| शब्द का अर्थ | 
					
				| दारी					 : | स्त्री० [सं०√दृ+णिच्+इन्—ङीप्] पैर के तलवे का चमड़ा फटने का एक रोग। बिवाई। स्त्री० [सं० दारिका] १. दासी या लौंड़ी विशेषतः ऐसी दासी या लौंड़ी जो लड़ाई में जीतकर लाई गई हो। २. परम दुश्चरित्रा स्त्री। छिनाल। पुंश्चली। उदाहरण—चंचल सरस एक काहू पै न रहै दारी।—भूषण। पद—दारी-दार (देखें) स्त्री० [फा०] दार अर्थात् रखनेवाला होने की अवस्था या भाव। जैसे—किरायेदारी, दुकानदारी आदि। | 
			
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				| दारीजार					 : | पुं० [हिं० दारी+सं० जार] १. लौंड़ी का उपपति या पति। (गाली) 2. दासी-पुत्र। 3. परम दुश्चरित्र से अनुचित संबंध रखनेवाला पुरुष। परम व्यभिचारी। विशेष—हिं० का ‘दाढ़ीजार’ संभवतः इसी ‘दारीजार’ का विकृत रूप है। | 
			
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