| शब्द का अर्थ | 
					
				| द्वैध					 : | पुं० [सं० द्वि+घमुञ् वा द्विधा+अण्] १. दो प्रकार के होने की अवस्था या भाव। २. दो में होनेवाली भिन्नता या भेद-भाव। ३. दो तरह की चालें चलने या नीतियाँ बरतने की अवस्था, गुण या भाव। विशेष—प्राचीन भारतीय राजनीति में इसे छः गुणों के अंतर्गत माना गया है। ऊपर से कुछ और प्रकार का व्यवहार करने और अंदर-अंदर कुछ और प्रकार का व्यवहार करने की नीति ही द्वैष है। यह आधुनिक डिप्लोमेसी के समकक्ष है। ३. वह शासन-प्रणाली जिसमें कुछ विभाग सरकार के हाथ में और कुछ प्रजा के प्रतिनिधियों के हाथ में हों। (डायार्की) | 
			
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				| द्वैधीकरण					 : | पुं० [सं० द्वैध+च्वि√कृ०+ल्युट—अन] किसी चीज के दो टुकड़े करना। | 
			
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				| द्वैधीभाव					 : | पुं० [सं० द्वैध+च्वि√भू+घञ्] १. द्विधा भाव। अनिश्चय। दुबधा। २. ऊपर से कुछ और मन में कुछ और भाव रखने की अवस्था या गुण। ३. दोनों ओर मिलकर या रहने की अवस्था या भाव। | 
			
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