| शब्द का अर्थ | 
					
				| दूर्वा					 : | स्त्री० [सं०√ दूर्व् (हिंसा)+अच्—टाप्] एक प्रसिद्ध पवित्र घास जो देवताओं को चढ़ाई जाती है। दूब। | 
			
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				| दूर्वाक्षी					 : | स्त्री० [सं०] वसुदेव के भाई वृक की स्त्री का नाम। (भागवत) | 
			
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				| दूर्वाद्य घृत					 : | पुं० [दूर्वा-आद्य ब० स०, दूर्वद्य-घृत कर्म० स०] वैद्यक में, एक प्रकार की बकरी का घी जिसमें दूब, मजीठ, एलुआ, सफेद चंदन आदि मिलाया जाता है और जिसका व्यहार आँख, मुँह, नाक, कान आदि से रक्त जानेवाला रक्त रोकने के लिए होता है। | 
			
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				| दूर्वाष्टमी					 : | स्त्री० [दूर्वा-अष्टमी मध्य० स०] भादों सुदी अष्टमी जिस दिन हिंदू व्रत करते हैं। | 
			
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				| दूर्वासोम					 : | पुं० [सं०] एक तरह की सोमलता। (सुश्रुत) | 
			
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