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			| शब्द का अर्थ |  
				| नाग-शुद्धि					 : | स्त्री० [ष० त०] मकान की नींव रखते समय इस बात का रखा जानेवाला ध्यान कि कहीं पहला आघात सर्प के मस्तक या पीठ पर न पड़े। विशेष–फलित ज्योतिष में, विशिष्ट समयों में सर्प का मुख निश्चित दिशाओं में माना जाता है। भादों, कुआर और कार्तिक में पूरब की ओर अगहन, पूस और माघ में दक्षिण की ओर आदि आदि सर्प का मुख होता है। कहते हैं कि सर्प के मस्तक पर पहला आघात लगने से स्वामिनी की मृत्यु होती है। पेट पर होनेवाला आघात शुभ माना जाता है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |