| 
		
			| शब्द का अर्थ |  
				| खोइया					 : | पुं० [देश०] ब्रज में होनेवाला एक प्रकार का नाटय जो घर से बरात चली जाने पर वर-पक्ष की स्त्रियाँ रात में करती हैं। इसमें वे दूल्हा और दूलहिन बनकर विवाह का नाटय तथा राम और कृष्ण की लीलाएँ आदि करती हैं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० दे० ‘खोई’। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |