| शब्द का अर्थ | 
					
				| खास					 : | वि० [अ०] १. किसी विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति से संबंध रखनेवाला। ‘आम’ का विपर्याय। २. जो साधारण से भिन्न हो। विशेष। पद-खासकर=विशेष रूप से। ३. किसी के पक्ष में व्यक्तिगत रूप से होनेवाला। निज का। आत्मीय। जैसे–यह घर खास हमारा है। ४. ठेठ। विशुद्ध। स्त्री० [अ० क़ीसो] १. मोटे कपड़े की बनी हुई थैली। २. बोरा। | 
			
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				| खास कलम					 : | पुं० [अ०] निजी पत्र-व्यवहार करने के लिए रखा हुआ मुशी। | 
			
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				| खासगी					 : | वि० [अ० खास+गी (प्रत्य०)] १. राजा या मालिक आदि का। २. निज का। निजी। | 
			
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				| खासदान					 : | पुं० [उर्दू] पान, कत्था आदि रखने का डिब्बा। पानदान। | 
			
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				| खास नवीस					 : | पुं० खास कलम। | 
			
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				| खास बरदार					 : | पुं० [फा०] वह नौकर या सिपाही जो राजा की सवारी के ठीक आगे-आगे चलता था। | 
			
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				| खास बाजार					 : | पुं० [फा०] वह बाजार जो राजा के महल के सामने विशेष रूप से इसलिए लगता था कि राजा वहाँ से अपने लिए आवश्यक वस्तुएं मोल ले। | 
			
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				| खासा					 : | पुं० [अ० खास] १. राजाओं रईसों आदि के लिए विशिष्ट रूप से और अलग बनने वाला भोजन। २. राजा की सवारी का घोड़ा या हाथी। मुहावरा– खासा चुनना=बादशाही दस्तरखान पर अनेक प्रकार की बढिया भोज्य पदार्थ आदि लाकर रखना। ३.एक प्रकार का पतला सूती कपड़ा। ४. एक प्रकार का मोयेनदार पकवान। वि० [स्त्री० खासी] १. जितना आवश्यक हो उतना। यथेष्ठ। जैसे– इधर खासा गरम हैं। २. अच्छा भला। ३. सुन्दर। सुडौल। ४. भरपूर । पूरा। | 
			
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				| खासियत					 : | स्त्री० [अ०] १. किसी वस्तु या व्यक्ति में होनेवाला कोई विशिष्ट गुण। विशेषता। २. प्रकृति। स्वभाव। ३. प्रभाव। असर। | 
			
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				| खासिया					 : | स्त्री० [सं० खस] १. असम देश की एक पहाड़ी। २. उक्त पहाड़ी में बसनेवाली एक जाति जो ‘खस’ भी कहलाती हैं। | 
			
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				| खासियाना					 : | पुं० [हिं० खासिया पहाड़ी] एक प्रकार की मँजीठ। | 
			
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				| खासी					 : | स्त्री० [अ०] खासे राजा के बाँधने की तलवार, ढाल या बन्दूक। | 
			
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				| खासीयत					 : | स्त्री०=खासियत। | 
			
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				| खास्तई					 : | पुं० [फा०] १. कबूतर का एक रंग। २. इस रंग का कबूतर। | 
			
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				| खास्सा					 : | पुं० [अ०खास्सः] १. किसी में होनेवाला कोई विशेष गुँ। २. स्वभाव। ३.आदत। बान। | 
			
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