला हो। जो स्वाद में कुछ नमकीन हो। ३. अप्रिय या अरुचिकर। पुं० [सं० क्षारिक या खारना] १. घास-फूँस आदि बाँधने की जाली। २. वह जाली जिसमें भरकर तोड़े हुए आम या दूसरे फल नीचे गिराये जाते हैं। ३. बड़ा और चौखूँटा दौरा। झाबा। ४. बाँस का बड़ा पिजड़ा। ५.सरकंडे आदि का बना हुआ एक प्रकार का गोल और चौकोर आसन जिस पर पश्चिम में विवाह के समय वर और कन्या को बैठातें हैं। पुं० [फा० खार] १. कड़ा और भारी पत्थर। २. एक प्रकार का कपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारि					 : | स्त्री० [सं० ख-आ√रा (देना)+क-डीषं,हृस्व] १६ द्रोण की एक पुरानी तौल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारिक					 : | पुं० [सं० क्षारक] छुहारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारिज					 : | वि० [अ०] १. जो किसी स्थान, सीमा आदि से बाहर कर दिया अथवा हटा दिया गया हो। निकाला हुआ। बहिष्कृत। २. (प्रार्थना पत्र आदि) जो अस्वीकृत कर दिया गया हो। मुहावरा– खारिज करना=विचार के आयोग्य मानना। नामंजूर करना। (डिस्मिस) (नालिश, दरख्वास्त आदि)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारिजा					 : | वि० [अ०] १. खारिज किया या बाहर निकाला हुआ। २. बाहरी। ब्रह्वा। ३. दूसरे राष्ट्रों या विदेशों से संबंध रखनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारिजी					 : | वि० [अ०] १. बाहरी। ब्रह्रा। २. परराष्ट्र संबंधी। पुं० १. इस्लाम का एक संप्रदाय जो अली की खिलाफत को न्याय-संगत नहीं मानता और इसी लिए उसके अनुयायी बहिष्कृत समझे जाते हैं। २. सुन्नी मुसलमानों के लिए उपेक्षासूचक शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारिश					 : | स्त्री० [फा०] खुजली। (देखें)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारी					 : | स्त्री० [सं० ख-आ√रा+क-ङीष्] चार अथवा सोलह द्रोण की एक पुरानी तौल। स्त्री० [हिं० खाला] लोना मिट्टी में से निकाला जानेवाला नमक। खारा नमक। वि० क्षार या खार से युक्त। खारा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारीमाट					 : | पुं० [हिं० खारी+मा-मटका] नील का रंग तैयार करने का एक ढंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारुआँ					 : | पुं० [सं० क्षारक] आल के रंग में रंगा हुआ एक प्रकार का मोटा लाल कपड़ा जिसकी थैलियाँ आदि बनती थीं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारेजा					 : | पुं० [फा० खारिजा] एक प्रकार का जंगली कुसुम या बर्रे। बनबर्रे। बनकुसुम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खारी					 : | वि० दे० ‘खारा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खार्जूर					 : | वि० [सं० खर्जूर+अण्] १. खजूर संबंधी। खजूरी। २. खजूर का बना हुआ। पुं० प्राचीन काल में खजूर के रस से बननेवाली मदिरा या शराब। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खार्वा					 : | स्त्री० [सं० खर्व+अण्-टाप्] त्रेतायुग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाल					 : | स्त्री० [सं० क्षाल, प्रा० खाल] १. पशुओं आदि के शरीर पर से खींच कर उतारी हुई त्वचा जिस पर बाल या रोएँ होते हैं। जैसे–बकरी या शेर की खाल। मुहावरा–(किसी के) खाल उधेड़ना या खींचना=(क) किसी के शरीर पर की खाल खींच कर उतारना।(ख) बेतों आदि से बहुत मारना। अपनी खाल में मस्त रहना-अपने पास जो कुछ हो उसी से प्रसन्न और सन्तुष्ट रहना। २. चरसा। मोट। ३.धौंकनी। भाथी। ४. मृत शरीर। ५. आवरण। स्त्री० [सं० खात या अ० खाली] १. नदी आदि के किनारे की नीची भूमि। गहराई या नीचाई। ३. समुद्र की खाड़ी। ४. खाली स्थान। अवकाश। ५. पशुओं आदि के चरने का ऐसा स्थान जिसके बीच में छोटा ताल भी हो। (कुमाऊँ) कश्मीर में इसे मर्ग कहते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खालफूँका					 : | पुं० [हिं० खाल+फूँकना] धौंकनी या बाथी चलानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खालसा					 : | वि० [ अ० खालिस-शुद्ध जिसमें किसी प्रकार का मेल न हो] १. जिस पर केवल एक का अधिकार हो किसी दूसरे का साझा न हो। २. (भूमि या संपत्ति) जिस पर राज्य या सरकार ने अधिकार कर लिया हो। जैसे– अंगरेजों ने झाँसी का राज्य खालसा कर दिया था। मुहावरा– खालसा या खालसे से लगाना=राज्य या शासन के अधिकार में चला जाना। पुं० १. सिक्खों का एक संप्रदाय। २. सिक्ख। वि० [ अ० खलास] १. छूटा हुआ। २. मुक्त। मोक्ष-प्राप्त। उदाहरण-कहे कबीर ने भये खालसे राम भगति जिन जानी।–कबीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाला					 : | वि० [हिं० खाल या खाली] [स्त्री० खाली] नीचा। निम्न (स्थान)। पद-ऊँचा खाला=(क) ऊबड़-खाबड़ (स्थल)। (ख) ऊँच-नीच। भला-बुरा। स्त्री० [ अ० खालः] माता की बहन। मौसी। मुहावरा–(किसी काम या बात को) खाला जी का घर समझना=बहुत सहज या सुगम समझना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खालिक					 : | पुं० [अ०] सृष्टि की रचना करनेवाला। ईश्वर। स्रष्टा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खालिस					 : | वि० [अ०] १. (द्रव्य या पदार्थ) जिसमें कोई दूसरी चीज मिलाई न गई हो। विशुद्ध। जैसे– खालिस दूध, खालिस सोना। २. जिसमें किसी प्रकार का खोट या दोष न हो। जैसे–खालिस लेन-देन का बर्ताव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाली					 : | वि० [अ० मि सं० खल्ल] १. (पात्र) जिसके अन्दर कोई चीज न हो। रीता। जैसे–खाली लोटा। खाली बक्स। २. जिस पर अथवा जिसके ऊपर कुछ या कोई स्थित न हो। जैसे–खाली कुरसी, खाली जगह, खाली मकान। ३.जिसमें आवश्यक या उपयुक्त पदार्थ या वस्तु न हो। जैसे–खाली पेट। जिसमें पचाने के लिए अन्न न पड़ा हो या न रह गया हो। खाली हाथ-जिसमें (क) गहना या जेवर। (ख) धन या संपत्ति (ग) हथियार न हो। पद-खाली दिन=(क) ऐसा दिन जिसमें कोई विशिष्ट कार्य न हो अथवा न हुआ हो। जैसे– रविवार बहुत से लोगों के लिए खाली दिन होता हैं। (ख) ऐसादिन जिसमें कुछ भी आय अथवा कार्य न हुआ हो। जैसे–आज का सारा दिन खाली गया। ४. (व्यक्ति) जिसके हाथ में कोई रोजगार या काम धंधा न हो।जैसे– इधर महीनों से वह खाली बैठा हैं। ५. (व्यक्ति) जो प्रस्तुत समय में कोई कार्य न कर रहा हो या काम पूरा करके छुट्टी पा चुका हो। जैसे–कल सबेरे जब हम खाली रहें तब आना। ६. जो इस समय उपयोग में न आ रहा हो। जैसे–यदि चाकू खाली हो तो हमें देना। ७. निष्फल या व्यर्थ सिद्ध हुआ हो। जैसे– वार खाली जाना। मुहावरा–खाली देना=ऐसा कौशल या क्रिया करना जिससे किसी का किया हुआ आघात, प्रहार या वार निष्फल हो जाए। साफ बच निकलना। जैसे–वह शत्रुओं के सब वार खाली कर देता गया। ८. जिसमें या जिससे किसी प्रकार के उद्देश्य या प्रायोजन की सिद्धि न होती हो। जैसे–खाली बातें करने से कुछ नहीं होता। ९. किसी चीज या बात से बिलकुल रहित या विहीन। जैसे– (क) अब तो यह जंगल हिंसक पशुओं से खाली हो गया है। (ख) उनकी कोई बात मतलब से खाली नहीं होती। अव्य-बिना किसी को साथ लिए हुए, अकेले। जैसे–(क) खाली तुम्हीं आना और किसी को अपने साथ मत लाना। (ख) यह काम खाली तुम्हीं कर सकते हों। पुं० ताल देनेवाले बाजों (ढोलक, तबला, मृदंग आदि) में बीच में पड़नेवाला वह ताल जो बिना बाएं हाथ का आघात किये इसलिए खाली छोड़ दिया जाता है कि उसके आगे और पीछे के तालों की गिनती ठीक रहे। जैसे–(क) रूद्र ताल १६. तालों का होता है जिसमें ११. आघात और ५. खाली होते हैं। (ख) लक्ष्मी ताल १८. तालों का होता है जिसमें १५. आघात और ३. खाली होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खालू					 : | पुं० [फा०] खाला अर्थात् मौसी का पति। मौसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाले					 : | क्रि० वि० [हिं० खाला] नीचे की ओर। उदाहरण–सीस नाइ खाले कहँ ढरई।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाव					 : | स्त्री० [सं० खं] १. खाली जगह। अवकाश। २. जहाज में माल रखने का स्थान। (लश०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खावाँ					 : | पुं०=खाँवाँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खावास					 : | पुं०=खवास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाविंद					 : | पुं० [फा०] १. स्त्री का पति। खसम। शौहर। २. मालिक। स्वामी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खाविंदी					 : | स्त्री० [फा०] १. पति या स्वामी होने की अवस्था या भाव। २. प्रभु या स्वामी की ओर से होनेवाला अनुग्रह या कृपा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खास					 : | वि० [अ०] १. किसी विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति से संबंध रखनेवाला। ‘आम’ का विपर्याय। २. जो साधारण से भिन्न हो। विशेष। पद-खासकर=विशेष रूप से। ३. किसी के पक्ष में व्यक्तिगत रूप से होनेवाला। निज का। आत्मीय। जैसे–यह घर खास हमारा है। ४. ठेठ। विशुद्ध। स्त्री० [अ० क़ीसो] १. मोटे कपड़े की बनी हुई थैली। २. बोरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खास कलम					 : | पुं० [अ०] निजी पत्र-व्यवहार करने के लिए रखा हुआ मुशी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खासगी					 : | वि० [अ० खास+गी (प्रत्य०)] १. राजा या मालिक आदि का। २. निज का। निजी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खासदान					 : | पुं० [उर्दू] पान, कत्था आदि रखने का डिब्बा। पानदान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खास नवीस					 : | पुं० खास कलम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खास बरदार					 : | पुं० [फा०] वह नौकर या सिपाही जो राजा की सवारी के ठीक आगे-आगे चलता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खास बाजार					 : | पुं० [फा०] वह बाजार जो राजा के महल के सामने विशेष रूप से इसलिए लगता था कि राजा वहाँ से अपने लिए आवश्यक वस्तुएं मोल ले। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खासा					 : | पुं० [अ० खास] १. राजाओं रईसों आदि के लिए विशिष्ट रूप से और अलग बनने वाला भोजन। २. राजा की सवारी का घोड़ा या हाथी। मुहावरा– खासा चुनना=बादशाही दस्तरखान पर अनेक प्रकार की बढिया भोज्य पदार्थ आदि लाकर रखना। ३.एक प्रकार का पतला सूती कपड़ा। ४. एक प्रकार का मोयेनदार पकवान। वि० [स्त्री० खासी] १. जितना आवश्यक हो उतना। यथेष्ठ। जैसे– इधर खासा गरम हैं। २. अच्छा भला। ३. सुन्दर। सुडौल। ४. भरपूर । पूरा। | 
			
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				| खासियत					 : | स्त्री० [अ०] १. किसी वस्तु या व्यक्ति में होनेवाला कोई विशिष्ट गुण। विशेषता। २. प्रकृति। स्वभाव। ३. प्रभाव। असर। | 
			
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				| खासिया					 : | स्त्री० [सं० खस] १. असम देश की एक पहाड़ी। २. उक्त पहाड़ी में बसनेवाली एक जाति जो ‘खस’ भी कहलाती हैं। | 
			
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				| खासियाना					 : | पुं० [हिं० खासिया पहाड़ी] एक प्रकार की मँजीठ। | 
			
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				| खासी					 : | स्त्री० [अ०] खासे राजा के बाँधने की तलवार, ढाल या बन्दूक। | 
			
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				| खासीयत					 : | स्त्री०=खासियत। | 
			
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				| खास्तई					 : | पुं० [फा०] १. कबूतर का एक रंग। २. इस रंग का कबूतर। | 
			
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				| खास्सा					 : | पुं० [अ०खास्सः] १. किसी में होनेवाला कोई विशेष गुँ। २. स्वभाव। ३.आदत। बान। | 
			
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				| खाह					 : | अव्य=[फा० ख्वाह] जो इच्छित हो। चाहे। या। | 
			
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				| खामहखाह					 : | क्रि. वि० [फा० ख्वाहम ख्वाह] १. चाहे आवश्यकता अथवा इच्छा हो चाहे न हो। बिना आवश्यकता के और प्रायः व्यर्थ। जैसे–तुम खाहमखाह दूसरों के झगड़ों में पड़ते हो। | 
			
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				| खाहा					 : | वि० [फा० ख्वाहाँ] चाह रखने या चाहनेवाला, इच्छुक। | 
			
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				| खाहिश					 : | स्त्री० [फा० ख्वाहिश] इच्छा। चाह। | 
			
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				| खाहिशमंद					 : | वि० [फा०] इच्छुक। | 
			
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				| खाहीनखाही					 : | क्रि० वि० दे० ‘खाह-मखाह’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खिंखिर					 : | पुं० [सं० खिम्√कृ(करना)+क पृषो सिद्धि] १. चारपाई का पाया। २. एक प्रकार का गंध द्रव्य। | 
			
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				| खिंग					 : | पुं० [फा०] बिलकुल सफेद रंग का घोड़ा। नुकरा। | 
			
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				| खिंगरी					 : | स्त्री० [देश०] मैदे आदि का बना हुआ पूरी तरह का एक सूखा पकवान। | 
			
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				| खिंचना					 : | अ० [हिं० खींचना] १. किसी को बलपूर्वक लाया जाना। खींचा जाना। २. किसी के प्रयत्न से किसी ओर जाना या बढ़ाना। ३.किसी वस्तु या स्थान में से बाहर निकाला जाना। ४. किसी आकर्षण अथवा शक्ति के द्वारा उसकी ओर जाना या बढना। जैसे–चुंबक की तरफ लोहा खिंचना। ५. किसी के गुण, रूप, सौंदर्य आदि के कारण उसकी ओर आकृष्ट होना। ६. प्रलोभन, स्वार्थ आदि के कारण एक पक्ष से दूसरे पक्ष की ओर चलना या जाना। ७ वस्तु के गुण, तत्त्व, सार आदि निकालना या निकाला जाना। ८. भभके आदि के अर्क, शराब आदि तैयार होना। ९. अंकित होना या लिखा जाना। जैसे– लकीर खिंचना। १॰. उतरना या बनना। जैसे– चित्र या फोटो खींचना। ११. तनना। १२. माल की खपत होना। खपना। जैसे–माल खिंचना। | 
			
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				| खिंचवा					 : | वि० [हिं० खींचना] खींचनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिंचवाना					 : | स० [हिं० खींचना] खींचने का काम किसी से कराना। किसी को कोई चीज खींचने में प्रवृत करना। जैसे–चित्र या फोटो खिंचवाना। | 
			
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				| खिंचाई					 : | स्त्री० [हिं० खींचना] १. खींचने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. दे० ‘खींच’। | 
			
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				| खिंचाना					 : | स०=खिचंवाना। | 
			
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				| खिंचाव					 : | पुं० [हिं० खिंचंना] खींचे जाने अथवा होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| खिंचावट					 : | स्त्री० [हिं० खींचना] १. खीचंने की क्रिया। २. खींचने या खिंचे हुए होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| खिंचाहट					 : | स्त्री०=खिंचावट। | 
			
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				| खिंचिया					 : | वि०=खिंचवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खिंडाना					 : | स० [सं० क्षिप्त] दानेदार वस्तु को छितराना या बिखेरना। जैसे–चावल या चीनी खिंडाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खिंखिंद					 : | पुं० [सं० ] ऊबड़-खाबड़ या बीहड़ भूमि। पुं०=किष्किंधा। | 
			
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				| खिचड़वार					 : | पुं० [हिं. खिंचड़ी+वार] मकर संक्रान्ति। (इस दिन खिचड़ी दान की जाती हैं) | 
			
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				| खिचड़ा					 : | पुं० [हिं० खिचड़ी] कई दालों को मिलाकर बनाई जाने वाली खिचड़ी। | 
			
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				| खिंचड़ी					 : | स्त्री० [सं० कृसर, प्रा० खिच्च, बं० खिचरी, उ० खिचुरा, गु० खिंच] १. दाल और चावल को एक में मिलाकर उबालने से बनने वाला भोज्य पदार्थ। मुहावरा–खिंचड़ी पकाना=आपस में मिलकर चोरी-चोरी कोई परामर्श या सलाह करना। ढाई चावल की खिचंड़ी अलग पकाना-सबकी सम्मति के विपरीत अपनी ही बात की पुष्टि करना अथवा अपने विचार के अनुसार काम करना। खिचड़ी खाते पहुँचा उतरना-बहुत अधिक कोमल या नाजुक होना। (परिहास और व्यंग्य) २. विवाह की एक रस्म जिसमें दामाद को पहले-पहल घर बुलाकर खिचड़ी खिलाई जाती हैं। ३.एक ही में मिली हुई कई तरह की या बहुत सी वस्तुएँ। जैसे–खिंचडी भाषा। ४. मकर संक्रान्ति। ५. बेरी का फूल। ६. भाँड वेश्या आदि को नाच गाने आदि में भाग लेने के लिए दिया जानेवाला पेशगी धन। बयाना। साई। वि० [सं० कृसर] १. आपस में मिला जुला। २. जो अपना स्वतंत्र अस्तित्व हो चुका हो। | 
			
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				| खिचवा					 : | अ०=खिंचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिचवाना					 : | स०=खिंचवाना। | 
			
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				| खिचाव					 : | पुं०=खिंचाव। | 
			
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				| खिजना					 : | अ० दे० ‘खीझना’। | 
			
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				| खिजमत					 : | स्त्री०=खिदमत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिजलाना					 : | अ० [हिं० खीजना] कोई चीज न मिलने पर या काम न होने पर आतुरतापूर्वक खिन्न और व्याकुल होना। खीजना। स० किसी को खीजने में प्रवृत करना। दिक या विकल करना। | 
			
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				| ख़िजाँ					 : | स्त्री० [फा०] १. पतझड़ की ऋतु। फाल्गुन और चैत के दिन। २. अवनति या उतार के दिन। | 
			
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				| खिजाना					 : | स०=खिजलाना। | 
			
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				| ख़िजाब					 : | पुं० [अ०] सफेद बालों को काला या रंगीन करने की औषधि। केश कल्प। औपध के रूप में प्रस्तुत किया हुआ वह लेप जिसे सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिजाबी					 : | वि० [अ०] १. खिजाब संबंधी। २. (बाल) जिस पर खिजाब लगा हो। पुं० वह जो सिर पर खिजाब लगाता हो। | 
			
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				| खिजालत					 : | स्त्री० [अ०] लाज। लज्जा। शरमिन्दगी। | 
			
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				| खिज्र					 : | पुं० [अ०] १. मुसलमानों के विश्वासनुसार एक पैगम्बर जो अमृत पीकर अमर हो गये थे और जो अब भूले-भटके यात्रियों को टीक रास्ते पर लगानेवाले माने जाते हैं। २. पथ-प्रदर्शक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिझ					 : | स्त्री०=खीझ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिझना					 : | अ०=खीझना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिझाना					 : | स०=खिजलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिझुवर					 : | वि० [हिं० खीझना] जो जरा सी बात पर खिजला या खीज उठता हो। खीजनेवाला। | 
			
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				| खिझौना					 : | वि० [हिं० खीजना] १. खिजानेवाला। दिक करनेवाला। २. जल्दी खीजनेवाला। | 
			
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				| खिड़कना					 : | अ० [हिं० खिसकना] चुपचाप कहीं से हट या टल जाना। | 
			
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				| खिड़काना					 : | स० [हिं० खिसकना] १. किसी उद्देश्य से किसी को कहीं से टालना या हटाना। २. आधे-तीहे मूल्य पर चुपचाप बेच डालना। | 
			
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				| खिड़की					 : | स्त्री० [सं० खट्टाक्किका, प्रा० खड्डकी, खडक्किआ, दे० प्रा० खड्क्की, उ० बं० खिरकी] १. घर गाड़ी जहाज आदि की दीवारों में बना हुआ वह बड़ा झरोखा जिसमें से धूप और रोशनी अन्दर आती है, तथा जिसमें से झाँक कर बाहर का दृश्य देखा जाता है। २. उक्त झरोखे में लकड़ी लोहे आदि का बना हुआ दरवाजा जिसके द्वारा झरोखा खुलता तथा बन्द होता हैं। ३.किले या नगर का चोर दरवाजा। ४. खिड़की की तरह खुला हुआ कोई स्थान। जैसे– खिड़कीदार अंगरखा या पगड़ी। | 
			
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				| खिड़की बंद					 : | वि० [हिं०+फा] (मकान) जो पूरा किराये पर लिया गया हो और जिसमें कोई दूसरा किरायेदार न रहता हो। | 
			
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				| खिण					 : | पुं०=क्षण। (डिंगल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खित					 : | स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी। (डिं.) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिताब					 : | पुं० [अ०] १. उपाधि। पदवी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिताबी					 : | वि० [अ०] खिताब संबंधी। खिताब का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खित्त					 : | पुं० [सं० क्षेत्र] १. क्षेत्र। २. खेत। ३. रणस्थल। उदाहरण–तौंअर राऊ पहारि, खित्त अनभंग मोट मन।–चन्द्रबरदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खित्ता					 : | पुं० [अ० खित्त] १. भूभाग। प्रदेश। २. प्रांत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खित्रिय					 : | पुं०=क्षत्रिय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिदमत					 : | स्त्री० [फा०] टहल। सेवा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिदमतगार					 : | पुं० [फा०] किसी की छोटी-छोटी और वैयक्तिक सेवाएं करनेवाला नौकर। टहलुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिदमतगारी					 : | स्त्री० [फा०] १. खिदमतगार का काम या पद। २. टहल। सेवा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिदमती					 : | वि० [फा० खिदमत] १. अच्छी तरह खिदमत या सेवा टहल करनेवाला। २. अच्छी तरह की जानेवाली खिदमत से संबंध रखने या उसके पुरस्कार में मिलने या होनेवाला। जैसे–खिदमती जागीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खिदिर					 : | पुं० [सं०√खिद् (दैन्य)+किरच्] १. चंद्रमा। २. तपस्वी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिद्र					 : | पुं० [सं०√खिद्+रक्] १. रोग। बीमारी। २. गरीबी। दरिद्रता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिन					 : | पुं०=क्षण। वि०=खिन्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिनक					 : | अव्य-[सं० क्षण-एक] क्षण भर। बहुत थोड़ी देर तक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिन्न					 : | वि० [सं०√खिद्+क्त] १. (व्यक्ति) जो चिंता थकावट आदि के कारण कुछ उदास तथा कुछ विकल हो। २. अप्रसन्न। असंतुष्ट। ३.असहाय। दीन-हीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिपना					 : | अ० [सं० क्षिप्त] १. खपना। २. तल्लीन होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिपाना					 : | स०=खपाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिभिरना					 : | स०=खदेड़ना। उ०=खोलि खग्ग खिभिरे बली जनु पाइक खुंतार-चन्द्रवरदाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खियानत					 : | स्त्री०=खयानत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खियाना					 : | अ० [सं० क्षीण, पा० खिय, प्रा० खिज्ज, सिं० खिजन् म० शिज (णें)] १. रगड़ खाते रहने अथवा घिसते रहने के कारण किसी वस्तु का क्षीण होना। २. कमजोर या दुर्बल होना। स० [हिं० खाना] खाना खिलाना। भोजन कराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खियाल					 : | पुं०=खयाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खियावना					 : | स०=खिलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिर					 : | स्त्री० [देश०] करघे की ढरकी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरका					 : | पुं० [अ० खिरकः] कंथा। गुदड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरकी					 : | स्त्री०=खिड़की। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरवकी					 : | स्त्री० =खिड़की।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरचा					 : | पुं०=खरका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरद					 : | स्त्री० [फा०] अक्ल। बुद्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरदमंद					 : | वि० [फा०] बुद्धिमान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरनी					 : | स्त्री० [सं० क्षीरिणी] १. एक प्रकार का ऊँचा छतनार और सदाबहार पेड़। २. उक्त वृक्ष का छोटा, पीला मीठा फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरमन					 : | पुं० [फा०] १. खलिहान। २. काट कर रखी हुई फसल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिराज					 : | पुं० [अ०] १. राज्य द्वारा लिया जानेवाला कर। राजस्व। २. वह धन जो मध्य युग में बड़े राजा अपने अधीनस्थ मांडलिकों या छोटे राज्यों से लेते थे। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख़िराम					 : | पुं० [फा०] आन्नदपूर्वक धीरे-धीरे चलने या टहलने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| ख़िरामाँ					 : | वि० [फा०] जो सुखपूर्वक, मस्ती से धीरे-धीरे चल रहा हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरिदना					 : | स० [सं० कीर्णन] १. सूप में अनाज रखकर उसे इस प्रकार हिलाना कि खराब दानें नीचे गिर जाएँ। २. खुरचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरिसा					 : | पुं० [?] एक प्रकार की मिठाई। उदाहरण–सोंठि लाइकै खिरिसा धरा।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरैंटी					 : | स्त्री० [सं० खरयष्टिका] बरियारा या बीज नामक पौधा। बला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरौरा					 : | पुं० [हिं० खिरौरी] बड़ी खिरौरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिरौरी					 : | स्त्री० [सं० खदिरवाटिका] कत्थे को उबाल या पकाकर तैयार की गई हुई गोल टिकिया। पुं० [हिं० खाड़+बड़ा] खाँड का लड्डू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलंदरा					 : | वि०=खिलवाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलअत					 : | स्त्री० [अ०] पहनने के वे वस्त्र जो बड़े राजा या बादशाह की ओर से किसी को सम्मानित करने के लिए दिये जाते थे। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलक़त					 : | स्त्री० [अ० ख़ल्कत] १. सृष्टि। २. जन-समूह। भीड़-भाड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलकौरी					 : | स्त्री०=खिलवाड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलखिलाना					 : | अ० [अनु०] बहुत प्रसन्न होने पर जोर से हँसना। (खिलखिलाते समय मुँह से खिलखिल शब्द होता है।) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलखिलाहट					 : | स्त्री० [हिं० खिलखिलाना] १. खिलखिलाने की क्रिया या भाव। २. खिलखिलाने से मुँह में होनेवाला शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलजी					 : | पुं० [अ० खिल्ज] अफगानिस्तान की सीमा पर रहने वाली पठानो की जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलत					 : | स्त्री०=खिलअत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलना					 : | अ० [अ० स्खल] १. कली या फूल की पखुड़ियां खोलना। २. कोई सुखद बात या कार्य होने पर आनंदित या प्रसन्न होना। ३.ऐसी आकृति बनाना जिससे प्रसन्नता प्रकट हो। प्रफुल्लित होना। ४. ठीक बैठना। सुन्दर लगना। फबना जैसे– साड़ी पर गोट खिल रही है। ५. किसी चीज के सब अंगों का फूल की पत्तियों की तरह अलग-अलग हो जाना। जैसे– चावल खिलना। ६. बीच में फटना। दरार पड़ना। जैसे– पानी भरने से दीवार खिलना। ७. टुकड़े टुकड़े होना। फूटना। जैसे– पानी पड़ने से चूना या मिट्टी खिलना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवत					 : | पुं० [अ०] १. ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो। निर्जन या शून्य स्थल। २. ऐसा स्थान जहाँ आपस के या एक दो इष्ट व्यक्तियों के सिवा और कोई न हो। एकान्त स्थल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवत खाना					 : | पुं० [फा०] ऐसा कमरा या घर जिसमें आपस के थोड़े से व्यक्तियों के सिवा और कोई न आता जाता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवाड़					 : | पुं० [हिं० खेल] १. मन बहलाने या समय बिताने के लिए यों ही किया जानेवाला ऐसा काम जो बच्चों के खेल की तरह हो। मुहावरा–(किसी कामको) खिलवाड़ समझना=बहुत ही सहज या सुगम समझना। २. मनबहलाव। दिल्लगी। ३. लाक्षणिक अर्थ में बहुत ही साधारण रूप से किया हुआ काम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवाड़ी					 : | वि० [हिं० खेलाड़ी] जिसका मन खिलवाड़ में ही अधिक लगता या रमता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवाना					 : | स० [हिं० खिलाना का प्रे०] खिलाने या भोजन कराने का काम किसी दूसरे से कराना। किसी को खिलाने में प्रवृत्त करना। प्रफुल्लित कराना। स० [हिं० खिलाना-प्रफुल्लित करना] खिलने या खिलाने में प्रवृत्त करना। प्रफुल्लित कराना। स० [हिं०‘खीलना’ का प्रे०] खीलें या तिनके लगाने का काम किसी से कराना। खीलने में प्रवृत्त करना। सं० दे० ‘खेलवाना’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलवार					 : | पुं० १. =खिलवाड़। २. =खिलाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाई					 : | स्त्री० [हिं० खाना] १. खाने अथवा खिलाने की क्रिया या भाव। पद-खिलाई-पिलाई=खाने-पीने और खिलाने-पिलाने की क्रिया या भाव। २. खाने या खिलाने का पारिश्रमिक। स्त्री० [हिं० खेलाना] १. बच्चों को खेलाने का काम। २. वह दाई जो बच्चों को खिलाने के लिए नियुक्त की गई हो। धाय। स्त्री० [हिं० खिलना-प्रफुल्लित होना] खिलने या खिलाने (प्रफुल्लित होने या करने) की क्रिया, भाव या पारिश्रमिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाड़					 : | वि०=खिलाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाड़ी					 : | पुं० [हिं० खेल+आड़ी (प्रत्यय)] १. वह जो खेल खेलता हो खेलाड़ी। २. खिलवाड़ी। ३. तरह-तरह के तमाशे व खेल दिखाने वाला व्यक्ति। जैसे– जादूगर, पहलवान, सँपेरा आदि। पुं० [?] एक प्रकार का बैल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाना					 : | स० [हिं० खाना] १. किसी को कोई चीज खाने में प्रवृत्त करना। जैसे–मिठाई खिलाना, जहर खिलाना। २. किसी को भोजन कराना। जेंवाना। जैसे–ब्रह्माण खिलाना। स० [हिं० खिलाना] किसी को खिलने अर्थात् प्रफुल्लित या विकसित होने में प्रवृत्त करना। ऐसा काम करना जिससे कुछ या कोई खिले। स० =खेलाना। (असिद्ध रूप) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाफ					 : | वि० [ अ०] १. (व्यक्ति) जो किसी मत, विचार, व्यक्ति आदि का विरोध करता हो। २. (बात) जो किसी बात, वस्तु या सिद्धान्त से मेल न खाती हो। विपरीत। ३. उलटा। ४. अन्यथा। अव्य.१. तुलना में। २. मुकाबले में। सामने। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाफ़त					 : | स्त्री० [ अ०] १. किसी की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बनना। २. मुसलमानों में पैगंबर के उत्तराधिकार का पद या स्वत्व। ३. खिलाफ होने या विरोध करने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलायक					 : | स्त्री० [अ० खल्कत] जन-समूह। भीड़। उदाहरण-धाय नहीं घर, दायँ परी जुरि आई खिलायक आँख बहाऊँ।–केशव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलाल					 : | स्त्री० [हिं० खेल] (ताश आदि के खेल में) पूरी बाजी की हार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलौना					 : | पुं० [हिं० खेल+औना (प्रत्य०)] १. बच्चों के खेलने के लिये बनाई हुई धातु, मिट्टी आदि की आकृति चीज या सामग्री। २. बहुत ही साधारण या महत्वहीन वस्तु। ३. किसी के मन बहलाने का साधन या सामग्री। पद–(किसी के) हाथ का खिलौना=(क) किसी की आज्ञा, संकेत आदि पर ही सब काम करने वाला व्यक्ति। (ख) ऐसा व्यक्ति जिसका उपयोग केवल दूसरों के मनोविनोद के लिए ही होता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिलौरी					 : | स्त्री० [हिं० खील-भुना हुआ दाना] खरबूजे धनिये आदि के भुने हुए बीज को भोजनोपरांत मुँह का स्वाद बदलने के लिए खाये जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिल्ली					 : | स्त्री० [हिं० खिलना-मुस्कराना या हँसना] हँसने-हँसाने के लिए किसी को तुच्छ सिद्ध करते हुए कही जाने वाली हास्यापद बात। मुहावरा–(किसी की) खिल्ली उड़ाना=दूसरों को हँसने-हँसाने के लिए किसी के संबंध में कोई ऐसी बात कहना जिससे वह कुछ तुच्छ या हेय सिद्द होता हो। स्त्री० [हिं० खील=तिनका] १. पान का बीड़ा जो कील या सींग में खोंसा हुआ हो। २. लगे हुए पान का बीड़ा। स्त्री० खील(बड़ा काँटा या कील)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिल्लीबाज					 : | वि० [हिं० खिल्ली+फा० बाज] [भाव० खिल्लीबाजी] दूसरों की खिल्ली या दिल्लगी उड़ानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिल्लो					 : | वि० [हिं० खिलना-प्रसन्न होना] बहुत अधिक या प्रायः हँसती रहनेवाली स्त्री के लिए उपहास या व्यंग्य का सूचक विशेषण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिवना					 : | अ० [सं० क्षिप्] चमकना। (राज.) उदाहरण-मारू दीठी अउझकइ, जाँणि खिवी घण संझ।–ढोला मारू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिवाई					 : | स्त्री०=खेवाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिवाही					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार की ईख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसकना					 : | अ० [सं० कृष्; प्रा० खिसइ, सिं० खिसनु, गुं०खिसवूँ, खसवूँ; मरा० खिसषें] १. चुपके अथवा धीरे से दूसरों की दृष्टि बचाते हुए कहीं से उठकर चल देना. २. चूतड़ के बल बैठे-बैठे किसी ओर थोड़ा सा बढ़ना या हटना। खसकना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसकाना					 : | स० [हिं० खिसकना] १. चुपके अथवा धीरे से किसी की कोई वस्तु उठाकर चल देना। २. किसी वस्तु को खीचंकर किसी ओर कुछ हटाना या बढ़ाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसना					 : | अ० =खसना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसलना					 : | अ०=फिसलना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसलाना					 : | स० ‘खिसलना’ का प्रे० रूप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसलाव					 : | पुं० [हिं० खिसलना या फिसलना] १. खिसलने या फिसलने की क्रिया या भाव। २. ऐसा चिकना स्थान जिस पर पैर फिसलता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसलाहट					 : | स्त्री० [हिं० खिसलना या फिसलना] फिसलने या खिसलने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसाना					 : | अ०=खिसियाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसारा					 : | पुं० [अ० खिसारः] १. घाटा। टोटा। २. नुकसान। हानि। वि० [हिं० खिसाना या खीस] १. खिसियाया हुआ। २. जल्दी नाराज हो जानेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसारी					 : | स्त्री०=खेसारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसिआनपन					 : | पुं० [हिं० खिसियाना+पन] खिसियाने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसिआना					 : | वि० [हिं० खीस हिं०खिसियाना] [स्त्री० खिसियानी] १. कुद्र। २. अप्रसन्न। रुष्ट। ३. लज्जित अ०=खिसआनापन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसियाना					 : | अ० [हिं० खींस=दाँत] १. लज्जित होकर दांत निकाल देना या सिर झुका लेना। २. किसी पर अप्रसन्न या रुष्ट होकर बिगड़ना। नाराज होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खिसी					 : | स्त्री० [हिं० खिसियाना] १. क्रोध। २. अप्रसन्नता। ३.लज्जा। ४. ढिठाई। धृष्टता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींच					 : | स्त्री० [हिं० खींचना] १. खींचने या खिंचे हुए होने की अवस्था या भाव। २. खींच-तान (दे०)। उदाहरण–अति सोक सोच संकोच के खींच-बीच नरपति परे।–रत्ना०। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींच-तान					 : | स्त्री० [हिं० खींचना+तानना] १. किसी वस्तु को विभिन्न दिशाओं की ओर विभिन्न पक्षों द्वारा एक साथ खींचकर ले जाने की क्रिया या प्रयास। २. व्यक्तियों का एक दूसरे के विरुद्ध किया जानेवाला उद्योग या प्रयत्न। ३. किसी बात या वाक्य के अर्थ का आशय का बलपूर्वक किसी एक ओर खींचा या ताना जाना। शब्द या वाक्य का जबरदस्ती साधारण से भिन्न कोई दूसरा अर्थ लगाया जाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींचना					 : | स० [सं० कृष्, प्रा० खंच, ब० खेंचा, पं० खैच, गु० खेचवूँ, का० खंझून, मरा० खेचणें] १. किसी वस्तु को बलपूर्वक अपनी ओर लाना। जैसे–हवा में से पतंग या कुएँ में से बाल्टी खींचना। २. किसी को अपने साथ लेते हुए आगे बढ़ना। जैसे–घोड़ा गाड़ी खींचता है। ३. किसी वस्तु या स्थान में स्थित कोई दूसरी वस्तु बलपूर्वक बाहर निकालना। जैसे– म्यान से तलवार खींचना। ४. किसी को दूसरे पक्ष में से अपने पक्ष में मिलाना। ५. किसी वस्तु में का तत्त्व, सार या सुगंध निकालना। जैसे– इत्र खींचना। ६. भभके से अर्क, शराब आदि चुआना। ७. चूसना। सोखना। जैसे– मक्के की रोटी बहुत घी खींचती है। ८. किसी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करना। अपनी ओर उन्मुख करना। जैसे– इस पुस्तक ने विद्वानों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। ९. कलम, पेन्सिल आदि से अंकित या चित्रित करना। जैसे– लकीर खीचंना। १॰. अनुकृति आदि के रूप में उतारना या बनाना। जैसे– फोटो या चित्र खींचना। ११. कौशलपूर्वक किसी के अधिकार से कोई चीज निकालकर अपने हाथ में करना। जैसे– किसी से रुपये खीचना। १२. व्यापारिक क्षेत्र में, खपत या बिक्री का माल अधिक मात्रा या मान में मँगाना या अपने अधिकार में करना। जैसे– दूसरे महायुद्द में अमेरिका ने संसार का सारा सोना खींच लिया था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींचाखींची					 : | स्त्री०=खींच-तान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींचातान					 : | स्त्री०=खींच-तान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींचातानी					 : | स्त्री०=खींच-तान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीखर					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का बन-विलाव। कटारन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खींच					 : | स्त्री० खिचड़ी। उदाहरण–करमाबाई को खीच अरोग्यो होइ परसण पावंद।–मीराँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीज					 : | स्त्री०=खीझ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजना					 : | अ०=खीझना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीझ					 : | स्त्री० [हिं० खीझना] १. खीझने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. ऐसी बात, जिससे कोई खीझे। चिढ़ानेवाली बात। मुहावरा–(किसी की) खीझ निकालना=किसी को खूब चिढ़ाने वाली कोई बात ढूँढ़ निकालना या पैदा करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीझना					 : | अ० [सं० खिद्यते, प्रा० खिज्जइ] किसी अप्रिय या अरुचि कर कार्य, बात, व्यवहार आदि का प्रतिकार न कर सकने पर उससे खिन्न होकर झुँझलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीण					 : | वि०=क्षीण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीधा					 : | स्त्री०=कंथा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीन					 : | वि०=क्षीण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीनता					 : | स्त्री०=क्षीणता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीनताई					 : | स्त्री०=क्षीणता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीप					 : | पुं० [देश०] १. एक प्रकार का घना सीधा पेड़। २. लज्जालु नाम का पौधा। लजाधुर। ३. गंध-प्रसारिणी नाम की लता। गँधैली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीमा					 : | पुं०=खेमा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीर					 : | स्त्री० [सं० क्षीर] दूध में चावल उबालने तथा चीनी मिलाने से बनने वाला एक प्रसिद्ध भोज्य पदार्थ। मुहावरा– खीर चटाना=पहले-पहल बच्चे को अन्न खिलाना आरम्भ करने के लिए उसके मुँह में खीर डालना। अन्न-प्राशन करना। पुं०=क्षीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीर-चटाई					 : | स्त्री० [हिं० खीर+चटाई] बच्चे को पहले-पहल अन्न खिलाने के समय खीर चटाने की रसम। अन्न-प्राशन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीरमोहन					 : | पुं० [हिं० खीर+मोहन] गुलाब जामुन के आकार की एक प्रसिद्ध बँगला मिठाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीरा					 : | पुं० [सं० क्षीरक] ककड़ी की जाति का एक प्रकार का फल। मुहावरा– (किसी को) खीरा-ककड़ी समझना=बहुत ही तुच्छ या हेय समझना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीरी					 : | स्त्री० [सं० क्षीर] गाय, भैस आदि मादा चौपायों का वह भाग जिसमें दूध बनता तथा रहता है तथा जिसके निचले भाग में थन होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीरोदक					 : | पुं० [सं० क्षीरोदक] एक प्रकार का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खील					 : | स्त्री० [सं० पा० प्रा० बँ० खील; गु.खिलो;उ० कीड़ा; मरा० खिड़, खिड़ा] १. खिला या भुना हुआ चावल। लावा। २. चावल को भूनकर तथा चाशनी में पकाकर जमाई हुई कतली। ३.किसी चीज का बहुत छोटा टुकड़ा। जैसे–शीशे का गिलास गिरते ही खील-खील हो गया। स्त्री० [हिं० कील](यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १. कील। मेख। (दे० ‘कील’) २. बाँस आदि की पतली सींक जो पात्रों आदि को जोड़कर दोना बनाने के काम आती है। ३. मांस-कील।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [सं० खिल] वह भूमि जो जोती जाने से पहले बहुत दिन परती छोड़ी गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीलना					 : | स० [हिं० खील] १. पत्रों में खील लगाकर दोना, पत्तल आदि बनाना। खील लगाना। २. दे० ‘कीलना’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीला					 : | पु० [हिं० कील] [स्त्री० खीली] १. बाँस आदि की पतली छोटी सींक। २. बड़ी और मोटी कील। ३.खूँटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीली					 : | स्त्री०=खिल्ली (पान का बीड़ा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीवन					 : | स्त्री० [सं० क्षावन] मतवालापन। मत्तता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीवर					 : | वि० [सं० क्षावन] १. मतवाला। २. वीर। शूर। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीस					 : | स्त्री० [?] १. पशुओं के लम्बें तथा नुकीले दाँत। खाँग। जैसे–सूअर की खीस। २. खुले हुये तथा बाहर से दिखाई देने वाले दाँत। मुहावरा–खीस या खीसे काढ़ना या निकालना=कोई भूल हो जाने पर निर्लज्जतापूर्वक हँसना या दाँत निकालना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) ३.लज्जा। शरम। स्त्री० [देश०] १. नई ब्याई हुई भैस, गाय आदि का १॰-१२ दिनों का वह दूध जो पीने योग्य नहीं होता। पेउस। २. उक्त पशुओं के स्तन के अन्दर की माँस कील। मुहावरा–खीस निकालना=नई ब्याई हुई गाय, भैस आदि के थनों में से मांस-कील निकालना। विशेष–ये मांस-कीलें गर्भकालमें थनों में दूध रुके रहने के कारण बन जाती है। वि० [सं० किष्क-वध] नष्ट। बरबाद। उदाहरण–लगे करन मरव-खीसा।–तुलसी। क्रि. वि०निरर्थक। व्यर्थ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदाहरण-निठुरा आगे रोइबो आँसु गारिबो-खीस।–रहीन। स्त्री० [हिं० खीज] १. अप्रसन्नता। नाराजगी। २. क्रोध। गुस्सा। स्त्री० [फा० खिसारा] १. नुकसान। हानि। २. घाटा। टोटा। ३. कमी। न्यूनता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीसना					 : | अ० [हिं० खीस] नष्ट या बरबाद होना। उदाहरण–तुम्हरे दास जाहिं अघ खीसा।–तुलसी। स० नष्ट या बरबाद करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीसा					 : | पुं० [फा० कीसः] [स्त्री० अल्पा० खीसी] १. छोटा थैला। थैली। २. खलीता। जेब। ३. कपड़े की वह थैली जिससे नहाने के समय बदन मलकर साफ करते हैं। पुं० खीस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीह*					 : | स्त्री०=खीझ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खीहना					 : | अ०=खीझना। उदाहरण–तुही तुही कह गुडुरु खीहा।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंखणी					 : | स्त्री० [स०] एक प्रकार का वीणा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंगाह					 : | पुं० [स०] काले रंग का घोड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँटकढ़वा					 : | पुं० [हिं० खूँट+काढ़ना] कान की मैल निकालने वाला व्यक्ति। कनमैलिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँटाना					 : | स० [हिं० खूँटना] खूँटने का काम किसी से कराना। अ० खूँटा या तोड़ा जाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंटिला					 : | पुं० [देश०] कान में पहनने का कर्णफूल। उदाहरण–मनि कुंडल खुँटिआ औ खूँटी।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंड					 : | पुं० [देश०] १. एक प्रकार की मोटी घास। २. पहाडी टट्टुओं की एक जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँडला					 : | पुं० [सं० खंडल] १. टूटा-फूटा मकान। २. छोटा झोपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंदकार					 : | पुं० [फा० ख्वान्दगार] सेवक। नौकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँदवाना					 : | स०=खुँदाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँदाना					 : | स० [हिं० खूँदना] १. खूँदने में प्रवृत्त करना। २. (घोड़ा) कुदाना या कुदाते हुए चलाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँदिन					 : | स्त्री०=खूँद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुँदी					 : | स्त्री०=खूँद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंबी					 : | स्त्री०=खुंभी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुंभी					 : | स्त्री०[सं० कुंभ] १. कान में पहनने का एक गहना। २. दे० खुमी। स्त्री० [सं० स्कंभ] खंभे के नीचे का वह भाग जो ऊपर के भाग से कुछ बाहर निकला रहता है। उदाहरण–खुंभी पनाँ प्रवाली खंभ।–प्रिथीराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुआर					 : | वि० दे० ‘ख्वार’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुआरी					 : | स्त्री० दे० ‘ख्वारी’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुक्ख					 : | वि० [सं० शुष्क] १. जिसके पास कुछ भी धन-संपत्ति न हो। परम दरिद्र या निर्धन। २. जिसमें तत्त्व या सार न रह गया हो। खोखला। निस्सार। ३.जो ताश के खेल में पूरी तरह बाजी हार गया हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुखंड					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का राई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुखड़ा					 : | पुं० [हिं० खुक्ख] पेड़ जिसे घुन लगा हो अथवा जिसका गूदो सड़ गया हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [नेपा० खुकुरा] [स्त्री० अल्पा० खुखड़ी] कटार की तरह का एक प्रकार का बड़ा छुरा जो प्रायः नेपाली लोग रखते है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुखड़ी					 : | स्त्री० [देश०] १. तकुए पर लपेटकर सूत आदि का बनाया जानेवाला पिंड। कुकड़ी। २. छोटा खुखड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुखला					 : | वि०=खोखला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुखुड़ा					 : | पुं०=खुखड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुगीर					 : | पुं० दे० ‘खूगीर’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुचर					 : | स्त्री० [सं० कुचर-पराये दोष निकालनेवाला] किसी अच्छी बात में भी झूठ-मूठ का निकाला जानेवाला दोष या की जानेवाली आपत्ति। छिद्रान्वेषण। क्रि० प्र०–करना।–निकालना।–लगाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुचुर					 : | स्त्री०=खुचर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजलाना					 : | स० [सं० खर्जुं, खर्जन] [संज्ञा खुजलाहट, खुजली] शरीर के किसी अंग में खुजली होने पर उस स्थान को नाखूनों अथवा उँगलियों से बार-बार मलना या रगड़ना। अ० खुजली होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजलाहट					 : | स्त्री० [हिं० खुजलाना] खुजली होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजली					 : | स्त्री० [हिं० खुजलाना] १. शरीर के किसी अंग में रक्त का संचार रुक जाने के कारण होनेवाली सुरसुरी। २. एक चर्मरोग जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं और बहुत अधिक खुजलाहट होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजवाना					 : | स० [हिं० खोजना] किसी खोई हुई वस्तु को खोजने में किसी को प्रवृत्त करना। खोज कराना। खोजवाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजाई					 : | स्त्री० [हिं० खोजना+आई (प्रत्यय)] खोजने या ढूँढ़ने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुजाना					 : | अ० स० =खुजलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स०=खुजवाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुज्झा					 : | पुं०=खूझा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुझड़ा					 : | पुं०=खूझा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुझरा					 : | पुं० [सं० कु+हिं०जड़] १. जमीन पर उभरने अथवा फैलनेवाले पेड़ो की जड़ें। २. एक में गुथे हुए किसी चीज के बहुत से तंतु या रेशे। जैसे– नारियल की जटा या रेशम का खुझरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटक					 : | स्त्री०=खुटका।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटकना					 : | स० [सं० खुड् वा खुंड] किसी वस्तु का ऊपरी अंश या भाग दाँत या नाखूनों से नोचना या तोड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटका					 : | पुं० [हिं० खटका] ऐसी बात जो मन में खटक या चिंता उत्पन्न करती हो। खटका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटचाल					 : | स्त्री० [हिं० खोटी+चाल] १. दुष्ट उद्देश्य से किया जानेवाला काम या कही जानेवाली बात अथवा किसी को चिढ़ाने या कष्ट पहुँचाने के लिए चली जानेवाली बुरी चाल। खोटा या बुरा चाल-चलन। दुराचार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटचाली					 : | पुं० [हिं० खुटचाल+ई(प्रत्यय)] १. खुटचाल चलनेवाला दुष्ट व्यक्ति। २. बुरी चाल चलनेवाला व्यक्ति। दुराचारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटना					 : | अ० [सं० खुड् या खोट] १. समाप्त होना। खतम होना। २. कम पड़ना। घटना। ३. टूट कर अलग होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ०=खुलना। उदाहरण–निपट बिकट जौलौं जुटे, खुटहिं न कपट कपाट।–बिहारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटपन					 : | पुं० [हिं० खोटा+पन, पना (प्रत्यय)] खोटे या दुष्ट होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटला					 : | पुं० [देश०] कान में पहनने का एक प्रकार का गहना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटाई					 : | स्त्री०=खोटाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटाना					 : | अ० [हिं० खुटना] समाप्त होना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटिला					 : | पुं० [देश०] कान का एक प्रकार का आभूषण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुटेरा					 : | पुं० [सं० खदिर] खैर का पेड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुट्टी					 : | स्त्री० [खुट से अनु०] तिल और गुड़ (या चीनी) से बननेवाली एक प्रकार की मिठाई। रेवड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० कुट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुठमेरा					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का मोटा धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुड़ला					 : | पुं० [देश०] वह खानेदार अलमारी या दरबा जिसमें मुर्गें मुर्गियाँ बन्द की जाती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुडुआ					 : | पुं० [देश०] वर्षा या जाड़े आदि से बचाव के लिए सिर पर डाला जानेवाला कंबल या कोई कपड़ा। घोघी। क्रि०–प्र०–देना। मारना-लगाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुड्डी					 : | स्त्री० [पं० खुड्ड-विवर] १. वह गड्ढा जिसमें देहाती लोग मल-त्याग करते हैं। २. पाखाने में पैर रखने के पावदान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुड्ढी					 : | स्त्री०=खुड्डी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुतका					 : | पुं०=कुतका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुतबा					 : | पुं० [अ० खुत्बः] १. तारीफ। प्रशंसा। २. प्रशंसात्मक लेक या कविता। ३. मुसलमानी राज्यों में नये राजा के सिंहासन पर बैठने की घोषणा। मुहावरा–(किसी के नाम का) खुतबा पढ़ा जाना=किसी के सिंहासनासीन होने की घोषणा होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुत्थ					 : | पुं०=खुत्थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुत्थी					 : | स्त्री० [?] पौधों का वह भाग जो फसल काट लेने पर पृथ्वी के ऊपर बचा रह जाता है। खूँटी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [?] १. गुत्थी। थैली। २. धन-संपत्ति। ३.किसी पदार्थ का सार भाग। सत्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुथी					 : | स्त्री०=खुत्थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद					 : | अव्य० [फा०] स्वयं। आप। पद-खुद-बखुद (देखें)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदका					 : | पुं०=कुतका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदकाश्त					 : | स्त्री० [फा०] ऐसी जमीन जिसे उसका मालिक स्वयं जोतता-बोता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदकुशी					 : | स्त्री० [फा०] आत्महत्या। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदगरज					 : | वि० [फा०] [भाव० खुदगरजी] आपना ही काम या मतलब देखनेवाला। स्वार्थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदगरजी					 : | स्त्री० [फा०] खुदगरज होने की अवस्था या भाव। स्वार्थपरायणता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदना					 : | अ० [हिं० खोदना का अ०] १. जमीन आदि का खोदा जाना। जैसे– खान या नहर खुदना। २. खुदने के रूप में अंकित या चिह्नित होना। जैसे–बरतन पर नाम खुदना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद-परस्त					 : | वि० [फा०] [खुद-परस्ती] वह जो अपने आप को ही सबसे बढ़कर समझता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद-ब-खुद					 : | अव्य [फा०] आप से आप। अपनी ही इच्छा से। स्वतः (बिना किसी की प्रेरणा आदि के)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद-मुख्तार					 : | वि० [फा०] [भाव० खुद-मुख्तारी] जिस पर किसी दूसरे का प्रभुत्व या शासन न हो। स्वतन्त्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद-मुख्तारी					 : | स्त्री० [फा०] खुदमुख्तार होने की अवस्था या भाव। स्वतन्त्रता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदरा					 : | पुं० [फा० खुर्दा, सं० क्षुद्र] १. छोटी और साधारण वस्तु। फुटकर चीज। २. किसी पूरी चीज में के छोटे-छोटे अंश, खंड या टुकड़े। जैसे–दस रुपये के नोट का खुदरा। ३. चीजों की ब्रिकी का वह प्रकार जिसमें वे इकट्ठी या पूरी नहीं, बल्कि टुकड़े-टुकड़े या थोड़ी-थोड़ी करके बेची जाती हैं। थोक का विपर्याय। जैसे– थोक के व्यापारी खुदरा माल नहीं बेचते। वि० १. जो छोट-छोटे अंशों या टुकड़ों में हो। जैसे–खुदरा(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) नोट, खुदरा सौदा। २. थोड़ा-थोड़ा करके बिकनेवाला। (रिटेल)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=खुरदुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदराई					 : | स्त्री० [फा०] खुदराय होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदराय					 : | वि० [फा०] १. अपनी ही राय या विचार के अनुसार सब काम करनेवाला। दूसरों की राय न मानने या सुननेवाला। २. स्वेच्छा-चारी। निरंकुश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदवाई					 : | स्त्री० [हिं० खुदवाना] १. खुदवाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदवाना					 : | स० [हिं० खोदना का प्रे०] खोदने का काम दूसरे से कराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदा					 : | पुं० [फा०] १. परमात्मा। परमेश्वर। मुहावरा–खुदा-खुदा करके=बहुत कठिनता से। बड़ी मुश्किल से। खुदा लगती कहना-ऐसी ठीक और सच्ची बात कहना, जिससे ईश्वर प्रसन्न हो। पद-खुदा का घर-मसजिद। जिसमें ईश्वर का निवास माना जाता और उपासना की जाती है। कुदा की मार-दैवी प्रकोप। खुदा-न-ख्वास्ता-ईश्वर न करे कि ऐसा हो। (अशुभ बातों के प्रसंग में) जैसे– खुदा-न-ख्वास्ता अगर आप बीमार पड़ जाएँ तो ? | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदाई					 : | स्त्री०=खोदाई। वि० [फा० खोदाई] खुदा या ईश्वर की ओर से आने या होनेवाला ईश्वरीय। पद-खुदाई रात=ऐसी रात जिसमें बराबर जागते रहकर ईश्वर का ध्यान किया जाए। स्त्री० १. खुदा होने की अवस्था, पद या भाव। ईश्वरता। २. ईस्वर की रची हुई सारी सृष्टि। ३.सृष्टि में रहनेवाले सभी प्राणी या लोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदा-परस्त					 : | वि० [फा०] [भाव० खुदापरस्ती] ईश्वर को मानने तथा उसकी उपासना करनेवाला। आस्तिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदावंद					 : | पुं० [फा०] १. ईश्वर। २. मालिक। स्वामी। अव्य० जी हजूर। हाँ सरकार। (बड़ो से बातचीत करने अथवा उन्हें सम्बोधित करने के समय) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदाव					 : | पुं० [हिं० खोदना] १. किसी चीज के ऊपर किया हुआ खोदाई का काम। २. किसी चीज के ऊपर आकृति, रूप आदि खुदे होने का ढंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदा-हाफिज					 : | पद [फा०] ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे। (विदाई आदि के समय) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुदी					 : | पुं० [फा०] १. ‘खुद’ का अभाव। अहंभाव। २. अभिमान। घमंड। ३. शेखी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुद्दी					 : | स्त्री० [सं० क्षुद्र] १. चावल, दाल आदि के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े। किनकी। २. तर पदार्थ के नीचे की तलछट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनकी					 : | स्त्री० [फा०] हलकी सरदी। ठंडक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनखुना					 : | पुं० [अनु०] घुनघुना या झुनझुना नाम का खिलौना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनस					 : | स्त्री० [सं० खिन्नमनस्] [ वि० खुनसी] क्रोध। गुस्सा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनसाना					 : | अ० [हिं० खुनस] गुस्से या नाराज होकर कुछ कहना या बिगड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनसी					 : | वि० [हिं० खुनसाना] गुस्सा करनेवाला। क्रोधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुनिस					 : | स्त्री०=खनुस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुफिया					 : | वि० [फा०] छिपकर रहनेवाला अथवा छिपकर काम करनेवाला। गुप्त। क्रि० वि० गुप्त रूप से। छिपकर। जैसे– खुफियाँ जाँच करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुफियाखाना					 : | पुं० [फा०] वह स्थान जहाँ दुश्चरित्रा स्त्रियाँ धन लेकर व्यभिचार करती हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुफिया पुलिस					 : | स्त्री० [फा० खुफिया+अं० पुलिस] १. पुलिस का वह विभाग जो गुप्त रूप से अपराधों की जाँच करता है तथा अपराधियों का पता लगाता है। २. उक्त विभाग का कर्मचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुभना					 : | अ० [सं० क्षुभ्] गड़ना। चुभना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुभराना					 : | अ० [सं० क्षुब्ध] उपद्रव या उत्पात करने के लिए उधर-घूमना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुभिया					 : | स्त्री०=खुभी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुभी					 : | स्त्री० [हिं० खुभना] कान में पहनने का फूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुम					 : | पुं० [फा०] शराब रखने का घड़ा या मटका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमखाना					 : | पुं० [फा०] शराबखाना। मदिरालय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमरा					 : | पुं० [अ० कुंबुर=हजरत अली का एक गुलाम] [भाव० खुमरी] एक प्रकार के मुसलमान फकीर। पुं० [अ० खुमराह] छोटी चटाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमरी					 : | स्त्री०=कुमरी (पंडुक पक्षी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमा					 : | स्त्री०=खुमारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमान					 : | वि० [सं० आयुष्मान्] बड़ी आयुवाला। दीर्घजीवी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० शिवाजी महाराज की एक उपाधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमार					 : | वि० [फा०] १. खुमारी (दे०) २. आध्यात्मिक या ईश्वरी प्रेम का नशा या मद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुमारी					 : | स्त्री० [ अ० खुमार] १. भाँग, शराब आदि का नशा उतरते समय अथवा उतर जाने के बाद की वह स्थिति जिसमें शरीर आलस्य से भरा होता हैं, आँखें चढ़ी होती हैं, गला सूख रहा होता है और तबीयत कुछ-कुछ बेचैन सी रहती हैं। २. रात भर जागते रहने से अथवा बहुत अधिक थक रहने के कारण होनेवाली सुस्ती। खुमी | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुम्हारि					 : | स्त्री०=खुमारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरंट					 : | पुं०=खुरंड। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरंड					 : | पुं० [सं० क्षुर=खरोचना+अंड] घाव के सूखने पर उसके ऊपर जमनेवाली झिल्ली या पपड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर					 : | पुं० [सं०√खुर् (काटना)+क; पा० प्रा० खुर, छुर; बँ० उ० पं० गु० खुर; मरा० खूर] १. सींगनेवाले पशुओं के पैरों का अगला सिरा जो प्रायः गोल तथा बीच में फटा हुआ होता है। टाप। सुम। २. चारपाई या चौकी के पाये का निचला छोर जो पृथ्वी पर रहता है। ३. नख नामक गंध-द्रव्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरक					 : | स्त्री० [हिं० खुटका] १. खटका। अंदेशा। उदाहरण–सुआ न रहै खुरुक जिअ, अबहिं काल सो आउ।–जायसी। २. चिंता। सोच। स्त्री० =खुजली। पुं० [सं० खुर्√कै (चमकना)+क] १. तिल का पेड़। २. एक प्रकार का नृत्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरक राँगा					 : | पुं० [हिं० खुरक+राँगा] एक प्रकार का नरम और सफेद राँगा जो जल्दी गल जानेवाला होता है। हिरनखुरी राँगा। विशेष-वैद्यक में यह भस्म बनाने के लिए अच्छा माना जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरका					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरखुर					 : | पुं० [अनु०] वह शब्द जो गले या नाक में बलगम आदि अटकी या फँसी रहने के कारण साँस लेते समय होता है। घर घर शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरखुरा					 : | वि० [सं० क्षुर=खरोचना] जिसके ऊपरी तल पर ऐसे कण या रवें हों जो छूने या हाथ फेरने से गड़े। ‘चिकना’ का विपर्याय। खुरदुरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरखुराना					 : | अ० [हिं० खुरखर अनु०] १. खुरखुर शब्द होना। जैसे– गला खुरखुराना। २. छूने में खुरखुरा या ऊबड़-खाबड़ लगना। स० खुरखुर शब्द उत्पन्न करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरखुराहट					 : | स्त्री० [हिं० खुरखुर] १. खुरखुराने की क्रिया या भाव। खुरखुरे होने की अवस्था या भाव। कुरदरापन। ३. साँस लेने के समय गले में से कफ के कारण होनेवाला खुरखुर शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरचन					 : | स्त्री० [हिं० खुरचना] १. खुरचने की क्रिया या भाव। २. कड़ाही, तसले आदि में से पकी या बनी हुई वस्तु निकाल लेने के बाद उसमें बचा तथा चिपका हुआ उस वस्तु का वह अंश जो खुरचकर निकाला जाता है। ३. एक विशेष प्रकार से बनाई हुई रबड़ी जो कहाड़ी में से खुरजकर निकाली जाती है। ४. किसी वस्तु का बचा खुचा या अन्तिम अंश जैसे–स्त्रियाँ अपनी अन्तिम संतान को पेट की खुरचन कहती हैं। ५. वह उपकरण जिससे कहाड़ी, तसले आदि में से कोई चीज खुरचकर निकाली जाती है। खुरचनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरचना					 : | स० [सं० क्षुरण] १. कहाड़ी, तसले आदि में चिपका तथा लगा हुआ किसी वस्तु का अंश किसी उपकरण अथवा चम्मच आदि से रगड़कर निकालना। २. किसी नुकीली वस्तु को किसी दूसरी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि वह दूसरी वस्तु कुछ छिल जाए। जैसे– नाखून से मांस खुरचना, कील से लकड़ी खुरचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरचनी					 : | स्त्री० [हिं० खुरचना] कोई चीज खुरचने का उपकरण या औजार। जैसे–कसेरों या चमारों की खुरचनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरचाल					 : | स्त्री० [हिं० खोटी+चाल] १. किसी को चिढ़ाने या कष्ट पहुँचाने के लिए चली जानेवाली दुष्टतापूर्वक चाल। २. किसी काम में व्यर्थ की जानेवाली आपत्ति या डाली जानेवाली बाधा। ३.दुष्टता। पाजीपन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरचाली					 : | वि० [हिं० खुरचाल] १. जो जान-बूझकर दूसरों को चिढ़ाता अथवा परेशान करता हो। खुरचाल करनेवाला। २. पाजी। दुष्ट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरजी					 : | स्त्री० [फा०] गधे, घोड़े, बैल आदि के पीठ पर रखा जाने वाला एक प्रकार का बड़ा झोला या थैला जिसमें सामान आदि भरा जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरट					 : | पुं० [हिं० खुर] एक रोग जिसमें पशुओं के खुर पक जाते हैं। खुर पकने का रोग। पुं० =खुरंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरतार					 : | स्त्री० [हिं० खुर+तार (प्रत्य०)] खुरवाले पशुओं के चलने से होनेवाला शब्द। खुरों या टोपों की ध्वनि। उदाहरण-बज्जहि हय खुरतार, गाल वज्जहि सु उंट भव।–चंदबरदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरथी					 : | स्त्री० दे० ‘कुलथी’। (कदन्न)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरदरा					 : | वि० [हिं० खुर+दर अनु०] जिसकी सतह रुक्ष अथवा दानेदार हो। जैसे–खुरदरा कपड़ा। चिकना का विपर्याय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरदा					 : | वि०=खुदरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरदायँ					 : | पुं० [हिं० खुर+दाना] कटी हुई फसल में से भूसा और अन्न के दाने अलग-अलग करने के लिए बैलों से कुचलवाने या रौदवाने का काम। खुरों के द्वारा होनेवाली दँवाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरदारी					 : | पुं० [फा० खुर+दाद] भालू का जुलाब। (कलंदरों की बोली) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरपका					 : | पुं० [हिं० खुर+पकना] गाय, भैसों आदि के पकने का रोग। | 
			
