| शब्द का अर्थ | 
					
				| जैस					 : | वि०=जैसा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जैसवार					 : | पुं०=जायसवाल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जैसा					 : | वि० [सं० यादृश्, प्रा० जारिस, पैशा० जइस्सो] [स्त्री० जैसी] १. जिस आकार-प्रकार या रूप-रंग का। जिस तरह का। पद–जैसा का तैसा=जिस रूप में पहले था, वैसा ही। जैसे को तैसा-(क) जोड़ या मुकाबले का। (ख) पूरी शक्ति से जबाव देने या सामना करनेवाला। जैसे उपयुक्त या समीचीन हो। जैसा होना चाहिए या होता हो। मुहावरा–(किसी की) जैसी की तैसी करना=किसी को शेखी दूर करके उसे फिर पूर्व अवस्था या रूप में कर दिखाना। (उपेक्षा और तिरस्कारसूचक)। २. समान। सदृश। ३. जितना। (क्व०) जैसे–अव्य० [हिं० जैसा] १. जिस तरह से। जिस प्रकार। पद–जैसे–जैसे–जिस क्रम से। ज्यों ज्यों। जैसे–तैसे-(क) बहुत ही साधारण या तुच्छ रूप में। किसी प्रकार। जैसे–यह तो जैसे–तैसे काम चलता करता है। (ख) बहुत कुछ कठिनता से। जैसे–जैसे–तैसे यह झगड़ा भी खतम हुआ। जैसे बने वैसे-जिस प्रकार संभव हो। जिस तरह हो सके। ३. उदाहरणार्थ। यथा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| जैसो					 : | वि०=जैसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |