| शब्द का अर्थ | 
					
				| निंत					 : | क्रि० वि० नित्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निंद					 : | वि० निद्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निंदक					 : | वि० [सं०√निंद (कलंक लगाना)+ण्वुल्–अक] निंदा करनेवाला। | 
			
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				| निंदना					 : | स० [सं० निंदन] निंदा करना। बुरा कहना। | 
			
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				| निंदनीय					 : | वि० [सं०√निंद्+अनीयर] (व्यक्ति अथवा उसका आचरण) जिसकी निंदा की जानी चाहिए। निंदा किये जाने के योग्य। | 
			
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				| निंदरना					 : | स० [सं० निंदा] १. निंदा करना। बुरा कहना। २. बदनाम करना। | 
			
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				| निंदरा					 : | स्त्री०=निद्रा। | 
			
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				| निंदरिया					 : | स्त्री०=निद्रा। | 
			
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				| निंदा					 : | स्त्री० [सं०√निंद+अ–टाप्] [भू० कृ० निंदित, बि० निंदनीय] १. किसी के दोषों, बुराइयों आदि का दूसरों के समक्ष किया जानेवाला वह बखान जो उसे दूसरों की नजरों में गिराने या हेय सिद्ध करने के लिए किया जाय। २. व्यक्ति अथवा उसके किसी कार्य की इस उद्देश्य से की जानेवाली कटु आलोचना कि लोभ उसे बुरा समझने लगें। ३. अपकीर्ति। बदनामी। | 
			
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				| निँदाई					 : | स्त्री०=निराई (खेतों की)। | 
			
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				| निँदाना					 : | स०=निराना। | 
			
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				| निंदा-प्रस्ताव					 : | पुं० [सं० ष० त०] किसी सभा में उपस्थित किया जानेवाला वह प्रस्ताव जिसमें किसी अधिकारी, कार्यकर्ता या सदस्य के किसी काम के संबंध में अपना असंतोष प्रकट करते हुए उसकी निंदा का उल्लेख किया जाता है। (सेन्सर मोशन) | 
			
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				| निंदारा					 : | वि०=निंदासा। | 
			
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				| निंदासा					 : | वि० [हिं० नींद] १. (जीव) जिसे नींद आ रही हो। २. (आँखें) जिनमें नींद भरी हुई हो। | 
			
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				| निंदा-स्तुति					 : | स्त्री०=ब्याज स्तुति। | 
			
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				| निंदित					 : | भू० कृ० [सं०√निंद्+क्त] १. जिसकी निंदा हुई हो या की गई हो। २. दे० ‘निंदनीय’। | 
			
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				| निँदिया					 : | स्त्री०=नींद। | 
			
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				| निंदु					 : | स्त्री० [सं०√निंद्+उ] वह स्त्री० जिसे मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ हो। | 
			
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				| निंद्य					 : | वि० [सं०√निंद्+ण्यत्] निंदा किया जाने के योग्य। निंदनीय। | 
			
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				| निंब					 : | स्त्री० [सं० निन्व् (सींचना)+अच्, बवयोरभेदात् नस्य मः] नीम का पेड़। | 
			
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				| निँबकौरी					 : | स्त्री०=निमकौड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निँबरिया					 : | स्त्री० [हिं० नीम+बरी] वह उपवन जिसमें नीम के बहुत से पेड़ हों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निँबादित्य					 : | पुं० [सं०] दे० ‘निंबार्काचार्य’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निंबार्क					 : | पुं० [सं०] १. निंबादित्य का चलाया हुआ वैष्णव संप्रदाय। २. निंबार्काचार्य। | 
			
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				| निंबार्काचार्य					 : | पुं० [सं०] भक्तमाल में उल्लिखित एक प्रसिद्ध कृष्णभक्त जो निंबार्क संप्रदाय के संस्थापक थे। कुछ लोग इन्हें श्री राधिका जी के कंकण का अवतार और कुछ लोग इन्हें सूर्य के अंश से उत्पन्न मानते हैं। [सं० ११7१-१२१9 वि०] | 
			
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				| निंबू					 : | पुं०=नींबू (पौधा और उसका फल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निः					 : | उप. [सं० निस्] एक उपसर्ग जो शब्दों के पहले लगकर उन्हें नहिक भाव या राहित्य का सूचक बनाता है। जैसे–निःशुल्क, निःशेष आदि। | 
			
