| शब्द का अर्थ | 
					
				| निसंक					 : | वि०=निःशंक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसंकी					 : | वि० [सं० निःशंक] १. निःशंक। २. निःशंक हो कर बुरे काम करनेवाला। उदा०–नीच, निसील, निरीस निसंकी।–तुलसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसंग					 : | वि०=निस्संग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसँठ					 : | वि० [हिं० नि+सँठ=पूँजी] जिसके पास धन या पूँजी न हो। निर्धन। गरीब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसंस					 : | वि० [हिं० नि+साँस] जो सांस न ले रहा हो, अर्थात् मरा हुआ या मरे के हुए के समान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसंस					 : | वि०=नृशंस (क्रूर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसंसना					 : | अ० [सं० निःश्वास] १. निःश्वास लेना। २. हाँफना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निस					 : | स्त्री०=निशा (रात्रि)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसक					 : | वि० [सं० निः+शक्त] अशक्त। कमजोर। दुर्बल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसकर					 : | पुं०=निशाकर (चंद्रमा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसचय					 : | पुं०=निश्चय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निसत					 : | वि० [हिं० नि+सं० सत्य] असत्य। मिथ्या। वि० [हिं० नि+सत] जिसमें कुछ भी सत्त्व या सार न हो। निःसत्व। | 
			
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				| निसतरना					 : | अ० [सं० निस्तार] निस्तार अर्थात् छुटकारा पाना। स० निस्तार या उद्धार करना। | 
			
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				| निसतार					 : | पुं०=निस्तार। | 
			
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				| निसतारना					 : | स० [सं० निस्तार+ना (प्रत्य०)] निस्तार करना। छुटकारा देना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निसद्द					 : | वि०=निःशब्द।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस-द्योस					 : | अव्य० [सं० निरी+दिवस] रात-दिन। नित्य। सदा। | 
			
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				| निसनेही					 : | स्त्री०=निःस्नेहा (अलसी)। | 
			
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				| निसबत					 : | स्त्री० [अ० निस्बत] १. संबंध। लगाव। ताल्लुक। २. वैवाहिक संबंध की ठहरौनी या पक्की बात-चीत। मँगनी। सगाई। ३. तुलना। मुकाबला। क्रि० प्र०–देना। | 
			
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				| निसबती					 : | वि० [अ०] १. ‘निसबत’ का। २. जिससे निसबत (रिश्ता या संबंध) हो। पद–निसबती भाई=बहनोई का साला। | 
			
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				| निसयाना					 : | वि० [हिं० नि+सयाना ?] १. जिसकी सुध-बुध खो गयी हो। २. अनजान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसरना					 : | अ०=निकलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसराना					 : | स० १.=निकालना। २.=निकलवाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निसर्ग					 : | पुं० [सं०नि√सृज् (छोड़ना)+घञ्] [वि० नैसर्गिक] १. उपहार, भेंट, दान, दक्षिणा आदि के रूप में किसी को कुछ देना। २. छोड़ना या त्यागना। उत्सर्ग करना। ३. बाहर निकालना। ४. मल त्याग करना। ५. आकृति या रूप। ६. विनिमय। ७. सृष्टि। ८. वह तत्त्व या शक्ति जिससे सृष्टि के समस्त कार्य या व्यापार संपन्न होते हैं। प्रकृति। ९. प्रकृति। स्वभाव। (नेचर अंतिम दोनों अर्थों में) | 
			
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				| निसर्गज					 : | वि० [सं० निसर्ग√जन् (उत्पत्ति)+ड] निसर्ग से उत्पन्न। नैसर्गिक। प्राकृतिक। | 
			
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				| निसर्गतः (तस्)					 : | अव्य० [सं० निसर्ग+तस्] निसर्ग या प्रकृति के अनुसार, अथवा उसकी प्रेरणा से। प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप से। प्रकृतिशः। स्वभावतः। | 
			
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				| निसर्गवाद					 : | पुं०=प्रकृतिवाद। | 
			
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				| निसर्गवादी					 : | पुं०=प्रकृतिवादी। | 
			
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				| निसर्ग-विज्ञान					 : | पुं०=प्रकृति-विज्ञान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसर्गविद्					 : | पुं०=प्रकृतिवेत्ता। | 
			
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				| निसर्गवेत्ता					 : | पुं०=प्रकृतिवेत्ता। | 
			
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				| निसर्ग-सिद्ध					 : | वि० [सं० पं० त०] १. प्राकृतिक। २. स्वभाव-सिद्ध। स्वाभाविक। | 
			
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				| निसर्गायु (स्)					 : | स्त्री० [सं० निसर्ग-आयुस्, मध्य० स०] फलित ज्योतिष में आयु निकालने की एक गणना। | 
			
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				| निसवासर					 : | पुं०[सं० निशिवासर] रात और दिन। अव्य० नित्य। सदा। | 
			
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				| निसस					 : | वि०=निसँस (क्रूर)। | 
			
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				| निसहाय					 : | वि०=निस्सहाय (असहाय)। | 
			
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				| निसाँक					 : | अव्य०, वि०=निश्शंक। | 
			
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				| निसाँस					 : | पुं० [सं० निःश्वास] ठँढा साँस। लंबा साँस। वि०=निसाँसा। | 
			
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				| निसाँसा					 : | वि० [हिं० नि+साँस] [स्त्री० निसाँसी] जो साँस न ले रहा हो या न ले सकता हों अर्थात् मरा हुआ या मरे हुए के समान। उदा०–अब हौं भरौं निसाँसी, हिए न आवे साँस-जायसी। | 
			
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				| निसाँसी					 : | वि०=निसाँसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसा					 : | स्त्री० [हिं० निशाखातिर] १. तृप्ति। तुष्टि। पद–निसा भर=जी भर के। खूब अच्छी तरह। २. संतोष। पुं०=नशा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=निशा (रात)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाकर					 : | पुं०=निशाकर (चंद्रमा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाचर					 : | वि०, पुं०=निशाचर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाथा					 : | वि० [हिं० नि+साथ] जिसके साथ और कोई न हो। अकेला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाद					 : | पुं० [सं० निषाद] १. भंगी। मेहतर। २. दे० ‘निषाद’। | 
			
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				| निसान					 : | पुं० [फा० निशान] १. निशान। चिह्न। २. धौंसा। नगाड़ा। | 
			
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				| निसानन					 : | पुं० [सं० निशानन] संध्या का समय। प्रदोष काल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाना					 : | पुं०=निशाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसानाथ					 : | पुं०=निशानाथ (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसानी					 : | स्त्री०=निशानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसापति					 : | पुं०=निशापति (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसाफ					 : | पुं०=इंसाफ। (न्याय)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसार					 : | पुं० [सं० नि√सृ (गति)+घञ्] १. समूह। २. सोनापाढ़ा। पुं० [अ०] १. कुरबान। बलि। २. निछावर। सदका। ३. मुगल शासन काल का एक सिक्का जो रुपये के चौथाई मूल्य का होता था। वि०=निस्सार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसारक					 : | पुं०[सं०] शालक राग का एक भेद। वि० [हिं० निसारना=निकालना] निकालनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसारना					 : | स० [सं० निःसरण] निकालना। बाहर करना। स० [अ० निसार] निछावर करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसारा					 : | स्त्री० [सं० निःसारा] केले का पेड़। पुं० [अ०] ईसाई। मसीही। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| निसावारा					 : | पुं० [देश०] कबूतरों की एक जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसास					 : | पुं०=निसाँस (निःश्वास)। वि०=निसाँसा (बेदम)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसासी					 : | वि०=निसाँसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिंथ					 : | पुं० [सं०] सँभालू नामक पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसि					 : | स्त्री०=निशि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिकर					 : | पुं०=निशाकर (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिचर					 : | वि०, पुं०=निशाचर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिचारी					 : | वि०, पुं०=निशाचर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिदिन					 : | अव्य० [सं० निशिदिन] १. रात-दिन। आठों पहर। २. हर समय। सदा। पुं० रात और दिन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिनाथ					 : | पुं०=निशिनाथ (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिनाह					 : | पुं०=निशिनाथ। (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसि-निसि					 : | स्त्री० [सं० निशि-निशि] अर्ध-रात्रि। निशीथ। आधी रात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिपति					 : | पुं०=निशिपति (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिपाल					 : | पुं०=निशिपाल (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिमणि					 : | पुं०=निशामणि (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसियर					 : | पुं०=निशिकर (चंद्रमा)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसिवासर					 : | पुं०=निसिदिन (रात-दिन)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसीठा					 : | वि० [सं० नि+हिं० सीठी] [स्त्री० निसीठी] १. जिसमें कुछ तत्त्व न हो। निःसार। २. नीरस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसीथ					 : | पुं०=निशीथ (अर्द्ध रात्रि)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसंधु					 : | पुं० [सं०] प्रहलाद के भाई हलाद के पुत्र का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसुंभ					 : | पुं०=निशुंभ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसु					 : | स्त्री०=निशा (रात्रि)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसुका					 : | वि० [सं० निःस्वक] १. निर्धन। दरिद्र। गरीब। २. गुण,विशेषता आदि से रहित। उदा०–हौं कषु कै रिस के करों ये निस के हंसि देत।–बिहारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसुग्गा					 : | वि०=निसोग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसुर					 : | वि० [सं० निःस्वर] १. शब्द-रहित। २. चुप। मौन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसूदक					 : | वि० [सं० नि√सूद् (हिंसा)+णिच्+ण्वुल्–अक] मारने या वध करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसूदन					 : | पुं०[सं०नि√सूद्+णिच्+ल्युट्—अन] १. वध करना। २. नष्ट करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसृत					 : | भू० कृ० [निःसृत] निकाला हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसृता					 : | स्त्री० [सं० नि√सृ (गति)+क्त+टाप्] निसोथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसृष्ट					 : | भू० कृ० [सं० नि√सृज् (छोड़ना)+क्त] १. उपहार, भेंट, दान, दक्षिणा आदि के रूप में दिया हुआ। २. त्यागा या छोड़ा हुआ। ३. भेजा हुआ। प्रेषित। ४. जिसे स्वीकृति दी गई हो। ५. जलाया हुआ। वि० मध्यस्थ। पुं० प्रतिदिन के हिसाब के दी जानेवाली मजदूरी या वेतन। दैनिक भृति। (कौ०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसृष्टार्थ					 : | पुं० [सं० निसृष्ट-अर्थ, ब० स०] १. वह धीर और बुद्धिमान व्यक्ति जिसे किसी महत्पूर्ण कार्य के प्रबंध या व्यवस्था का भार सौंपा जाय या सौंपा जा सके। २. सन्देशवाहक। दूत। ३. साहित्य में तीन प्रकार के दूतों (या दूतियों) में से एक जो प्रेमिका और प्रेमी का पारस्परिक स्नेह देखकर स्वयं उनके मिलन या संयोग की व्यवस्था करे। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसेनी					 : | स्त्री० [सं० निःश्रेणी] सीढ़ी। जीना। सोपान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसेष					 : | वि०=निःशेष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसेस					 : | पुं०[सं० निशेश] चंद्रमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसैनी					 : | स्त्री०=निसेनी (सीढ़ी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोग					 : | वि० [सं० निःशोक] १.जिसे कोई शोक या चिंता न हो। २.जिसे किसी बात की चिंता या फिक्र न हो। लापरवाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोच					 : | वि० [सं० निःशोच] जिसे सोच या चिंता न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोत (ा)					 : | वि० [सं० निःसंयुक्त] [वि० स्त्री० निसोती] जिसमें और किसी चीज का मेल न हो। शुद्ध। निरा। स्त्री०=निसोथ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोत्तर					 : | पुं०=निसोत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोथ					 : | स्त्री० [सं० निसृत्ता] १. एक प्रकार की लता जिसमें पत्ते गोल और नुकीले होते हैं और जिसमें गोल फल लगते हैं। २. उक्त लता का फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निसोधु					 : | स्त्री० [हिं० सोध या सुध] १.सुध। खबर। २.सन्देश। सँदेसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्की					 : | स्त्री० [देश०] एक प्रकार का रेशम की कीड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्केवल					 : | वि०=निष्केवल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तंतु					 : | वि० [सं० निर्-तंतु, ब० स०] १. तंतुओं से रहित। २. जिसके आगे कोई संतान न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तंद्र					 : | वि० [सं० निर्-तंद्रा, ब० स०] १. जिसे तंद्रा न हो। २. जिसमें आलस्य न हो। निरालस्य। ३. बलवान। शक्तिशाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तत्त्व					 : | वि० [सं० निर्-तत्त्व, ब० स०] जिसमें तत्त्व न हो। तत्त्व-हीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तनी					 : | स्त्री० [सं० नि-स्तन, ब० स०, ङीष्] औषध की वटिका। गोली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तब्ध					 : | वि० [सं०नि√स्तम्भ (रोकना)+क्त] [भाव० निस्तब्धता] १. जो हिलता-डोलता न हो। जिसमें गति या व्यापार न हो। २. निश्चेष्ट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तमस्क					 : | वि० [सं० निर्-तमस्, ब० स०, कप्] जिसमें अँधेरा न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तरंग					 : | वि० [सं० निर्-तरंग, ब० स०] जिसमें तरंगें न उठ रही हों; फलतः शान्त और स्थिर। उदा०–उड़ गया मुक्त नभ निस्तरंग।–निराला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तर					 : | पुं०=निस्तार। उदा०–निस्तर पाइ जाइँ इक बारा।–जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तरण					 : | पुं० [निर्√तृ (पार होना)+ल्युट्–अन] १. पार उतरना या होना। २. झंझटों, बखेड़ों, भव-बंधनों आदि से छुटकारा मिलना या पाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तरना					 : | अ० [सं० निस्तरण] १. पार होना। २. मुक्त होना। छुटकारा पाना। स० १. पार उतराना। २. मुक्त करना। उदा०–अजहूँ सूर पतित पदतज तौ जौ औरहू निस्तरतौ।–सूर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तरी					 : | स्त्री० [देश०] रेशम के कीड़ों की एक जाति जिनका रेशम कुछ कम चमकदार और कुछ कम मुलायम होता है। इसकी तीन उपजातियाँ-मदरासी, सोनामुखी और कृमि है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तर्क्य					 : | वि०=अतर्क्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तल					 : | वि० [सं० निर्-तल्, ब० स०] [भाव० निस्तलता] १. बिना तल का। जिसका तल न हो। २. जिसके तले का पता न हो। बहुत गहरा। अंतहीन। उदा०–प्रेयसी के प्रणय के निस्तल विभ्रम के।–निराला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तला					 : | स्त्री० [सं० निस्तल+टाप्] वटिका गोली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तार					 : | पुं० [सं० निर्√तृ+घञ्] १. तर या तैर कर पार होने की क्रिया या भाव। २. बंधन, संकट आदि से बचकर निकलने की क्रिया या भाव। उद्धार। छुटकारा। ३. काम पूरा करके उससे छुट्टी पाना। ४. अभीष्ट की प्राप्ति या सिद्धि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| निस्तारक					 : | वि० [सं०निर्√तृ+णिच्+ण्वुल्–अक] [स्त्री० निस्तारिका] १. पार उतारनेवाला। २. झंझटों, बंधनों आदि से छुड़ानेवाला। | 
			
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				| निस्तारण					 : | पुं० [सं० निर्√तृ+णिच्+ल्युट्–अन] १. नदी आदि के पार करना या ले जाना। २. बंधनों आदि से छुड़ाना। मुक्त करना। ३. जीतना। ४. सामने आये हुए कार्य व्यवहार आदि को नियमित रूप से करना अथवा उसका निराकरण करना। (डिस्पोजल)। ५. रसायनशास्त्र में निथारने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| निस्तारन					 : | पुं०=निस्तारण। | 
			
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				| निस्तारना					 : | स० [सं० निस्तार+ना (प्रत्य०)] १. पार उतारना। २. उद्धार करना। छुड़ाना। | 
			
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				| निस्तार-बीज					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह बीज या तत्त्व जिसकी सहायता से मनुष्य भव-सागर से पार उतरता हो। (पुराण) | 
			
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				| निस्तारा					 : | पुं०=निस्तार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस्तिमिर					 : | वि० [सं० निर्-तिमिर्, ब० स०] तिमिर या अंधकार से रहित। | 
			
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				| निस्तीर्ण					 : | भू० कृ० [निर्√तृ+क्त] १. जो पार उतर चुका हो। २. जिसका निस्तार या छुटकारा हो चुका हो। मुक्त। ३. पूरा किया हुआ। निष्ण। | 
			
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				| निस्तुष					 : | वि० [सं० निर्-तुष, ब० स०] १. जिसमें भूसी न हो या जिसकी भूसी निकाल ली गई हो। बिना भूसी का। २. निर्मल। साफ। | 
			
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				| निस्तुष-क्षीर					 : | पुं० [सं० ब० स०] गेहूँ। | 
			
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				| निस्तुष-रत्न					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] स्फटिक मणि। | 
			
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				| निस्तुषित					 : | भू० कृ० [सं० निस्तुष+णिच्+क्त] १. जिसका छिलका या भूसी अलग कर दी गई हो। २. छीला हुआ। ३. त्यागा हुआ। त्यक्त। ४. छोटा या पतला किया हुआ। | 
			
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				| निस्तेज					 : | वि० [सं० निर्-तेज, ब० स०] जिसमें तेज न हो। तेज-हीन। | 
			
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				| निस्तैल					 : | वि० [सं० निर्-तैल, ब० स०] जिसमें तेल न हो अथवा जिस पर तेल न लगा हो। | 
			
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				| निस्तोद					 : | पुं० [सं० निस्√तुद् (व्यथित करना)+घञ्] १. चुभाने की क्रिया या भाव। २. डंक मारना। | 
			
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				| निस्त्रप					 : | वि० [सं० निर्-त्रपा, ब० स०] निर्लज्ज। बेशर्म। | 
			
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				| निस्त्रिंश					 : | वि० [सं० नृशंस] जिसमें दया न हो। निर्दय। पुं० [सं० निर्-त्रिंशत्, प्रा० स०] १. खड्ग। २. एक प्रकार का तांत्रिक मंत्र। | 
			
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				| निस्त्रिंश-पत्रिका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०,+कप्+टाप्, इत्व] थूहर। | 
			
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				| निस्त्रुटी					 : | स्त्री० [सं०] बड़ी इलायची। | 
			
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				| निस्त्रैगुण्य					 : | वि० [सं० निर्-त्रैगुण्य, ब० स०] जो तीनों गुणों से रहित या हीन हो। पुं० सत्त्व, रज और तम तीनों गुणों से परे या रहित होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| निस्त्रैणपुष्पिक					 : | पुं० [?] धतूरा। | 
			
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				| निस्नेह					 : | वि० [सं० निर्-स्नेह, ब० स०] १. जिसमें स्नेह या प्रेम न हो। २. जिसमें स्नेह या तेल न हो। पुं० एक प्रकार का तांत्रिक मंत्र। | 
			
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				| निस्नेह-फला					 : | स्त्री० [सं० ब० स०, टाप्] भटकटैया। कटेरी। | 
			
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				| निस्पंद					 : | वि० [सं० निर्-स्पंद, ब० स०] जिसमें स्पंदन न हो। स्पंदनरहित। पुं०=स्पंदन। | 
			
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				| निस्पृह					 : | वि० [सं० निर्-स्पृह, ब० स०] जिसे किसी प्रकार की स्पृहा या इच्छा न हो। इच्छा या स्पृहा से रहित। | 
			
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				| निस्पृहता					 : | स्त्री० [सं० निस्पृह+तल्+टाप्] निस्पृह होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| निस्पृहा					 : | स्त्री० [सं० निस्पृहा+टाप्] अग्निशिखा या कलिहारी नामक पेड़। | 
			
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				| निस्पृही					 : | वि०=निस्पृह। | 
			
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				| निस्प्रेही					 : | वि०=निस्पृह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस्फ					 : | वि० [फा० निस्फ] अर्द्ध। आधा। | 
			
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				| निस्फल					 : | वि०=निष्फल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस्फी					 : | वि० [फा० निस्फ़] निस्फ या आधे के रूप में होनेवाला। जैसे–निस्फी बँटाई=ऐसी बँटाई जो दो बराबर भागों में अर्थात् आधी आधी हो। | 
			
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				| निस्बत					 : | स्त्री० [अ०] निसबत। (दे०) स्त्री० दे० ‘दो-सखुना’। | 
			
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				| निस्बती					 : | वि०=निसबती। | 
			
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				| निस्यंद					 : | पुं० [सं० नि√स्यन्द (चूना)+घञ्] १. चूना या रिसना। क्षरण। २. परिणाम। ३. प्रकट करना। | 
			
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				| निस्यंदी (दिन्)					 : | वि० [सं० नि√स्यन्द+णिनि] बहने या रसनेवाला। | 
			
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				| निस्यों					 : | वि० [सं० निश्चिंत] निश्चिन्त। बे-फिक्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पद–निस्यो करि=निश्चिन्त होकर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस्राव					 : | पुं० [सं० नि√स्रु (बहना)+घञ्] १. वह जो चू, बह या रसकर निकला हो। २. भात की पीच। माँड़। | 
			
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				| निस्व					 : | वि० [सं० निःस्व] जिसके पास ‘स्व’ अर्थात् अपना कुछ भी न हो, अर्थात् दरिद्र। | 
			
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				| निस्वन					 : | पुं० [सं० नि√स्वन् (शब्द)+अप्] शब्द। ध्वनि। | 
			
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				| निस्वान					 : | पुं० [सं० नि√स्वन+घञ्] १. शब्द। ध्वनि। निस्वन। २. तीर के चलने से होनेवाली हवा में सुरसुराहट। पुं०=निश्वास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| निस्संकोच					 : | वि० [सं० निर्-संकोच, ब० स०] जिसमें संकोच या लज्जा न हो। संकोचरहित। अव्य० बिना किसी संकोच के। बे-धड़क। | 
			
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				| निस्संग					 : | वि० [सं० निर्-संग, ब० स०] १. जिसका किसी से संग या साथ न हो। २. अकेला। ३. विषय वासनाओं से रहित। ४. एकांत। निर्जन। | 
			
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				| निस्संतान					 : | वि० [सं० निर्-संतान, ब० स०] जिसे कोई संतान न हो। | 
			
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				| निस्संदेह					 : | वि० [सं० निर्-संदेह, ब० स०] जिसमें कोई या कुछ भी संदेह न हो। असंदिग्ध। अव्य० १. बिना किसी प्रकार के सन्देह के। २. निश्चित रूप से। अवश्य। | 
			
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				| निस्सत्त्व					 : | वि० [सं० निर्-सत्त्व, ब० स०] सत्त्वहीन। | 
			
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				| निस्सरण					 : | पुं० [सं० निर्-सरण, ब० स०] निकलने की क्रिया या भाव। २. निकलने का मार्ग या स्थान। | 
			
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				| निस्सहाय					 : | वि० [सं० निर्-सहाय, ब० स०] जिसकी सहायता करनेवाला कोई न हो। असहाय। | 
			
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				| निस्सार					 : | वि० [सं० निर्-सार, ब० स०] सारहीन। | 
			
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				| निस्सारक					 : | वि० [सं० निर्√सृ (गति)+णिच्+ण्वुल–अक] निकानेवाला। | 
			
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				| निस्सारण					 : | पुं० [सं० निर्√सृ+णिच्+ल्युट्–अन] निकालने की क्रिया या भाव। | 
			
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				| निस्सारित					 : | भू० कृ० [सं० निर्√सृ+णिच्+क्त] निकाला हुआ। बाहर किया हुआ। | 
			
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				| निस्सीम					 : | वि० [सं० निर्-सीम, ब० स०] १. जिसकी कोई सीमा न हो। असीम। २. बहुत अधिक। | 
			
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				| निस्सृत					 : | भू० कृ० [सं० निर्√सृ+क्त] बाहर निकला हुआ। पुं० तलवार के ३२ हाथों में से एक। | 
			
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				| निस्स्नेह					 : | वि० [सं० निर्-स्नेह, ब० स०] स्नेहरहित। | 
			
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				| निस्स्नेह-फला					 : | स्त्री० [ब० स०, टाप्] सफेद भटकटैया। | 
			
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				| निस्स्पंद					 : | वि०=निस्पंद। | 
			
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				| निस्स्वक					 : | वि० [सं० निर्-स्व, ब० स०, कप्] दरिद्र। धनहीन। | 
			
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				| निस्स्वादु					 : | वि० [सं० निर्-स्वादु, ब० स०] १. जिसका या जिसमें कोई स्वाद न हो। २. जिसका स्वाद अच्छा न हो। | 
			
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				| निस्स्वार्थ					 : | वि० [सं० निर्-स्वार्थ, ब० स०] (कार्य) जो बिना किसी निजी स्वार्थ के और विशेषतः परमार्थ की भावना से किया गया हो। जैसे–निस्स्वार्थ सेवा। अव्य० बिना किसी स्वार्थ या मतलब के। | 
			
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