शब्द का अर्थ
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निघर-घट :
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वि० [हिं० नि+भर घाट] १. जिसका कहीं घर-घाट या ठौर-ठिकाना न हो। २. निर्लज्ज। बेहया। मुहा०–(किसी को) निघर-घट देना=बुरी तरह से झिड़कते या फटकारते हुए लज्जित करना। उदा०–दुरै न निघर-घटौ दियें, यह रावरी कुचाल।–बिहारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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