| शब्द का अर्थ | 
					
				| दल					 : | पुं० [सं०√दल् (भेद करना)+अच्] १. किसी वस्तु के उन दो सम खंडो में से हर एक जो एक दूसरे से स्वभावतः जुड़े हो पर जरा-सा दबाव पड़ने से अलग हो जायँ। जैसे—अरहर, उरद, चने आदि का दानों के दो दल। २. पौधों के कोमल छोटे पत्ते। जैसे—तुलसी-दल। ३. फूलों के वे अंग जो छोटे कोमल पत्ते के रूप में होते है। पंखड़ी। जैसे—कमल या गुलाब के फूल के दल। ४. किसी बड़ी इकाई के अलग-अलग छोटे खंड या टुकड़े जो स्वतंत्र रूप से काम करते हों जैसे—सैनिकों के कई दल नगर में घूम रहे हैं। ५. ऐसे व्यक्तियों का वर्ग या समूह जो किसी विशिष्ट (अच्छे चाहे बुरे) उद्देश्य की सिद्धि के लिए संघठित हुआ हो और साथ मिलाकर काम करता हो। (पार्टी) जैसे—डाकुओं या स्वयंसेवकों का दल। ६. एक ही जाति या वर्ग के प्राणियों का गिरोह या झुंड। जैसे—कबूतरों, च्यूँटियों या बंदरों का दल। ७. आधुनिक राजनीति में किसी विशिष्ट विचार धारा के अनुसायियों का वह संघटित समूह जो देश, संस्था आदि का शासन सूत्र संभालने के लिए चुनाव आदि लड़ता है। ८. परत की तरह फैली हुई चीज की मोटाई। जैसे—दल का शीशा। ९. फुंसी, फोड़े आदि के आस-पास कुछ दूर तक होनेवाली वह सूजन जिससे वहाँ का चमड़ा मोटा हो जाता है। जैसे—इस फोड़ो ने बहुत दल बाँध रखा है। क्रि० प्र०—बाँधना। १॰. अस्त्र के ऊपर का आच्छादन। कोष। म्यान। ११. धन। दौलत। १२. जलाशयों में होनेवाला एक प्रकार का तृण। १३. तमालपत्र। | 
			
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				| दलक					 : | स्त्री० [हिं० दलकना] १. दलकने की क्रिया या भाव। २. कुछ देर तक होता रहनेवाला बहुत हलका कंप। थरथराहट। ३. रह-रह कर होनेवाली हलकी पीड़ा। टीस। पुं० छुरी की तरह का एक उपकरण जिससे राजगीर नक्काशी के अंदर का मसाला साफ करते हैं। स्त्री० [फा०] गुदड़ी। | 
			
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				| दलकना					 : | अ० [सं० दल या दलन] १. किसी चीज के ऊपर के दल या मोटी तह का रह-रहकर कुछ ऊपर उठते और नीचे गिरते हुए काँपना या हिलना। जैसे—चलने में तोंद दलकना। २. डर से काँपना या थर्राना। ३. उद्दिग्न या विकल होना। घबराहट से बेचैन होना उदाहरण—दलकि उठेउ सुनि हृदै कठोरू।—तुलसी। अ० दरकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स० [सं० दलन] डराकर या भयभीत करके काँपाना। | 
			
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				| दल-कपाट					 : | पुं० [ब० स०] हरी पंखड़ियों का वह कोश जिसमें कली बंद रहती है. | 
			
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				| दल-कपाट					 : | पुं० [ब० स०] कुंद का पौधा। | 
			
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				| दल-गंजन					 : | वि० [सं०√गञ्ञ (नाश करना)+ल्यु—अन, ष० त०] अनेक दलों या व्यक्तियों के समूहों को नष्ट करने या मारनेवाला, अर्थात् बहुत बड़ा वीर। पुं० एक प्रकार का धान। | 
			
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				| दल-गंध					 : | पुं० [ब० स०] सप्तपर्ण वृक्ष। सतिवन। | 
			
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				| दल-घुसरा					 : | पुं० [हिं० दाल+घुसड़ना] वह रोटी जिसमें दाल या पीठी भरी हो। | 
			
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				| दल-थंभ					 : | पुं० [सं० दल+हिं० थामना] सेनापति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दलथंभन					 : | पुं० [हिं० दल+थामना] १. कमराख बुननेवालों का एक औजार जो बाँस की तरह होता है। जिसमें अँकुड़ा और नकशा बँधा रहता है। २. दलथंभ। | 
			
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				| दल-दल					 : | स्त्री० [सं० दलाढ्य] १. बहुत गीला और मुलायम निम्नतल जिसमें मिट्टी के साथ इतना अधिक पानी मिला हो कि उस पर आदमी का बोझ टिक या ठहर न सकें, बल्कि नीचे धस जाय। (मार्श) 2. लाक्षणिक रूप में, वह विकट या संकटपूर्ण स्थिति जिसमें हर प्रकार से खराबी या बुराई होती हो तथा जिससे जल्दी छुटकारा या बचाव न हो सके। क्रि० प्र०—में पड़ना (या फँसना)। स्त्री० [अनु०] कहारों की परिभाषा में बुड्ढी स्त्री (जो डोली या पालकी पर सवार हो)। | 
			
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				| दलदला					 : | वि० [हिं० दलदल] [स्त्री० दलदली] (प्रदेश) जिसमें दलदल बहुत अधिक हो। | 
			
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				| दलदार					 : | वि० [हिं० दल+फा० दार] जिसकी तह, दल या परत मोटी हो। जैसे—दलदार आम। | 
			
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				| दलन					 : | पुं० [सं०√दल् (भेदन)+ल्युट्—अन] [वि० दलित] १. पीस कर छोटे-छोटे टुकड़े करने की क्रिया। चूर-चूर करने का काम। २. ध्वंस। विनाश। संहार। वि० ध्वंस या नाश करनेवाला। (यौ० के अंत में) जैसे—दुष्टदलन। | 
			
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				| दलना					 : | स० [सं० दलन] १. चक्की, जाँते आदि में डालकर बीज आदि पीसना। जैसे—गेहूँ या जौ दलना। २. दरदरा पीसना। ३. बुरी तरह से कुचल, मसल या रौंदकर नष्ट करना। ४. बहुत अधिक कष्ट देना या दमन करना। ५. पत्तियाँ, फूल आदि तोड़ना। ६. झटके से कई खंड या टुकड़े करना। (क्व०) | 
			
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				| दलनि					 : | स्त्री०=दलन। | 
			
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				| दल-निर्मोक					 : | पुं० [सं० ब० स०] भोजपत्र का पेड़। | 
			
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				| दलप					 : | पुं० [सं० दल√पा (रक्षण)+क] १. दल का नायक, प्रधान या मुखिया। दलपति। २. [√दल+कपन्] अस्त्र। ३. सोना। स्वर्ण। | 
			
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				| दल-पति					 : | पुं० [ष० त०] १. दल का नायक। यू-थूप। २. सेनानायक। | 
			
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				| दल-पुष्पा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] केतकी का पौधा। | 
			
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				| दल-बंदी					 : | स्त्री० [हिं० दल+फा० बंदी] १. दलों का निर्माण तथा संघटन करना। (क्व०) २. कसी दल के अंतर्गत अथवा किसी संस्था के कार्यकर्ताओं में प्रायः फूट, राग-द्वेष के कारण छोटे-छोटे समूह बनाने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| दल-बल					 : | पुं० [सं० मध्य० स०] १. लाव-लश्कर। फौज। २. अनुयायी, संगी-साथी, नौकर-चाकर आदि। जैसे—मंत्री महोदय दल-बल सहित पहुँचे थे। | 
			
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				| दलबा					 : | पुं० [हिं० दलना] वह अशक्त पक्षी (जैसे—तीतर, बटेर आदि) जिसे उसका स्वामी दूसरे पक्षियों से लड़ाकर और मार खिलाकर दूसरे पक्षियों का साहस बढ़ाते हैं। | 
			
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				| दल-बादल					 : | पुं० [हिं० दल+बादल] १. बादलों का समूह। २. किसी के साथ चलने या रहनेवाले बहुत से लोगों का समूह। ३. बहुत बड़ी सेना। ४. एक प्रकार का बहुत बड़ा खेमा या शामियाना। | 
			
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				| दलमलना					 : | स० [हिं० दलना+मलना] १. किसी चीज को खूब दलना और मलना। २. अच्छी तरह कुचलना, मसलना या रौंदना। ३. पूरी तरह से ध्वस्त या नष्ट करना। | 
			
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				| दलमलाना					 : | स० हिं० ‘दलमलना’ का प्रे० रूप। अ०=दलमलना। | 
			
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				| दलवाना					 : | स० [हिं० दलना का प्रे० रूप] १. दलने का काम दूसरे से कराना। २. ध्वस्त कराना। ३. दमन कराना। | 
			
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				| दलवान					 : | पुं० [सं० दलपाल] सेनापति। फौज का सरदार। | 
			
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				| दलवैया					 : | वि० [हिं० दलना] दलनेवाला। | 
			
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				| दलसारिणी					 : | स्त्री० [सं० सार+इनि+ङीष्, दल-सारिणी, स० त०] केमुचा। बंडा। कच्चू। | 
			
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				| दल-सूचि					 : | पुं० [सं० ब० स०] १. ऐसा पौधा जिसके पत्तों में काँटे हों। २. [ष० त०] उक्त प्रकार के पत्तों का काँटा। ३. किसी प्रकार का काँटा। | 
			
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				| दलसूसा					 : | स्त्री० [सं० दलज्रसा] पत्तों की नसें। दलों की शिराएँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दलहन					 : | पुं० [हिं० दाल+अन्न] ऐसे बीज जिनकी दाल बनाई जाती है। जैसे—अरहर, उड़द, चना, मूँग आदि। | 
			
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				| दलहरा					 : | पुं० [हिं० दाल+हारा] १. वह जो दलहन पीसकर दाल बनाता हो। २. केवल दालें बेचनेवाला रोजगारी। | 
			
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				| दलहा					 : | पुं० [सं० दल, हिं० थाल्हा] थाला। आलबाल। | 
			
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				| दलाढक					 : | पुं० [सं० दल-आढ़क, तृ० त०] १. जंगली तिल। २. गेरू। ३. नागकेसर। ४. सिरिस का पेड़। ५. कुंद का पौधा या फूल। ६. एक प्रकार का पलाश जिसे गजकर्णी भी कहते हैं। ७. फेन। ८. खाईं। ९. बवंडर। १॰. गाँव का मुखिया। ११. हाथी का कान। | 
			
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				| दलाढ्य					 : | पुं० [सं० दल-आढ्य, तृ० त० ] नदी के किनारे का कीचड़। | 
			
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				| दलादली					 : | स्त्री० [सं० दल+अनु०] आपस में होनेवाली दल-बंदियाँ और उनकी लाग-डाँट या होड़। | 
			
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				| दलान					 : | पुं०=दालान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दलाना					 : | स० [हिं० दलना का प्रे० रूप] कोई चीज दलने में किसी को प्रवृत्त करना। अ० दला जाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दलामल					 : | पुं० [सं० दल-अमल, तृ० त०] १. दौना। २. मरूआ। मैनफल। | 
			
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				| दलाम्ल					 : | पुं० [सं० दल-अम्ल, ब० स०] लोनिया साग। अमलोनी। | 
			
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				| दलारा					 : | पुं० [देश०] एक तरह का झूलनेवाला बिस्तर (लश०) | 
			
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				| दलाल					 : | पुं० [अ० दल्लाल] १. वह व्यक्ति जो किसी चीज के लेन-देन के समय क्रेता और विक्रेता के बीच में पड़कर उस वस्तु का दर या भाव निश्चित कराता या सौदा पक्का कराता हो और एक या दोनों पक्षों से अपनी सेवा के प्रतिफल में कुछ धन लेता हो। २. वह व्यक्ति जो कामुक, पुरूषों को पर-स्त्रियों से मिलाता और उनसे धन प्राप्त करता है। ३. जाटों, पारसियों आदि में एक जाति या वर्ग। | 
			
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				| दलाली					 : | स्त्री० [फा०] १. दलाल का काम। क्रेता-विक्रेता के बीच में पड़कर सौदा तै कराने का काम। २. दलाल को उसके परिश्रम या सेवा के बदले में मिलनेवाला धन या पारिश्रमिक। | 
			
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				| दलाह्रय					 : | पुं० [सं० दल-आह्रय, ब० स०] तेजपत्ता। | 
			
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				| दलि					 : | स्त्री० [सं०√दल (भेदन)+इन्]=दलनी। | 
			
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				| दलिक					 : | पुं० [सं० दलि+कन्] काष्ठ। | 
			
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				| दलित					 : | भू० कृ० [सं०√दल+क्त] १. जिसका दलन हुआ हो। २. जो कुचला, दला, मसला या रौंदा गया हो। ३. टुकड़े-टुकड़े किया हुआ। चूर्णित। ४. जो दबाया गया हो अथवा जिसे पनपने या बढ़ने न दिया गया हो। हीन-अवस्था में पड़ा हुआ। ५. ध्वस्त या नष्ट किया हुआ। | 
			
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				| दलित वर्ग					 : | पुं० [सं०] समाज का वह निम्न तम वर्ग जो उच्च वर्ग के लोगों के उत्पीड़न के कारण आर्थिक दृष्टि से बहुत ही हीन अवस्था में हो। जैसे—दास, प्रथावाले देशों में दास, सामंत-शाही व्यवस्था में कृषक, या पूजीवाँदी व्यवस्था में मजदूर दलित वर्ग में माने जाते हैं। (डिप्रेस्ड क्लासेज) | 
			
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				| दलिद्दर					 : | वि० [सं० दरिद्र] १. दरिद्र। २. बिलकुल गया-बीता और बहुत ही निम्न कोटि का। परम निकृष्ट। पुं० १. दरिद्रता। २. कूड़ा-करकट। झाड़-झंखाड़। बिलकुल निकम्मी और रद्दी चीजें। जैसे—दीवाली पर घर का सारा दलिद्दर निकाल कर फेंका जाता है। | 
			
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				| दलिद्र					 : | पुं०=दरिद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दलिया					 : | पुं० [हिं० दलना] १. किसी खाद्यान्न के बीजों का पीसा हुआ मोटा या दानेदार चूर्ण। २. उक्त का दूध आदि में पकाया हुआ गाढ़ा रूप। | 
			
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				| दली (लिन्)					 : | वि० [सं० दल+इनि] १. जिसमें दल या मोटाई हो २. जिसमें दल या पत्ते हों। ३. जो किसी दल (वर्ग या समूह) में मिला हुआ या उसके साथ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दलीप					 : | पुं०=दिलीप। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दलील					 : | स्त्री० [अ०] १. कोई ऐसी पूर्ण युक्ति या विचार जिससे किसी बात या मत का यथेष्ट समर्थन या खंडन होता हो। युक्ति। २. वाद-विवाद। बहस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| दले-गंधि					 : | पुं० [सं० ब० स०] सप्तपर्णी वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| दलेपंज					 : | पुं० [हिं० ढलना+पंजा] वह घोड़ा जिसकी उमर ढल गयी हो या ढल चली हो। वि० जिसकी उमर ढल गई हो या ढल चली हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दलेल					 : | स्त्री० [अ० ड्रिल] १. सिपाहियों को दिया जानेवाला एक प्रकार का दंड या सजा जिसमें उन्हें पूरी वर्दी पहनाकर और कई प्रकार के हथियारों से युक्त करके टहलाते हैं। २. वह कवायद जो सजा की तरह पर कराई जाती हो। मुहावरा—दलेल बोलना=सजा की तरह पर कवायद करने पर या उक्त प्रकार से टहलते रहने की आज्ञा या दंड देना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| दलै					 : | अव्य० [अनु०] फीलवानों का एक छंद जिसका उच्चारण वे हाथी से उसका मुँह खुलवाने के लिए करते हैं। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दलैया					 : | पुं० [हिं० दलना] १. दलन या नाश करनेवाला। २. दलने या पीसनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दल्भ					 : | पुं० [सं० दल (भेदन)+भ] १. छल। धोखा। प्रतारणा। २. पाप। ३. चक्र। | 
			
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				| दल्भि					 : | पुं० [सं०√दल+भि] १. शिव। २. इंद्र का वज्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दल्लाल					 : | पुं०=दलाल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दल्लाला					 : | स्त्री० [अ०] कुटनी | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| दल्लाली					 : | स्त्री०=दलाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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