| शब्द का अर्थ | 
					
				| दबक					 : | स्त्री० [हिं० दबकना] १. दबकने या छिपने की क्रिया या भाव। २. सिकु़ड़न। शिकन। ३. लंबा तार या पत्तर बनाने के लिए धातुओं को पीटने की क्रिया। | 
			
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				| दबकगर					 : | पुं० [फा० तबकगर] तबक अर्थात् धातु को पीटकर उसके पत्तर बनानेवाला कारीगर। | 
			
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				| दबकना					 : | अ० [हिं० दबना] १. भय के कारण किसी के सामने से हट या छिप जाना। दुबकना। २. लुकना। छिपना। क्रि० प्र०—जाना।—रहना। स० धातु का पत्तर पीटकर चौड़ा करना। | 
			
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				| दबकनी					 : | स्त्री० [हिं० दबना] भाथी का मुँह जिसके द्वारा हवा उसके अंदर आती है। | 
			
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				| दबका					 : | पुं० [हिं० दबकाना=तार आदि पीटना] कामदानी का सुनहला या रूपहला चिपटा तार। पद—दबके का सलमा=एक प्रकार का सलमा जो बहुत चमकीला होता है। पुं०=दबदबा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दबकाना					 : | स० [हिं० दबकना] १. छिपाना। लुकाना। २. आड़ में करना। | 
			
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				| दबकिया					 : | पुं०=दबकगर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दबकी					 : | स्त्री० [देश०] सुराही की तरह का मिट्टी का एक बरतन जिसमें पानी रखकर खेतिहर आदि खेत पर ले जाते हैं। स्त्री० [हिं० दबकना] १. दबकने की क्रिया या भाव २. धातु पीटकर तार, पत्तर आदि बनाने की क्रिया या मजदूरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दबकैया					 : | पुं०=दबकगर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० १. दबकने या छिपनेवाला। २. दबकाने या छिपानेवाला। | 
			
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