शब्द का अर्थ
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नव-रत्न :
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पुं० [सं० द्विगु० स०] १. मोती, पन्ना, मानिक, गोमेद, हीरा, मूँगा, लहसुनियाँ, पद्मराग और नीलम ये नौ रत्न। २. गले में पहनने का एक प्रकार का हार जिसमें उक्त नौ प्रकार के अथवा अनेक प्रकार के रत्न जड़े होते हैं। २. धन्वंतरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, वेताल, भट्ट, घटखर्पर, कालिदास, वराहमिहिर और वररुचि इन नौ महान् व्यक्तियों की सामूहिक संज्ञा। विशेष–किवदंती के अनुसार ये महाराज विक्रमादित्य की सभा के सदस्य माने जाते हैं। परंतु ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यह बात अप्रामाणिक सिद्ध होती है। ४. एक प्रकार की मीठी चटनी जो कई तरह के मसालों के योग से बनती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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