| शब्द का अर्थ | 
					
				| गोह					 : | स्त्री० [सं० गोधा] छिपकली की जाति का एक बड़ा जंगली (लगभग डेढ़ फुट लंबा) जंतु जिसकी फुफकार विषैली होती हैं। | 
			
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				| गोहटा					 : | पुं० [हिं० गोह+टा (प्रत्य०)] गोह का बच्चा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गोहन					 : | पुं० [?] १. संगी। साथी। २. संग। साथ। क्रि० वि० संग में। साथ-साथ। उदाहरण–और तोहि गोहन झाँझ मँजीरा।–जायसी। | 
			
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				| गोहनियाँ					 : | पुं० [हिं० गोहन+इया (प्रत्य)] संगी। साथी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गोहने					 : | क्रि० वि० [हिं० गोहन] साथ में। संग मिलाकर। उदाहरण–गोहनै गुपाल फिरूँ ऐसी आवत मन में।–मीराँ। | 
			
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				| गोहर					 : | पुं० [सं० गोधा] बिसखोपरा नामक जंतु। | 
			
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				| गोहरा					 : | पुं० [हिं० गो+ईल्ल या गोहल्ल] [स्त्री० अल्पा० गोहरी] गोबर पाथ कर धूप में सुखाया हुआ उसका गोलाकार पिंड जो ईधन का काम देता है। उपला। कंडा। | 
			
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				| गोहराना					 : | अ० [हिं० गोहार] १. पुकारना। बुलाना। आवाज देना। २. जोर से चिल्लाना। उदाहरण–धरु-धरु मारु मारु गोहरावहिं।–तुलसी। | 
			
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				| गोहरोरा					 : | पुं० [हिं० गोहरी+ओरा (प्रत्य)] १. गोहरों अर्थात् उपलों या कंडो का ढेर। २. वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार का ढेर लगा रहता है। | 
			
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				| गोहलोत					 : | पुं० [गोह (नाम)] =गहलौत (क्षत्रिय का वर्ग)। | 
			
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				| गोहानी					 : | स्त्री० दे० ‘गोइंड़’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गोहार					 : | स्त्री० [सं० गो+हार (हरण)] १. प्राचीन भारत में वह चिल्लाहट या पुकार जो अपनी गौओं के छिन जाने या लुटेरों द्वारा लुट जाने पर मचाई जाती थी। २. कष्ट, संकट, हानि आदि के समय अपनी रक्षा या सहायता के लिए मचाई जानेवाली पुकार। मुहावरा–गोहार मारना=सहायता के लिए पुकार मचाना। गोहार लड़ना–पहलवानों आदि का अखाड़ें में उतरकर तथा दूसरे पहलवानों आदि को ललकार कर उनसे लड़ना। ३. चिल्लाकर लोगों को इकट्ठा होने के लिए पुकारना। चिल्लाहट। ४. शोर। हल्ला। | 
			
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				| गोहारी					 : | स्त्री० [हिं० गोहार] १. गोहार। २. किसी की क्षति पूरी करने के लिए दिया जानेवाला धन। (लश०) ३. बन्दरगाह में उचित से अधिक समय तक ठहरने के बदले में दिया जानेवाला धन। (लश०) | 
			
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				| गोही					 : | स्त्री० [सं० गोपन] १. दुराव। छिपाव। २. गुप्त या छिपी हुई बात-चीत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [?] फलों की गुठली या बीज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गोहुवन					 : | पुं० =गेहुँअन। (साँप)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गोहूँ					 : | पुं० =गेहूँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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