| शब्द का अर्थ | 
					
				| ठंठ					 : | वि० [सं० स्थाणु] १. (पेड़) जिसकी डालें तथा पत्तियाँ सूख और झड़ गई हों। २. (गाय या भैस) जिसका दूध सूख गया हो। ३. (व्यक्ति) जिसके पास कुछ धन न रह गया हो। निर्धन। | 
			
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				| ठंठस					 : | स्त्री० [सं० डिडिश०] टिंड़ा। ढेंढसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| ठंठार					 : | वि० [हिं० ठंठ] १. (व्यक्ति) जिसके पास कुछ भी न हो या न रह गया हो। २. (पात्र) खाली। रीता। | 
			
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				| ठंठी					 : | स्त्री० [हिं० ठंठ] ज्वार, मँग आदि की वह बाल जिसमें पीट लेने के बाद भी कुछ दाने लगे रह गये हों। वि०=ठंठ। | 
			
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