| शब्द का अर्थ | 
					
				| दरी					 : | वि० [सं० दरि+ङीष्] १. फाड़नेवाला। विदीर्ण करनेवाला। २. डरनेवाला। डरपोक। स्त्री० [सं० दरि+ङीष्] १. खोह। गुफा। २. पहाड के नीचे का वह खड्ड जिसमें कोई नदी गिरती या बहती हो। स्त्री० [सं० दर=चटाई] मोटे सूत का बुना हुआ मोटे दल का एक प्रकार का बिछौना। शतंरजी। स्त्री०=[फा०] ईरान देश की एक प्राचीन भाषा। | 
			
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				| दरीखाना					 : | पुं० [फा० दर+खाना] १. ऐसा कमरा या मकान जिसके चारों ओर बहुत से दरवाजे हों। २. बारह-नदी। | 
			
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				| दरीचा					 : | पुं० [फा० दरीचः] [स्त्री० दरीची] १. छोटा दरवाजा। २. खिड़की। ३. रोशनदान। | 
			
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				| दरीबा					 : | पुं० [हिं० दर या दरबा ?] १. वह स्थान जहाँ एक ही तरह की बहुच-सी चीजें इकट्ठी बिकती हों। जैसे—पान का दरीबा। २. बाजार। | 
			
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				| दरी-भृत्					 : | पुं० [सं० दरी√भृ (धारण करना)+क्विप्] पर्वत। पहाड़। | 
			
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				| दरी-मुख					 : | पुं० [ष० त०] १. गुफा का मुख। २. राम की सेना का एक बंदर। | 
			
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