| शब्द का अर्थ | 
					
				| दीप्य					 : | वि० [सं० दीप+यत्] १. जो जलाया जाने को हो। प्रज्वलित किया जानेवाला। २. जो जलाकर प्रकाश से युक्त किया जा सके। ३. जठराग्नि अर्थात् भूख बढानेवाला। पुं० १. अजवायन। २. जीरा। ३. मयूर- शिखा। ४. रुद्र-जटा। | 
			
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				| दीप्यक					 : | पुं० [सं० दीप्य+कन्] १. अजवायन। २. अजमोदा। ३. मयूरशिखा। ४. रुद्रजटा। | 
			
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				| दीप्यमान					 : | वि० [सं० दीप (चमकना)+शानच् (यक्)] चमकता हुआ। दीप्त। | 
			
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				| दीप्या					 : | स्त्री० [सं० दीप्य+टाप्] पिंड खजूर। | 
			
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