| शब्द का अर्थ | 
					
				| गिरद					 : | अव्य० =गिर्द। | 
			
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				| गिरदा					 : | पुं० [फा० गिर्द] १. घेरा। २. चक्कर। ३. तकिया। ४. हलवाइयों आदि का काठ का बडा थाल। ५. कपड़े का वह गोल टुकड़ा जो हुक्कें के नीचे रखा जाता है। ६. गतके का वार रोकने की ढाल। फरी। ७. खजरी ढोल आदि का मेंडरा। | 
			
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				| गिरदागिरद					 : | क्रि० वि० =गिर्दागिर्द। | 
			
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				| गिरदान					 : | पुं० १.=गिरगिट। २. =गरदान। | 
			
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				| गिरदाब					 : | पुं० [फा० गिर्दाब] पानी का भँवर। | 
			
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				| गिरदाली					 : | स्त्री० [फा० गिर्द] लोहारों का एक उपकरण जिससे वे गलाया हुआ लोहा के स्थान पर समेटते हैं। | 
			
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				| गिरदावर					 : | पुं० [फा०] वह अधिकारी जो किसी क्षेत्र में घूम-घूमकर कामों की जाँच या देख-रेख करता हो। | 
			
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				| गिरदावरी					 : | स्त्री० [फा०] गिरदावर का काम या पद। | 
			
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				| गिरदीह					 : | क्रि० वि० [फा० गिर्द] आस-पास। इर्द-गिर्द। उदाहरण–नरनाहाँ वर गड्ढ गाह गिरदीह दुअनधर।–चन्दवरदाई। | 
			
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