| शब्द का अर्थ | 
					
				| जरंड					 : | वि० [सं०] १. क्षीण। २. वृद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरंत					 : | पुं० [सं०√जृ (जीर्ण होना)+झच्-अंत] १. अधिक अवस्थावाला व्यक्ति। २. भैंसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जर					 : | पुं० [सं०√जृ+अप्] १. जीर्ण या नष्ट होने की अवस्था या भाव। २. वह कर्म जिससे शुभाशुभ कर्मों का क्षय होता है। वि० [√जृ+अच्] १. वृद्ध होनेवाला। २. क्षीण या वृद्ध करनेवाला। पुं० [सं० जरा] जरा० वृद्धावस्था। पुं०=ज्वर। पुं० [फा० जर] १. सोना। २. धन। पुं० [हिं० जड़] जड़। पुं० [देश] एक प्रकार की समुद्री सेवार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरई					 : | स्त्री० [सं० जीरक] १. बोये हुए बीज में से निकलनेवाला नया अंकुर। २. जौ या धान के छोटे अंकुर जो विशिष्ट अवसरों पर मंगल-कामना प्रकट करने के लिए भेंट किये जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जर-कंबर					 : | पुं० [फा० जरी+हिं० कंबल] वह आवरण या ओढ़ना जिस पर जरी का काम बना हो। उदाहरण–जुरा जर कंबर सो पहिरायो।–केशव। | 
			
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				| जरक					 : | स्त्री०=झलक। | 
			
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				| जरकटी					 : | स्त्री० [देश०] एक शिकारी चिड़िया। | 
			
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				| जरकस					 : | वि० [फा० जरकश] (वस्त्र) जिस पर जरी का काम हुआ हो। पुं० जरी का काम। | 
			
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				| जरकसी					 : | वि०=जरकस। | 
			
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				| जरकान					 : | पुं० [अ०] गोमेद नामक रत्न। | 
			
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				| जर-खरीद					 : | वि० [फा०] धन देकर खरीदा हुआ। क्रीत। | 
			
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				| जरखज					 : | वि० [फा०] [भाव० जरखेजी] (भूमि) जिसमें फसल अधिक मात्रा में होती है। उपजाऊ। | 
			
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				| जरगह, जरगा					 : | पुं०=जिरगा। | 
			
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				| जरछार					 : | वि० [हिं० जरना+सं० क्षार] १. जो जलकर राख हो गया हो। २. नष्ट। | 
			
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				| जरज					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का कंद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरजर					 : | वि०=जर्जर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरजरना					 : | अ० [हिं० जरजर] जर्जर होना या जीर्ण-शीर्ण होना। | 
			
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				| जरठ					 : | वि० [सं०√जृ+अठच्] १. बुड्ढा। वृद्ध। २. जीर्ण। ३. कठिन। कठोर। ४. कर्कश। ५. निर्दय। ६. जिसका रंग कुछ पीलापन लिए हुए सपेद हो। पुं०=बुढापा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| जरठाई					 : | स्त्री० [सं० जरठ+हिंआई(प्रत्यय)] बुढ़ापा। | 
			
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				| जरडा					 : | स्त्री० [√जृ(बुढ़ापा)+ष्यड-ङीष्] एक प्रकार की घास। | 
			
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				| जरण					 : | पुं० [सं०√जृ+णिच्+ल्यु-अन] १. हींग। २. जीरा। ३. काला नमक। ४. कासमर्द। कसौंजा। ५. बुढ़ापा। ६. दस प्रकार के ग्रहणों में से वह जिसमें पश्चिम से मोक्ष होना आरम्भ होता है। वि० जीर्ण। पुराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरण-द्रुम					 : | पुं० [कर्म० स] १. साखू का वृक्ष। २. सागौन। | 
			
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				| जरणा					 : | स्त्री० [सं० जरण+टाप्] १. काला जीरा। २. वृद्धावस्था। ३. स्तुति। ४. मोक्ष। | 
			
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				| जरत्					 : | वि० [सं०√जृ+अतृन] [स्त्री० जरती] १. बुड्ढा। वृद्ध। २. क्षीण। ३. पुराना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरतार					 : | पु० [फा० जर+हिं० तार] जरी अर्थात् सोने, चाँदी आदि के वे तार जिसमें कपड़े पर बेल-बूटें आदि बनाये जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरतारा					 : | वि० [हिं० जरतार] [स्त्री० जरतारी] (वस्त्र) जिस पर जरी का काम हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरतारी					 : | स्त्री० [हिं० जरतार] जरी से बना हुआ बेल-बूटों का काम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरतिका					 : | स्त्री० [सं० जरती+कन्-टाप्, ह्रस्व] बूढ़ी स्त्री। | 
			
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				| जरती					 : | स्त्री० [सं० जरती+ङीष्]=जरतिका। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरतुवा					 : | वि० [हिं० जलना] दूसरे की अच्छाई या स्मृद्धि को देखकर मन ही मन कुढ़ने या जलनेवाला। | 
			
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				| जर-तुश्त					 : | पुं०=जरदुश्त। | 
			
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				| जरत्कर्ण					 : | पुं० [सं०] एक वैदिक ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरत्कारु					 : | पुं० [सं०] एक ऋषि जिन्होंने वासुकि नाग की कन्या मनसा से विवाह किया था। स्त्री० उक्त ऋषि की पत्नी मनसा का दूसरा नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरद					 : | वि० [फा० जर्द] पीले रंग का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरद, अंछी					 : | स्त्री० [हिं० जरद+अंछी] काली अंछी की तरह का एक झाड़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरदक					 : | पुं० [फा० जर्दक] जरदा या पीलू नाम का पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरदिष्ट					 : | वि० [सं०] १. वृद्ध। २. बुड्ढा। दीर्घ-जीवी। स्त्री० १. बुढ़ापा। २. दीर्घजीवन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरदा					 : | पुं० [फा० जरदः] १. विशेष प्रकार से पकाये हुए मीठे पीले चावल। २. पान के साथ खाने के लिए विशेष प्रकार से बनाई हुई मसालेदार सुगधित सुरती जो प्रायः पीले रंग की और कभी-कभी काले या लाल रंग की भी होती है। ३. पीले रंग का घोड़ा। पुं० [सं० जरदक] एक प्रकार का पक्षी जिसकी कनपटी तथा पैर पीले होते हैं। पीलू। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जर-दार					 : | वि० [फा०] [भाव० जरदारी] १. (व्यक्ति) जिसके पास जर अर्थात् धन हो। २. अमीर। धनवान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरदालू					 : | पुं० [फा० जरद+आलू] खूबानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरदी					 : | स्त्री० [फा०] १. जरद अर्थात् पीले होने की अवस्था, गुण या भाव। मुहावरा–(किसी पर) जरदी छाना=रोग आदि के कारण किसी के शरीर का पीला रंग पड़ना। २. अंडे में से निकलनेवाला पीला अंश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जरदुश्त					 : | पुं० [फा० मि० सं० जरदिष्ट=दीर्घजीवी, वृद्ध] फारस का एक प्रसिद्ध विद्वान जिसका जन्म ईसा से छः सौ वर्ष पूर्व हुआ था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरदोज					 : | पुं० [फा० जरदोज] [भाव० जरदोजी] वह व्यक्ति जो सोने, चाँदी की तारों से कपड़ों पर बेल-बूटे बनाता हो। जरदोजी का काम करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरदोज़ी					 : | स्त्री० [फा० ज़रदोजी] १. सोने, चाँदी आदि के तारों से वस्त्रों आदि पर बेल-बूटे बनाने का काम। २. उक्त प्रकार का बना हुआ काम। वि० (कपड़ा) जिस पर उक्त प्रकार का काम बना हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरद्गव					 : | पुं० [सं० जरत्-गो, कर्म० स० टच्] १. बुड्ढ़ा बैल। २. बृहत्सहिता के अनुसार एक वीथी जिसमें विशाखा और अनुराधा नक्षत्र हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरद्विष					 : | पुं० [सं०] जल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरन					 : | स्त्री०=जलन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरना					 : | अ०=जलना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स०=जड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरनि					 : | स्त्री० [हिं० जलन] जलन। उदाहरण–हृदय की कबहुँ न जरनि घटी।–सूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरनिशा					 : | पुं० [फा० जरनिशाँ] लोहे पर सोने, चाँदी आदि से की जानेवाली पच्चीकारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरनैल					 : | पुं०=जनरल (सेनापति)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरब					 : | स्त्री० [अ० जब] १. आघात। चोट। प्रहार। २. तबले, मृदग आदि पर किया जानेवाला आघात। चाँटी। ३. गुणा। ४. कपड़े आदि पर काढ़ी या छपी हुई बेल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जर-बफ्ती					 : | वि० [फा० जबरफती] १. जर बफ्त संबंधी। २. (कपड़ा) जिस पर जरबफ्त का काम हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जर-बाफ					 : | पुं० [फा०] वह व्यक्ति जो कपड़े पर जरबफ्त का काम करता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरबाफी					 : | वि० [फा०] जर-बफ्त या जरबाफ संबंधी। स्त्री० कपड़े आदि पर कलाबत्तू से बेल-बूटे आदि काढ़ने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरबीला					 : | वि० [फा० जरब] चमक-दमकवाला। भड़कीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरम					 : | पुं०=जन्म। उदाहरण–कहुँ सुख राखै की दुख दहुँ कर जरा निबाहु।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरमन					 : | पुं० [अं०] यूरोप के जर्मनी नामक देश का नागरिक या निवासी। स्त्री० उक्त देश की भाषा। वि० १. जरमनी देश में होने या रहनेवाला। २. जरमन देश संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरमनसिलवर					 : | पुं० [अं०] एक चमकीली मिश्र धातु जो जस्ते, ताँबे, निकल आदि के योग से बनाई जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरमनी					 : | पुं० [अं०] यूरोप का एक प्रसिद्ध राज्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरमुआ					 : | वि० [हिं० जरना+मुअना=मरना] [स्त्री० जरमुई] ईर्ष्या द्वेष आदि के कारण जलनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरल					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार की घास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) सेवाती। स्त्री०=जलन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरवारा					 : | वि० [फा०जर(=धन)+हिं० वारा(वाला)] [स्त्री.जरवाली] १ जिसके पास जर अर्थात् धन हो। २. अमीर। धनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरस					 : | पुं० [देश०] समुद्र में होनेवाली एक प्रकार की घास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरांकुश					 : | पुं० [सं० ज्वरांकुश] एक प्रकार की घास जिसकी पत्तियाँ सुगंधित होती हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा					 : | स्त्री० [सं०√जृ (वृद्ध होना)+अङ्-टाप्] १. वृद्ध होने की अवस्था। बुढ़ापा। वृद्धावस्था। २. बुढ़ापे में होनेवाली कमजोरी। ३. काल की कन्या का नाम। (पुराण)। पुं० एक व्याध जिसके वाण से कृष्ण जी देवलोक सिधारे थे। वि० [अ० ज़रः] मान या मात्रा में थोड़ा। अल्प। कम। पद–जरा-सा= (क) बहुत ही कम। नहीं के बराबर। जैसे–जरा सा चूर्ण खा लो। (ख) तुच्छ या हेय। जैसे–जरा सी बात। अव्य० किसी काम या बात की अल्पता,तुच्छता,सामान्यता आदि पर जोर देने के लिए प्रयुक्त होनेवाला अव्यय। जैसे–(क) जरा तुम भी चले चलो। (ख) जरा कलम उठा दो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराअत					 : | स्त्री० [अ० जिराअत] [वि० जराअती] खेती-बारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराऊ					 : | वि० [हिं० जड़ाऊ] जिसमें नगीने जड़े हों। उदाहरण–पाँवरि कबक जराऊ पाऊँ। दीन्हि असीस तेहि जड़े ठाऊँ।–जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-कुमार					 : | पुं० [ष० त०] जरासंध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-ग्रस्त					 : | वि० [तृ० त] जो जरा से पीड़ित हो। वृद्धावस्था के कारण कमजोर तथा शिथिल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-जीर्ण					 : | वि० [तृ० त०] जो पुराना अथवा वृद्ध होने के कारण जर्जर हो गया हो। जरा से जर्जर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरातुर					 : | वि० [जरा-आतुर तृ० त] जरा-ग्रस्त। बूढ़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराद					 : | पुं० [सं० जरा√ अ(खाना)+अण्] टिड्डी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराना					 : | स०=जलाना। स०=जड़ाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-पुष्ट					 : | पुं० [तृ० त०] जरासंध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराफत					 : | स्त्री० [अ० जराफत] जरीफ अर्थात् हँसोड़ होने की अवस्था या भाव। मसखरापन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराभीत					 : | वि० [तृ० त०] वृद्धावस्था से डरनेवाला। पुं० कामदेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरायम					 : | पुं० [अ० जुर्म का बहु] अनेक प्रकार के अपराध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरायम-पेशा					 : | वि० [अ० जरायम+फा० पेशः] (वह) जो अनेक प्रकार के अपराधों के द्वारा ही जीविका चलाता हो। अपराधशील। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरायु					 : | पुं० [सं० जरा√इ(गति)+अण्] १. वह झिल्ली जिसमें माता के गर्भ से निकलते समय बच्चा लिपटा हुआ होता है। आँवल। खेंड़ी। २. गर्भाशय। ३. योनि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरायुज					 : | पुं० [सं० जरायु√जन् (उत्पन्न होना)+ड] वह प्राणी जो माता के गर्भ में से निकलते समय खेड़ी में लिपटा हुआ होता है। पिंडज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराव					 : | वि०=जड़ाऊ। पुं०=जड़ाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-शोष					 : | पुं० [मध्य० स०] वृद्धावस्था में होनेवाला एक शोष रोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-संध					 : | पुं० [ब० स०] मगध का एक प्रसिद्ध प्राचीन राजा जो कंस का श्वसुर था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरा-सुत					 : | पुं० [ष० त०] जरासध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जराह					 : | पुं०=जर्राह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरिणी					 : | स्त्री० [सं० जरा+इनि-ङीष्] अधिक अवस्थावाली स्त्री। बुढ़िया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरित					 : | वि० [सं० जरा+इतच्] बुड्ढा। वि०=जटित।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरिया(मन्)					 : | स्त्री० [सं० जरा+इमनिच्] जर। बुढ़ापा। वृद्धावस्था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरिया					 : | पुं० [अ० जरीअऽ] १. संबंध। लगाव। २. कारण। हेतु। ३. साधन। पद–के जरिये=द्वारा। वि० [हिं० जड़ना] जड़नेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [हिं० जलना](यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १. जला हुआ। २. जलाने से बननेवाला। जैसे–जरिया नमक | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरिश्क					 : | पुं० [फा० जरिश्क] दारुहल्दी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरी(रिन्)					 : | वि० [सं० जरा+इनि] बुड्ढा। वृद्ध। स्त्री० जड़ी। स्त्री० [फा०] १. बादले से बुना हुआ ताश नामक कपड़ा। २. सोने के वे तार जिनसे कपड़ों पर बेल-बूटे आदि बनाये जाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीनाल					 : | स्त्री० [?] वह स्थान जहाँ पर ईंटे और रोड़े पड़े हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीफ					 : | वि० [अ० जरीफ] १. परिहास-प्रिय। २. हँसोड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीब					 : | स्त्री० [फा०] १. खेत या जमीन नापने की एक प्रकार की जंजीर या डोरी जो लगभग ६॰ गंज लंबी होती है। क्रि० प्र०–डालना। २. डंडा। लाठी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीबकश					 : | पुं० [फा०] जरीब खींचने अर्थात् जरीब से जमीन नापनेवाला व्यक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरी-बाफ					 : | पुं० [फा० जरीबाफ] जरी के काम के कपड़े आदि बुननेवाला कारीगर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीमाना					 : | पुं०=जुरमाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरीया					 : | पुं०=जरिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरूथ					 : | पुं० [सं०√जृ(जीर्ण होना)+ऊथन्] गोश्त। मांस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरूर					 : | अव्य० वि० [अ०] अवश्य। अवश्यमेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरूरत					 : | स्त्री० [अ० जरूरत] १. आवश्यकता। २. प्रयोजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरूरी					 : | वि० [फा० जरूरी] १. जिसके बिना किसी का काम ठीक प्रकार से न चले। जैसे–रोगी को नींद आना जरूरी हैं। २. जिसका होना या घटित होना रुकने को न हो। जैसे–मृत्यु जरूरी है। ३. प्रस्तुत परिस्थितियों में जो किया ही जाना चाहिए। जैसे–उन पर मुकदमा चलाना जरूरी है। ४. जो तुरन्त किया जाने को हो। जैसे–एक जरूरी काम आ गया है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरोल					 : | पुं० [देश०] आसाम और नीलगिरी के पहाड़ों पर होनेवाला एक पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जरौट					 : | वि० [हिं० जड़ना] जड़ाऊ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जर्कवर्क					 : | वि० [फा०] चमक-दमकवाला। चमकीला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जर्कान					 : | पुं०=जरकान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| जर्जर					 : | वि० [सं०√जर्ज (झिड़कना)+अरन्] १. (वस्तु) जो पुरानी हो जाने के कारण या अधिक उपयोग में आने के कारण कमजोर तथा बेकाम हो चली हो। जैसे–जर्जर मकान या जर्जर वस्त्र। २. लाक्षणिक अर्थ में कोई चीज या बात जिसका महत्त्व या मान पुराने पड़ने के कारण बहुत कम हो गया हो। जैसे–ये साहित्यिक परम्पराएँ अब जर्जर हो चुकी हैं। ३. खंडित। टूटा-फूटा। ४. वृद्ध। बुड्ढा। पुं० छरीला। पत्थर फूल। | 
			
