| शब्द का अर्थ | 
					
				| द्विधा					 : | क्रि० वि० [सं० द्वि-धाच्] १. दो प्रकार से। दो तरह से। २. दो खंडों, टुकड़ों या भागों में। ३. दोनों ओर। स्त्री०=दुबिधा। | 
			
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				| द्विधा-करण					 : | पुं० [ष० त०] दो भागों में विभाजित करना। दो खंड करना। | 
			
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				| द्विधा-गति					 : | पुं० [ब० स०] जल और स्थल दोनों में विचरण करनेवाला। प्राणी। जैसे—केकड़ा, मगर, मेढ़क आदि। | 
			
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				| द्विधातविक					 : | वि० [सं० द्विधातु+ठन्—इक] १. दो अलग-अलग धातुओं से संबंध रखनेवाला। (बाइमेटेलिक) | 
			
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				| द्विधातुता					 : | स्त्री० [सं० द्विधातु+तल्—टाप्] द्विधातु होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| द्विधातुत्व					 : | पुं० [सं० द्विधातु+त्व]=द्विधातुता। | 
			
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				| द्विधातु-वाद					 : | पुं० [ष० त०] अर्थशास्त्र का एक सिद्धांत जिसके अनुसार किसी देश में दो विभिन्न धातुओं के सिक्के चलते हैं और दोनों की गिनती वैध मुद्रा में होती है। (बाइमेटलिज्म) | 
			
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				| द्विधात्मक					 : | पुं० [सं० द्विधा-आत्मन् ब० स०, कप्] जायफल। | 
			
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				| द्विधालेख्य					 : | पुं० [सं० द्विधा√लिख्+ण्यत् (आधा के)] हिंताल का पेड़। | 
			
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