| शब्द का अर्थ | 
					
				| दिग्विजय					 : | स्त्री० [सं० ष० त०] १. प्राचीन भारतीय महाराजाओं की एक प्रथा जिसमें वे अपना पौरूष और बल दिखाने के लिए सेना सहित निकलकर आस-पास विशेषतः चारों ओर के देशों और राज्यों को अपने अधीन करते चलते थे। २. किसी बहुत बड़े गुणी या पंडित का दूसरे स्थानों पर आकर वहाँ के गुणियों और विद्वानों को अपनी कलाओं, गुणों आदि से परास्त करके उन पर अपनी विशिष्टता का सिक्का जमाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| दिग्विजयी (यिन्)					 : | वि० [सं० दिग्विजय+इनि] [स्त्री० दिग्विजयनी दिग्विजयिन्+ङीष्] जिसने दिग्विजय प्राप्त की हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |