| शब्द का अर्थ | 
					
				| नंदा					 : | वि० स्त्री० [सं०√नन्द्+अच्—टाप्] १. आनंद देनेवाली। २. शुभ। स्त्री० [सं०] १. दुर्गा। २. गौरी। ३. धन-संपत्ति। ४. एक प्रकार की कामधेनु। ५. एक प्रकार की संक्राति। ६. आनंद या प्रसन्नता की अधिष्ठात्री देवी जो हर्ष की पत्नी कही गई है। ७. संगीत में, एक मूर्च्छना। ८. स्वर्ग की एक अप्सरा। ९. विभीषण की कन्या। १॰. पानी रखने का मिट्टी का घड़ा। ११. पुराणानुसार शाकद्वीप की एक नदी। १२. स्त्री० के पति की बहन। ननद। १३. चांद्र मास के किसी पक्ष की प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथियों की संज्ञा। १४. पुराणानुसार कुबेर की पुरी के पास बहनेवाली एक नदी। १५. जैन पुराणों के अनुसार वर्तमान अवसर्पिणी के दसवें अर्हत् की माता का नाम। १६. पिंगल में बरवै छंद का एक नाम १७. एक मातृका या बालग्रह जिसके विषय में यह माना जाता है कि इसके कारण बालक अपने जीवन के पहले दिन, पहले मास और पहले वर्ष में ज्वर से पीड़ित होकर बहुत रोता और अचेत हो जाता है। १८. दे० ‘नंदा-तीर्थ’। | 
			
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				| नंदातीर्थ					 : | पुं० [सं०] हेमकूट पर्वत पर स्थित एक तीर्थ। (महभारत) | 
			
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				| नंदात्मज					 : | पुं० [नंद-आत्मज, ष० त०] नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण। | 
			
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				| नंदात्मजा					 : | स्त्री० [नंद-आत्मजा, ष० त०] नंद की पुत्री। योगमाया। | 
			
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				| नंदा-देवी					 : | [सं०] यमुनोत्ततरी के पूर्व दक्षिणी हिमालय की एक चोटी जो समुद्र तल से २५॰॰॰ फुट ऊँची है। | 
			
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				| नंदा-पुराण					 : | पुं० [सं०] एक उपपुराण जिसमें नंदा का माहात्म्य वर्णित है और जिसके वक्ता कार्तिक कहे गये हैं। मत्स्य और शिवपुराण के मत से यह तीसरा उपपुराण है। | 
			
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				| नंदार्थ					 : | पुं० [सं०] शाकद्वीप ब्राह्मणों की एक जाति। | 
			
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				| नंदाश्रम					 : | पुं० [नंद-आश्रम, ष० त०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ। (महाभारत) | 
			
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