| शब्द का अर्थ | 
					
				| जूँ					 : | स्त्री० [सं० यूका, पा० ऊका] काले रंग का एक बहुत छोटा स्वदेज कीड़ा जो सिर के बालों में पड़ जाता है। (लाउस)। क्रि० प्र०–पड़ना। पद–जूँ की चाल=बहुत धीमी चाल। मुहावरा–(किसी के) कानों पर जूँ तक न रेंगना=किसी के कुछ कहने सुनने पर भी उसका नाम मात्र को भी परिणाम या फल न होना। पुं० [सं० युज्, प्रा० जुआ] जूआ (गाड़ी या हल का)। उदाहरण–जूं सहरी भ्रूह नयण मृग जूता।–प्रिथीराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| जूँठ					 : | स्त्री०=जूठन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| जूँठन					 : | स्त्री०=जूठन। | 
			
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				| जूँडिहा					 : | पुं० [हिं० झुंड] वह बैल जो झुंड में सबसे आगे चलता हो। | 
			
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				| जूँदन					 : | पुं० [देश०] [स्त्री० जूँदनी] बंदर। (मदारी)। | 
			
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				| जूँमुँहा					 : | वि० [हिं० जूँ+मुँह] (वह व्यक्ति) जो देखने में सीधा-सादा होने पर भी वास्तव में बहुत बड़ा धूर्त्त हो। | 
			
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