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			| शब्द का अर्थ |  
				| ज्योतिष्क					 : | पुं० [सं० ज्योतिस्√कै(प्रकाशित होना)+क] १. ग्रह, तारे, नक्षत्र आदि आकाश में रहनेवाले पिंड जो रात के समय चमकते हुए दिखाई देते हैं। २. जैनों के अनुसार एक प्रकार का देवता जिनमें आकाशस्थ ग्रह, नक्ष और सूर्य चन्द्रमा आदि भी हैं। ३. मेरु पर्वत की एक चोटी का नाम। ४. चित्रक वृक्ष। चीता। ५. मेथी। ६. गनियारी। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| ज्योतिष्का					 : | स्त्री० [सं० ज्योतिष्क+टाप्] मालकंगनी। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |