| शब्द का अर्थ | 
					
				| दुत					 : | अव्य० [अनु०] एक शब्द जो उपेक्षा, तिरस्कार या निरादरपूर्वक दूर करने या हटाने के समय कहा जाता है। दुतकारने का शब्द। स्त्री०=द्युति। उदा०—गुण भूषण भुरजालरो, जस मैं दुत जागंत।—बाँकीदास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुतकार					 : | स्त्री० [अनु० दुत+कार] १. दुतकारने की क्रिया या भाव। २. वह बात जो किसी को उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक ‘दुत’ कहते हुए दूर करने या हटाने के लिए कही जाय। कि० प्र०—बताना। | 
			
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				| दुतकारना					 : | स० [हिं० दुतकार] १. उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक दुत् दुत् शब्द करके किसी को अपने पास से अलग या दूर करना। बुरी तरह से अपमानित करके दूर हटाना। २. तिरस्कृत करना। | 
			
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				| दुतर					 : | वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुतरणि					 : | वि० [सं० दुस्तरण] १. कठिन। २. दुःखदायक। (राज०) | 
			
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				| दुतरफा					 : | वि० [फा० दुतर्फ़ः] [स्त्री० दुतरफी] जो दोनों ओर हो। इधर भी और उधर भी होने या रहनेवाला। जैसे—कपड़े की दुतरफा छपाई। २. (आचरण या व्यवहार) जो निश्चित रूप से किसी एक ओर न हो, बल्कि आवश्यकतानुसार दोनों तरफ माना या लगाया जा सकता हो। जैसे—दुतरफा काट या चाल। | 
			
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				| दुताबी					 : | स्त्री० [हिं० दो+फा० ताब] पुरानी चाल की एक तरह की दुधारी तलवार। | 
			
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				| दुतारा					 : | पुं० [हिं० दो+तार] सितार की तरह का एक प्रकार का बाजा जिसमें दो तार लगे होते हैं और जो तर्जनी उँगली से बजाया जाता है। | 
			
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				| दुति					 : | स्त्री०=द्युति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुतिमान					 : | वि०=द्युतिमान्। | 
			
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				| दुतिय					 : | वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुतिया					 : | वि०=द्वितीय। स्त्री०=द्वितीया। | 
			
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				| दुतिवंत					 : | वि० [हिं० दुति+वंत (प्रत्य०)] १. आभायुक्त। चमकीला। प्रकाशमान्। २. शोभायुक्त। सुंदर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुती					 : | वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=द्युति (चमक)। | 
			
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				| दुतीय					 : | वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुतीया					 : | वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=द्वितीया। | 
			
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				| दुत्तर					 : | वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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