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चेष्टा  : स्त्री० [सं० चेष्ट+अङ्-टाप्] १. इधर-उधर हाथ पैर हिलाना। हिलना-डोलना। २. मन में कोई भाव या विचार उत्पन्न होने पर ब्राह्म आकृति या शरीर पर होनेवाली उसकी प्रतिक्रिया। मन का भाव सूचित करनेवाली अंग-भंगी या शारीरिक व्यापार। ३. मन का भाव प्रकट करने वाली मुख की आकृति। मुहावरा–चेष्ट बिगड़ना=मरने से कुछ समय पहले आकृति या चेहरा बिगड़ जाना। ४. वह शारीरिक आयास या व्यापार जो कोई उद्देश्य या काम पूरा करने के लिए किया जाय। कोशिश। प्रयत्न। ५. उक्त के आधार पर साहित्य में वह क्रिया या प्रयत्न जो प्रिय को अनुरक्त करने के लिए उसके प्रति किया जाय। जैसे–प्रिय को देखकर आँखें नचाना, हँसना आदि। ६. काम। कार्य। ७. परिश्रम। मेहनत। ८. इच्छा। कामना।
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चेष्टा नाश  : पुं० [ष० त०] सृष्टि का अंत। प्रलय।
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चेष्टा-बल  : पुं० [मध्य० स०] फलित ज्योतिष में, ग्रहों का किसी विशिष्ट गति या स्थिति के अनुसार अधिक बलवान हो जाना। जैसे–उत्तरायण में सूर्य या वक्रगामी मंगल।
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