शब्द का अर्थ
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चक्राकं :
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पुं० [चक्र-अंक, ष० त०] विष्णु के चक्र का चिन्ह्र जो वैष्णव अपने शरीर के अंगों पर दगवाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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चक्राकं-पुच्छ :
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पुं० [ब० स०] १. मोर। २. मोर का पंख। उदाहरण–उन्मुक्त गुच्छ, चक्रांक-पुच्छू।-निराला। |
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चक्रांकित :
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वि० [चक्र-अंकित, तृ० त०] १. जिस पर चक्र का चिन्ह्र अंकित हो। २. (व्यक्ति) जिसने अपने शरीर पर चक्र का चिन्ह्र दगवाया हो। जिसने चक्र को छाप लीया हो। पुं० वैष्णवों का एक संप्रदाय जिसके लोग अपने शरीर पर चक्र का चिन्ह्र दगवाते हैं। |
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चक्रांग :
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पुं० [चक्र-अंग, ब० स०] १. चकवा पक्षी। २. गाड़ी या रथ। ३. हंस। ४. कुटकी नाम की ओषधि। ५. हिलमोचिका या हुलहुल नाम का साग। |
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चक्रांगा :
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स्त्री० [सं० चक्रांग+टाप्] १. काकड़ासिंगी। २. सुदर्शन नाम का पौधा या लता। |
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चक्रांगी :
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स्त्री० [सं० चक्रांग+ङीष्] १. कुटकी नाम की ओषधि। २. हंस की मादा। हंसिनी। ३. हुलहुल नाम का साग। ४. मजीठ। ५. काकड़ासिंगी। ६. मूसाकानी। |
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चक्रांत :
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पुं० [चक्र-अंत, ब० स०] गुप्त अभिसंधि। षड्यंत्र। |
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चक्रांतर :
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पुं० [सं० चक्रांक√रा (लेना)+क] एक बुद्ध का नाम। |
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चक्रांश :
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पुं० [चक्र-अंश, ष० त०] १. किसी चक्र का कोई अंश। २. चंद्रमा के चक्र का ३६॰ वाँ अंश। |
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चक्रा :
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स्त्री०[सं०चक्र+टाप्] १. नागरमोथा। २. काकड़ासिंगी। |
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चक्राक :
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पुं० [सं० चक्र√अक् (गति)+अच्] [स्त्री० चक्राकी०] हंस नामक पक्षी। |
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चक्राकार :
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वि० [चक्र-आकार, ब० स०] चक्र या पहिये के आकार का। मंडलाकार। |
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चक्राट :
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पुं० [सं० चक्र√अट् (गति)+अण्, उप० स०] १. साँप पकड़ने वाला। २. मदारी। ३. बहुत बड़ा चालाक या धूर्त। ४. सोने का दीनार नाम का सिक्का। |
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चक्रानुक्रम :
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पुं० [चक्र-अनुक्रम, उपमि० स०]=चक्र-क्रम। |
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चक्रायुध :
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पुं० [चक्र-आयुध, ब० स०] विष्णु। |
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चक्रावल :
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पुं० [सं०] १. घोड़ो का एक रोग जिसमें पैरों में घाव हो जाता है। २. उक्त रोग से होनेवाला घाव। |
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चक्राह्र :
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पु० [चक्र-आह्रान,ब० स०] १. चकवा पक्षी। चक्रवाक। २. चकवँड़। |
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