| शब्द का अर्थ | 
					
				| जार					 : | पुं० [सं०√जृ (जीर्ण होना)+घञ्] १. किसी स्त्री के विचार से वह पर-पुरुष जिसके साथ उसका अनुचित संबंध हो। उपपति। यार। पुं०=यार (मित्र)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [हिं० जलाना] जलाने, नष्ट करने या मारनेवाला। पुं० जलने की क्रिया या भाव। पुं०=जाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [फा० जार] स्थान। जैसे–गुलजार सब्जजार। पुं० [लै० सीजर] रूस के पुराने बादशाहों की उपाधि। | 
			
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				| जारक					 : | वि० [सं०√जृ+ण्वुल्-अक] १. जलानेवाला। २. क्षीण या नष्ट करनेवाला। ३. पाचक। | 
			
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				| जार-कर्म(न्)					 : | पुं० [ष० त०] छिनाला। व्यभिचार। | 
			
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				| जारज					 : | पुं० [सं० जार√जन्+ड] वह बालक जो किसी स्त्री के साथ उप-पति के योग से उत्पन्न हुआ हो। | 
			
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				| जार-जन्मा(न्मन्)					 : | वि० [ब० स०] जारज। | 
			
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				| जारज-योग					 : | पुं० [मध्य स०] फलित ज्योतिष में एक योग जिसमें उत्पन्न होनेवाला बालक जारज समझा जाता है। | 
			
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				| जार-जात					 : | वि० [तृ० त०] स्त्री के उपपति या जार से उत्पन्न। जारज। | 
			
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				| जारजेट					 : | स्त्री० [अं० जार्जेट] एक प्रकार का बढ़िया महीन कपड़ा। | 
			
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				| जारण					 : | पुं० [सं०√जृ+णिच्+ण्वुल्-अन] १. जलाने की क्रिया भाव या विधि। २. पारे की भस्म बनाने के समय होनेवाली एक क्रिया या संस्कार | 
			
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				| जारणी					 : | स्त्री० [सं० जारण+ङीष्] सफेद जीरा। | 
			
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				| जारदवी					 : | स्त्री० [सं० जरदगव+अण्-ङीष्] ज्योतिष में एक वीथी का नाम जिसमें वराहमिहिर के अनुसार श्रवण, धनिष्ठा तथा शतभिषा और विष्णु पुराण के अनुसार विशाखा, अनुराधा तथा ज्येष्ठा नक्षत्र हैं। | 
			
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				| जारन					 : | पुं० [सं० जारण] १. जलाने की क्रिया या भाव। २. जलाने की लकड़ी। ईधन। जलावन। | 
			
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				| जारना					 : | सं०=जलाना। | 
			
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				| जार-भरा					 : | स्त्री० [जार√भृ (पोषण करना)+अच्-टाप्] अपने पति के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष से संबंध रखनेवाली स्त्री। | 
			
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				| जारा					 : | पुं०=जाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| जारिणी					 : | स्त्री० [सं० जार+इनि-ङीष्] वह स्त्री जो किसी अन्य पुरुष से प्रेम करती हो। | 
			
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				| जारी					 : | वि० [अ०] १. जिसका चलन या प्रचलन बराबर हो रहा हो। जो चल रहा हो। जैसे–कार-बार या रोजगार जारी रहना। २. जिसका प्रवाह या बहाव बराबर हो रहा हो। प्रवाहित। जैसे–गले के कफ या खून जारी होना। ३. (निमय आदि) जो इस समय लागू हो। जैसे–अध्यादेश आज ही जारी होगा। पुं० अ० जारी-रोना] मुहर्रम से ताजियों के सामने गाया जानेवाला एक प्रकार का गीत। स्त्री० [सं० जार+ई (प्रत्यय)] पर स्त्री गमन। जार-कर्म। जैसे–चोरी-चारी करना। पुं० [देश०] झरबेरी का पौधा। | 
			
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				| जारुत्थ					 : | पुं०=जारुथ्य। | 
			
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				| जारुथी					 : | स्त्री० [सं० जरुथ+अण्-ङीप्] एक प्राचीन नगरी। (हरिवंश) | 
			
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				| जारुधि					 : | पुं० [सं० जारू√धा (रखना)+कि] एक पर्वत का नाम। | 
			
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				| जारूथ्य					 : | पुं० [सं० जरूथ+यञ्] वह अश्वमेघ जिसमें तिगुनी दक्षिणा दी जाय। | 
			
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				| जारोब					 : | स्त्री० [फा०] झाड़ू। बुहारी। | 
			
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				| जारोब-कश					 : | पुं० [फा०] झाड़ू देने या लगानेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| जार्य्यक					 : | पुं० [सं०√जृ (जीर्ण होना)+ण्यत्-कन्] मृगों की एक जाति। | 
			
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