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				| खुरपा					 : | पुं० [सं० क्षुरप्र, प्रा० खुप्प] [स्त्री० अल्पा० खुरपी] १. लोहे का मुठियादार एक छोटा उपकरण जिससे जमीन खोदी गोड़ी जाती हैं। २. उक्त आकार प्रकार का घास छीलने का एक छोटा उपकरण। पद-खुरपा जाली=घास छीलने और उसका गट्टर बाँधने का उपकरण। ३.चमारों या मोचियों का वह उपकरण जिससे वे चमड़ा छीलकर साफ करते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरफ					 : | पुं० [फा० खुरफा] कुलफा नामक साग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरबंदी					 : | स्त्री० [फा०] घोड़े, बैल आदि के खुरों में नाल जड़ने का काम। | 
			
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				| खुरमा					 : | पुं० [ अ० खुर्म] १. छुहारा नामक सूखा फल। २. एक प्रकार का पकवान जो मीठा भी बनता है और नमकीन भी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरयाऊ					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का फाग जो बुंदेलखंड में गाया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरली					 : | स्त्री० [सं०खुर√ला (लेना)+क+ङीष्] १. सेना का युद्धाभ्यास। २. अभ्यास करने का स्थल। स्त्री० [पं०] वह नाँद जिसमें पशुओं को चारा खिलाया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरसीटा					 : | पुं०=खुरपका (रोग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरहर					 : | पुं० [हिं० खुर+हा(प्रत्य०)] [स्त्री० अल्पा०खुरहरी] १. जमीन पर पड़ा हुआ गौओं, घोड़ों आदि के खुरो का चिन्ह्न या निशान। खुर की छाप। २. उक्त प्रकार के चिन्ह्नों से बना हुआ वह जंगली मार्ग जिस पर पशु चलते है। ३. पगडंडी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरहरा					 : | वि० [हिं० खुरखुर से अनु०] [स्त्री० खुरहरी] १. जो ऊपर से चिकना न हो। खुरदरा। २. (खाट या पलंग) जिस पर बिस्तर न छिपा हो और इसी लिए जिस पर रस्सी या सुतली शरीर में गड़ती या चुभती हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरहा					 : | पुं०=खुरपका (पशुओं का रोग)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरहुर					 : | पुं०=खुरहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरहुरी					 : | [सं० क्षुद्रफली>खुद्दहुली>खुरहरी] १. एक प्रकार का फलदार वृक्ष जिसे खेनन घूईं आदि भी कहते हैं। उदाहरण–नरियर फरेफरी खुरहुरी।–जायसी। २. उक्त वृक्ष का फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरा					 : | पुं० [हिं० खुर] १. खुरपका। (दे०) २. लोहे का वह काँटा जो हल के फाल में जड़ा रहता है। ३. वह पक्की चौकोर जमीन जो नालियों या मोरियों के ऊपरी भाग पर पानी आदि गिराने के लिए होती है।(पश्चिम) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुराई					 : | स्त्री० [हिं० खुर] वह रस्सी जिसमें पशुओं के अगले या पिछले दोनों पैर इसलिए बाँध दिये जाते हैं कि वह भागने न पावें। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुराक					 : | पुं० [फा० खूराक] १. वह जो कुछ खाया जाए। खाद्य पदार्थ। भोजन। जैसे– आदमियों की खुराक अलग होती है और जानवरों की अलग। २. भोजन की उतनी मात्रा जितनी एक बार अथवा एक दिन में काई जाए। ३.किसी वस्तु की उतनी मात्रा जितनी एक बार में लेनी उचित या उपयुक्त हो। जैसे–दवा की खुराक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुराकी					 : | स्त्री० [फा०] १. भोजन आदि की सामग्री। २. भोजन करने अथवा भोजन आदि की सामग्री लेने के लिए दिया जानेवाला धन। वि० जिसकी खुराक बहुत अधिक हो। | 
			
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				| खुराघात					 : | पुं० [सं० खुर-आघात, तृ० त०] खुर से किया हुआ आघात या प्रहार। | 
			
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				| खुराफात					 : | स्त्री० [अ० खुराफात का बहुवचन] १. बहुत ही भद्दी बातें। २. गाली-गलौज। मुहावरा–खुराफात बकना=गंदी या बेहूदी बातें कहना। ३. ऐस काम या बात जिससे किसी के दूसरे के काम में बाधा पड़ती हो, किसी की परेशानी बढ़ती हो या कोई उपद्रव खड़ा होता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुराफाती					 : | वि० [हिं० खुराफात] १. खुराफात-संबंधी। २. खुराफात के रूप में होनेवाला। पुं० वह जो प्रायः कुछ न कुछ खुराफात करता रहता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरायला					 : | पुं० [हिं० खुर+आयल] ऐसा जोता हुआ खेत जिसमें अभी बीज न बोयें गये हो। | 
			
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				| खुरालिक					 : | पुं० [सं० खुर-आलि, ष० त० खुरालि√कै(प्रतीत होना)+क] १. लोहे का तीर। २. तकिया। ३.उस्तरा, कैंची आदि रखने की नाइयों की थैली। किसबत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरासान					 : | पुं० [फा०] [ वि० खुरासानी] फारस देश का एक प्रदेश या भूभाग। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरासानी					 : | वि० [फा०] १. खुरासान-संबंधी। २. खुरासान प्रदेश में रहने अथवा होनेवाला। पुं० खुरासान का निवासी। स्त्री० खुरासान की बोली या भाषा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुराही					 : | स्त्री० [हिं० खुर+फा० राह] १. जमीन पर पड़े हुए गौओं, घोड़ों आदि के खुरों के चिन्हों आदि से बना हुआ मार्ग। २. रास्ते पर ऊँचानीचा पन सूचित करनेवाला एक शब्द। (कहारों की भाषा) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुरिया					 : | स्त्री० [फा० (आब) खोरा] १. कटोरी। छोटी प्याली। २. घुटने पर की गोल हड्डी। चक्की। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरी					 : | स्त्री० [हिं० खुर] १. खुर या टाप का चिन्ह या छाप। सुम का निशान। मुहावरा–खुरी करना=(क) चलने के लिए आतुर होनेपर घोड़े, बैल आदि सुमवाले पशुओं का पैर से जमीन खोदना। (ख) जल्दी मचाना। (व्यंग्य)। २. उपद्रव। ३. दुष्टता। पाजीपन। स्त्री० [?] बहते हुए पानी की वह जहरदस्त धार जिसके विपरीत नाव न चल सके। (मल्लाह) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरुक					 : | स्त्री० दे० ‘खुरक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरुचना					 : | अ० =खुरचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरुचनी					 : | वि०=खुरचनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरुहरा					 : | वि०=खुरहरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरुहुरी					 : | स्त्री० दे० ‘खुरहुरी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरू					 : | पुं० दे० ‘खुरी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरूक					 : | स्त्री० [देश०] नारियल में की गरी। (बुंदेल०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुरैरा					 : | वि० [स्त्री० खुरैरी]=खुरहरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खुर्द					 : | वि० [फा०] छोटा। लघु। ‘‘कलाँ’’ का उल्टा। | 
			
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				| खुर्दुनी					 : | वि० [फा०] खाने योग्य। (वस्तु)। स्त्री० खाई जानेवाली वस्तु। खाद्य पदार्थ। | 
			
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				| खुर्दबीन					 : | स्त्री० [फा०] वह यंत्र जिसके द्वारा देखने पर छोटी चीजें बड़ी दिखाई पड़ती हैं। सूक्ष्मदर्शक यंत्र। (माइक्रोस्कोप) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्दबुर्द					 : | क्रि० वि० [फा०] जो खा-पकाकर समाप्त या बहुत बुरी तरह से नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्दा					 : | भू० कृ० [फा० खुर्दः]खाया हुआ। भक्षित। पुं० छोटी मोटी चीज। साधारण या तुच्छ वस्तु। वि० दे० ‘खुदरा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्रम					 : | वि० [फा०] १. ताजा। २. प्रसन्नचित। खुश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्रमगाह					 : | स्त्री० [अ+फा०] राजाओं आदि का शयनागार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्राट					 : | वि० [देश०] १. बड़ा-बूढ़ा। वृद्ध। २. बहुत अनुभवी। ३.चालाक तथा चालबाज। धूर्त। काइयाँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्रांटा					 : | पुं० दे० ‘खर्राटा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुर्संद					 : | वि० [फा०] १. जो कोई बात मानने के लिए तैयार हो गया हो। राजी। २. प्रसन्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलता					 : | वि० [हिं० खुलना] १. जो आगे से खुला हो। जिसके आगे कोई आड़ न हो। जैसे–खुलता मकान। २. (रंग) जो हलका तेज हो और देखने में भला जान पड़ता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलती					 : | स्त्री०=कुलथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलना					 : | अ० [सं० क्षुर (कटना या खुदना, प्रा० खुल्ल, मरा० खुलणे] हिन्दी ‘खोलना’ का अकर्मक रूप जो भौतिक या मूर्त और अभौतिक या अभूर्त रूपों में नीचे लिखे अर्थों में प्रयुक्त होता है–भौतिक या मूर्त रूपों में– १. बंधी या बाँधी हुई चीज का बंधन इस प्रकार हट जाना कि वह बँधी न रह जाए। जैसे–(क) गाँठ या रस्सी खुलना। (ख) बेड़ी या हथकड़ी खुलना। २. चारों ओर लिपटी या लपेटी हुई चीज का अपने स्थान से अलग किया जाना या होना। जैसे–धोती या पगड़ी खुलना। ३.शरीर पर धारण की हुई चीज का उतरना या उतारा जाना। जैसे–कमीज या कोट खुलना। ४. जो चीज किसी प्रकार के आवरण आदि के कारण आँखों से ओझल हो, उसके आगे का आवरण इस प्रकार हट जाना कि वह चीज सामने आ जाए। अनावृत्त होना। जैसे–रंग-मंच पर का परदा खुलना, संदूक या उसका ढक्कन खुलना। ५. किसी घिरे छाये या बन्द स्थान के आगे लगे हुए किवाड़ों या पल्लों का हटकर या हटाये जाने पर इस प्रकार इधर या उधर हो जाना कि बीच में आने-जाने का मार्ग हो जाए। जैसे– (क) किले का फाटक खुलना। (ख) कोठरी या मकान का दरवाजा खुलना। ६. अवरोध बाधा आदि हटने के फलस्वरूप किसी चीज का सार्वजनिक उपयोग या व्यवहार के लिए सुगम होना। जैसे– प्रदर्शनी खुलना। ७. मोड़ी लपेटी या तह की हुई चीज का इस प्रकार विस्तृत किया जाना या होना कि उसके सिरे यथासाध्य दूर तक फैल जाएँ। जैसे–पढ़ाई के समय पुस्तक खुलना। ८. टाँके सिलाई आदि के द्वारा जुड़ी या जोड़ी हुई चीज का जोड़, टाँका या सिलाई टूट या हट जाने के कारण संयोजक अंगो का अलग-अलग होना। जैसे– (क) चूड़ी या हार का टाँका खुलना। (ख) जूते की सीअन खुलना। ९. यांत्रिक क्रिया या साधन से बंद की हुई चीज में विपरीत क्रिया के फलस्वरूप ऐसी स्थिति होना कि वह बंद न रह जाए। जैसे–खबरों, गीतों या भाषणों के सुने जाने के लिए रेडियो खुलना। १॰. मरम्मत आदि के लिए यंत्रों के कल-पुरजे या कील-काँटो का अलग-अलग होना या अपने स्थान से हटाया जाना। जैसे– घड़ी खुलने पर ही इसके भीतरी दोषों का पता लगेगा। ११. ठहरे या रुके हुए यानों आदि का उद्दिष्ट या गंतव्य स्थान की ओर चलने या जाने के लिय प्रस्थित होना। जैसे–ठीक समय पर नाव या रेल खुलना। १२. जिसका अगला भाग या मुँह बंद हो या बंद किया गया हो, उसका बंद न रह जाना। जैसे–(क) बोतल का काग खुलना। (ख) खरच करने के लिए रुपयों की थैली खुलना। १३. शरीर के अंग या तल में किसी प्रकार का अवकाश या विवर हो जाना। जैसे–(क) दवा या पुलटिस से फोड़े का मुँह खुलना। (ख) लाठी की चोट से किसी का सिर खुलना। १४. रुपए-पैसे आदि के संबंध में अनावश्यक रूप से व्यय होना अथवा पास से निकल जाना। जैसे–बात ही बात में हमारे तो सौ रुपये खुल गये। १५. अवकाश या वातावरण के संबंध में उस पर छाये हुए बादलों का छिन्न-भिन्न होकर दूर हट जाना। जैसे–चार दिन की बरसात के बाद आज आसमान खुला है। १६. किसी कार्य या किसी विशिष्ट रूप में फिर से या नये सिरे से आरंभ होना या चलना। जैसे–आपस का लेन-देन या व्यवहार खुलना। १७. किसी प्रकार की संस्था का किसी विशिष्ट क्षेत्र में नया काम करने के लिए परिचालित या स्थापित होना। जैसे–(क) अछूतों या लड़कियों के लिए पाठशाला खुलना। १८. नियत समय पर कार्यालयों आदि की ऐसी स्थिति होना कि सब लोग आकर अपना अपना काम कर सकें। जैसे– दफ्तर या दुकान खुलना। १९.शरीर के किसी अंग का अपने कार्य के लिए उपयुक्त बनना या प्रस्तुत होना। जैसे– खाने के लिए मुँह अच्छी तरह देखने के लिए आँखे या सुनने के लिए कान खुलना। २॰. शरीर के किसी अंग का कोई अनुचित काम करने के लिए स्वच्छन्द होकर अभ्यस्त होना। जैसे–गालियाँ बकने के लिए जबान या मारने-पीटने के लिए हाथ खुलना। अभौतिक या अमूर्त्त रूपों में– १. अज्ञेय, अस्पष्ट या दुर्बोध बात का ऐसे रूप में आना या होना कि वह लोगों की समझ में आ जाए। जैसे–(क) किसी घटना या रहस्य का श्लोक का अर्थ खुलना। २. बातचीत में किसी के सामने ऐसे रूप में उपस्थित होना कि कुछ भी छिपा या दबान रह जाए। जैसे–(क) अफसर के डाँट बताते ही उचक्का उसके सामने खुल गया। (ख) चलो, अच्छा हुआ, अब सब बातें खुल गई। ३. जो क्रम, परम्परा या परिपाटी किसी प्रकार बंद कर दी गई हो या समाप्त हो चुकी हो, उसका फिर से आरंभ होना। जैसे–(क) बिरादरी में हुक्का-पानी खुलना। (ख) माफी माँगने पर वेतन या वृत्ति खुलना। ४. भाग्य के संबंध में कष्ट या विपत्ति के दिन दूर होने पर सुख-सौभाग्य आदि के दिन दिखाई देना। जैसे–यह नई नौकरी उन्हें क्या मिली है कि उनकी तकदीर खुल गई है। ५. किसी प्रकार के अवरोध या बंधन से मुक्त और स्वच्छन्द होना। पद-खुलकर=बिना किसी बाधा के। अच्छी तरह। जैसे– खुलकर भूख लगना या पाखाना होना। मुहावरा–खुलकर खेलना=कलंक, लज्जा आदि का ध्यान या विचार छोड़कर स्वच्छन्दतापूर्वक सब प्रकार के अनुचित काम करने लगना। ६. देखने में भला या सुहावना लगना। सुशोभित होना। खिलना। जैसे– इस साड़ी पर काली गोट खूब खिलेगी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलवा					 : | पुं० [देश०] धातु को गलाकर साँचों में ढालने वाला व्यक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलवाना					 : | स० [हिं० खोलना] दूसरे को कोई चीज खोलने में प्रवृत्त करना। खोलने का काम दूसरे से कराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुला					 : | वि० [हिं० खोलना] [स्त्री० खुली] १. जो बंद या भेड़ा हुआ न हो। जैसे–खुला दरवाजा। २. जो बँधा न हो। जो बंधन से कसा या जकड़ा न हो। जैसे–खुला कुत्ता या खुली गाय। ३. जिसमें किसी प्रकार की आड़, बाधा या रोक न हो। जैसे–खुली सड़क, खुली हवा। ४. जो संकरा न हो। लँबा चोड़ा। विस्तृत। जैसे– खुला कमरा, खुला मैदान। ५. जो बंद या चिपका न हो। जिसकी तह न लगी हो। जैसे– खुली पुस्तक। ६. (मशीन यंत्र आदि) जिसका कोई पेंच इस प्रकार घुमा दिया गया हो कि वह काम करने लगे। जैसे–खुला रेडियो। ७. जो किसी चीज से ढका या छाया हुआ न हो। जैसे– खुली छत या बरामदा। ८. जो गुप्त या छिपा न हो। साफ। स्पष्ट। मुहावरा– खुले खजाने=सबके सामने। स्पष्ट रूप से। खुले दिल से-(क) उदारतापूर्वक। (ख) शुद्ध ह्रदय से। खुले बंदाँ-(क) खुले खजाने। (ख) निःशंक होकर। बेधड़क। खुले मैदान-सबके सामने। खुले खजाने। खुली हवा-वह हवा जिसकी गति का अवरोध न होता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलाई					 : | स्त्री० [हिं० खोलना] १. खुलने, खुलवाने या खोलने की क्रिया या भाव। २. खुलवाने या खोलने का पारिश्रमिक या मजदूरी। ३.चित्रकला में चित्र तैयार हो जाने पर मंद पड़ जानेवाली आकार-रेखाओं पर फिर से रंग चढ़ाकर उन्हें चमकाना। उन्मीलन। तहरीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुला पल्ला					 : | पुं० [हिं० खुला+पल्ला] ढोलक, तबला, मृदंग आदि बजाने में दोनों हाथों से एक साथ या केवल बाएँ हाथ से खुली थाप देकर बजाना आरम्भ करना। (संगीत) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलासा					 : | वि० [अ० खुलासः] १. खुला हुआ। २. विस्तीर्ण। विस्तृत। ३. जिसके आगे कोई अवरोध या रुकावट न हो। ४. (कथन) साफ। स्पष्ट। पुं० संक्षिप्त कथन या विवरण। सारांश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलासी					 : | स्त्री० दे० ‘खलासी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलित					 : | वि० [हिं० खुलना] खुला हुआ। उन्मीलित। उदाहरण-खलित वचन, अध-खुलित दृग, ललित स्वेद, कन जीति।–बिहारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुलेआम					 : | क्रि० वि० [हिं० खुलना+फा० आम] खुलकर और सबके सामने। प्रत्यक्ष रूप से । | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुल्ल					 : | वि० [सं०] १. छोटा। लघु। जैसे– खुल्लतात=पिता का छोटा भाई, अर्थात् चाचा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुल्लम-खुल्ला					 : | क्रि० वि० [हिं० खुलना] १. बिना किसी से छिपाये हुए। खुलकर और सबके सामने। २. सर्वसाधारण को सूचित करते हुए। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुवार					 : | वि०=ख्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुवारी					 : | स्त्री०=ख्वारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश					 : | वि० [फा०] १. जो अपनी स्थिति तथा परिस्थितियों से पूर्णतया संतुष्ट हो। प्रसन्न। २. जो अपने अथवा किसी के द्वारा किये हुए कार्य से संतोष तथा सुख अनुभव कर रहा हो। आनंदित। ३. जो प्रिय, रुचिकर या शुभ हो। सुंदर। जैसे–खुशबू, खुशखबरी। ४. अच्छा। उत्तम। जैसे– खुशखत खुशनवीस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशकिस्मत					 : | वि० [फा०] अच्छी किस्मतवाला। भाग्यवान्। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशकिस्मती					 : | स्त्री० [फा०] अच्छी किस्मत। सौभाग्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशकी					 : | स्त्री० =खुश्की। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशखत					 : | वि० [फा०] १. सुंदर तथा स्पष्ट अक्षरों में लिखा हुआ। २. सुंदर तथा स्पष्ट अक्षर लिखनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशखबरी					 : | स्त्री० [फा०] प्रसन्न करनेवाला और शुभ समाचार। अच्छी खबर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुशदिल					 : | वि० [फा०] १. सदा प्रसन्न रहनेवाला। २. सदा हँसता रहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशनवीस					 : | वि० [फा०] (व्यक्ति) जो अच्छे अक्षर खूब बना बनाकर लिखता हो। जिसकी लिखावट सुन्दर तथा स्पष्ट हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशनवीसी					 : | स्त्री० [फा०] सुन्दर अक्षर लिखने की कला, गुण या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशनसीब					 : | वि० [फा०] [खुशनसीबी] जिसकी नसीब अर्थात् भाग्य अच्छा हो। भाग्यवान्। सौभाग्यशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशनसीबी					 : | स्त्री० [फा०] खुशनसीब होने की अवस्था या भाव। सौभाग्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशनुमा					 : | वि० [फा०] जो देखने में बहुत अच्छा हो। नयनाभिराम। सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुशबयान					 : | वि० [फा०] [भाव० खुशबयानी] अच्छे ढंग से किसी घटना, बात आदि का वर्णन करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूशबू					 : | स्त्री० [फा०] १. अच्छी गंध। सुगंध। २. सुगंध देनेवाला। पदार्थ। सुगंधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशबूदार					 : | वि० [फा०] जिसमें से खुशबू आती या निकलती हो। सुगंधित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश-मिजाज					 : | वि० [फा०] १. अच्छे मिजाज या स्वभाववाला। २. सदा हँसता रहनेवाला। प्रसन्न-चित्त। हँसमुख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशरंग					 : | वि० [फा०] अच्छे या बढिया रंगवाला। पुं० अच्छा और बढिया रंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खुशहाल					 : | वि० [फा०] [भाव० खुशहाली] घर-गृहस्थी, रहन-सहन आदि के विचार से अच्छी स्थिति में और सुखी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशहाली					 : | स्त्री० [फा०] खुशहाल होने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशाब					 : | पुं० [फा०] धान के खेत में उगी हुई घास आदि निराने का एक कश्मीरी ढंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशामद					 : | स्त्री० [फा०] अपना काम निकालने अथवा यों ही किसी को प्रसन्न करने के लिए किसी की की जानेवाली अतिरिक्त या झूठी प्रशंसा। चापलूसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसामदी					 : | वि० [फा० खुशामद+ई (प्रत्यय)] १. खुशामद करनेवाला। चापलूस। २. हलुआ नामक व्यंजन। (बुदे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशामदी टट्टू					 : | पुं० [हिं० खुशामदी+टट्टू] वह जो सदा किसी की खुशामद में लगा रहता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशियाली					 : | स्त्री० [फा० खुशहाली] १. प्रसन्न तथा खुशी होने की अवस्था। २. कुशलक्षेम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुशी					 : | स्त्री० [फा०] १. मन में होनेवाली सुखद अनुभूति। प्रसन्नता। २. ठगों की भाषा में उनका कुल्हाड़ा और डंडा जो उनके गिरोह के आगे चलता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश्क					 : | वि० [सं० शुष्क से फा० खुश्क] १. (पदार्थ) जिसमें से जल का अंश सूखकर बिलकुल निकल गया हो। सूखा। जैसे–खुश्क जमीन, खुश्क जलवायु। २. जो चिकना न हो। अथवा जिसमें चिकनाहट न लगी हो। जैसे–खुश्क रोटी। ३. (वेतन) जो केवल रुपयों के रूप में मिलता हो और जिसके साथ भोजन आदि न मिलता हो। ४. (व्यक्ति) जिसके हृदय में कोमलता, रसिकता आदि का अभाव हो। रूखे स्वभाववाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश्क-साली					 : | स्त्री० [फा०] ऐसी स्थिति जिसमें ठीक ऋतु में या समय पर पानी बिलकुल न बरसा हो। अनावृष्टि का वर्ष। सूखा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश्का					 : | पुं० [फा० खुश्क से] पानी में उबालकर पकाया हुआ चावल जिसमें घी आदि का अंश न हो। भात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुश्की					 : | स्त्री० [फा०] १. खुश्क या सूखे होने की अवस्था या भाव। सूखापन। शुष्कता। २. नीरसता। ३. वृष्टि का अभाव। अवर्षा। सूखा। ४. ऐसी जमीन जो जल से परे या दूर हो। स्थल। ५. पूरी, रोटी आदि बेलने के समय उसकी लोई में लगाया जानेवाला सूखा आटा। पलेथन। ६. शरीर के अन्दर या बाहर की वह स्थिति जिसमें तरी या स्निग्धता बिलकुल न रह गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसरा					 : | पुं०=खुसिया। पुं० [पं०] नपुंसक। हिजड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसाल					 : | वि० [फा० खुशहाल] प्रसन्न। आनंदित। क्रि० वि० खुशी से। प्रसन्नतापूर्वक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसिया					 : | पुं० [अ० खुसियः] अंडकोश। फोता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसिया-बरबार					 : | वि० [अ०+फा०] [भाव० खुसिया-बरदारी] किसी को प्रसन्न करने के लिए उसकी छोटी-मोटी सभी प्रकार की सेवाएँ करने वाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसिल्लिया					 : | स्त्री०=खुशियाली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसुरफुसुर					 : | स्त्री० [अनु०] १. कान के पास मुँह ले जाकर बहुत धीमी आवाज में की जानेवाली बातें। कानाफूसी। २. इस प्रकार दो पक्षों में होनेवाली बातचीत। क्रि० वि० उक्त प्रकार की बहुत धीमी आवाज से। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसूसन्					 : | क्रि० वि० [अ०] खास तौर पर। विशेष रूप से। विशेषतः। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुसूसियत					 : | स्त्री० [अ०] खास खूबी, गुण या विशेषता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुस्याल					 : | वि० क्रि०, वि० दे० ‘खुसाल’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खुही					 : | स्त्री० [सं० खोलक] धूप, सरदी आदि से शरीर को बचाने के लिए सिर तथा शरीर पर विशेष ढंग से लपेटी हुई चादर। घुग्घी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँ					 : | पुं० [फा०] खून। रक्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँखार					 : | वि० [वि० खूँखार] [भाव० खूँखारी] १.खून-पीने या पान करनेवाला। हिंसक। २. बहुत बड़ा क्रूर या निर्दय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँट					 : | पुं० [सं० खंड] १. कपड़े आदि का छोर या सिरा। २. किसी ओर का भाग या सिरा। प्रांत। ३. ओर। तरफ। दिशा। ४. खंड। भाग। ५. भारी, चौकोर या गोल पत्थर जो मकान की मजबूती के लिए कोनों पर लगाया जाता है। ६. देवी-देवताओं को चढ़ाने के लिए बनाई हुई छोटी पूरी। ७. लकड़ी पर लगनेवाला महसूल। पुं० [देश०] १. घी, आदि तौलने की आठ सेर की एक तौल। २. कान में पहनने का गहना। स्त्री० [हिं० खोट] कान का मैल। स्त्री० [हिं० खुटना=समाप्त होना] कोई ऐसी कमी या त्रुटि जिसकी पूर्ति करना आवश्यक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँटना					 : | स० [सं० खंड=तोड़ना] १. अलग करने के लिए तोड़ना। खोंटना। जैसे–फूल या मेंहदी खूँटना। २. दबी हुई चीज या बात ऊपर या सामने लाने के लिए प्रयत्न करना। ३. चिढ़ाने या तंग करने के लिए छेड़-छाड़ करना। उदाहरण–उनको अधिक खूँटा जाता था।–वृंदावनलाल। अ०[सं० ] खतम या समाप्त करना। खुटना। उदाहरण-खरोई खिसाने खैचिं बसन न खूँटो है।–केशव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँटा					 : | पुं० [सं० क्षोड़] [स्त्री० अल्पा० खूँटी] १. पत्थर, लकड़ी लोहे आदि का वह टुकड़ा जो जमीन में खड़ा गाड़ा गया हो और जिसमें गाय, भैंस अथवा खेमों, नावों आदि की रस्सी बाँधी जाती हो। मुहावरा–खूँटा गाड़ना=(क) केन्द्र निश्चित या निर्धारित करना।(ख) सीमा या हद बाँधना। २. रहस्य सम्प्रदाय में मन, जिससे वृत्तियाँ बँधी रहती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँटी					 : | स्त्री० [हिं० खूँटा का स्त्री० अल्पा०] १. जमीन आदि में गाड़ा जानेवाला छोटा खूँटा। जैसे–खेमे की खूँटी, खड़ाऊ की खूँटी। २. खेतों में खूँटों की भाँति निकले हुए (फसल के) वे डंठल जो फसल काट लेने पर बचे रहते हैं। ३. दीवार में कोई चीज टाँगने, बाँधने, लटकाने आदि के लिए गाड़ी जानेवाली कील आदि। ४. दाढ़ी पर के बालों के वे छोटे-छोटे अंश या अंकुर जो उस्तरे से दाढ़ी बनाने पर भी बचे रहते हैं। मुहावरा–खूँटी निकालना वा लेना=इस प्रकार मूँड़ना कि बाल त्वचा के बाहर निकला हुआ न रह जाए। ५. नील की फसल एक बार कट जाने पर उसी जगह आप से आप उगने वाली उसकी दूसरी फसल। दोरेजी। ६. किसी चीज के विस्तार का अंतिम अंश या भाग। सीमा। हद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँटी उखाड़					 : | पुं० [हिं० खूँटी+उखाड़ना] घोड़े की एक भौरी। (कहते है कि जिस घोड़े के शरीर पर यह भौरी होती है, वह खूँटे से बँधे रहने पर बहुत उपद्रव करता है।) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँटीगाड़					 : | पुं० [हिं० खूँटी+गाड़ना] घोड़े की एक भौंरी (कहते है कि जिस घोड़े के शरीर पर यह भौंरी होती है, वह सदा खूँटे से बँधा रहना ही पसंद करता है।) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँड़ा					 : | पुं० [सं० क्षोड़=खूँटा] जुलाहों का लोहे का वह पतला छड़ जिसमें वे नारा लगा कर तानते हैं। वि० दे० ‘खोड़ा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खूँड़ा] वह पतली लकड़ी जिसकी सहायता से जुलाहे ताना कसते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँद					 : | स्त्री० [हिं० खूँदना] खड़े हुए घोड़े के खूँदने अर्थात् जमीन पर बार-बार पैर पटकने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँदना					 : | अ० [सं० खंडन-तोड़ना] [भाव० खूँद] १. चंचल या तेज घोड़ों का खड़े रहने की दशा में पैर उठा-उठाकर जमीन पर पटकना। २. जमीन पर पैर इस प्रकार पटकना कि उसका कुछ अंश खुद या कट जाए। उदाहरण-आजु नराएन फिर जग खूँदा।–जायसी। ३. पैरों से कुचलना या रौंदना। ४. अव्यवस्थित या तितर-बितर करना। अ०-कूदना। उदाहरण-चढ़ै तो जाइ बारवह खूँदी।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँभी					 : | स्त्री०=खुत्थी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूँ-रेजी					 : | स्त्री० [फा०] रक्तपात (दे०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खू					 : | स्त्री० [फा०] १. आदत। २. स्वभाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूखी					 : | स्त्री० [देश०] गेरुई नाम का छोटा कीड़ा जो रबी की फसल को नुकसान पहुँचाता है। कूकी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूखू					 : | पुं० [फा० खूक] सूअर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूगीर					 : | पुं० [फा०] १. घोड़े की जीन के नीचे बिछाया जानेवाला ऊनी कपड़ा। नमदा। २. चारजामा। जीन। ३.रद्दी या व्यर्थ की चीजें या सामान। मुहावरा– खूगीर की भरती=अनावश्यक और व्यर्थ की चीजों या व्यक्तियों का वर्ग या समूह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूच					 : | स्त्री० [देश०] जल-डमरू मध्य। (लश०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूझा					 : | पुं० [सं० गुह्म, प्रा० गुज्झ] १. किसी फल तरकारी आदि का वह रेशेदार अंश जो खाये जाने के योग्य न समझकर फेंक दिया जाता है। २. सूत, रेशम आदि के तंतुओं या धागों का उलझा हुआ पिंड जो जल्दी काम में न आ सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूटना					 : | अ० [सं० खुंडन] १. अवरुद्ध होना। रुकना। २. बंद होना। ३. समाप्त होना। न रह जाना। स० १. रोकना या रोक टोक करना। २. बंद करना। ३. समाप्ति करना। ४. छेड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूटा					 : | वि० [हिं० खोट] १. जिसमें किसी प्रकार की न्यूनता या कमी हो। २. दे० ‘खोटा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूद					 : | पुं० [सं० क्षुद्र] वह रद्दी तथा बेकार अंश जो किसी वस्तु को छानने अथवा साफ करने पर बच रहता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूदड़ (दर)					 : | पुं०=खूद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खून					 : | पुं० [फा०] १. लाल रंग का वह प्रसिद्ध तरल पदार्थ जो मनुष्यों पशुओं आदि के शरीर में नाड़ियों शिराओं आदि में से होकर चक्कर लगाता रहता है। रक्त। रुधिर। लहू। मुहावरा–(आँखों में) खून उतरना=अत्यन्त क्रोध के कारण आँखे लाल हो जाना। खून उबलना या खौलना-आवेश में लानेवाला क्रोध उत्पन्न होना। (किसी के) खून का प्यासा होना=किसी की हत्या करने के लिए विकल होकर अवसर ढूँढ़ते रहना। (किसी के सामने) खून खुश्क होना या सूखना=किसी से बहुत अधिक डर लगना। (किसी का) खून पीना-किसी को बहुत अधिक तंग या परेशान करना। बहुत दुःखी करना या सताना। (किसी का) खून बहाना=किसी का वध या हत्या करना। (अपना खून बहाना-किसी के लिए प्राण दे देना या देने के लिए उतारू होना। खून बिगड़ना=रक्त का ऐसा विकार होना कि किसी प्रकार का त्वचा संबंधी रोग हो जाए। खून सफेद हो जाना-मनुष्यत्व, सौजन्य, स्नेह आदि से बिलकुल रहित हो जाना। पद–खून का जोश=रक्त संबंध के कारण होने वाला मानसिक आवेग। जैसे–लड़के के लिए माता-पिता में या भाई के लिए भाई में होता है। २. किसी व्यक्ति की इस प्रकार की जाने वाली हत्या कि उसका शरीर लहू लुहान हो जाए। मुहावरा–खून सिर पर चढ़ना या सवार होना=किसी को मार डालने अथवा कोई अनिष्ट या भीषण कार्य करने पर उतारू होना। पद-खून खराबा, खून खराबी-मार-काट। रक्तपात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खून-खराबा					 : | पुं० [हिं० खून+खराबी] १. लकड़ियों आदि पर की जानेवाली एक प्रकार की वार्निश। २ दे० ‘खून-खराबी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खून-खराबी					 : | स्त्री० [हिं० खून+खराबी] ऐसा लड़ाई-झगड़ा जिसमें शरीर से खून बहने लगे। मार-काट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूनी					 : | वि० [फा०] १. खून-संबंधी। खून का। जैसे– खूनी बवासीर। २. जिसमें से खून झलकता या टपकता हो। खून से भरा हुआ। जैसे– खूनी आँखें। ३. खून के रंग जैसा गहरा लाल। जैसे–खूनी रंग। ४. (व्यक्ति) जिसने किसी का खून किया हो। हत्यारा। ५. (व्यक्ति) जो हरदम खून खराबा या मार काट करने के लिए तैयार रहता हो। बहुत बड़ा उपद्रवी और दुष्ट। ६. घातक। मारक। जैसे– खूनी वार। पुं० खून की तरह का गहरा लाल रंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूब					 : | वि० [फा०] सब प्रकार से अच्छा और उत्तम। बढिया। अ० य० अच्छी तरह से। भली-भाँति। जैसे–खूब बकना, खूब मारना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूब कलाँ					 : | पुं० [फा०] फारस देश की एक प्रकार की घास जिसके बीज दवा के काम आते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूबड़खाबड़					 : | वि०=ऊबड़-खाबड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूबसूरत					 : | वि० [फा०] [भाव० खूबसूरती] जिसकी सूरत अर्थात् आकृति अच्छी हो। जो देखने में बहुत भला लगता हो। सुन्दर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूबसूरती					 : | स्त्री० [फा०] खूबसूरत होने की अवस्था या भाव। सुन्दरता। सौन्दर्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूबानी					 : | स्त्री० [फा०] एक प्रकार का बढिया फल। जरदालू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूबी					 : | स्त्री० [फा०] १. खूब होने की अवस्था या भाव। अच्छाई। अच्छापन। भलाई। २. गुण। विशेषता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूरन					 : | स्त्री० [सं० क्षुर हिं० खुर] हाथी के पैरों के नाखूनों में होनेवाला एक रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूसट					 : | पुं० [सं० कोशिक] उल्लू। वि० १. बहुत बड़ा मूर्ख। २. जो रसिक न हो। शुष्कहृदय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खूसर					 : | वि०=खूसट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खृष्ठीय					 : | वि० दे० ‘मसीही’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेई					 : | स्त्री० [देश०] १. झड़बैरी की सूखी झाड़ी। २. झाड़-झंखाड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेऊ					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का जंगली पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेखसा					 : | पुं० [देश०] परवल की जाति का एक फल जिसकी तरकारी बनती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेचर					 : | वि० [सं०खे√चर् (गति)+ट, अलुक-समास] आकाश में चलने या उड़नेवाला। आकाशचारी। पुं० १. सूर्य, चंद्रमा आदि ग्रह और नक्षत्र जो आकाश में चलते रहते हैं। २. देवता। ३. वायु। हवा। ४. आकाशयान। विमान। ५. चिड़िया। पक्षी। ६. बादल। मेघ। ७. भूत-प्रेत, राक्षस, विद्याधर, वेताल आदि देव-योनियाँ। ८. शिव। ९. पारा। १॰.कसीस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेचरान्न					 : | पुं० [सं० खेचर-अन्न,कर्म० स०] खिचड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेचरी					 : | स्त्री० [सं० खेचर+ङीप्] १. आकाश में उड़ने की शक्ति जो एक सिद्धि मानी जाती है। २. हठयोग की एक मुद्रा जिसमें जबान उलटकर तालू से और दृष्टि दोनों भौहों के बीच ललाट पर लगाई जाती है। इसे प्रतीकात्मक पद्धति में गोमांस भक्षण’ भी कहते हैं। ३. तंत्र में उँगलियों की एक मुद्रा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेचरी गुटिका					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] तंत्र के अनुसार एक प्रकार की गोली जिसके संबंध में यह कहा जाता है कि इसे मुँह में रखने पर आदमी आकाश में उड़ सकता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेचरी मुद्रा					 : | स्त्री० [सं० व्यस्तपद] १. योग साधन की एक मुद्रा जिसके साधन से मनुष्य को कोई रोग नहीं होता। २. एक प्रकार की मुद्रा जिसमें दोनों हाथों को एक-दूसरे पर लपेट लेते हैं। (तंत्र) | 
			
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				| खेजड़ी					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेट					 : | पुं० [सं०√खिट्(डरना)+अच्] १. किसानों की बस्ती। २. छोटा गाँव। ३. घास। ४. तिनका। तृण। ५. घोड़ा। ६. ढाल। ७. छड़ी। लाठी। ८. शरीर की खाल या चमड़ा। ९. कफ। १॰. एक प्रकार का अस्त्र। ११. आखेट। शिकार। पुं० [खे√अट् (गति)+अच्, पररूप] ग्रह, नक्षत्र आदि। | 
			
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				| खेटक					 : | पुं० [सं० खेटे+कन्] १. किसानों की बस्ती। २. छोटा गाँव। ३. ढाल। ४. बलदेव जी की गदा का नाम। ५. आखेट। शिकार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेटकी (किन्)					 : | पुं० [सं० खेटक+इनि] १. वह ब्राह्मण जो भविष्य संबंधी बातें बतलाता हो। भड्डर। २. शिकारी। ३. बधिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेटी (टिन्)					 : | वि० [सं०√खिट्+णिनि] १. गाँव में रहनेवाला (व्यक्ति)। २. कामुक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेड़					 : | पुं०=खेट(गाँव)। | 
			
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				| खेड़ना					 : | स० [सं० खेटन] १. चलाना। उदाहरण-खँति लागै त्रिभुवन पति खेडैं।–प्रिथीराज। २. ‘खदेड़ना’। | 
			
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				| खेड़ा					 : | पुं० [सं० खेट] १. किसानों की बस्ती। छोटा गाँव। २. कच्चा मकान। पद-खेड़े की दूब-तुच्छ या रद्दी वस्तु। पुं० [देश०] कबूतरों, चिड़ियों आदि को खिलाया जानेवाला रद्दी अन्न। | 
			
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				| खेड़ापति					 : | पुं० [हिं० खेड़ा+सं० पति] गाँव का पुरोहित या मुखिया। | 
			
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				| खेड़ी					 : | स्त्री० [देश०] १. वह मांसखंड जो जरायुज जीवों, (जैसे– मनुष्य, गाय, भैंस आदि) के नवजात शिशुओं या बच्चों की नाल के दूसरे सिरों में लगा रहता है। २. मूल धातुओं को गलाने पर उनमें से निकलने वाली मैल। धातुमैल। (स्लैग) ३.एक प्रकार का बढिया लोहा। | 
			
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				| खेढ़ा					 : | पुं० [फा० खैल, हिं० खेड़ा] समूह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेढ़ी					 : | स्त्री०=खेड़ी। | 
			
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				| खेत					 : | पुं० [सं० क्षेत्र] १. वह भू-खंड जो फसल उपजाने के लिए जोता-बोया जाता है। मुहावरा–खेत कमाना=खेत में खाद आदि डालकर उसे उपजाऊ बनाना। खेत करना–जोतने-बोने के लिए भूमि को समतल करना। २. खेत में खड़ी हुई फसल। मुहावरा– खेत काटना=खेत में उपजी हुई फसल काटना। ३. वह प्रदेश जहाँ कोई चीज उत्पन्न होती हो। जैसे–अच्छे खेत का घोड़ा। ४. युद्ध क्षेत्र। समर भूमि। मुहावरा–खेत आना=युद्ध में मारा जाना। (किसी से) खेत करना-लड़ना। युद्ध करना। उदाहरण-जंभुक करै केहरि सों खेतू।–कबीर। खेत माँडना-युद्ध का आयोजन करना। खेत देखना-युद्ध में जीतना। विजयी होना। खेत रहना-युद्ध में मारा जाना। ५. तलवार का फल। ६. रहस्य संप्रदाय में, शरीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेत बँट					 : | स्त्री० [हिं० खेत+बाँटना] खेतों के बँटवारे का वह प्रकार जिसमें हर खेत टुकड़े-टुकड़े करके बाँटा जाता है। ‘चकबंद’ का उलटा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेतिया					 : | पुं०=खेतिहर (किसान)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेतिहर					 : | पुं० [सं० क्षेत्रधर या हिं० खेती+हर] जमीन को जोत-बोकर उसमें फसल उपजाने वाला व्यक्ति। किसान। कृषक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेती					 : | स्त्री० [हिं० खेत+ई (प्रत्यय)] १. खेत को जोतने-बोने तथा उसमें फसल उपजाने की कला या काम। २. खेत में बोई हुई फसल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेती पथारी					 : | स्त्री० दे० ‘खेतीबारी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेतीबारी					 : | स्त्री० [हिं० खेती+बारी-बाग-बगीचा] खेत बोने-जोतने और उससे अन्न उपजाने का काम। कृषिकर्म। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेती-भूमि					 : | स्त्री० [हिं० खेती+सं० भूमि] ऐसी भूमि जिस पर खेती होती हो या हो सकती हो। (कलचरेबुल लैंड) | 
			
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				| खेत्र					 : | पुं० =क्षेत्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेद					 : | पुं० [सं०√खिद्(दुःखी होना)+घञ्] १. किसी व्यक्ति द्वारा कोई अपेक्षित काम न करने अथवा कोई काम या बात ठीक तरह से न होने पर मन में होने वाला दुःख। जैसे–खेद है कि बार-बार लिखने पर भी आप पत्र का उत्तर नही देते। (रिग्रेट) २. परिश्रम आदि के कारण होने वाली शरीर का शिथिलता। थकावट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेदना					 : | स०=खदेड़ना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेदा					 : | पुं० [हिं० खेदना] १. जंगली हाथियों के झुंड पकड़ने की वह क्रिया या ढंग जिसमें वे चारों ओर से खेद या खदेड़कर लट्ठों के बनाये हुए घेरे के अन्दर लाकर फँसाये या बन्द किये जाते हैं। २. चीते, शेर आदि हिंसक पशुओं का शिकार करने के लिए उनको उक्त प्रकार से खदेड़ और घेरकर किसी निश्चित स्थान पर लाने की क्रिया या ढंग। ३. आखेट। शिकार। (क्व०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेदाई					 : | स्त्री० [हिं० खेदना] खेदने की क्रिया, भाव या मजदूरी। | 
			
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				| खेदित					 : | वि० [सं० खेद+इतच्] १. जिसे खेद हुआ हो या पहुँचाया गया हो। खिन्न या दुःखी। २. थका हुआ। शिथिल। | 
			
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				| खेदी (दिन्)					 : | वि० [सं०√खिद्+णिनि] १. खेद उत्पन्न करनेवाला। २. थका हुआ। शिथिल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेना					 : | स० [सं० क्षेपण, प्रा० खेवण] १. डाँड़ों की सहायता से नाव को चलाने के लिए गति देना। २. जैसे– तैसे या कष्टपूर्वक दिन बिताना। जैसे–रँड़ापा खेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेप					 : | स्त्री० [सं० क्षेप] १. बहुत सी चीजें या आदमी किसी प्रकार हर बार ढो या लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया या भाव। लदान। जैसे–जब चलते चलते रस्ते में यह खेप तेरी ढल जायेगी।–नजीर। २. उतनी चीजें या उतने आदमी जितने एक बार उक्त प्रकार की ढुलाई में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाये जाएँ। लदान। जैसे– चार खेप में सब चीजें वहाँ पहुँच जायेगी। मुहावरा–खेप भरना=कहीं ले जाने के लिए माल इकट्ठा करके लादना। खेप हारन=(क) उक्त प्रकार से ढोया जाने वाला माल गँवाना या नष्ट करना। (ख) एक बार किया हुआ परिश्रम व्यर्थ जाना। स्त्री० [सं० आक्षेप] १. ऐब। दोष। २. खोटा सिक्का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेपड़ी					 : | स्त्री० [सं० क्षेपणी] नाव खेने का डाँड़। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेपना					 : | स० [हिं० खेप] १. कष्टपूर्वक दिन बिताना। २. बरदाश्त करना। सहना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेम					 : | पुं०=क्षेम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेम कल्यानी					 : | स्त्री०=क्षेमकरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेमटा					 : | पुं० [देश०] १. संगीत में बारह मात्राओं का एक ताल। २. उक्त ताल पर गाया जानेवाला गीत। ३. उक्त ताल पर होनेवाला एक प्रकार का नाच। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेमा					 : | पुं० [अ० खीमः] १. मोटे कपड़े का बना हुआ वह तंबू जो बाँसों आदि की सहायता से जमीन पर खड़ा किया जाता है। मुहावरा–खेमा गाड़ना=अभियान, यात्रा आदि के समय खेमा खड़ा करके पड़ाव डालना। २. इस प्रकार खड़ा करके बनाया हुआ स्थायी घर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेय					 : | वि० [सं० खन्(खोदना)+क्यप्, इत्व] जो खोदा जा सके। पुं० १. खाई। २. पुल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेर मुतिया					 : | स्त्री० [?] एक प्रकार का छोटा शिकारी पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेरवा					 : | पुं० [हिं० खेना] समुद्री मल्लाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेरा					 : | पुं०=खेड़ा (गाँव)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेरापति					 : | पुं०=खेड़ापति (गाँव का मुखिया)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेरी					 : | स्त्री० [देश०] १. एक प्रकार की घास। २. एक प्रकार का गेहूँ। ३. एक प्रकार का जल-पक्षी। स्त्री० दे० ‘खेड़ी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेरौरा					 : | पुं० दे० ‘खिरौरा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेल					 : | पुं० [सं० केलि] १. समय बिताने तथा मन बहलाने के लिए किया जानेवाला कोई काम। विशेष-खेल कई दृष्टियों से खेले जाते है। कुछ मनोविनोद के लिए जैसे–ताश या शतरंज का खेल; कुछ व्यायाम के लिए जैसे–कबड्डी, गेंद, तैराई आदि; कुछ दूसरों को मनोविनोद करके धन उपार्जन करने के लिए, जैसे–कठपुतली का जादू खेल, आदि आदि। मुहावरा–(किसी को) खेल खिलाना=व्यर्थ की बातों में फँसाकर तंग करना। खेल बिगाड़ना=(क) किसी का बना हुआ काम खराब करना। (ख) रंग-भंग करना। २. बहुत साधारण या तुच्छ काम। ३. कोई अद्भुत या विचित्र काम। जैसे–कुदरत या भाग्य का खेल। पुं० [?] वह छोटा कुंड जिसमें चौपायें पानी पीते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलक					 : | पुं० [हिं० खेलना] खिलाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलना					 : | अ० [सं० खेलन; प्रा० खेलई; अप० खेड़ण; पं० खेड़ना; मरा० खेड़णें, उ० खेलिबा, बं० खेला] १. मन बहलाने या समय बिताने के लिए फुरती से उछलना-कूदना, दौड़ना-धूपना, हँसना-बोलना और इसी प्रकार की दूसरी हल्की शारीरिक क्रियाएँ करना। जैसे–बच्चों के खिलने के लिए कुछ समय मिलना चाहिए। पद-खेलना-खाना=अच्छी तरह खाना पीना और निश्चित होकर आनंद और सुख-भोग करना। जैसे–लड़कपन की उम्र खेलने-खाने के लिए होती है। २. कोई ऐसा आचरण करना जिसमें कौशल, धूर्तता, फुरती साहस आदि की आवश्यकता हो। जैसे–किसी के साथ चालाकी खेलना। ३. किसी चीज को तुच्छ या साधारण समझकर अनुचित रूप से अथवा मर्यादा का उल्लंघन करते हुए उसका इस प्रकार उपयोग करना अथवा उसके प्रति आचरण करना कि वह दुष्परिणाम उत्पन्न कर सकता या हानिकारक सिद्ध हो सकता हो। खेलवाड़ या मजाक समझकर और परिणाम का ध्यान छोड़कर कोई काम करना। जैसे–आग या पानी से खेलना, जंगली जानवरों से खेलना, किसी के मनो भावों से खेलना। उदाहरण-स्वर्ग जो हाथों को है दूर खेलता उससे भी मन लुब्ध-दिनकर। मुहावरा–जान या जी पर खेलना=ऐसा काम करना जिसमें जान जाने की आशंका या सम्भावना हो। जान जोखिम का काम करना। सिर पर मौत खेलना-मृत्यु का इतना समीप होना कि जीवित बच्चे की बहुत ही थोड़ी सम्भावना रहे। ४. किसी के साथ ऐसा कौशलपूर्ण आचरण या व्यवहार करना कि वह थककर परास्त या शिथिल हो जाए। जैसे–बिल्ली या चूहे के साथ खेलना अर्थात् बार-बार पंजे मारकर उसे इधर-उधर दौड़ाना और परेशान करना। ५. तृप्ति या सुख प्राप्त करने के लिए सहज और स्वाभाविक रूप से इधर-उधर संचार करना या हटते बढ़ते रहना। क्रीड़ा करना। जैसे– उसके चेहरे पर मुस्कराहट खेल रही थी। उदाहरण–उसके चेहरे पर लाज की लाली उसके सहज गौर वर्ण से खेलती रही। अमृतलाल नागर। ६. किसी के साथ संभोग करना। (बाजारू) पद-खेला खाया-(देखें) सं० १. मन बहलाने या समय बिताने के लिए किसी खेल या खिलवाड़ में सम्मलित होना। जैसे–कबड्डी, गेंद, ताश या शतरंज खेलना। २. कौशल दिखाने के लिए कोई अस्त्र या शस्त्र हाथ में लेकर चालाकी और फुर्ती से उसका संचालन करना अथवा प्रयोग या व्यवहार दिखलाना। जैसे–तलवार, पट्टा, बनेठी या लाठी खेलना। ३. नाटक आदि में योग देते हुए अभिनय करना। जैसे–महाराज प्रताप या सत्य हरिशचन्द्र खेलना। ४. धन लगाकर हार-जीत की बाजी में सम्मिलित होना। जैसे– जूआ या सट्टा खेलना। विशेष–खेलने के उद्देश्य, प्रकार आदि जानने के लिए देखें खेल के अन्तर्गत उसका ‘विशेष’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलनि					 : | स्त्री०=खेल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलनी					 : | पुं० [सं०√खेल(खेलना)+ल्युट्+अन+ङीप] शतरंज का खिलाड़ी। स्त्री० वे चीजें जिनसे कोई खेल खेला जाता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलवना					 : | पुं० [हिं० खेलना] १. पुत्र के जन्म के समय गाये जाने वाले उन गीतों की संज्ञा जिनमें शिशु के रोदन, माता पिता और परिवार के अन्य लोगों के आन्नदमंगल और इस आनन्दमंगल के उपलक्ष्य में किये जाने वाले कार्यों का वर्णन होता है। ‘सोहर’ से भिन्न। २. सोहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलवाड़					 : | पुं० [हिं० खेल+वाड़(प्रत्यय)] १. केवल खेल या क्रीड़ा के रूप में बच्चों की तरह किये जाने वाला काम। २. बहुत ही तुच्छ या सामान्य काम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलवाड़ी					 : | वि० [हिं० खेल+वार(प्रत्यय)] १. प्रायः या सदा खेलवाड़ में लगा रहनेवाला। २. दे० ‘खिलाड़ी’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलवाना					 : | स० [हिं० खेलना] १. किसी को खेलाने में प्रवृत्त करना। २ अपने साथ किसी को खेलने देना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलवार					 : | पुं० [हिं० खेल+वारा] १. खेलनेवाला। खिलाड़ी। २. शिकारी। उदाहरण–मानो खेलवार खोली सीस ताज बाज की।–तुलसी। पुं० दे० ‘खेलवाड़’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेला					 : | स्त्री० [सं०√खेल्+अ-टाप्] १. खेल। २. जादू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलाई					 : | स्त्री० [हिं० खेल] १. खेलने या खिलाने की क्रिया या भाव। जैसे–आज कल वहाँ शतरंज की खूब खेलाई हो रही है। २. खेलने या खिलाने के बदले में दिया जानेवाला पारिश्रमिक। स्त्री० दे० ‘खिलाई’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेला-खाया					 : | वि० [हिं० खेलना+खाना] [स्त्री० खेली-खाई] जिसने किसी के साथ विलासिता या संभोग के सुख का अनुभव और ज्ञान प्राप्त कर लिया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलाड़ी					 : | वि० [हिं० खेल+वार(प्रत्यय)] १. प्रायः या बराबर खेलता रहनेवाला। खेलवाड़ी। जैसे– खेलाड़ी लड़का। २. दुश्चरित्रा या पुंश्चली (स्त्री)। पुं० १. खेल में किसी पक्ष में सम्मिलित होनेवाला व्यक्ति। २. कुछ विशिष्ट प्रकार के खेल तमाशे करने या दिखानेवाला व्यक्ति। जैसे–महुअर या साँप का खेलाड़ी, गेंद का खिलाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलाना					 : | स० [हिं० खेलना का प्रे०] १. किसी को खेलने में प्रवृत्त करना। २. अपने साथ खेले या खेलने में सम्मिलित करना। ३.तरह-तरह की बातें करके इधर-उधर दौड़ाते रहना अथवा किसी काम या बात की झूठी आशा में फँसाये रखना। ४. किसी को त्रस्त, दुःखी या परास्त करने के लिए उसके साथ ऐसा आचरण या व्यवहार करना कि वह बिलकुल विवश और शिथिल हो जाए। जैसे–बिल्ली का चूहे को खेलाना। मुहावरा–खेला-खेलाकर मारना-दौड़ा-दौड़ाकर बहुत तंग, दुःखी या परेशान करना। उदाहरण–हतिहौं तोहिं खेलाई खेलाई।–तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलार					 : | पुं०=खेलवार। (खिलाड़ी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलि					 : | स्त्री० [सं० खे√अल्(गति)+इन] खेल। क्रीड़ा। पुं० १. पशु-पक्षी आदि जीव-जन्तु। २. सूर्य। ३. तीर। वाण। ४. गीत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलुआ					 : | पुं० [हिं० खिलना या खिलाना] चमड़ा रंगनेवालों का एक औजार जो थाली की तरह का होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेलौना					 : | पुं०=खिलौना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खब					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवइया					 : | पुं० दे० ‘खेवैया’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवक					 : | वि० [हिं० खेना+क(प्रत्यय)] खेनेवाला। उदाहरण-जेहि रे नाव करिया औ खेवक बेग पाव सो तीर।–जायसी। पुं० केवट। मल्लाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवट					 : | पुं० [हिं० खेत+वट(प्रत्यय)] पटवारियों या लेखपालों का वह लेखा जिसमें यह लिखा रहता है कि किस खेत का कौन-कौन मालिक या पट्टीदार है, उसे कौन जोतता बोता है और मालगुजारी कितनी है। पुं० [सं० केवट] मल्लाह। माँझी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवटवार					 : | पुं० [हिं०+फा०] खेत में का पट्टीदार या हिस्सेदार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवटिया					 : | पुं०=केवट (मल्लाह)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवड़ा					 : | पुं०=खेवरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवड़ा					 : | पुं० [सं० क्षपणक, प्रा० खवणअ, हिं० खवड़ा]१. बौद्ध भिक्षु। २ एक प्रकार के तांत्रिक साधु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवणी					 : | स्त्री० [सं० क्षेपणी] नाव का डाँड़। (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवनहार					 : | वि० [हिं० खेना+हार(प्रत्यय)] १. नाव खेनेवाला। २. खेकर या और किसी प्रकार संकट आदि से पार लगानेवाला। पुं० केवट। मल्लाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवना					 : | स०=खेना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवनाव					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का ऊँचा पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवरना					 : | स० [हिं० खौर] १. खौर अर्थात् चंदन का टीका लगाना। २. स्त्रियों का चंदन, केसर आदि से मुँह चित्रित करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवरा					 : | पुं० [सं० क्षपणक, प्र० खवड़ा] क्षपणक जैन साधु। पुं० दे० ‘खेवड़ा’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवरिया					 : | वि० [हिं० खेना] खेनेवाला। खेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवरियाना					 : | स० [देश०] एकत्र या जमा करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवा					 : | पुं० [हिं० खेना] १. लदी हुई नाव को एक स्थान से दूसरे स्थान पर खेकर ले जाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. उक्त के आधार पर ढो अथवा लादकर कोई वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया या भाव। खेप। ३. उतनी सामग्री जितनी एक बार में ढोकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाई जाती हो। ४. कोई काम या उसका कोई अंश एक बार में पूरा करने का अवकाश या समय। जैसे–इस खेवे में सारा झगड़ा निपट जाएगा। ५. किसी परम्परागत कार्य के विचार से उसके पूर्वकालीन अथवा उत्तराकालीन विभागों में से कोई एक विभाग। जैसे–पिछले खेवे के श्रृंगारी कवियों ने तो हद कर दी थी। पुं० नाव का डाँड़। उदाहरण-चलै उताइल जिन्ह कर खेवा।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेवाई					 : | स्त्री० [हिं० खेना] १. नाव खेने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. वह रस्सी जिसमें डाँड़ नाव से बाँधा रहता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेवैया					 : | पुं० [हिं० खेना] १. नाव खेकर पार ले जानेवाला व्यक्ति। केवट। मल्लाह। २. किसी प्रकार के संकट से पार लगानेवाला व्यक्ति। जैसे–डगमग-डगमग डोले नैया, पार करो तो जानूँ खैवेया।–गीत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेस					 : | पुं० [फा० खिस] करघे पर बुना हुआ एक प्रकार का मोटा कपड़ा जो चारपाई आदि पर बिछाया अथवा जाड़े में ओढ़ा जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेसर					 : | पुं० [सं०खे√सृ (गति)+ट अलुक् स०] खच्चर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेसारी					 : | स्त्री० [सं० कृसर या खंजकारि] एक प्रकार का कदन्न। लतरी। दुबिया मटर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेह					 : | स्त्री० [सं० क्षार, पं० खेह] १. धूल-मिट्टी। उदाहरण-सैतब खेंह उड़ावन झोली।–जायसी। मुहावरा–खेह खाना=(क) व्यर्थ समय खोना। (ख) इधर-उधर की ठोकरें खाना। कष्ट भोगना। २. भस्म। राख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेहति					 : | स्त्री० दे० ‘खेह’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेहर					 : | स्त्री०= खेवह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खेहा					 : | पुं० [?] बटेर की तरह का एक पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंग					 : | पुं० [फा० खिंग] घोड़ा (डिं०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंचना					 : | स०=खींचना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंचनी					 : | स्त्री० [हिं० खींचना] लकड़ी की वह तख्ती जिस पर तेल लगाकर सिकली किये हुए अस्त्र आदि साफ किये जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंचा-खैंची					 : | स्त्री०=खींचतान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंचातान					 : | स्त्री०=खींचतान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैंचातानी					 : | स्त्री०=खींचतान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैकारा					 : | वि० [सं० क्षयकारी] नष्ट या बरबाद करने वाला। उदाहरण–अब कुछ ताको सहज सिंगारा। बरनों जग पातक खैकारा।–नंददास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैनी					 : | स्त्री० [हिं० खाना] सुरती के पत्ते का चूरा जो चूना मिलाकर खाया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैबर					 : | पुं० [देश०] भारत और अफगानिस्तान के बीच की एक घाटी या दर्रा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैमा					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार का जल-पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैयाम					 : | पुं० [अ०] १. खेमा सीनेवाला व्यक्ति। २. फारसी का एक प्रसिद्ध कवि उमर खैयाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैर					 : | पुं० [सं० खदिर] १. एक प्रकार का बबूल। कथ कीकर। सोनकीकर। २. उक्त वृक्ष की लकड़ियों के टुकड़ो को उबालकर निकाला हुआ सार पदार्थ जो पान पर लगाया जाता है। कत्था। ३. भूरे रंग का एक प्रकार का पक्षी। स्त्री० [फा० खैर] कुशल। क्षेम। अव्य० [फा०] १. ऐसा ही सही। अस्तु। अच्छा। २. कोई चिन्ता नहीं। देखा जायगा। (उपेक्षा सूचक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खैर-आफियत					 : | स्त्री० [फा०] कुशल-मंगल। कुशल-क्षेम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरखाह					 : | वि० [फा०] [भाव० खैरखाही] भलाई चाहनेवाला। शुभ चिंतक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खेरखाही					 : | स्त्री० [फा०] शुभ-चिंतक। शुभकामना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरबाद					 : | पद [फा०] किसी के बिछुड़ते समय कहा जानेवाला पद जिसका अर्थ है–कुशलपूर्वक रहो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैर भैर					 : | पुं० [उत्पत्ति द] १. हल्ला। २. चहल-पहल। रौनक। उदाहरण–खैर भैर चहुँ ओर मच्यो अति आनंद पूरन समाई।–रघुराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरवाल					 : | पुं० [देश०] कोलियार का वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरसल्ला					 : | स्त्री० [अ० खैर+सलाह] कुशल-क्षेम। कुशल मंगल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरसार					 : | पुं० [सं० खदिर+सार] कत्था। खैर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरा					 : | वि० [हिं० खैर] खैर या कत्थे के रंग का। कत्थई। पुं० १. उक्त प्रकार का रंग। २. कत्थई रंग के खुरों वाला बैल। ३. खैरे रंग का कोई पशु या पक्षी। ४. धान की फसल का एक रोग। पुं० [देश०] १. तबला बजाने में एक ताले (ताल) की दून। २. एक प्रकार की मछली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरात					 : | स्त्री० [अ०] [वि० खैराती] १. दरिद्रों भिखमंगों आदि को दान रूप में दिया जानेवाला धन या पदार्थ। २. दान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैरात खाना					 : | पुं० [अ+फा०] वह स्थान जहाँ से लोगों को खैरात मिलती हो अथवा मुफ्त में सबको भोजन वस्त्र आदि बाँटे जाते हों। या होनेवाला। जैसे–खैराती दवाखाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खैराती					 : | वि० [फा०] खैरात के रूप में अथवा खैरात के धन से चलने। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खैराद					 : | पुं०=खराद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खैरियत					 : | स्त्री० [फा०] १. कुशल-क्षेम। राजी-खुशी। २. कल्याण। भलाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैलर					 : | स्त्री० [सं० क्ष्वेल] मथानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खैला					 : | पुं० [सं० क्ष्वेड] जवान बछड़ा जिसे अभी हल आदि में जोता न गया हो। स्त्री० [फा० खैलः] फूहड़ स्त्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंइचा					 : | पुं० [हिं० खूँट] १. धोती या साड़ी का अंचल। किनारा। मुहावरा–खोंइचा देना या भरना-शकुन के रूप में किसी स्त्री के आँचल में चावल, गुड़ आदि देना। २. वह धन जो लड़की की विदाई के समय माँ-बाप देते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंखना					 : | अ० [खों खों से अनु०] खाँसना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोंखला					 : | वि०=खोखला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोंखी					 : | स्त्री०=खाँसी (कास)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंखों					 : | पुं० [अनु] खाँसने का शब्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंगा					 : | पुं० [देश] रुकावट। बाधा। पुं०=खोंगाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंगाह					 : | पुं० [सं० ] सफेद और भूरे रंग का घोड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंगी					 : | स्त्री० [हिं० खोंसना का देश०] १. खोंसी हुई वस्तु। २. लगे हुए पानों का बँधा हुआ चौघड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंच					 : | स्त्री० [सं० कुंच] १. किसी नुकीली चीज से कपड़े का थोड़ा सा फटा हुआ अंश। २. दे० ‘खरोंच’। स्त्री० [देश०] झोली। उदाहरण–चातिक चित्त कृपा घनानंद चोच की खोंच सु क्यों कीर धारयो।–घनानंद। स्त्री० १. मुट्ठी।२. मुट्ठी भर चीज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [सं० क्रौंच] एक प्रकार का बगला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंचन					 : | स्त्री० [सं० कुंचन] १. खोंचने अर्थात् गड़ाने या चुभाने की क्रिया या भाव। २. गड़ने या चुभनेवाली चीज। ३.खटकने या चुभने वाली बात। तीखी बात। उदाहरण–धिक वै मातु पिता धिक भ्राता देत रहत यों ही खोंचन।–सूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंचा					 : | पुं० [हिं० खोंचन] १. एक बाँस जिसपर पक्षियों को फँसाने के लिए बहेलिये लासा लगाते हैं। २. वह लकड़ी जिससे वृक्षों के फल तोड़े जाते है। लग्घी। ३. दे० ‘खोंच’। ४. दे० ‘खोंचन’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंचिया					 : | पुं० [हिं० खोंची] १. खोंची लेनेवाला। (दे० खोंची) २. भिखमंगा। भिक्षुक। पुं० [हिं० खोंचा] १. खोचा लगाकर फल तोड़नेवाला। २. खोंचा लगाकर चिडियाँ फँसानेवाला, बहेलिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंची					 : | स्त्री० [हिं० खोंचा] १. सेवकों अथवा भिखारियों को दिया जानेवाला अन्न। २. जमीन या मकान का किसी ओर निकला या बढ़ा हुआ कुछ अंश या भाग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंट					 : | स्त्री० [हिं० खोंटना] खोंटने का काम। पुं० वह जो खोटा गया हो। पुं०=खरोंट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंटना					 : | स० [सं० खड़] १. पौधों आदि का ऊपरी भाग चुटकी से दबाकर तोड़ना। २. टुकड़े-टुकड़े करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंटा					 : | वि०=खोटा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंड़र					 : | पुं० [सं० कोटर] पेड़ का बीतरी खोखला भाग, जिसमें पशु या पक्षी अपने घर या घोंसले बनाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंड़हा					 : | वि०=खोंड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंड़ा					 : | वि० [सं० खंड से] जिसका कोई अंग टूटा हो हुआ अथवा न हो। पुं० [स्त्री० अल्पा० खोंडिया] अन्न रखने का बड़ा बरतन। कोठिला। (बुन्देल०) उदाहरण–अब की साल खोंडिआ और बंड़े भर दूंगा अन्न से।–वृन्दावनलाल वर्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंतल					 : | पुं०=खोता (चिड़ियों का घोंसला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंता					 : | पुं०=खोता (घोंसला)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंथा					 : | पुं० =खोता (घोंसला)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंप (न)					 : | स्त्री० [हिं० खोंपना] १. खोंपने या चुभने के कारण फटा हुआ अंश। चीर। दरार। २. सिलाई में दूर-दूर पर लगे हुए टाँके। शिलंगा। ३. दे० ‘खरोंच’। स्त्री०=कोंपल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंपना					 : | स० [अनु०] कोई नुकीली चीज किसी में गड़ाना या धँसाना। घोपना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंपा					 : | पुं० [हिं० खोंपना] [स्त्री० खोंपिया, खोंपी] १. हल की वह लकड़ी जिसमें फाल लगा रहता है। २. छाजन आदि का कोना। ३. भूसा रखने का छप्पर से छाया हुआ गोलाकार स्थान। ४. स्त्रियों के बालों का बँधा हुआ एक प्रकार का जूड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोंसना					 : | स० [सं० कोश+हिं० ना प्रत्यय, गु० खोसवूँ, मरा० खोसणें, उ० खोसिबा] एक वस्तु का कुछ अंश दूसरी वस्तु में इस प्रकार डालना, रखना या लगाना कि वह उसमें अटक या फस जाए। जैसे–(क) कमर में धोती की लाँग खोंसना। (ख) टोपी में कलगी खोंसना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोआ					 : | पुं० [सं० क्षोद, आ० खोद] दूध का गाढ़ा किया हुआ वह रूप जिसमें चीनी आदि मिलाकर बरफी, पेड़े और दूसरी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। खोया। मावा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोइड़ार					 : | पुं० [हिं० खोई+आर(प्रत्यय)] वह स्थान जहाँ रस पेरने के बाद गन्ने की खोई जमा की जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोइया					 : | पुं० [देश०] ब्रज में होनेवाला एक प्रकार का नाटय जो घर से बरात चली जाने पर वर-पक्ष की स्त्रियाँ रात में करती हैं। इसमें वे दूल्हा और दूलहिन बनकर विवाह का नाटय तथा राम और कृष्ण की लीलाएँ आदि करती हैं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० दे० ‘खोई’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोइलर					 : | स्त्री० [सं० क्ष्वेल] वह लकड़ी जिसमें कोल्हू में पड़े हुए गन्ने के टुकड़े उलटते-पलटते हैं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोइहा					 : | पुं० [हिं० खोंई+हा(प्रत्यय)] वह मजदूर जो गन्ने की खोई उठाकर फेंकता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोई					 : | स्त्री० [सं० क्षुद्र] १. कोल्हू में पेरे हुए गन्नों का बचा हुआ रसविहीन अंश। सीठी। २. भाड़ में भुने हुए चावल या धान। लाई। लावा। ३. रामदाने जाति का एक अन्न। ४. सिर पर लबादे की तरह लपेटा हुआ कम्बल या चादर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोकंद					 : | पुं० [फा०] तुर्किस्तान या तुर्की का एक प्रसिद्ध नगर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोखर					 : | वि०=खोखला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] सम्पूर्ण जाति का एक प्रकार का राग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोखरा					 : | पुं० [हिं० खुक्ख या खोखला] टूटा हुआ जहाज (लश०) वि०=खोखला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोखल					 : | वि०=खोखला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोखला					 : | वि० [हिं० खुक्ख+ला, गु० खोख, मरा० खोंक] १. ऐसी वस्तु जिसका भीतरी अंश या भाग निकल गया हो या न रह गया हो। जैसे–खोखला पेड़। २. जिसमें तत्त्व या सार न हो। थोथा। निस्सार। पुं० १. खाली और पोली जगह। २. बड़ा छेद। विवर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोखा					 : | पुं० [बँ० खोका] [स्त्री० खोखी] बालक। लड़का। पुं० [हिं० खोंखला] १. ऐसी हुंडी जिसका रुपया चुकता हो चुका हो। २. वह कागज जिस पर हुंड़ी लिखी जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोगीर					 : | पुं०=खूगीर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोचकिल					 : | पुं० [देश०] चिड़ियों का घोंसला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोज					 : | स्त्री० [हिं० खोजना] १. कोई खोई या छिपी हुई वस्तु को ढँढ़ने का काम। २. कोई नई बात, तथ्य आदि का पता लगाने का काम। शोध। ३. किसी व्यक्ति या पशु के चलने से जमीन या मिट्टी पर बनने वाला चिन्ह या निशान। मुहावरा– खोज मिटाना=वे चिन्ह्न या लक्षण नष्ट करना जिनसे किसी बात या घटना का पता चल सकता हो। ४. उक्त चिन्ह्नों के आधार पर इस बात का पता लगाने का काम कि कोई किस ओर गया है। ५. गाड़ी के पहिये की लीक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजक					 : | वि=खोजी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजड़ा					 : | पुं० [हिं० खोज] १. किसी के चलने से जमीन पर बननेवाला चिन्ह्न। २. दे० ‘खोज’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजना					 : | स० [सं० खुज-चोराना] १. किसी खोई, छिपी अथवा इधर-उधर रखी हुई वस्तु के पता लगाने का प्रयत्न करना। ढूँढ़ना। २. अनुसंधान या शोध करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोज-मिटा					 : | वि० [हिं० खोज+मिटना] [स्त्री० खोजमिटी] १. जिसके ऐसे चिन्ह मिट चुके हों जिनके द्वारा किसी का पता लगाया जा सकता हो। २. एक प्रकार का अभिशाप या गाली। (स्त्रियाँ)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजवाना					 : | स० [हिं० खोजना] खोजने का काम दूसरे से कराना। दूसरे को कुछ खोजने में प्रवृत्त करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजा					 : | पुं० [फा० ख्वाजः] १. प्रतिष्ठित और मान्य व्यक्ति। २. मुसलमान राजाओं के अन्तःपुरों में रहनेवाला नपुंसक सेवक। ३. नौकर। सेवक। ४. बम्बई राज्य में मुसलमानों का एक संप्रदाय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजाना					 : | स०=खोजवाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजी					 : | वि० [हिं० खोज+ई(प्रत्यय)] खोजनेवाला। ढूँढनेवाला। (क्व०) पुं० वह व्यक्ति जो पैरों के चिन्ह्न देखकर चोरों, डाकुओं आदि का पता लगाता हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोजू					 : | वि० पुं०=खोजी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोट					 : | पुं० [सं० कूट] १. वह दूषित या निकृष्ट पदार्थ जो किसी दूसरे अच्छे पदार्थ में लोगों को ठगने के उद्देश्य से मिलाया जाए। जैसे– सुनार ने इस गहने में कुछ खोट मिलाया है। २. किसी चीज में या बात में होनेवाला ऐब या दोष। खोटापन। जैसे–तुम में यही तो खोट है कि सच बात जल्दी नही बताते। ३. किसी व्यक्ति अथवा कार्य के प्रति मन में होनेवाली कपट-पूर्ण या दुष्ट धारणा अथवा भाव। मन में होनेवाली बुरी भावना। जैसे–उस (व्यक्ति) में अब भी खोट है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोटता					 : | स्त्री० =खोटाई (खोटापन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोटपन					 : | पुं०=खोटापन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खोटा					 : | वि० [सं० कूट, प्रा० मरा० गु० कूड़; सि० कूरु, सिंह० कुलु] [स्त्री० खोटी] १. (वस्तु) जो अपने वास्तविक या शुद्ध रूप में न हो। जिसमें किसी प्रकार की मिलावट हुई हो। जैसे–खोटा सोना। २. झूठा। नकली। बनावटी। जैसे–खोटा सिक्का। ३.(व्यक्ति) जो जानबूझ कर किसी को कष्ट पहुँचाता या किसी की हानि करता हो। अथवा जिसके मन में किसी के प्रति वैर हो। जो शुद्ध हृदयवाला न हो। ‘खरा’ का विपर्याय, उक्त सभी अर्थों में। ४. खोट से भरा हुआ। खोट युक्त। अनुचित और बुरा। जैसे–खोटी बात। पद–खोटा खरा = भला-बुरा। उत्तम और निकृष्ट। जैसे–किसी को खोटी-खरी बातें सुनान=फटकारते हुए अच्छा रास्ता बदलाना। मुहावरा–खोटा खाना= (क) अनिन्दनीय या बुरे उपायों से कमाकर खाना। (ख) अनुचित और बुरा आचरण या व्यवहार करना। (किसी के साथ) खोटी करना-खोटापन या दुष्टता करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोटाई					 : | स्त्री० [हिं० खोटा+ई(प्रत्यय)] १. खोटे होने की अवस्था या भाव। खोटापन। २. कपट। छल। धोखेबाजी। ३. ऐब। दोष। | 
			
