| शब्द का अर्थ | 
					
				| तूण					 : | पुं० [सं०√तूण (पूरा करना)+घञ्] १. तीर रखने का चोगा। तरकश। २. चामर वृत्त का दूसरा नाम। | 
			
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				| तूणक					 : | पुं० [सं० तूण+कन्] एक प्रकार का छंद जिसके चरणों में १५-१५ वर्ण होते हैं। | 
			
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				| तूण-क्ष्वेड़					 : | पुं० [सं० ब० स०] बाण। तीर। | 
			
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				| तूणव					 : | पुं० [सं० तूण+व] बाँसुरी। | 
			
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				| तूणि					 : | वि० [सं०√तूण् (पूरा करना)+इन्] तेज या वेगपूर्वक चलने या कोई काम करनेवाला। पुं० १. मन। २. श्लोक। ३. गर्द। ४. मल। | 
			
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				| तूणी(णिन्)					 : | वि० [सं० तूण+इनि] तूण अर्थात् तरकशवाला। स्त्री० [सं० तूण+ङीष्] १. तरकश। निषंग। २. नील का पौधा। ३. एक प्रकार का वात-रोग जिसमें मूत्राशय के पास से दर्द उठकर गुदा और पेड़ू तक पहुँचता है। पुं० [सं० तूणीक] तूनी। (वृक्ष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| तूणीक					 : | पुं० [सं० तूणी√कै (शब्द करना)+क] तुन का पेड़। | 
			
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				| तूणी-धर					 : | पुं० [सं० ष० त०] तूण या तरकस रखनेवाला योद्धा। | 
			
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				| तूणीर					 : | पुं० [सं०√तूण+ईरन्] तूण। तरकश। भाथा। | 
			
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