| शब्द का अर्थ | 
					
				| खटंगा					 : | पुं० [खट्वांग] जबलपुर के पास का प्रदेश। कटंग। | 
			
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				| खट					 : | पुं० [अनु०] दो वस्तुओं के टकराने अथवा एक वस्तु को दूसरी वस्तु से मारने पर होने वाला शब्द। पद-खटसे–(क) खट शब्द करते हुए। (ख) तत्काल। तुरंत। पुं० [सं० खट् (चाहना)+अच्] १. कफ। बलगम। २. वह पुराना और टूटा-फूटा कूँआ। जिसमें जल न रह गया हो। अंधा कुँआ। ३.घूँसा। मुक्का। ४. एक प्रकार की घास जो छप्पर या छाजन बनाने के काम आती है। ५. कुल्हाड़ी। ६. हल। पुं० [सं० षट्] सबेरे के समय गाया जाने वाला एक प्रकार का षाड़व राग। | 
			
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				| खटक					 : | स्त्री० [हिं०] १. खटकने की क्रिया या भाव। २. खटकने वाला तत्त्व या बात। ३. आशंका। खटका। पुं० [सं० √खट्+वुन्-अक] १. घटक। २. आधी खुली मुट्ठी। ३.मुष्टिका। मुट्ठी। | 
			
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				| खटकना					 : | अ० [अनु.] १. दो वस्तुओं के परस्पर टकराने से शब्द उत्पन्न होना। २. (कोई बात मन में) प्रशस्त या भली न जान पड़ने के कारण कुछ कष्टदायक जान पड़ना। खलना। ३.अनिष्ट की आशंका होना। ४. रह-रहकर हलकी पीड़ा होना। ५. आपस में अनबन होना। ६. उचटना। | 
			
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				| खटकरम					 : | पुं० [सं० षट्कर्म्म] तरह-तरह के व्यर्थ के और झंझटो से भरे हुए काम। खटराग। | 
			
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				| खटकरमी					 : | वि० [हिं० खटकरम] इधर-उधर के और व्यर्थ के काम करनेवाला। | 
			
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				| खटका					 : | पुं० [हिं० खट] १. खट से होने वाला शब्द। २. इस प्रकार का कोई शब्द या संकेत होने पर अथवा कोई अनिष्टकारक घटना होने पर मन में होने वाली आशंका और दुश्चिंता। ३. चिंता। फिक्र। ४. वह कमानी, पेंच अथवा ऐसा ही कोई टुकड़ा जिसके घुमाने, दबाने आदि से ‘खट’ शब्द करते हुए कोई काम होता है। (स्विच) जैसे–बन्दूक का खटका, बिजली की बत्ती का खटका। ५. किवाड़े की सिटकनी। ६. पेड़ में बँधा हुआ वह बाँस जिसे खड़खड़ाकर चिड़ियाँ उड़ते हैं। ७. संगीत में, किसी स्वर के उच्चारण के बाद उससे कुछ ही नीचे के स्वर पर होते हुए फिर ऊँचे स्वर की ओर का बढ़ाव जो बहुत कला पूर्ण और सुन्दर होता है। | 
			
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				| खटकाना					 : | स० [हिं० खटकना] १. एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर इस प्रकार आघात करना कि वह खटखट शब्द करने लगे। खटखट शब्द उत्पन्न करना। जैसे–दरवाजा खटकाना। २. किसी के मन में खटका उत्पन्न करना। ३. परस्पर अनबन कराना। | 
			
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				| खटकामुख					 : | पुं० [सं० खटक-आमुख, ष० त०] १. नृत्य में हाथों की एक विशिष्ट मुद्रा। २. बैठकर तीर चलाने का एक प्रकार का आसन या मुद्रा। | 
			
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				| खटकीड़ा (कीरा)					 : | पुं० [हिं० खाट+कीड़ा] खटमल। | 
			
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				| खटखट					 : | स्त्री० [अनु०] १. दो वस्तुओं के बराबर टकराते रहने से होनेवाला शब्द जो प्रायः कर्णकटु हो। २. झंझट। झमेला। ३. आपस में होने वाली कहा-सुनी और लड़ाई-झगड़ा। | 
			
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				| खटखटा					 : | पुं० [अनु.] खेतों में बाँधा हुआ वह बाँस जो पक्षियों को उड़ाने के लिए दूसरे छोटे बाँस से खटखटाया जाता है। खटका। | 
			
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				| खटखटाना					 : | स० [अनु.] किसी प्रकार का आघात करके खटखट शब्द उत्पन्न करना। | 
			
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				| खटखटिया					 : | स्त्री० [खट खट से अनु.] वह खड़ाऊँ, जिसमें खूँटी के स्थान पर रस्सी या फीता आदि लगा रहता है और जिसे पहनकर चलने में खटखट शब्द होता है। | 
			
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				| खट-खादक					 : | पुं० [ष० त०] १. कौआ। २. गीदड़। | 
			
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				| खटना					 : | स० [?] धन उपार्जन करना या कमाना। (पश्चिम)। अ० [?] अधिक तथा कठोर परिश्रम करना। (पूरब)। | 
			
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				| खटपट					 : | स्त्री० [अनु.] १. दो कड़ी वस्तुओं के आपस में टकराने का शब्द। २. दो पक्षों में होने वाली सामान्य अनबन या वैर-विरोध। ३. आपस में होने वाली फूट। | 
			
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				| खटपटिया					 : | वि० [हिं० खटपट] १. लोगों से खटपट करने या लड़ने-झगड़नेवाला। जिसकी दूसरों से न बनती हो। २. दो पक्षों में फूट डालने वाला। पुं० काठ की चट्टी। खटखटिया। | 
			
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				| खटपद					 : | पुं०=षट्पद। | 
			
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				| खटपदी					 : | स्त्री०=षट्पदी। | 
			
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				| खटपाटी					 : | स्त्री० [हिं० खाट+पाटी] खाट या पलंग की पाटी। मुहावरा–खटपाटी लेना या लगना=रूठकर काम-धन्धा छोड़ देना और चुपचाप कहीं बैठ या लेट जाना। उदाहरण–मैं तोहिं लागि लेब खटपाटी।–जायसी। | 
			
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				| खटपापड़ी					 : | स्त्री० [देश०] अमली या करमई का पेड़। | 
			
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				| खटपूरा					 : | पुं० [हिं० खड्डु+पूरा] खेत की मिट्टी समतल करने की मुँगरी। | 
			
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				| खटबारी					 : | स्त्री०=खटपाटी। | 
			
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				| खटबुना					 : | पुं० [हिं० खाट+बुनना] वह जो खाट बुनने का काम करता हो। | 
			
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				| खटभिलावाँ					 : | पुं० [देश०] चिरौंजी का पेड़। पयाल। | 
			
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				| खटभेभल					 : | पुं० [देश०] छोटे कद तथा छोटी-छोटी पत्तियोंवाला एक पेड़ जिसमें पीले फूल तथा दानेदार छोटी फलियाँ लगती है। | 
			
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				| खटमल					 : | पुं० [हिं० खाट+मल या मल्ल] खाट, चौकी आदि में रहनेवाला मटमैले उन्नाबी रंग का एक प्रसिद्ध कीड़ा जो मनुष्य के शरीर का रक्त अपने डंक द्वारा चूसता है। उड़ुस। | 
			
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				| खटमली					 : | वि० [हिं० खटमल] खटमल के रंग का। गहरे या मटमैले उन्नाबी रंग का। पुं० उक्त आकार का रंग। | 
			
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				| खट-मिट्ठा					 : | वि०=खट-मीठा। | 
			
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				| खट-मीठा					 : | वि० [हिं० खट्टा+मीठा] जो खाने में कुछ खट्टा, पर साथ ही मीठा लगता हो। जैसे–खटमीठा फालसा। | 
			
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				| खटमुख					 : | पुं०=षट्मुख। | 
			
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				| खटमुत्ता					 : | वि० [हिं० खाट+मूत(=मूत्र)] (बच्चा) जिसे खाट पर ही मूतने की आदत पड़ गई हो। | 
			
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				| खटरस					 : | वि० पुं०=षटरस। | 
			
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				| खटराग					 : | पुं० [सं० षट्राग] १. लड़ाई-झगड़ा। २. झंझट। बखेड़ा। ३.कूड़ा-करकट। | 
			
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				| खटरिया					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का कीड़ा। | 
			
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				| खटलर					 : | पुं० [देश०] सान धरनेवालों का लकड़ी का एक उपकरण या औजार। | 
			
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				| खटला					 : | पुं० [देश०] कान के निचले भाग में किया जाने वाला एक छेद जिसमें आभूषण आदि पहने जाते हैं। पुं० [सं० कलत्र] स्त्री और बाल-बच्चे। परिवार। (महाराष्ट्र) | 
			
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				| खटवाटी					 : | स्त्री०=खटपाटी। | 
			
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				| खटाई					 : | स्त्री० [हिं० खट्टा] १. खट्टे होने की अवस्था, गुण या भाव। २. कोई खट्टी वस्तु। जैसे– कच्चा आम, इमली, किसी तरह का आचार आदि। मुहावरा–खटाई में डालना=ऐसी युक्ति या बहाना करना जिससे किसी काम का कुछ दिनों तक बिना पूरा हुए यों ही पड़ा रह जाय। काम लटकाये रखना, उसे ख़तम न करना। विशेष-सुनार लोग गहना बना लेने पर उसे साफ करने के लिए कुछ समय तक खटाई में छोड़ देते है जिससे उनकी मैल कट जाय। और इसी बहाने वे ग्राहक को प्रायः दौड़ाया या लौटाया करते हैं। इसीसे यह मुहावरा बना है। | 
			
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				| खटाक					 : | पुं० [अनु.] किसी ऊँचे स्थान पर से काँच, मिट्टी आदि के चीज़ों के जमीन पर गिरकर टूटने का शब्द। | 
			
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				| खटाखट					 : | पुं० [अनु.] ‘खटखट’ का शब्द। अव्य. १. खट-खट शब्द के साथ। २. निरंतर या लगातार शब्द करते हुए। ३. चटपट। तुरंत। | 
			
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				| खटाना					 : | अ० [हिं० खट्टा] किसी वस्तु में खट्टापन आना। खट्टा होना। अ० [हिं० खट्टा=परिश्रम करना] १. किसी स्थान पर गुजारा या निर्वाह होना। निभना। २. परीक्षा आदि में ठीक या पूरा उतरना। स० किसी को खटने अर्थात् विशेष परिश्रम करने में प्रवृत्त करना। खूब मेहनत कराना। | 
			
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				| खटापट					 : | स्त्री०=खटपट। | 
			
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				| खटापटी					 : | स्त्री०=खटपट। | 
			
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				| खटाल					 : | पुं० [बँ० कटाल] पूर्णिमा के दिन उठने वाली समुद्र की ऊँची लहर। ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटाव					 : | पुं० [हिं० खटाना] १. खटने या खटाने की क्रिया या भाव। २. गुजर, निर्वाह, निबाह। ३. नाव बाँधने का खूँटा। | 
			
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				| खटास					 : | पुं० [सं० खट्टाश] मुश्क बिलाव। गंध बिलाव। स्त्री० [हिं० खट्टा] १. वह तत्त्व जिसके कारण कोई चीज खट्टी होती है। २. खट्टे होने का गुण या भाव। खट्टापन। | 
			
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				| खटिक					 : | पुं० [सं० खटिक] [स्त्री० खटकिन] एक प्रसिद्ध जाति जो तरकारियाँ फल आदि बेचने का व्यवसाय करती है। | 
			
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				| खटिका					 : | स्त्री० [सं० खट+कन्–टाप्, इत्व] १. खड़िया मिट्टी। २. कान का छेद। | 
			
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				| खटिनी					 : | स्त्री० [सं० खट+इनि-डीष्] खड़िया मिट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटिया					 : | स्त्री० [सं० खट्वा] छोटी खाट। चारपाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटी					 : | स्त्री० [सं०√खट्+अच-डीष्]=खटिनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| खटीक					 : | पुं०=खटिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटुली					 : | स्त्री०=खटोली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटेटी					 : | स्त्री० [हिं० खाट+पीठ ?] ऐसी खाली खाट जिसपर बिस्तर न बिछा हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोल					 : | पुं० [देश०]=खटोला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोलना					 : | पुं०=खटोला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खटोला					 : | पुं० [हिं० खाट+ओला(प्रत्य.)] [स्त्री० अल्पा.खटोली] छोटी खाट या चारपाई। पुं० [?] बुंदेलखंड के उस भाग का नाम जिसमें आजकल दमोह, सागर आदि जिले हैं और जहाँ किसी समय भीलों की बस्ती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्ट					 : | वि० [सं०√खट्ट (छिपाना)+अच्] खट्टा। पुं० [?] एक प्रकार का पीला संगमरमर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टा					 : | वि० [सं० खट्ट, प्रा. खट्ट, बँ. खाटा, उ. खटा, सिं. खटो, गु. खाटू] आम, इमली आदि के से स्वाद वाला। मुहावरा–(जी या मन) खट्टा होना=अप्रसन्न या उदासीन होना। नाराज होना। (किसी से) खट्टा खाना=अप्रसन्न रहना। मुँह फुलाना। खट्टी छाछ से भी जाना=थोड़े लाभ से भी वंचित होना। पुं० एक प्रकार का बड़ा नीबू। पुं० =खाट (चारपाई)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टा-मीठा					 : | वि०=खट-मीठा। पुं० संसार का ऊँच-नीच या दुःख-सुख। जैसे–आप तो सब खट्टा-मीठा चख या देख के बैठे हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टाश (स)					 : | पुं० [सं० खट्ट√अश् (व्याप्ति)+अच्] [स्त्री० खट्टाशी (सी)] बिल्ली की तरह का एक प्रकार का जंगली जंतु जिसका मुँह चूहे की तरह निकला हुआ होता है। (सिवेट-कैट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टि					 : | स्त्री० [सं०√खट्ट+इन्] अरथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टिक					 : | वि० [सं० खट्ट+ठन्-इक] वध या हिंसा करनेवाला। पुं० १. बहेलिया। २. कसाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टिका					 : | स्त्री० [सं० खट्ट+कन्+टाप्, इत्व] १. छोटी खाट। २. अरथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टी					 : | स्त्री० [सं० ?] १. खट्टी नारंगी या नीबू। २. गलगल। स्त्री० [हिं० खटना] आय। कमाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टी-मीठी					 : | स्त्री० [हिं० खट्टी+मिठी] एक प्रकार की लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्टू					 : | पुं० [पं. खटना=रुपया पैदा करना] कमानेवाला। कमाऊ। (विपर्याय-निखट्टू)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्वांग					 : | पुं० [सं० खट्वा-अंग, ष० त०] १. चारपाई के अंग; जैसे–पाटी, पावा आदि। २. शिव का एक अस्त्र। ३. प्रायश्चित्त के दिनों में भिक्षा माँगने का एक प्रकार का पात्र। ४. तन्त्र के अनुसार एक प्रकार की मुद्रा जिससे देवता बहुत प्रसन्न होते हैं। ५. साधुओं की वह लकड़ी जिसपर हाथ रखकर वे बैठते हैं। अधारी। टेकनी। ६. राजा दिलीप का एक नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्वांग-धर					 : | पुं० [ष० त०] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्वांगी (गिन्)					 : | पुं० [खट्वांग इनि] शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्वा					 : | स्त्री० [सं०√खट्(चाहना)+क्वन्, टाप्] खाट जिसपर सोते हैं। चारपाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्वाका					 : | स्त्री० [सं० खट्वा+कन्+टाप्] छोटी खाट। खटिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| खट्विका					 : | स्त्री० [सं० खटवा+कन्-टाप्,इत्व] छोटी खाट। खटिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |