| शब्द का अर्थ | 
					
				| दमँगल					 : | पुं० [फा० दंगल ?] युद्ध। उदाहरण—दमँगल बिण अपचौ दियण वीर धणी रो धान।—कविराजा सूर्यमल। | 
			
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				| दमंस					 : | स्त्री० [हिं० दाम+अंश] खरीदी या मोल ली हुई चीज, विशेषतः जायदाद या संपत्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दम					 : | पुं० [सं०√दम् (दमन करना)+घञ्] १. दमन करने की क्रिया या भाव। २. वह काम जो किसी का दमन करने के लिए किया जाय। ३. शरीर की इंद्रियों को वश में रखने और उन्हें अनुचित कामों या बातों में लगाने से रोकने की क्रिया। ४. दंड। सजा। ५. घर। मकान। ६. एक प्राचीन महर्षि जिनका उल्लेख महाभारत में है। ७. पुराणानुसार मरूत् राजा के पौत्र जो वभ्र की कन्या इंद्रसेना के गर्भ से उत्पन्न हुए थे और जो वेद-वेदांगों के बहुत अच्छे ज्ञाता तथा धनुर्विद्या में बहुत प्रवीण थे। ८. बुद्ध का एक नाम ९. विष्णु। १॰. दबाव। ११. कीचड़। पुं० [फा०] साँस। श्वास। क्रि० प्र०—आना।—चलना।—रूकना।—लेना। मुहावरा—दम अटकना=साँस रूकना। दम उखड़ना=बहुत देर-देर पर साँस आना या सहसा चलना जो मृत्यु के बहुत पास होने का लक्षण माना जाता है। दम उलझना या उलटना=इतनी अधिक घबराहट या विकलता होना कि ठीक तरह से साँस न लिया जा सके। दम खींचना=(क) साँस अंदर की ओर खींचना, चढ़ाना या लेना। (ख) बिलकुल चुप या शान्त रह जाना। दम खाना=कुछ भी उत्तर न देना। बिलकुल चुप रह जाना। (क्व०) दम घुटना=साँस का इस प्रकार रूकना या रूककर आना कि जीवित रहना कठिन और कष्टप्रद जान पड़े। दम घोटकर मारना=(क) गला घोंट या दबाकर मारना। (ख) बहुत अधिक शारीरिक कष्ट देकर मारना। दम चढ़ना=दम फूलना। दम चुराना=जान-बूझकर इस प्रकार साँस रोकना कि दूसरे को आहट न मिलें। दम टूटना=(क) बहुत अधिक थक जाने के कारण और अधिक काम करने के योग्य न रह जाना। (ख) साँस का आना-जाना या चलना बंद हो जाना। मृत या मृतप्राय हो जाना। दम तोड़ना=मरने के समय बहुत ठहर-ठहर या रूक-रूककर साँस लेना। (किसी के सामने) दम न मारना=किसी की उपस्थिति में बहुत ही चुपचाप और विनीत तथा शांत भाव से रहना। दम पचाना=निरंतर कोई परिश्रम या काम करते रहने से ऐसा अभ्यास हो जाना कि अधिक या जल्दी साँस न फूलने लगे। दम फूलना=(क) अधिक परिश्रम करने या तेज चलने दौड़ने आदि के कारण साँस जल्दी-जल्दी चलना। हाँफना। (ख) दमे या श्वास का रोग होना। दम फूँकना=मुँह से किसी चीज के अंदर हवा भरना। दम भरना=परिश्रम करते-करते इतना थक जाना कि और अधिक काम न हो सके। (किसी बात या व्यक्ति का) दम भरना=अभिमानपूर्वक यह विश्वास प्रकट करना कि हम अमुक काम या बात कर सकेंगे, अथवा अमुक व्यक्ति से हमें कभी धोखा न होगा या सहारा मिलता रहेगा। जैसे—अपनी बहादुरी या किसी की दोस्ती (अथवा प्रेम) का दम भरना। दम मारना=बहुत अधिक परिश्रम के उपरांत कुछ विश्राम करना। सुस्ताना। दम साधना= (क) साँस रोकने का अभ्यास करना। (ख) बिलकुल चुप या मौन रह जाना। कुछ भी उत्तर न देना। (ग) निश्चेष्ट होकर चुपचाप पड़ जाना या पड़े रहना। (किसी की) नाक में दम करना=बहुत अधिक कष्ट या दुःख देना। बहुत तंग या परेशान करना। २. साँस खींचकर जोर से बाहर फेंकने की क्रिया। ३. जादू-टोना करने के लिए मंत्र आदि पढ़कर किसी पर फूँक मारने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०—करना।—पढ़ना।—फूँकना। ३. गाँजे, चरस, तमाकू, आदि का धूआँ (नशे के लिए) साँस के साथ अंदर खींचने की क्रिया। मुहावरा—दम लगाना=चिलम पर गाँजा रखकर उसका धूआँ साँस के साथ अंदर खींचना। ४. संगीत में किसी स्वर का ऐसा लंबा उच्चारण जो एक ही साँस में पूरा किया जाय। जैसे—(क) गवैये के गले का दम। (ख) बाँसुरी या शहनाई का दम। मुहावरा—दम भरना=गाने के समय साँस रोककर एक ही स्वर का देर तक लंबा उच्चारण करते रहना। ५. कुछ विशिष्ट प्रकार के खाद्य पदार्थ पकाने की वह क्रिया जिसमें उन्हें किसी बरतन में रखकर और उसका मुँह ढककर या बंद करके आग पर चढ़ा देते हैं या उसके ऊपर कुछ जलते हुए कोयले रख देते हैं। पद—दम आलू। मुहावरा—दम खाना=खाद्य पदार्थ का उक्त प्रकार की क्रिया से पकना। जैसे—चावल अभी कुछ कच्चा है, जरा दम खा जाता तो ठीक हो जाता। दम लेना=किसी चीज को बरतन में रखकर इसलिए उसका मुँह बंद करके आग पर चढ़ा देना कि वह अंदर की भाप से ही पक जाय। (किसी चीज का) दम पर आना=पूरी तरह से पकने में इतनी ही कसर रह जाना कि थोड़ा दम देने से ही अच्छी तरह पक जाय। ६. कलंदरों की वह क्रिया जिसमें वे भालू के मुँह पर लकड़ी या हाथ रखकर साँस खींचना सिखाते हैं। (कहते है कि इससे भालू की पाचन क्रिया ठीक होती और शांत रहता है।) ७. उतना अधिक जितना एक बार साँस लेने में लगता है। क्षण। पल। पद—दम के दम=बहुत थोडी देर। क्षण (या पल) भर। जैसे—दम के दम ठहर जाओ मै भी तुम्हारे साथ चलूँगा। दम पर दम=बहुत थोड़ी-थोड़ी देर पर। जैसे—वहाँ दम पर दम शराब का दौर चलता था। दम-ब-दम=दम पर दम। हर दम=प्रति क्षण। हर समय। सदा। हमेशा। जैसे—मै तो आपकी सेवा के लिए हर दम तैयार रहता हूँ। ९. जान। प्राण। जैसे—अब इसका दम निकलने में अधिक देर नहीं है। मुहावरा—दम खुश्क होना=दे० नीचे दम सूखना। दम चुराना=काम या परिश्रम करने से अपने आप को बचाना। जी चुराना। दम निकलना=जीवन का अंत होना। प्राण निकलना। मरना। (किसी पर) दम निकलना=किसी पर इतना अधिक प्रेम होना कि उसके वियोग में प्राण निकलने का-सा कष्ट हो। (कोई काम करने मे) दम निकलना=किसी काम के प्रति परम अरूचि या विरक्ति होना। जैसे—लिखने-पढ़ने (या पैसा खरच करने) में तो इनका दम निकलता है। दम पर आ बनना=ऐसी नौबत या स्थिति आना कि मानों अब जीवित नहीं बचेगें। बहुत ही परेशान या हैरान होना। दम पड़क उठना या जाना=किसी चीज का गुण, रूप आदि देखकर चित्त का बहुत प्रसन्न होना। दम फना होना=दे० नीचे ‘दम सूखना’। दम में दम आना=घबराहट, भय आदि दूर होने पर चित्त कुछ सांत और स्थिर होना। दम में दम रहना या होना=जीवित रहना। जिंदगी बनी रहना। दम सूखना=बहुत अधिक भय के कारण ऐसी अवस्था होना कि खुलकर साँस भी न लिया जा सके। १॰. किसी बड़े आदमी के संबंध में, उसके महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व का सूचक पद। जैसे—अतिथियों का सारा आदर-सत्कार बस आपके दम से ही है। (अर्थात् आप ही ऐसा कर सकतें हैं; आपके बाद और कोई ऐसा आदर-सत्कार करनेवाला दिखाई नहीं देता)। मुहावरा—किसी का दम गनीमत होना=किसी प्रकार के अभाव की दशा में किसी का अस्तित्व और व्यक्तित्व ही दूसरों के लिए बहुत-कुछ आशा-प्रद उत्साहवर्द्धक या संतोष की बात होना। जैसे—पुराने रईसों में अब आपका ही दम गनीमत है (अर्थात् और सब तो चले गये, आप ही बच रहे हैं)। ११. वह शक्ति जिससे कोई पदार्थ ठीक तरह से बना रहता और अपना पूरा काम देता है। जीवनी-शक्ति। जैसे—अब इस कुरते (या उनके शरीर) में कुछ भी दम नहीं रह गया। १२. तत्त्व। सार। जैसे—तुम्हारी इन बातों में कुछ भी दम नहीं है। १३. तलवार या छुरी आदि की बाढ़। धार। पद—दम-खम (देखें)। १४. किसी को छलने या धोखा देने के लिए कही जानेवाली ऐसी बात जिससे उसके मन में आशा, धैर्य साहस आदि का संचार हो। पद—दम-झाँसा, दम-दिलासा, दम-पट्टी। (देखें)। क्रि० प्र०—देना।—में आना।—में लाना। मुहा०—दम खाना=किसी के धोखे में आना। पुं० [देश०] दरी बुननेवालों की एक प्रकार की तिकोनी कमाची जिसमें तीन लंबी लकड़ियों एक साथ बँधी रहती है। | 
			
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				| दमक					 : | स्त्री० [हिं० ‘चमक’ का अनु०] चमक-दमक। जैसे—चमक दमक। | 
			
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				| दमकना					 : | अ० [हिं० दमक (चमक का अनु०)] १. चमकना। २. प्रज्वलित होना। सुलगना। (क्व०) | 
			
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				| दमकल					 : | स्त्री० [हिं० दम+कल] १. वह यंत्र जिसमें ऐसे नल लगे हों जिनके द्वारा कोई तरल पदार्थ किसी ओर जोर या झोंके से फेंका जा सके। (पंप) २. उन यंत्रों का वर्ग या समूह जिनके द्वारा कारखानों, घरों आदि में लगी हुई आग बुझाई जाती है। ३. उक्त सिद्धांत पर बना हुआ वह यंत्र जिससे कूओं आदि का पानी निकाला जाता है। ४. दे० ‘दमकला’। | 
			
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				| दमकला					 : | पुं० [हिं० दम+कल] १. वह बड़ा पात्र जिसमें लगी हुई पिचकारी से महफिलों आदि में लोगों पर गुलाब-जल छिड़का जाता है। २. जहाज में, वह यंत्र जिसमें पाल खड़े करते हैं। ३. दे० ‘दम-चूल्हा’। ४. दे० ‘दमकल’। | 
			
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				| दम-खम					 : | पुं० [फा० दम=जीवनी-शक्ति+खम=वक्रता या बाँकपन] १. कोई विशिष्ट कार्य करने की शक्ति जो अब भी किसी में यथेष्ट रूप में हो। २. दृढता। मजबूती। ३. तलवार के संबंध में, उसकी धार तथा लचीलापन। विशेष—तलवार की धार और लचीलेपन से ही यह पता चलता है कि वह कितना और कैसा वार या काट कर सकती है। ४. मूर्ति की सुन्दरता और सुडौल गढ़न। ५. चित्र में, विशेष आकर्षण लाने के लिए खींची जानेवाली कोई गोलाई लिये लंबी रेखा। | 
			
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				| दमघोख					 : | पुं०=दमघोष। | 
			
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				| दमघोष					 : | पुं०=शिशुपाल के पिता। | 
			
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				| दमचा					 : | पुं० [?] मचान। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दम-चूल्हा					 : | पुं० [देश०] लोहे का बना हुआ एक प्रकार का बड़ा गोल चूल्हा जिसमें कोयला जलाया जाता है। | 
			
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				| दमजोड़ा					 : | पुं० [?] तलवार। (डि०) | 
			
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				| दम-झाँसा					 : | पुं० [फा० दम+हिं० झाँसा]=दम-पट्टी। | 
			
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				| दमड़ा					 : | पुं० [हिं० दाम+ड़ा (प्रत्य०)] १. दमडी। दाम। २. रुपया-पैसा। धन। | 
			
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				| दमड़ी					 : | स्त्री० [सं० द्रविण और धन] १. एक प्रकार का पुराना सिक्का जिसका मूल्य एक आने के बत्तीसवें अंश के बराबर होता था। पैसे का आठवाँ भाग। मुहावरा—दमड़ी के तीन होना=बहुत ही तुच्छ या हीन होना। पद—दमड़ी का पूत=बहुत ही अयोग्य तथा हीन व्यक्ति। उदाहरण—लंपट धूत पूत दमरी को विषय जाप को जापी।—सूर। २. चिल-चिल नाम का पक्षी। दमथ | 
			
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				| दमथु					 : | वि० [सं०√दम्+अथु]=दमथ। | 
			
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				| दम-दमडी					 : | स्त्री० [फा० दम+हिं० दमड़ी] शक्ति और धन-संपत्ति। जैसे—हमारे पास दम-दमड़ी तो है ही नहीं हम वहाँ जाकर क्या करेंगे ! | 
			
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				| दमदमा					 : | पुं० [फा० दमदम] १. किले के चारों ओर की चहारदीवारी। २. वह कृत्रिम चहारदीवारी जो युद्ध के समय बोरों में बालू, मिट्टी आदि भरकर तथा उन्हें एक-दूसरे पर रखकर खड़ी की जाती है। क्रि० प्र०—बाँधना। | 
			
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				| दमदार					 : | वि० [फा०] १. जिसमें अधिक दम अर्थात् जीवनी-शक्ति हो। २. दृढ़। पक्का। मजबूत। ३. जो अच्छी तरह और पूरा काम करने या देने के योग्य हो। | 
			
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				| दम-दिलासा					 : | पुं० [फा० दम+हिं० दिलासा] समय पर किसी के सहायक होने के लिए उसे दिया जानेवाला आश्वासन और उसमें किया जानेवाला उत्साह या बल का संचार। | 
			
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				| दमन					 : | पुं० [सं०√दम् (दंड देना)+ल्युट्—अन] १. इंद्रियों, मनोवेगों आदि को किसी ओर प्रवृत्त होने अथवा कोई काम करने से रोकना। निग्रह। जैसे—इच्छा या वासना का दमन। २. उठते, उभरते या बढ़ते हुए किसी प्रकार के विरोध-मूलक कार्य तथा उसके कर्ताओं को बल तथा कठोरतापूर्वक दबाना, कुचलना या नष्ट करना। ३. किसी को नियंत्रण में रखने के लिए दिया जानेवाला दंड। ४. विष्णु। ५. शिव। ६. एक ऋषि जिनके आश्रम में दमयंती का जन्म हुआ था। ७. एक राक्षस का नाम। ८. दमनक। दौना। ९. कुंद (पौधा और फूल)। १॰. द्रोणपुष्पी। स्त्री० दमयंती का वह विकृत नाम जिससे वह उर्दू-फारसी साहित्य में प्रसिद्ध है। | 
			
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				| दमनक					 : | वि० [सं० दमन+कन्] दमन करने या दबानेवाला। पुं० १. दौना नाम का पौधा। २. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में तीन नगण, एक लघु और एक गुरू होता है। | 
			
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				| दमनपापड़					 : | पुं० दे० ‘पित्त पापड़ा’। | 
			
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				| दमन-शील					 : | वि० [सं० ब० स०] [भाव० दमनशीलता] जो दमन करता हो। जिसका स्वभाव दमन करने का हो। | 
			
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				| दमना					 : | अ० [फा० दम] काम करते-करते थक जाना और फलतः दम या साँस फूलने लगना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स० [सं० दमन] दमन करना। पुं० दे० ‘दौना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमनी					 : | स्त्री० [सं० दमन+ङीष्] अग्निदमनी नाम का क्षुप। वि० [सं० दमन] दमन करनेवाला। स्त्री० लज्जा। संकोच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमनीय					 : | वि० [सं०√दम् (दमन)+अनीयर्] १. जिसका दमन किया जा सके। २. दमन किये जाने के योग्य। | 
			
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				| दम-पट्टी					 : | स्त्री० [फा० दम=धोखा+हिं० पट्टी=तख्ती] किसी को धोखे में रखकर काम निकालने के लिए उससे कही जानेवाली आशापूर्ण मीठी-मीठी बातें। क्रि० प्र०—देना।—पढ़ाना। | 
			
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				| दम-पुख्त					 : | वि० [फा०] १. दम देकर पकाया हुआ (खाद्य पदार्थ)। पुं० हाँड़ी अथवा देग का मुँह बंद करके पकाया जानेवाला मांस या पुलाव। | 
			
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				| दम-बाज					 : | वि० [फा० दम+बाज] [भाव० दमबाजी] १. चकमा या दम-बुत्ता देनेवाला। २. गाँजे आदि का दम लगानेवाला। | 
			
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				| दमबाजी					 : | स्त्री० [हिं० दमबाज] दमबाज होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| दम-बुत्ता					 : | पुं० [हिं० दम] किसी को फुसलाने या कुछ समय के लिए शांत रखने के लिए दिया जानेवाला झूठा आश्वासन। | 
			
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				| दम-मार					 : | पुं० [हिं०] वह जो गाँजे या चरस का दम लगाता हो। गाँजा या चरस (का धूआँ) पीनेवाला। उदाहरण—दम-मार यार किसके, दम लगाया और खिसके। (कहा०) | 
			
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				| दमयंतिका					 : | स्त्री० [सं० दमयंती+कन्—टाप्, ह्वस्व] मदनबान। (लता)। | 
			
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				| दमयंती					 : | स्त्री० [सं०√दम् (दमन करना)+णिच्+शतृ+ङीष्, नुम्] १. पुराणानुसार विदर्भ देश की एक राजकुमारी जो राजा भीमसेन की पुत्री थी और जिसका विवाह राजा नल से हुआ था। २. एक तरह की लता। मदनबान। | 
			
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				| दमयिता (तृ)					 : | वि० [सं०√दम्+णिच्+तृच्] दमन करनेवाला। | 
			
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				| दमरक (ख)					 : | स्त्री० दे० ‘चमरख’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमरी					 : | स्त्री०=दमड़ी। | 
			
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				| दमशील					 : | वि०=दमन-शील। | 
			
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				| दमसना					 : | स० [सं० दमन] १. दमन करना। २. आघात करना। | 
			
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				| दमसाज					 : | पुं० [फा०] १. किसी के साथ रहकर उससे सहानुभूति रखने और उसकी सहायता करनेवाला व्यक्ति। २. संगीत में, वह व्यक्ति जो किसी गवैये के साँस लेने पर उसके बोल के स्वरों को दोहराता या पूरा करता हो। | 
			
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				| दमा					 : | पुं० [फा०] फेफड़ों में कुछ विशिष्ट प्रकार का विकार होने पर उत्पन्न होनेवाला एक प्रसिद्ध रोग जिसमें साँस बहुत अधिक तेजी से फूलने लगता है और जिसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक और बराबर खाँसते रहना पड़ता है। | 
			
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				| दमाग					 : | पुं०=दिमाग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमाज					 : | पुं० [फा० दमामा ?] धौंसा। नगाड़ा। | 
			
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				| दमाणक					 : | स्त्री०=दमानक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमाद					 : | पुं० [सं० जामातृ] संबंध के विचार से वह व्यक्ति जिसको कन्या ब्याही गई हो। जामाता। दामाद। | 
			
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				| दमादम					 : | अ० य० [अनु०] १. दमदम शब्द करते हुए। २. निरंतर। बराबर। लगातार। | 
			
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				| दमान					 : | पुं० [देश०] पाल का कपड़ा (लश०) | 
			
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				| दमानक					 : | स्त्री० [देश०] युद्द के समय तीरों, गोले, गोलियों आदि की कुछ समय तक बराबर होनेवाली बौछार या मार। उदाहरण—ज्यौं कमनैत दमानक मैं फिर तीर सों मारि लै जात निसानो।—रहीम। | 
			
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				| दमाम					 : | पुं०=दमामा। | 
			
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				| दमामा					 : | पुं० [फा० दमामः] बहुत बड़ा नगाड़ा। धौंसा। | 
			
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				| दमार					 : | स्त्री०=दमारि। (दावानल) | 
			
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				| दमारि					 : | पुं० [सं० दावानल] जंगल की आग। दावानल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमावति					 : | स्त्री०=दमयंती। | 
			
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				| दमाह					 : | पुं० [हिं० दमा] १. बैलों के हाँफने का एक रोग। २. वह बैल जिसे उक्त रोग हो। | 
			
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				| दमित					 : | भू० कृ० [सं० दम्+णिच्+क्त] १. (मनोवेग या वासना) जिसका दमन किया गया हो। २. (उपद्रव, विद्रोह या उसका कर्ता) जो बलपूर्वक प्रयोग करके दबाया गया हो। | 
			
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				| दमी (मिन्)					 : | वि० [सं० दम+इनि] दमनशील। वि० [फा० दम] दम लगाने या साधनेवाला। पुं० १. गँजेड़ी। २. हुक्के का एक प्रकार का छोटा सफरी नैचा जो जेब में भी रखा जा सकता है। पुं० [हिं० दमा] वह जिसे दमे या श्वास का रोग हो। | 
			
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				| दमुना					 : | पुं० [सं० दावानल] अग्नि। आग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमैया					 : | वि० [हिं० दमन+ऐया (प्रत्य०)] दमन करनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दमोड़ा					 : | पुं० [हिं० दाम+ओड़ा (प्रत्य०)] दाम। मूल्य। (दलाल) | 
			
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				| दमोदर					 : | पुं०=दामोदर। | 
			
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				| दमोय					 : | पुं० [दमोह; मध्य प्रदेश का एक स्थान] एक प्रकार का बैल जो बोझ ढोने के लिए अच्छा समझा जाता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दम्य					 : | वि० [सं०√दम् (दमन करना)+यत्] १. जिसका दमन किया जा सके या हो सके। दमन किये जाने के योग्य। २. (पशु) जो बधिया किया जा सकता हो या किये जाने के योग्य हो। | 
			
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