| शब्द का अर्थ | 
					
				| दुआ					 : | स्त्री० [अ०] १. किसी बड़े अथवा ईश्वर से की जानेवाली प्रार्थना। निवेदन। विनती। २. किसी के कल्याण या मंगल के लिए ईश्वर से की जानेवाली प्रार्थना। कि० प्र०—करना।—माँगना। ३. आशीर्वाद। असीस। क्रि० प्र०—देना।मुहा०—(किसी की) दुआ लगना=आशीर्वाद फलीभूत होना। पुं० [हिं० दो] १. गले में पहनने का एक गहना। २. दे० ‘दूआ’। | 
			
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				| दुआदस					 : | पुं०=द्वादश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुआदसी					 : | स्त्री०=द्वादशी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुआब					 : | पुं०=दुआबा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुआबा					 : | पुं० [फा० दोआबः] १. दो नदियों के बीच का प्रदेश। २. गंगा और यमुना के बीच का प्रदेश। | 
			
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				| दुआर					 : | पुं० [स्त्री० दुआरी]=द्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुआरा					 : | पुं०=द्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुआरामती					 : | स्त्री० [सं० द्वारावती] द्वारिका। उदा०—देव सु आ दुआरामती।—प्रिथीराज। | 
			
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				| दुआरी					 : | स्त्री० [हिं० दुआर] छोटा दरवाजा। | 
			
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				| दुआल					 : | स्त्री० [फा०] १. चमड़े का तमसा। २. रिकाब का तस्मा। | 
			
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				| दुआला					 : | पुं० [देश०] लकड़ी का एक बेलन जो सुनहरी छपी हुई छोंटों के छापों को बैठने के लिए उन पर फेरा जाता है। | 
			
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				| दुआली					 : | स्त्री० [फा० द्वाल=तसमा] खराद का तसमा। सान की बद्घी। | 
			
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				| दुआह					 : | पुं० [हिं० दु+सं० विवाह] १. पहली पत्नी के मरने के उपरांत पुरुष का होनेवाला दूसरा विवाह। २. पहले पति के मरने पर स्त्री का होनेवाला दूसरा विवाह। | 
			
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