| शब्द का अर्थ | 
					
				| निवार					 : | स्त्री० [फा० नवार] मोटे सूत की बनी हुई तीन-चार अंगुल चौड़ी वह पट्टी जिससे पलंग बुने जाते हैं। स्त्री० [सं० नेमि+आर] पहिए की तरह की लकड़ी का वह गोल चक्कर जो कूएँ की नींव में धँसाया जाता है जिसके ऊपर कोठी की जोड़ाई होती है। जमावट। पुं० [सं० नीवार] तिन्नी का धान। स्त्री० [?] एक प्रकार की बड़ी और मोटी मूली। | 
			
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				| निवारक					 : | वि० [सं० नि√वृ (रोकना)+णिच्+ण्वुल्–अक] १. निवारण करनेवाला। २. दूर करने, रोकने या हटानेवाला। | 
			
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				| निवारण					 : | पुं० [सं० नि√वृ+णिच्+ल्युट्–अन] १. किसी की बढ़ने या फैलने से रोकना। २. दूर करना। हटाना। ३. आनेवाली बाधा या संकट को बीच में ही रोकने के लिए किया जानेवाला प्रयत्न। रोक-थाम। (प्रिवेन्शन) ४. निषेध। मनाही। ५. छुटकारा। निवत्ति। | 
			
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				| निवारन					 : | पुं०=निवारण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निवारना					 : | स० [सं० निवारण] १. निवारण करना। २. संकट आदि दूर करना, रोकना या हटाना। ३. संकट आदि से किसी को बचाना या उसकी रक्षा करना। ४. कोई काम या बात टालते या रोकते हुए समय बिताना। ५. निषेध करना। मना करना। | 
			
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				| निवार-बाफ					 : | पुं० [फा० नवार+बाफ़=बुननेवाला] [भाव० निवार-बाफी] निवार अर्थात पलंग बुनने की सूत की पट्टी बुननेवाला जुलाहा। | 
			
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				| निवारी					 : | स्त्री० [सं० नेपाली या नेमाली] १. चैत में फूलनेवाला जूही की जाति का सुगंधित फूलोंवाला एक पौधा। २. इस पौधे के फूल जो सफेद और सुगंधित होते हैं। वि० [हिं० निवार] १. निवार-संबंधी। निवार का। २. निवार से बुना हुआ। जैसे–निवारी पलंग। | 
			
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