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				| खोटाना					 : | अ० दे० ‘खुटना’ (समाप्त होना)। | 
			
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				| खोटापन					 : | पुं० [हिं० खोटा+पन(प्रत्यय)] खोटे होने की अवस्था, गुण या भाव। खोटाई। | 
			
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				| खोटि					 : | स्त्री० [सं०√खोट्(खाना)+इन] दुश्चरित्रा। व्यभिचारिणी। | 
			
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				| खोड़					 : | स्त्री० [हिं० खोट] १. किसी प्रकार का ऐब, दोष या हीनता। जैसे–कष्ट रोग आदि। २. देवता पितर, भूत-प्रेत आदि का कोप या बाधा। दैव कोप। ऊपरी फेर। ३. कमी। न्यूनता। उदाहरण-नाल्ह कहहि जिणि आबइ हो खोड़ि।–नरपति नाल्ह। वि०=खोड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोड़र (ा)					 : | पुं० [सं० कोटर] पुराने पेड़ का खोखला भाग। | 
			
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				| खोड़िया					 : | स्त्री० दे० ‘खोरिया’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोद					 : | पुं० [हिं० खोदना] १. खोदने की क्रिया या भाव। २. खोद-खोदकर बाते पूछने की क्रिया या भाव। ३. जाँच पड़ताल। पद-खोद-विनोद। पुं० [फा० खोद] लड़ाई के समय सिर पर पहने जानेवाला लोहे का टोप। शिरस्त्राण। | 
			
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				| खोदाई					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार का छोटा पेड़। | 
			
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				| खोदना					 : | स० [स० क्षुद्र; प्रा० खुद. मरा० खोदणें; गुज० खोदवूँ, उ० खोदिवा; बँ० खोदा] १. कुदाल आदि से जमीन पर आघात गड्ढा बनाना। जैसे–कब्र, कूआँ या नहर खोदना। २. उक्त प्रकार के आघात से कोई चीज तोड़ना। जैसे–दीवार या मकान खोदना। ३. उक्त प्रकार की क्रिया करके कोई चीज पर जमी, लगी अथवा अंदर पड़ी हुई वस्तु बाहर निकालना। जैसे–खेत में के पौधे अथवा खान में के खनिज पदार्थ खोदना। ४. किसी वस्तु पर जमी अथवा लगी हुई मैल निकालना। जैसे–कान या दाँत खोदना ५ धातु, पत्थर लकड़ी आदि पर किसी औजार या उपकरण से कुछ लिखना या बेल-बूटे बनाना। जैसे– बरतनों पर नाम खोदना। ६. किसी के अंग में उँगली, छड़ी आदि गड़ाना या उससे दबाना। ७. कोई बात जानने के लिए किसी से तरह तरह के प्रश्न करना। मुहावरा– खोद-खोदकर पूछना=हर बात पर संका करके बार-बार कुछ और पूछना। ८. उत्तेचित करने या उसकाने का प्रयत्न करना। | 
			
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				| खोदनी					 : | स्त्री० [हिं० खोदना] खोदने का छोटा औजार। जैसे–कन-खोदनी, दँत-खोदनी। | 
			
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				| खोद-बिनोद					 : | पुं० [हिं० खोद+बिनोद] १. बहुत छोटी-छोटी बातें तक पूछने का काम। २. छोड़-छाड़। | 
			
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				| खोदबाना					 : | स० [खोदना का प्रे० रूप] किसी को खोदने में प्रवृत्त करना। खोदने का काम दूसरे से कराना। | 
			
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				| खोदाई					 : | स्त्री० [हिं० खोदना] १. खोदने की क्रिया भाव या मजदूरी। २. भूगर्भ-स्थित वस्तुओं को बाहर निकालने के लिए जमीन खोदने की क्रिया या भाव। (एक्स्केवेशन) ३. पत्थर लकड़ी लोहे आदि पर किसी नुकीली चीज से बेल-बूटे बनाने का काम। | 
			
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				| खोना					 : | स० [सं० क्षेपन] १. कोई वस्तु अनजान में या भूल से कहीं इस प्रकार छोड़ या गिरा देना कि वह खोजने पर जल्दी न मिले। किसी वस्तु से वंचित होना। गँवाना। जैसे–ताली, पुस्तक, या रुपये खोना। २. असावधानी, दुर्घटना, मृत्यु आदि के कारण बहुत बड़ी क्षति से ग्रस्त होना। जैसे–आँखे खोना, जान खोना, मान खोना आदि। ३. असावधानता प्रमाद आदि के कारण हाथ से यों ही निकल जाने देना। सदुपयोग न कर पाना। जैसे–सुयोग खोना। ४. खराब या बरबाद करना। जैसे–घर की दौलत खोना। अ० अन्यमनस्क हो जाना। प्रकृतिस्थ न रह जाना। जैसे–हमारा प्रश्न सुनते ही वह तो खो गये। पद-खोया-सा=(क) अन्यमनस्क, उदास या खिन्न। (ख) घबराया हुआ। मुहावरा–खोया जाना=चकपका जाना। सिटपिटा जाना। हक्का-बक्का होना। पुं० =दोनों (पत्तों का)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोनूचा					 : | पुं० [फा० ख्वानूचा] फेरा लगाकर सौदा बेचने वालों का वह थाल जिसमें वे फल, मिठाइयाँ आदि रखते हैं। मुहा०–खोनचा लगाना-खोनचे में रखकर गली-गली घूमते हुए सौदा बेचना। | 
			
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				| खोपड़ा					 : | पुं० [सं० खर्पर; प्रा० खप्पर, पं० खोप्पा; सिं० खोपो; गु० खोपरूँ; मरा० खोबरें] १. हड्डियों का वह ढाँचा जिसके अन्दर मस्तिष्क सुरक्षित रहता है। (स्कल्) २. मस्तिष्क। ३. सिर। ४. नारियल। ५. नारियल के अन्दर की गरी। ६. भिक्षुओं का दरियाई नारियल का बना हुआ खप्पर। | 
			
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				| खोपड़ी					 : | स्त्री० [हिं० खोपड़ा] १. सिर की हड्डी। कपाल। २. सिर। मुहावरा–(किसी की) खोपड़ी खाना या चाटना=बहुत सी बातें कह या पूछकर तंग करना। दिक या परेशान करना। खोपड़ी खुजलान=ऐसा अनुचित या दुष्टतापूर्वक कार्य करना, जिससे मार खाने की नौबत आवें। (किसी की) खोपड़ी गंजी करना=सिर पर बहुत प्रहार करना। खूब मारना। (किसी की) खोपड़ी गढ़ना=जबरदस्ती या चालाकी से किसी से धन वसूल करना। खोंपड़ी चटकना=गरमी, पीड़ा, प्यास आदि के कारण जी व्याकुल होना। ३. गोलाकार और बहुत बड़ा ऊपरी आवरण। जैसे– कछुए की खोपड़ी, नारियल की खोपड़ी। | 
			
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				| खोपरा					 : | पुं०=खोपड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोपा					 : | पुं० [सं० खर्पर, हिं० खोपड़ा] १. छप्पर का कोना। २. मकान का बाहरी कोना। ३. स्त्रियों की गुथी हुई चोटी की तिकोनी बनावट। ४. गरी का गोला। | 
			
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				| खोबा					 : | पुं० [देश०] गच या पलस्तर पीटने की थापी। | 
			
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				| खोभ					 : | स्त्री० [हिं० खोभना] खोभने की क्रिया या भाव। पुं०=क्षोभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोभना					 : | स० [सं० क्षुभ्] किसी नरम या मुलायम वस्तु में कोई कड़ी तथा नुकीली चीज धँसाना, गड़ाना या चुभाना। | 
			
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				| खोभरना					 : | अ० [?] बीच में आकर आड़ा या तिरछा पड़ना। स०-खोभना। | 
			
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				| खोभरा					 : | पुं० [हिं० खुभना] १. रास्ते में पड़नेवाली वह उभरी हुई चीज जो चुभती हो या जिससे ठोकर लगती हो। उदाहरण–जैसे कोई पाँवनि पै जार कूँ चढ़ाई लेत ताकूँ तौ न कोऊ काँटे खोभरे को दुःख है।–सुन्दर। २. कूड़ा-करकट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोभराना					 : | अ० =खुभराना। | 
			
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				| खोभार					 : | पुं० [?] जमीन में खोदा हुआ गड्ढा जिसमें कूड़ा-करकट फेंका जाता है। | 
			