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				| जर्जराना					 : | स्त्री० [सं० जर्जर-आनन,ब०स०] कार्तिकेय की अनुचरी एक मातृका का नाम। | 
			
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				| जर्जरित					 : | वि० [सं० जर्जर+णिच्+क्त] जर्जर किया हुआ। | 
			
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				| जर्ण					 : | पुं० [सं०√जृ+नन्] १. चंद्रमा। २. वृक्ष। | 
			
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				| जर्त्त					 : | पुं० [√जन्(उत्पत्ति)+त, र आदेश] १. हाथी। २. योनि। | 
			
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				| जर्तिक					 : | पुं० [सं०√जृ+तिकन्] १. प्राचीन वाहीक देश का नाम। २. उक्त देश का निवासी। | 
			
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				| जर्तिल					 : | पुं० [सं०√जृ+विच्<जर्,-तिल, कर्म० स०] जंगली तिल। वन तिलवा। | 
			
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				| जर्द					 : | वि० [फा० जर्द] पीले रंगवाला। पीला। जरद। | 
			
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				| जर्दा					 : | पुं=जरदा। | 
			
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				| जर्दालू					 : | पुं०=जरदालू। | 
			
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				| जर्दोज					 : | पुं० [भाव० जर्दोजी]=जरदोज (दे०)। | 
			
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				| जर्रा					 : | पुं० [अ० जर्रः] १. किसी वस्तु का बहुत छोटा टुकड़ा। अणु। कण। २. धूल आदि का कण विशेषतः वह कण जो प्रकाश में उड़ता तथा चमकता हुआ दिखाई देता है। रेणु। ३. तौल में एक जौ का सौवाँ भाग। | 
			
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				| जर्रार					 : | वि० [अ०] [भाव० जर्रारी] बहादुर। वीर। | 
			
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				| जरहि					 : | पुं० [अ०] [भाव० जर्राही] वह चिकित्सक जो विकृत अंगों की शल्य चिकित्सा करता हो। चीर-फाड़ करनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| जर्राही					 : | स्त्री० [अ०] जर्राह का काम या पेशा। | 
			
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				| जर्वर					 : | पुं० [सं०] नागों के एक पुरोहित। | 
			
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				| जर्हिल					 : | पुं० [सं० जर्तिल, पृषो० सिद्धि] जंगली तिल। जर्तिल। | 
			
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