| शब्द का अर्थ | 
					
				| निरालंब					 : | वि० [सं० निर्-आलंब, ब० स०] १. जिसका कोई आलंब या सहारा न हो। २. जिसे कोई आश्रय या सहायता देनेवाला न हो। ३. आधार-हीन। | 
			
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				| निरालंबा					 : | स्त्री० [सं० निरालंब+टाप्] छोटी जटामासी | 
			
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				| निराल					 : | वि० [हि. निराला] १. निराला। २. निपट। निरा। ३. विशुद्ध। | 
			
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				| निरालक					 : | पुं० [सं०] एक तरह की समुद्री मछली। | 
			
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				| निरालभ					 : | वि०=निरालंब।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निरालय					 : | वि० [?] अपवित्र। उदा०–ऐसन देह निरालय बौरे मुए छुवे नहिं कोई हो।–कबीर। | 
			
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				| निरालस					 : | वि०, पुं०=निरालस्य। | 
			
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				| निरालस्य					 : | वि० [सं० निर्-आलस्य, ब० स०] जिसे आलस्य न हो, फलतः फुर्तीला। पुं० आलस्य का अभाव। | 
			
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				| निराला					 : | वि० [सं० निरालय] [स्त्री० निराली] १. (स्थान) जहाँ कोई आदमी या बस्ती न हो। २. एकांत और निर्जन। ३. (बात, वस्तु या व्यक्ति) जो अपनी बनावट, रूप, विशिष्टताओं आदि के कारण सबसे अलग तरह का और अनोखा हो। अनूठा। पुं० ऐसा स्थान जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ या आना-जाना न हो। एकांत और निर्जन स्थान। | 
			
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				| निरालोक					 : | वि० [सं० निर्-आलोक, ब० स०] १. आलोक अर्थात् प्रकाश से रहित। २. अंधकारपूर्ण। अँधेरा। पुं० शिव। | 
			
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