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				| खोम					 : | पुं० [अ० कौम] १. जाति। २. झुंड। समूह। पुं० [सं० क्षोभ] किले का बुर्ज। | 
			
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				| खोय					 : | स्त्री० [फा० ख] १. आदत। बान। २. प्रकृति। स्वभाव। | 
			
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				| खोया					 : | पुं०=खोआ। | 
			
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				| खोर					 : | स्त्री० [हिं० खुर] १. बस्तियों की तंग या सकरी गली। कूचा। २. वह नाँद जिसमें पशुओं को चारा डाल कर खिलाया जाता है। स्त्री० [हिं० खोरना] नहाना। स्नान। वि० [हिं० खोड़ा] जिसका कोई अंग टूट गया हो। उदाहरण-धनुष बान सिरान केधौं गरुड़ बाहन खोर।–सूर। वि० [फा०] एक विश्लेषण जो शब्दों के अन्त में प्रत्यय के रूप में लगकर खानेवाले का अर्थ देता है। जैसे–आदमखोर, नशाखोर, रिश्वतखोर, हरामखोर आदि। पुं० [देश०] बबूल की जाती का एक ऊँचा पेड़। | 
			
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				| खोरड़ा					 : | वि० [?] [स्त्री० खोरड़ी] सफेद केशवाला। उदाहरण–अब जण होई खोरड़ी, जाए कहा करेस।–ढोला मारू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोरना					 : | अ० [सं० क्षालन] स्नान करना। नहाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोरनी					 : | अ० [हिं० खोरना] वह लकड़ी जिससे भट्ठी या भाड़ में ईधन झोंका जाता है। | 
			
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				| खोरा					 : | पुं० [सं० खुल्ल या खोलक, फा० आबखोरा] [स्त्री० अल्पा० खोरिया] १. छोटा कटोरा या प्याला। २. एक प्रकार का गिलास। वि० दे० ‘खोड़ा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोराक					 : | स्त्री०=खूराक। | 
			
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				| खोराकी					 : | वि० स्त्री० =खूराकी। | 
			
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				| खोरि					 : | स्त्री० [हिं० खुर] १. तंग या सकरी गली। २. छोटी कटोरी। उदाहरण–खोरिन्ह महँ देखिअ छिटिआने–जायसी। स्त्री० [हिं० खोट] १. दोष के रूप में मानी जाने वाली अनुचित और लज्जाजनक बात। २. बुरा काम करने के समय होनेवाला भय या संकोच। उदाहरण–कत सकुचत निधरक फिरौ रति यौ खोरि तुम्हें न।–बिहारी। | 
			
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				| खोरिया					 : | स्त्री० [?] वह आनन्दोत्सव जो वर पक्ष की स्त्रियाँ बरात घर से चल चुकने पर नाच-गाकर मनाती हैं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [हिं० खोरा] १. छोटी कटोरी या गिलास। २. वे बुदें या सितारे जो स्त्रियाँ अपने मुँह पर शोभा के लिए लगाती है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खोरी					 : | स्त्री० [फा० खूट से हिं० खोर+ई प्रत्यय] खाने की क्रिया या भाव। जैसे–रिश्वतखोरी, हरामखोरी, हवाखोरी आदि। स्त्री० =कटोरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=खोर (सँकरी गली)। | 
			
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				| खोल					 : | पुं० [सं० खोलक] [स्त्री० अल्पा० खोली] १. किसी चीज का ऊपरी आवरण। २. कुछ विशिष्ट प्रकार के कीड़े-मकोड़े का वह ऊपरी प्राकृतिक आवरण जिसके अंदर वे रहते हैं। जैसे– घोंघे सीपी आदि का खोल। ३. कपड़े का सिला हुआ झोले या थैले-जैसा आवरण जिसमें कोई चीज धूल, मिट्टी, मैल आदि से सुरक्षित रखने के लिए रखी जाती है। गिलाफ। जैसे–तकिये या लिहाफ का खोल, सारंगी या सितार का खोल। ४. मोटे कपड़े की बनी हुई दोहरी चादर। पुं० छोटे मृदंग की तरह का एक प्रकार का बाजा। वि० [सं०√खोड् (लँगड़ाना)+अच्,ड=ल] जिसका कोई अंग टूटा-फूटा या विकृत न हो। विकलांग। पुं० शिरस्त्राण। खोद। | 
			
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				| खोलना					 : | स० [सं० क्षुर् (काटनाया खोदना), प्रा० खुल्ल; मरा० खोलणें; सिं० खोलणु; उ० खोलिबा; बँ० खोल] हिन्दी खुलना का सकर्मक रूप जो भौतिक या मूर्त्त और अभौतिक या अमूर्त्त रूपों में नीचे लिखे अर्थों में प्रयुक्त होता है। भौतिक या मूर्त्त रूपों में= १. किसी को जकड़ने या बाँधनेवाला उपकरण, चीज या तत्त्व इस प्रकार हटाना कि वह बँधा रह जाए। बंधन से मुक्त या रहित करना। जैसे– (क) खूँटे में बँधी हुई गौ, घोड़ा या बकरी खोलना। (ख) गठरी या रस्सी की गाँठ खोलना। २. जकड़ी या लपीटी हुई चीज इस प्रकार अलग या ढीली करना कि वह निकल कर दूर हो जाय। जैसे– कमरबंद पगड़ी या हथियार खोलना। ३. जड़ी जमाई या बैठाई हुई चीज निकाल या हटाकर अलग या दूर करना। जैसे–(क) दरवाजे का पेंच खोलना। (ख) बोतल का काग या डाट खोलना। ४. जिसका मुँह बन्द किया गया हो, उसके मुँह पर का बंधन हटाकर उसमें चीजों के आने-जाने का रास्ता करना। जैसे–(क) चिट्ठी निकालने के लिए लिफाफा खोलना। (ख) रुपए निकालने या रखने के लिए तोड़ा, थैली या बटुआ खोलना। ५. जो प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप से बिलकुल बन्द हो, उसे आघात आदि से काट, चीर या तोड़कर खंडित करना। जैसे–(क) नश्तर से घाव या फोड़े का मुँह खोलना। (ख) पत्थर या लाठी मारकर किसी का सिर खोलना। ६. बंद किया या भेड़ा किया हुआ जंगला या दरवाजा इस प्रकार खींचना या ढकेलना कि बीच में आने-जाने का मार्ग हो जाए। जैसे–खिड़की का फाटक खोलना। ७. आगे, ऊपर या सामने पड़ा हुआ आवरण, ढक्कन या परदा इस उद्देश्य से हटाना कि अन्दर उस पार या नीचें की चीजें अथवा भाग सामने आ जाएँ। जैसे–(क) पेटी या सन्दूक खोलना। (ख) मंदिर का पट खोलना। (ग) दवा पिलाने या दाँत उखाड़ने के लिए किसी का मुँह खोलना। ८. मोड़ी, लपेटी या तह की हुई चीज के सिरे आमने-सामने की दिशाओं में इस प्रकार फैलाना कि उसका अधिकतर भाग ऊपर या सामने हो जाए। विस्तृत करना। जैसे–(क) पढ़ने के लिए अखबार या किताब खोलना। (ख) बिछाने के लिए चादर या बिस्तर खोलना। ९. टँकी या सिली हुई चीज के टाँके या सिलाई अलग करना, तोड़ना या हटाना। जैसे–(क) साड़ी पर टकी हुई गोट का फीता खोलना। (ख) लिहाफ या अस्तर का पल्ले खोलना। १॰. शरीर पर धारण की या पहनी हुई चीज उतार या निकाल कर अलग या दूर करना। जैसे– कमीज, कुरता या जूता खोलना। ११. यांत्रिक साधन से बंद होनेवाली चीज पर ऐसी क्रिया करना कि वह बंद न रह जाय। जैसे–(क) ताला या हथकड़ी खोलना। (ख) पानी निकालने के लिए टंटी की टोटी खोलना। १२. यंत्रों आदि की मरम्मत या सफाई करने के लिए कल-पुरजे या कील-काँटे निकालकर उसके कुछ या सब अंग अलग-अलग करना या बाहर निकालना। जैसे–घड़ी या बाजा खोलना। १३. ठहराये या रोके हुए यान अथवा सवारी को उद्दिष्ट या दंतव्य स्थान की ओर ले जाने के लिए आगे बढ़ाना या चलाना। जैसे– नाव या मोटर खोलना। १४. अवरोध, बाधा या रुकावट हटाकर या उसके संबंध का कोई कृत्य अथवा घोषणा करके सार्विक उपयोग या व्यवहार के लिए सुगमता या सुभीता करना। जैसे–(क)जन साधारण के लिए नहर, मंदिर या सड़क खोलना। (ख) चराई या शिकार के लिए जंगल खोलना। (ग) शरीर का विकृत रक्त निकालने के लिए किसी की फसद खोलना। (घ) रोजा खोलना (अर्थात् उपवास या व्रत का अंत करके खाना-पीना आरंभ करना)। १५. अद्योग, कला, व्यापार, शिक्षा आदि के संबध का कोई नया कार्य आरंभ करना या संस्था खड़ी करना। जैसे–कारखाना, कोठी या पाठशाला खोलना। १६. नित्य नियत समय पर नैमित्तिक रूप से बंद की जानेवाली संस्था या स्थान कार्य फिर से आरंभ करने के लिए वहाँ पहुँचना और काम शुरू करना। जैसे–ठीक समय पर दफ्तर या दूकान खोलना। १७. किसी विशिष्ट क्रिया या प्रकार से कोई कार्य आरंभ करना या चलाना। जैसे–(क) खबरें या भाषण सुनने के लिए रेडियों खोलना। (ख) लेन-देन के लिए खाता या हिसाब खोलना। १८. शरीर के कुछ विशिष्ट अंगो का कार्य आरंभ करने के लिए उचित या सजग स्थिति में लाना। जैसे–(क) अच्छी तरह देखने या सुनने के लिए आँखे या कान खोलना। (ख) खाने के लिए मुँह या बोलने के लिए जवान खोलना। अभौतिक या अमूर्त रूपों में–१. अज्ञेय, अस्पष्ट या दुर्बोध को ज्ञेय, स्पष्ट या सुबोध करना। जैसे–(क) किसी वाक्य या श्लोक का अर्थ या आशय खोलना। (ख) किसी की पोल या भेद खोलना। २. जानकारी के लिए स्पष्ट रूप से सामने रखना। परिचित या विदित कराना। जैसे–किसी के आगे अपना उद्देश्य, विचार या हृदय खोलना। पद-जी खोलकर-(क) निष्कपट भाव या शुद्ध हृदय से। जैसे–जी खोलकर किसी से बातें करना। (ख) संकीर्णता आदि का भाव या विचार छोड़कर। जैसे–जी खोलकर खरचना, गाना या पढ़ाना। | 
			
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				| खोलि					 : | स्त्री० [सं०√खोल् (गतिहीनता)+इन्] तरकश। तूणीर। | 
			
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				| खोलिया					 : | स्त्री० [देश०] बढ़इयों का एक उपकरण जिससे वे लकड़ी पर बेल-बूटे आदि खोदते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोली					 : | स्त्री० [हिं० खोल का स्त्री रूप] १. तकिये आदि का गिलाफ। २. रहने की छोटी कोठरी। (महा०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोवा					 : | पुं०=खोआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोसड़ा					 : | पुं० [पं०] जूता, विशेषतः फटा-पुराना जूता। | 
			
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				| खोसना					 : | स० १. दे० ‘छीनना’। २. दे० ‘खोंसना’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खोह					 : | स्त्री० [सं० गोह] १. कंदरा। गुफा। २. गहरा गड्ढा। ३. दो पहाड़ों के बीच का गड्ढा अथवा तंग रास्ता। दर्रा। ४. खाई। (पश्चिम) पुं० दे० ‘खोडर’। | 
			
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				| खोही					 : | स्त्री० [सं० खोलक] १. पत्तों की छतरी। २. घोघी। | 
			
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				| खौं					 : | स्त्री० [सं० खन्] १. खात। गड्ढा। २. वह गहरा गड्ढा जिसमें किसान अन्न संचित करते हैं। | 
			
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				| खौंचा					 : | पुं० [फा० ख्वानूचा] १. खाने-पीने की चीजें रखने की लकड़ी की पेटी या संदूक। २. दे० ‘खोनूचा’। | 
			
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				| खौंट					 : | स्त्री० [हिं० खोंटना] १. खोंटने की क्रिया। खरोंच। २. दे० ‘खरोंट’। पुं० खुरंड। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौंडा					 : | पुं० [सं० खम वा खात] १. अनाज रखने का गड्ढा। २. गड्ढा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौंदना					 : | स० १. दे० ‘खूँदना’। २. दे० ‘खुरचना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौंका					 : | वि० [हिं० खाना] [स्त्री० खौकी] बहुत अधिक खानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौज					 : | पुं० [अ०] गंभीर चिंतन। मनन। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौंड़					 : | पुं०=खौर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौफ					 : | पुं० [अ०] [वि० खौफनाक] १. दूरस्थ या संभावित भय। भीति। २. डर। भय। ३. आशंका। खटका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खौफनाक					 : | वि० [अ०] १. भीति उत्पन्न करनेवाला। २. डरावना। भयानक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खौर					 : | पुं० [सं० क्षौर] १. मस्तक पर लगाया जानेवाला चंदन का आड़ा धनुषाकार और लहरियेदार तिलक। २. पीतल का वह टुकड़ा जिससे उक्त प्रकार के तिलक में लहरिया बनाया जाता है। ३. माथे पर पहनने का स्त्रियों का एक गहना। ४. मछली फँसाने का एक प्रकार का जाल। | 
			
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				| खौरना					 : | स० [हिं० खौर] १. चंदन का टीका या तिलक लगाकर उस पर लहरिया बनाना। २. खौर (तिलक) लगाना। | 
			
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				| खौरहा					 : | वि० [हिं० खौरा+हा (प्रत्यय)] [हिं० खौरही] १. जिसके सिर के बाल झड़ गये हों। २. जिसे खौरा नामक रोग हुआ हो। | 
			
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				| खौरा					 : | पुं० [सं० क्षौर] १. सिर के बाल झड़ने का रोग। गंज। २. कुत्ते, बिल्ली आदि को होनेवाली एक प्रकार की खुजली, जिसमें उनके सिर के बाल झड़ जाते हैं। वि० (पशु) जिसे उक्त रोग हुआ हो। | 
			
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				| खौरि					 : | स्त्री०=खौर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० खोरि (तंग गली)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खौरी					 : | स्त्री० [देश०] सुनारों की बोली में, राख। मुहावरा–खौरी करना=चाँदी या सोना भस्म करके उसकी राख बनाना। स्त्री०=खोरि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=खोपड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खौरु					 : | पुं० [अनु०] बैल या साँड के डकारने का शब्द। | 
			
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				| खौलना					 : | अ० [सं० क्ष्वेल] आग पर रखे हुए तरल पदार्थ का अधिक गरम होने पर उसमें उबाल आना या बुलबुले उठने लगना। मुहावरा–(किसी का) मिजाज खौलना=आवेश या क्रोध में होना। जैसे–उनकी बातें सुनते ही हमारा मिजाज खौल गया। | 
			
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				| खौलाना					 : | स० [हिं० खौलना] १. तरल पदार्थ को इतना अधिक गरम करना कि उसमें उबाल आने लगें। २. (अनुचित या कड़ी बात कहकर) किसी को उत्तप्त और क्रुद्ध करना। | 
			
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				| खौहड					 : | वि० दे० ‘खौहा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| खौहा					 : | वि० [हिं० खोना] १. बहुत अधिक खानेवाला। पेटू और भुक्खड़। २. दूसरों की कमाई से दिन बितानेवाला। | 
			
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				| ख्यात					 : | वि० [सं०√ख्या(वर्णन करना)+क्त] जिसकी जगत् या समाज में ख्याति हो। प्रसिद्ध। मशहूर। स्त्री० [सं० ख्याति] वह काव्य ग्रंथ जिसमें किसी वीर पुरुष की कृतियो का वर्णन हो(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)। | 
			
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				| ख्याति					 : | स्त्री० [सं०√ख्या+क्तिन्] १. प्रतिष्ठित, प्रसिद्ध या मान्य होने पर जगत् या समाज में होनेवाला नाम। शोहरत। २. अच्छा काम करने पर होनेवाली प्रसिद्धि या बढाई। कीर्ति। यश। | 
			
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				| ख्यापक					 : | वि० [सं०√ख्या+णिच्+ण्युल्-अक] १. घोषणा करनेवाला। २ कोई बात विशेषतः अपराध या भूल स्वीकार करनेवाला। | 
			
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				| ख्यापन					 : | पुं० [सं०√ख्या+णिच्+ल्युट्-अन] १. घोषणा करना। २. कोई बात विशेषतः भूल या अपराध स्वीकार करना। | 
			
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				| ख्याल					 : | पुं० [अ० खयाल-ध्यान] [वि० ख्याली] १. दे० खयाल। २. केवल खयाल या ध्यान में आ जाने पर मनमाने ढंग से और कौतुक या परिहास के रूप में किसी को खिझाने या चिढ़ाने के लिए किया जानेवाला कोई अनुचित काम। तंग या परेशान करने के लिए किया जानेवाला मजाक। उदाहरण-(क) यह सुनि रुक्मिनि भई बेहाल। जानि पर्यौ नहिं हरि कौं ख्याल।–सूर। (ख) मोकों जनि बरजौ जुवती कोउ, देखौ हरि के ख्याल। मुहावरा– (किसी के) ख्याल पड़ना=किसी को चिढ़ाने और तंग करने के लिए उतारू होना या पीछे पड़ना। उदाहरण-(क) ख्याल परैं ये सखा सबै मिलि मेरै मुख लपटायो।–सूर। (ख) ये सब मेरे ख्याल परी हैं, अब हीं बातन लै निरुआरति।–सूर। पुं०=खेल(क्रीड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| ख्यालिया					 : | पुं० [हिं० ख्याल (गीत)] वह गवैया जो ख्याल गाने में निपुण हों। | 
			
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				| ख्याली					 : | पुं० [हिं० ख्याल] १. खब्ती। झक्की। सनकी। २. खेलवाड़ी। वि०=खयाली। | 
			
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				| ख्रिष्टान					 : | पुं० [हिं० ख्रीष्ट] ईसा मसीह के चलाये हुए संप्रदाय का अनुयायी। मसीही। | 
			
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				| ख्रिष्ष्टीय					 : | वि० [अ० क्राइष्ट] ईसा मसीह या उनके चलाये हुए धर्म से संबध रखनेवाला। पुं० ईसा मसीह के मत के अनुयायी। ईसाई। मसीही। | 
			
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				| ख्रीष्ट					 : | पुं० [अं० क्राइष्ट] [ वि० ख्रिष्टीय] ईसा मसीह। | 
			
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				| ख्वाँ					 : | वि० [फा०] १. पढ़नेवाला। २. कहने या गानेवाला। (यौगिक शब्दों के अंत में) जैसे– किस्सा-ख्वाँ, गजल=ख्वाँ। | 
			
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				| ख्वाँदा					 : | वि० [फा० ख्वाँदः] पढ़ा-लिखा। शिक्षित। | 
			
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				| ख्वाजा					 : | पुं० [फा० ख्वाजः] १. घर का मालिक। स्वामी। २. नेता सरदार या हाकिम। ३. बहुत बड़ा त्यागी और पहुँचा हुआ फकीर। महात्मा। ४. दे० ‘खोजा’। | 
			
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				| ख्वाजासरा					 : | पुं० दे० ‘खोजा’। | 
			
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				| ख्वान					 : | पुं० [फा०] थाल। परात। | 
			
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				| ख्वानपोश					 : | पुं० [फा०] वह कपड़ा जिसमें पकवान, मिठाई आदि से भरे थाल ढकते हैं। | 
			
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				| ख्वाना					 : | स० [हिं० खाना का प्रे०] खिलाना। उदाहरण-ख्वाय विष, गृह लाय दीन्हीं तउन पाए जरन।–सूर। | 
			
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				| ख्वान्चा					 : | पुं० दे० ‘खोनचा’। | 
			
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				| ख्वाब					 : | पुं० [फा०] १. सोने की अवस्था। नींद। २. वह जो कुछ नींद में दिखाई पड़े। स्वप्न। | 
			
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				| ख्वाबगाह					 : | स्त्री० [फा०] सोने का कमरा या स्थान। शयनागार। | 
			
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				| ख्वार					 : | वि० [फा०] [भाव० ख्वारी] (व्यक्ति) जो बहुत ही बुरी तरह से नष्ट-भ्रष्ट और तिरस्कृत हो चुका हो। | 
			
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				| ख्वारी					 : | स्त्री० [फा०] ख्वार होने की अवस्था या भाव। दुर्गत। दुर्दशा। | 
			
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				| ख्वास्तगार					 : | वि० [फा०] [भाव० ख्वास्तगारी] चाहने या इच्छा करनेवाला। इच्छुक। | 
			
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				| ख्वास्ता					 : | वि० [फा० ख्वास्तः] चाहा हुआ। इच्छित। | 
			
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				| ख्वाह					 : | अव्य० [फा०] १. या। अथवा। २. यो तो। चाहे। पद-ख्वाह-भ-ख्वाह= (क) चाहे कोई चाहे या न चाहे। जबरदस्ती। (ख) निश्चित रूप से। अवश्य। | 
			
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				| ख्वाहाँ					 : | वि० [फा०] १. इच्छा रखनेवाला। इच्छुक। २. चाहनेवाला। प्रेमी। | 
			
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				| ख्वाहिश					 : | स्त्री० [फा०] [ वि० ख्वाहिमंद] अभिलाषा। इच्छा। चाह। | 
			
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				| ख्वाहिशमंद					 : | वि० [फा०] ख्वाहिश रखनेवाला। आकांक्षी। इच्छुक। | 
			
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				| ख्वेंतर					 : | पुं० [देश०] गोफना। ढेलवाँस। (लश०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| ख्वैना					 : | स० दे० ‘खोना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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