| शब्द का अर्थ | 
					
				| दाश					 : | पुं० [सं०√दंश् (मारना)+ट, आत्व] १. मछलियाँ मारकर खानेवाला। मछुआ। २. केवट। मल्लाह। ३. नौकर। सेवक। | 
			
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				| दाश-पुर					 : | पुं० [ष० त०] १. धीवरों या मछुओं की बस्ती। २. [दाश√पृ (पूर्ति)+क] केवटीमोथा। कैवर्त्त मुस्तक। | 
			
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				| दाशरथ					 : | वि० [सं० दशरथ+अण्] १. दशरथ संबंधी। दशरथ का। २. दशरथ के कुल में उत्पन्न। पुं० दशरथ के चारों पुत्रों में से कोई एक, विशेषतः श्रीरामचन्द्रजी। | 
			
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				| दाशरथि					 : | पुं० [सं० दशरथ+इञ्]=दाशरथ। | 
			
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				| दाशरात्रिक					 : | वि० [सं० दशरात्र+ठञ्—इक] दशरात्र संबंधी। | 
			
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				| दाशार्ण					 : | पुं० [सं०दशार्ण+अण्] १. दशार्ण देश। २. उक्त देश का निवासी। वि० दशार्ण देश का। | 
			
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				| दाशार्ह					 : | पुं० [सं० दशार्ह+अण्] दशार्ह के वंश का मनुष्य। यदुवंशी। | 
			
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				| दाशेय					 : | वि० [सं० दाशी+ढक्—एय] दाश से उत्पन्न। पुं० दाश का पुत्र। | 
			
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				| दाशेयी					 : | स्त्री० [सं० दाशेय+ङीप्] सत्यवती। | 
			
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				| दाशेर					 : | पुं० [सं० दाशी+ढक्—एय, यलोप] धीवर की संतति। | 
			
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				| दाशेरक					 : | पुं० [सं० दाशेर+कन्] १. मरू प्रदेश। मारवाड़ देश। २. उक्त प्रदेश का निवासी। मारवाड़ी। ३. दशपुर का निवासी। | 
			
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				| दाशौदनिक					 : | वि० [सं० दशन्ओदन ब० स०, दशौदन+ठञ्—इक] दशोदन यज्ञ संबंधी। पुं० दशोदन यज्ञ में मिलनेवाली दक्षिणा। | 
			
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				| दाश्त					 : | स्त्री० [फा०] किसी को अपने पास रखने की क्रिया या भाव। जैसे—याद-दाश्त। २. अपने पास रखकर पालन-पोषण तथा देख-रेख करने की क्रिया या भाव। वि० [स्त्री० दाश्ता] अपने पास रखा हुआ। | 
			
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				| दाश्ता					 : | स्त्री० [फा० दाश्तः] उपपत्नी के रूप में रखी हुई स्त्री। रखनी। रखेली। | 
			
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				| दाश्व					 : | वि० [सं०√दाश् (दान करना)+वन्] १. देनेवाला। २. उदार। | 
			
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