| शब्द का अर्थ | 
					
				| निगर					 : | पुं० [सं० नि√गृ (निगलना)+अप्] १. निगलने की क्रिया या भाव। २. भोजन। ३. गला। ४. एक प्रकार की पुरानी तौल जो 55 मोतियों के बराबर होती थी। वि० [सं० निकर] कुल। सब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० समूह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निगरण					 : | पुं० [सं० नि√गृ+ल्युट्–अन] १. खाना या निगलना। २. गला। ३. यज्ञाग्नि का धूआँ। | 
			
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				| निगरना					 : | स०=निगलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निगरभर					 : | वि० [सं० नि+गह्वर] बहुत ही घना। क्रि० वि० घने रूप में। | 
			
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				| निगराँ					 : | वि० [फा०] १. निगरानी करनेवाला। जो चौकस होकर किसी की देखभाल करे। निरीक्षक। | 
			
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				| निगरा					 : | स्त्री० [सं० निगर] 55 मोतियों की वह लड़ी जो तौल में 3२ रत्ती हो। वि० [हिं० नि+गरण] (ऊख का रस) जिसमें पानी न मिलाया गया हो। | 
			
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				| निगराना					 : | स० [सं० नय+करण] १. निर्णय करना। २. छाँट कर अलग या पृथक् करना। स्पष्ट करना। अ० १. अलग होना। २. स्पष्ट होना। | 
			
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				| निगरानी					 : | स्त्री० [फा०] १. व्यक्ति के संबंध में उसके कार्य, गति-विधि आदि पर इस प्रकार ध्यान रखना कि कोई अनौचित्य या सीमा का उल्लंघन न होने पाये। २. वस्तु के संबंध में, इस प्रकार ध्यान रखना कि उसे किसी प्रकार की क्षति या व्यतिक्रम न होने पाये। | 
			
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				| निगरू					 : | वि० [हिं० नि+सं० गुरु] जो गुरु अर्थात् भारी न हो। हलका। वि०=निगुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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