| शब्द का अर्थ | 
					
				| निभ					 : | वि० [सं० नि√भा (दीप्ति)+क] अनुरूप, तुल्य या समान प्रतीत होनेवाला। (समस्त पदों के अंत में) पुं० १. प्रकाश। २. अभिव्यक्ति। ३. धूर्ततापूर्ण चाल। | 
			
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				| निभना					 : | अ० [हिं० निबहना का पश्चिमी रूप] १. कार्य के संबंध में, किसी तरह पूरा या संपादित होना। २. आज्ञा, आदेश, प्रतिज्ञा, वचन आदि के संबंध में, चरितार्थ और फलित होना। ३. व्यक्ति के संबंध में, पारस्परिक संबंध न बिगड़ते हुए बरताव, व्यवहार या सौहार्द बना रहना। जैसे–दोनों भाइयों में नहीं निभेगी। ४. स्थिति के संबंध में, उसके अनुरूप अपने को बनाते हुए रहना या समय बिताना। क्रि० प्र०–जाना। ५. व्यक्ति का अपने कार्य, व्यवहार आदि में खरा और पूरा उतरना। उदा०–निभें युधिष्ठिर से नर-रत्न, एक साथ हैं तीन प्रयत्न।–मैथिलीशरण गुप्त। ६. छुट्टी या छुटकारा पाना। विशेष–यद्यपि यह शब्द मूलतः ‘निर्वाहण’ से ही व्युत्पन्न है, अतः इसका रूप ‘निबहना’ ही अधिक संगत है, फिर भी पश्चिमी हिन्दी में इसका ‘निभाना’ रूप ही प्रचलित है और वही प्रशस्त तथा शिष्ट-सम्मत है। | 
			
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				| निभरम					 : | वि० [सं० निर्भ्रम] जिसे या जिसमें किसी प्रकार का भ्रम या शंका न हो। क्रि० वि० बिना किसी खटके, डर या शंका के। बेधड़क। | 
			
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				| निभरमा					 : | वि० [सं० निर्भ्रम] १. जिसका रहस्य खुल या प्रकट हो गया हो। २. जिसका विश्वास उठ गया हो। | 
			
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				| निभरोस (सी)					 : | वि० [हिं० नि+भरोसा] [भाव० निभरोसा] १. जिसे किसी का भरोसा न हो। असहाय। निराश्रय। २. जिस पर भरोसा या विश्वास न किया जा सके। | 
			
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				| निभाउ					 : | वि० [हिं० नि+भाव] १. जिसमें कोई भाव न हो। भावरहित। २. अच्छे कामों या गुणों से रहित। उदा०–असरन सरन नाम तुम्हारौं हौं कामी कुटिल निभाउ।–सूर। पुं०=निबाह। | 
			
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				| निभागा					 : | वि०=अभागा। | 
			
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				| निभाना					 : | स० [हिं० निभाना का स० रूप] १. उत्तरदायित्व, कार्य आदि का निर्वाह करना। २. आज्ञा, आदेश, प्रतिज्ञा, वचन आदि चरितार्थ या पालित करना। ३. थोड़ा-बहुत कष्ट सहते या त्याग करते हुए भी इस प्रकार आचरण, बरताव या व्यवहार करते चलना जिससे परस्पर संबंध बना रहे और कटुता न उत्पन्न होने पावे। ४. किसी दशा या स्थिति के अनुरूप अपने आपको ढाल या बनाकर समय बिताना। | 
			
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				| निभालन					 : | पुं० [सं० नि√भल (देखना)+णिच्+ल्युट्–अन] १. देखना। दर्शन। २. ज्ञान प्राप्त करना। परिचित होना। मालूम करना। | 
			
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				| निभाव					 : | पुं० [हिं० निभना] निभने या निभाने की क्रिया या भाव। निर्वाह। निबाह। (देखें) | 
			
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				| निभूत					 : | वि० [सं० नि-भूत प्रा० स०] बीता हुआ। गत। | 
			
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				| निभूत					 : | वि० [सं० नि√भृ (धारण)+क्त] १. धरा या रखा हुआ। २. छिपा हुआ। गुप्त। ३. अटल। निश्चित। ४. निश्चित। स्थिर। ५. बंद किया हुआ। ६. विनीत। नत। ७. धीर। शांत। ८. एकांत। निर्जन। सूना। ९. भरा हुआ। पूर्ण। १॰. अस्त होने के समय या स्थिति के पास पहुँचा हुआ। ११. विश्वसनीय और सच्चा। | 
			
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				| निभृतात्मा (त्मन्)					 : | वि० [सं० निभृत-आत्मन्, ब० स०] १. धीर। २. दृढ़। | 
			
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				| निभ्रांत					 : | वि०=निर्भ्रान्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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