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				| निःकपट					 : | वि०=निष्कपट। | 
			
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				| निःकास					 : | वि०=निष्काम। | 
			
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				| निःकारण					 : | वि०=निष्कारण। | 
			
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				| निःकासन					 : | पुं० [वि० निः कासित]=निष्कासन। | 
			
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				| निःक्रामित					 : | वि० [सं०] निष्क्रासित। (दे०) | 
			
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				| निःक्षत्र					 : | वि० [सं० निर्-क्षत्र, ब० स०] (स्थान) जिसमें क्षत्रिय न रहते हों। क्षत्रिय रहित। क्षत्रिय शून्य। | 
			
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				| निःक्षेप					 : | पुं० [सं० निर्√क्षिप् (प्रेरणा)+घञ्] निक्षेप। (दे०) | 
			
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				| निःक्षोभ					 : | वि० [सं०] जिसमें क्षोभ अर्थात् खलबली या घबराहट न हो। | 
			
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				| निःछल					 : | वि० [सं० निर्-क्षोभ, ब० स०] निश्छल। (दे०) | 
			
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				| निःपक्ष					 : | वि० [सं०] निष्पक्ष। (दे०) | 
			
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				| निःपाप					 : | वि० [सं०] निष्पाप। | 
			
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				| निःप्रभ					 : | वि० [सं०] निष्प्रभ। (दे०) | 
			
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				| निःप्रयोजन					 : | वि० [सं०] निष्प्रयोजन। (दे०) | 
			
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				| निःफल					 : | वि० [सं०] निष्फल। (दे०) | 
			
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				| निःशंक					 : | वि० [सं० निर्-शंका, ब० स०] १. जिसे किसी प्रकार की शंका न हो। २. निधड़क। क्रि० वि० बिना किसी प्रकार की शंका या डर के। | 
			
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				| निःशत्रु					 : | वि० [सं० निर्-शत्रु, ब० स०] जिसका कोई शत्रु न हो। | 
			
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				| निःशब्द					 : | वि० [सं० निर्-शब्द, ब० स०] १. (स्थान) जिससे शब्द न हो रहा हो। २. जो शब्द न करता हो। | 
			
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				| निःशब्दक					 : | पुं० [सं० निःशब्द+णिच्+ण्वुल्–अक] यंत्रों में रहनेवाला एक उपकरण जो यंत्रों के कुछ पुरजों को अधिक जोर का शब्द या शोर नहीं करने देता। (साइलेन्सर) | 
			
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				| निःशम					 : | पुं० [सं० निर्-शम, प्रा० स०] १. असुविधा। २. चिंता। | 
			
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				| निःशरण					 : | वि० [सं० निर्-शरण, ब० स०] जिसे कोई शरण देनेवाला न हो। असहाय। | 
			
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				| निःशलाक					 : | वि० [सं० निर्-शलाका, ब० स०] एकांत। निर्जन। | 
			
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				| निःशल्य					 : | वि० [सं० निर्-शल्य, ब० स०] [स्त्री० निःशल्या] १. जिसके पास शल्य अर्थात् तीन न हों। २. जिसमें शल्य न हो। कंटक रहित। ३. जिसमें कोई खटकनेवाली बात न हो। ४. जिसमें कोई बाधा या रुकावट न हो। निष्कंटक। | 
			
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				| निःशाख					 : | वि० [सं० निर्-शाखा, ब० स०] जिसमें शाखाएँ न हों। बिना शाखाओं का। | 
			
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				| निःशुक्र					 : | वि० [सं० निर्-शुक्र, ब० स०] १. शक्तिहीन। २. निरुत्साह। | 
			
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				| निःशुल्क					 : | वि० [सं० निर्-शुल्क, ब० स०] १. जिस पर कोई शुल्क न लगता हो या न लगा हो। २. (व्यक्ति) जो नियत शुल्क न देता हो या जिसका शुल्क क्षमा कर दिया गया हो। | 
			
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				| निःशूक					 : | पुं० [सं० निर्-शूक, ब० स०] एक तरह का धान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःशून्य					 : | वि० [सं० निर्-शून्य, प्रा० स०] बिलकुल खाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःशेष					 : | वि० [सं० निर्-शेष, ब० स०] १. जिसका कुछ भी अंश बाकी न बचा हो। जिसका कुछ भी न रह गया हो। २. पूरा। समूचा। ३. पूरी तरह से समाप्त या सम्पन्न किया हुआ (काम)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःशोक					 : | वि० [सं० निर्-शोक, ब० स०] शोक रहित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःशोध्य					 : | वि० [सं० निर्-शोध्य, ब० स०] जिसका शोधन न किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःश्रयणी (यिणी)					 : | स्त्री० [सं० निर्√श्रि+ल्युट्–अन, ङीप्; निर्√श्रि+णिनि–ङीप्] निःश्रेणी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःश्रीक					 : | वि० [सं० निर्-श्री, ब० स०, कप्] श्री से रहित। कांतिहीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःश्रेणी					 : | स्त्री० [सं० निर्–श्रेणी, ब० स०] सीढ़ी विशेषतः काठ या बाँस की बनी हुई सीढ़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निःश्रेयस					 : | पुं० [सं० निर्-श्रेयस्, प्रा० स०, अच्] १. मोक्ष। मुक्ति। २. कल्याण। मंगल। ३. विज्ञान। ४. भक्ति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःश्वसन					 : | पुं० [सं० निर्√श्वस् (साँस लेना)+ल्युट्–अन] साँस बाहर निकालने की क्रिया। वि० [स्त्री० निःश्वसना] साँस बाहर निकालने या फेंकनेवाला। उदा०–जीवन-समीर शुचि निःश्वसना।–निराला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःश्वास					 : | पुं० [सं० निर्√श्वस्+घञ्] वह हवा जो साँस वेने पर नाक के रास्ते बाहर निकाली जाती है। पद–दीर्घ निःश्वास=गहरा और ठंडा साँस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःशील					 : | वि० [सं०]=निश्शील। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंकोच					 : | अव्य० [सं० निर्-संकोच, ब० स०] संकोच बिना। बे-धड़क। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंख्य					 : | वि० [सं० निर्-संख्या, ब० स०] जो गिना न जा सके। अनगिनत। बे-शुमार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंग					 : | वि० [सं० निर्-संग, ब० स०] १. जिसका किसी से संब न हो। किसी से संबंध न रखनेवाला। निर्लिप्त। २. जिसके साथ और कोई न हो। अकेला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंचार					 : | वि० [सं० निर्-संचार, ब० स०] १. संचरण न करनेवाला। २. घर के अन्दर ही पड़ा रहनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंज्ञ					 : | वि० [सं० निर्-संज्ञा, ब० स०] जिसमें संज्ञा न हो या न रह गई हो। संज्ञा-रहित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंतान					 : | वि० =निस्संतान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंदेह					 : | वि० [सं० निर्-संदेह, ब० स०] जिसमें कुछ भी संदेह न हो। संदेह-रहित। क्रि० वि० बिना किसी के सन्देह के। २. निश्चित रूप से। अवश्य। बेशक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंधि					 : | वि० [सं० निर्-संधि, ब० स०] १. संधि से रहित। २. जिसमें कहीं छेद दरज या ऐसा ही कोई अवकाश न हो। ३. जिसमें कहीं जोड़ न हो या न लगा हो। ४. दृढ़। पक्का। मजबूत। ५. अच्छी तरह कसा या गठा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंपात					 : | वि० [सं० निर्-संपात, ब० स०] जिसमें आना-जाना न हो सके। पुं० रात का अंधकार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंबल					 : | वि० [सं० निर्-संबल, ब० स०] १. जिसके पास संबल न हो। जिसे कोई संबल या सहायता देनेवाला न हो। अव्य० बिना किसी संबल या सहारे के। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंबाध					 : | वि० [सं० निर्-संबाधा, ब० स०] १. विस्तृत। २. बड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसंशय					 : | वि० [सं० निर्–संशय, ब० स०] जिसमें या जिसे कुछ भी संशय न हो। अव्य० किसी प्रकार के संशय के बिना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसत्व					 : | वि० [सं० निर्-सत्व, ब० स०] १. जिसमें सत्व या सार न हो। थोथा। २. निःसपत्न | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसरण					 : | पुं [सं० निर्√सृ (गति)+ल्युट्–अन] १. बाहर आना या निकलना। २. बाहर निकलने का मार्ग या रास्ता। निकास। ३. कठिनाई से निकलने का मार्ग या युक्ति। ४. मोक्ष। निर्वाण। ५. मरण। मृत्यु। मौत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसार					 : | वि० [सं० निर्–सार, ब० स०] १. (पदार्थ) जिसमें कुछ भी सार न हो। थोथा। २. जिसका कुछ भी महत्त्व न हो। महत्त्हीन। ३. जिससे कोई प्रयोजन सिद्ध न हो सके। निर्रथक। व्यर्थ। पुं० १. शाखोट या सिहोर नामक वृक्ष। २. सोनपाढ़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसारण					 : | पुं० [सं० निर्√सृ+णिच्+ल्युट्–अन] [भू० कृ० निःसरित] १. कोई चीज निकालने, विशेषतः बाहर निकालने की क्रिया या भाव। २. निकालने का मार्ग। निकास। ३. वनस्पतियों की गाँठों या शरीर की गिल्टियों का अपने अंदर से कोई तत्त्व या तरल अंश बाहर निकालना जो अंगों को विशुद्ध और ठीक दशा में रखने या ठीक तरह से चलाने के लिए आवश्यक होता है। ४. इस प्रकार निकलनेवाला कोई पदार्थ। (सीक्रेशन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसारा					 : | स्त्री० [सं० निर्–सार, ब० स०, टाप्] कदली। केला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसारित					 : | भू० कृ० [सं० निर्√स्+णिच्+क्त] १. निकला हुआ। २. बाहर किया हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसारु					 : | पुं० [सं० निर्–सीमन्, ब० स०] ताल के साठ भेदों में से एक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसीम (न्)					 : | वि० [सं० निर्–सीमन्, ब० स०] १. जिसकी कोई सीमा न हो। २. बहुत अधिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसुकि					 : | पुं० [सं०] १. एक तरह का गेहूँ का पौधा, जिसकी बालों में टूँड़ (बाल का ऊपरी नुकीला भाग) नहीं लगता। २. उक्त पौधे में से निकलनेवाला गेहूँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःसृत					 : | भू० कृ० [सं० निर्√सृ (गति)+क्त] जिसका निःसरण हुआ हो। बाहर निकला हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्नेह					 : | वि० [सं० निर्–स्नेह, ब० स०] जिसमें स्नेह (क) तेल या (ख) प्रेम न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्नेहा					 : | स्त्री० [सं० निःस्नेह+टाप्] अलसी। तीसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्पंद					 : | वि० [सं० निर्-स्पंद, ब० स०] स्पंदनहीन। निश्चल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्पृह					 : | वि० [सं० निर्-स्पृहा, ब० स०] १. जिसे किसी बात की स्पृहा अर्थात् आकांक्षा न हो। कामनाओं, वासनाओं आदि से रहित। २. स्वार्थ आदि की दृष्टि से जो किसी के प्रति उदासीन हो। निःस्वार्थ भाववाला। जैसे–निःस्पृह सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्रव					 : | पुं० [सं० निर्√स्रु (गति)+अप्] १. निकलने का मार्ग। निकास। २. बचा हुआ अंश। अवशेष। ३. बचत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्राव					 : | पुं० [सं० निर्√सु+अण्] १. बहकर निकला हुआ। अंश। २. मांड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्व					 : | पुं० [सं० निर्-स्व, ब० स०] १. जो स्व अर्थात् आपा या अपनापन छोड़ या भूल चुका हो। २. जिसे सुध-बुध न रह गई हो। ३. दरिद्र। धनहीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्वादु					 : | वि० [सं० निर्–स्वाद, ब० स०] बिना स्वाद का। जिसमें कुछ भी स्वाद न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निःस्वार्थ					 : | वि० [सं० निर्-स्वार्थ, ब० स०] १. जिसमें स्वार्थ-साधन की भावना न हो। २. जो बिना किसी स्वार्थ के कोई काम विशेषतः परोपकार करता हो। ३. (काम) जो बिना किसी स्वार्थ से किया जाय। अव्य० बिना किसी प्रकार के स्वार्थ के। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |